*यज्ञ सम्बन्धी शंका समाधान*
शंका- अमुक ***** *सन्त और समाज सुधारक कहते हैं कि घी और मेवे यज्ञ में भष्म करने से अच्छा है उसे किसी गरीब को खिला दो कम से कम पेट तो भरेगा। इसके बारे में अपने विचार दें..*
उत्तर - आत्मीय भाई, सभी सन्त और सुधारक वैज्ञानिक भी हों यह जरूरी नहीं है। हर व्यक्ति की अपनी बुद्धि क्षमता है और उसने कितना क्या पढ़ा है और रिसर्च किया है इस बात के आधार पर उनकी बात मानने या न मानने का निर्णय स्वयं के विवेक से लेना चाहिए।
*उदाहरण*- जरूरी नहीं कि प्रसिद्ध कुशल डॉक्टर वक़ालत की समझ रखे और कुशल वक़ील बीमारी की समझ रखे। इसी तरह कुशल इंजीनियर फ़सल की इंजीनियरिंग में सही राय दे सके और किसान भवन निर्माण की इंजीनियरिंग बता सके। तो सबसे पहले किसी अमुक सन्त की बातों पर निर्णय लेने से पहले पता करिये कि इस सम्बंध में क्या उन्होंने कोई साहित्य रिसर्च परक लिखा है, यदि नहीं तो उनके कथन को इग्नोर कीजिये। क्योंकि सब सबकुछ नहीं कर सकते। किसी विशेष में ही कुशल हो सकते हैं।
आज विज्ञान और आधुनिक मशीनों की मदद से बहुत कुछ जांचा परख के समझा और निष्कर्ष निकाला जा सकता है।
कुछ प्रयोग आप स्वयं अपने घर पर करके देखें, मां लीजिये आपके परिवार में पांच सदस्य हैं। सभी सदस्यों का EEG, ब्लड रिपोर्ट और समस्त टेस्ट करवा लीजिये।
अब केवल 3 महीने तक घर के एक सदस्य को देशी घी, गुड़ और सूखे मेवे खिलाइए। पुनः रिजल्ट चेक कीजिये, तो आप पाएंगे कि एक व्यक्ति के खाने पर केवल उसे लाभ मिला। बाक़ी सबको कोई लाभ नहीं मिला।
अब दूसरा टेस्ट कीजिये। जो सामग्री एक व्यक्ति देशी घी, गुड़ और सूखे मेवे खा रहा था केवल उतना ही शान्तिकुंज हरिद्वार या गायत्री तपोभूमि मथुरा या आर्यसमाज से खरीदी हवन सामग्री में मिला लीजिए। आम की लकड़ी या सूखे गाय के गोबर के कंडे में या सूखे नारियल की गिरी को जलाकर 11 गायत्री मंत्र और 5 महामृत्युंजय मंत्र से सपरिवार यज्ञ कीजिये। तीन महीने बाद पुनः हॉस्पिटल में जाकर अपने अपने अपने चेकअप करवा लीजिये। आप पाएंगे कि उतना ही देशी घी, सूखा मेवा और गुड़ से सभी की सेहत सुधर गयी, मनोबल और शरीर बल दोनों बढ़ा, घर के पास के वृक्षों में ग्रोथ बढ़ गयी, एयर इंडेक्स मीटर से चेक करने पर पाएंगे कि घर का प्रदूषण मिट गया, सबको नींद अच्छी आयी, सबके चेहरे पर चमक आ गयी, घर मे सकारात्मक वातावरण बना, सकारात्मकता आप आयन मीटर से चेक कर लीजिए, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन जीरो हो गया इसे भी आप इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन मीटर से चेक कर लीजिए।
कहते हैं प्रत्यक्ष को प्रमाण देने में प्रॉब्लम नहीं होती। स्वयं चेक कर लीजिए या देवसंस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार में आकर चेक कर लीजिए। वैज्ञानिक रिसर्च के साक्षी बनिये। युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी की लिखी दो पुस्तक - *यज्ञ का ज्ञान विज्ञान* और *यज्ञ एक समग्र उपचार* पढ़ लीजिये। यग्योपैथी से रोगों का इलाज़ भी होता है और पर्यावरण का शोधन भी। इसके लिए एक्सपर्ट और यग्योपैथी पीएचडी होल्डर - डॉक्टर ममता सक्सेना, डॉक्टर वंदना इत्यादि डॉक्टर की टीम से मिल भी लीजिये।
अमुक **** सन्त और सुधारक के पास आज का आधुनिक विज्ञान नहीं था इसलिए वो परीक्षण न कर सके, लेकिन हम और आप तो कर सकते हैं।😇😇😇😇
उम्मीद है, आपकी शंका का समाधान हो गया होगा कि कोई पदार्थ नष्ट नहीं होता केवल रूप बदलता है, वायुभूत विधवत वैज्ञानिक तरीके से किया जाय तो अनेकगुणा फलदायी होता है। खिलाओगे तो एक का पेट भरेगा और हवन करोगे तो कईयों को पोषण मिलेगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
शंका- अमुक ***** *सन्त और समाज सुधारक कहते हैं कि घी और मेवे यज्ञ में भष्म करने से अच्छा है उसे किसी गरीब को खिला दो कम से कम पेट तो भरेगा। इसके बारे में अपने विचार दें..*
उत्तर - आत्मीय भाई, सभी सन्त और सुधारक वैज्ञानिक भी हों यह जरूरी नहीं है। हर व्यक्ति की अपनी बुद्धि क्षमता है और उसने कितना क्या पढ़ा है और रिसर्च किया है इस बात के आधार पर उनकी बात मानने या न मानने का निर्णय स्वयं के विवेक से लेना चाहिए।
*उदाहरण*- जरूरी नहीं कि प्रसिद्ध कुशल डॉक्टर वक़ालत की समझ रखे और कुशल वक़ील बीमारी की समझ रखे। इसी तरह कुशल इंजीनियर फ़सल की इंजीनियरिंग में सही राय दे सके और किसान भवन निर्माण की इंजीनियरिंग बता सके। तो सबसे पहले किसी अमुक सन्त की बातों पर निर्णय लेने से पहले पता करिये कि इस सम्बंध में क्या उन्होंने कोई साहित्य रिसर्च परक लिखा है, यदि नहीं तो उनके कथन को इग्नोर कीजिये। क्योंकि सब सबकुछ नहीं कर सकते। किसी विशेष में ही कुशल हो सकते हैं।
आज विज्ञान और आधुनिक मशीनों की मदद से बहुत कुछ जांचा परख के समझा और निष्कर्ष निकाला जा सकता है।
कुछ प्रयोग आप स्वयं अपने घर पर करके देