प्रश्न - *अजगर करे न चाकरी, पंक्षी करे न काम,*
*दास मलूका कह गए,*
*सबके दाता राम।*
हमारे भैया शादीशुदा है , दिन भर गांव में लोगों के साथ तास खेलने में व्यस्त रहते हैं, कुछ उन्हें करने को बोलो तो उपरोक्त दोहा मुझे सुना देते हैं। मुझे इस दोहे के जवाब हेतु मार्गदर्शन कीजिये।
उत्तर - आत्मीय भाई, धैय और युक्ति से काम करके भईया का दिमाग़ ठीक करो।
अब जब तुम्हें वो दोहा सुनाएं तो उनसे पूँछो:-
भगवान चिड़िया को दाना जरूर देता है लेकिन कभी मैंने चिड़िया के घोंसले में होमडिलीवरी होते नहीं देखी। बेचारी चिड़िया दिन भर न जाने कहाँ कहाँ भोजन की तलाश में परिश्रम करके उड़ती है, तब जाकर भोजन मिलता है। अज़गर बेचारे को भी कीड़े मकोड़े पिज़्ज़ा डिलीवरी की तरह होमडीलीवरी भगवान नहीं करता, बड़े परिश्रम से जहां तहां जाकर शिकार करता है, तब पेट भर पाता है।
जंगल के जीव केवल जो प्राकृतिक है वही ज्यों का त्यों खा सकते है, उनके लिए कोई पकाकर नहीं देता। प्रकृति ने यदि शाकाहारी बनाया है तो केवल घास-पत्ते और शाक ख़ाकर जिएंगे। और यदि मांसाहारी बनाया है तो केवल कच्चा मांस खा के जिएंगे। वृद्ध या बीमार होने पर कोई सेवा नहीं मिलती, जंगल का राजा शेर हो या साधारण जीव तड़प तड़प कर भूखों अंत मे अशक्त होने पर मरता है।
मनुष्य के पास सोचने-समझने की शक्ति है, बुद्धिबल मनुष्य को समस्त जीवों में श्रेष्ठ बनाता है। हम सब भोजन पका कर खाते है, समाज की सुविधा का उपयोग करते हैं। चिकित्सा की सेवा हमे मिली हुई है।
भैया- *वीर भोग्या वसुंधरा* , जो वीर है वही इस पृथ्वी का उपभोग कर सकता है।
*कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जस करइ सो तस फल चाखा*
विधाता ने समस्त सृष्टि को कर्म प्रधान बनाया है, जैसा करोगे वैसा भरोगे। जो बोओगे वही काटोगे।
पिताजी का कमाया रोज खर्च हो रहा है, नया कमा नहीं रहे तो एक न एक दिन परिवार भूखों मरेगा। मेरी शादी के बाद मेरी पत्नी बच्चो की जिस तरह जिम्मेदारी मैं उठाऊंगा तो उसी तरह अपने पत्नी बच्चो के भरण-पोषण हेतु कमाइए और कुछ करिये। पिताजी की मृत्यु हुए दो वर्ष हो चुके है। माता को मिलने वाली पेंशन माता जी दवा ख़र्च में जायेगा। अतः सुधर जाइये और मुफ्त खोर और कामचोरी के बहाने मत तलाशिये।
पहले प्यार से भाई को समझाओ, यदि फिर भी न समझें। तो निम्नलिखित युक्ति अपनाओ।
घर में सभी लोग गायत्री साधना करो, सूर्य भगवान से भाई की सद्बुद्धिं हेतु प्रार्थना करो, सूर्य भगवान को जल चढ़ा के बचे हुए जल से रोटी बनाओ। घर मे बलिवैश्व यज्ञ करो।
घर मे शांतिपुर्ण सत्याग्रह और असहयोग आंदोलन छेड़ दो, सब परिवार एकजुट हो जाओ। उन्हें जबतक सुधार न लो तबतक चैन से मत बैठना।
माताजी और भाभी से बोलो रात को भोजन में थाली में रोटी की जगह साबुत गेंहूँ, सब्जी की जगह साबुत सब्जी, चावल की जगह कच्चे चावल और दाल की जगह कच्ची दाल परोस दो।
साथ निम्नलिखित दोहा सुना देना:-
- *अजगर करे न पका भोजन*,
*पंक्षी भी न जलाए चूल्हा,*
*दास मलूका के भक्तों को,*
*दुनियाँ में कोई स्त्री न बनाए दूल्हा।*
*सकल पदारथ एही जग माही,*
*कर्महीन नर पावत नाही।*
इस संसार मे समस्त पदार्थ और सुख सुविधा है लेकिन कर्महीन व्यक्ति को कुछ प्राप्त नही होता है । कर्महीन व्यक्ति परिवार के लिए समस्या बनता है।
या तो कमाओ, नहीं तो आज से कच्चा भोजन खाओ। मन ही मन गायत्री मंत्र जपते हुए उनका मानसिक उपचार करो। पूरा परिवार उनके लिए भगवान से प्रार्थना भी करते रहो।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
*दास मलूका कह गए,*
*सबके दाता राम।*
हमारे भैया शादीशुदा है , दिन भर गांव में लोगों के साथ तास खेलने में व्यस्त रहते हैं, कुछ उन्हें करने को बोलो तो उपरोक्त दोहा मुझे सुना देते हैं। मुझे इस दोहे के जवाब हेतु मार्गदर्शन कीजिये।
उत्तर - आत्मीय भाई, धैय और युक्ति से काम करके भईया का दिमाग़ ठीक करो।
अब जब तुम्हें वो दोहा सुनाएं तो उनसे पूँछो:-
भगवान चिड़िया को दाना जरूर देता है लेकिन कभी मैंने चिड़िया के घोंसले में होमडिलीवरी होते नहीं देखी। बेचारी चिड़िया दिन भर न जाने कहाँ कहाँ भोजन की तलाश में परिश्रम करके उड़ती है, तब जाकर भोजन मिलता है। अज़गर बेचारे को भी कीड़े मकोड़े पिज़्ज़ा डिलीवरी की तरह होमडीलीवरी भगवान नहीं करता, बड़े परिश्रम से जहां तहां जाकर शिकार करता है, तब पेट भर पाता है।
जंगल के जीव केवल जो प्राकृतिक है वही ज्यों का त्यों खा सकते है, उनके लिए कोई पकाकर नहीं देता। प्रकृति ने यदि शाकाहारी बनाया है तो केवल घास-पत्ते और शाक ख़ाकर जिएंगे। और यदि मांसाहारी बनाया है तो केवल कच्चा मांस खा के जिएंगे। वृद्ध या बीमार होने पर कोई सेवा नहीं मिलती, जंगल का राजा शेर हो या साधारण जीव तड़प तड़प कर भूखों अंत मे अशक्त होने पर मरता है।
मनुष्य के पास सोचने-समझने की शक्ति है, बुद्धिबल मनुष्य को समस्त जीवों में श्रेष्ठ बनाता है। हम सब भोजन पका कर खाते है, समाज की सुविधा का उपयोग करते हैं। चिकित्सा की सेवा हमे मिली हुई है।
भैया- *वीर भोग्या वसुंधरा* , जो वीर है वही इस पृथ्वी का उपभोग कर सकता है।
*कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जस करइ सो तस फल चाखा*
विधाता ने समस्त सृष्टि को कर्म प्रधान बनाया है, जैसा करोगे वैसा भरोगे। जो बोओगे वही काटोगे।
पिताजी का कमाया रोज खर्च हो रहा है, नया कमा नहीं रहे तो एक न एक दिन परिवार भूखों मरेगा। मेरी शादी के बाद मेरी पत्नी बच्चो की जिस तरह जिम्मेदारी मैं उठाऊंगा तो उसी तरह अपने पत्नी बच्चो के भरण-पोषण हेतु कमाइए और कुछ करिये। पिताजी की मृत्यु हुए दो वर्ष हो चुके है। माता को मिलने वाली पेंशन माता जी दवा ख़र्च में जायेगा। अतः सुधर जाइये और मुफ्त खोर और कामचोरी के बहाने मत तलाशिये।
पहले प्यार से भाई को समझाओ, यदि फिर भी न समझें। तो निम्नलिखित युक्ति अपनाओ।
घर में सभी लोग गायत्री साधना करो, सूर्य भगवान से भाई की सद्बुद्धिं हेतु प्रार्थना करो, सूर्य भगवान को जल चढ़ा के बचे हुए जल से रोटी बनाओ। घर मे बलिवैश्व यज्ञ करो।
घर मे शांतिपुर्ण सत्याग्रह और असहयोग आंदोलन छेड़ दो, सब परिवार एकजुट हो जाओ। उन्हें जबतक सुधार न लो तबतक चैन से मत बैठना।
माताजी और भाभी से बोलो रात को भोजन में थाली में रोटी की जगह साबुत गेंहूँ, सब्जी की जगह साबुत सब्जी, चावल की जगह कच्चे चावल और दाल की जगह कच्ची दाल परोस दो।
साथ निम्नलिखित दोहा सुना देना:-
- *अजगर करे न पका भोजन*,
*पंक्षी भी न जलाए चूल्हा,*
*दास मलूका के भक्तों को,*
*दुनियाँ में कोई स्त्री न बनाए दूल्हा।*
*सकल पदारथ एही जग माही,*
*कर्महीन नर पावत नाही।*
इस संसार मे समस्त पदार्थ और सुख सुविधा है लेकिन कर्महीन व्यक्ति को कुछ प्राप्त नही होता है । कर्महीन व्यक्ति परिवार के लिए समस्या बनता है।
या तो कमाओ, नहीं तो आज से कच्चा भोजन खाओ। मन ही मन गायत्री मंत्र जपते हुए उनका मानसिक उपचार करो। पूरा परिवार उनके लिए भगवान से प्रार्थना भी करते रहो।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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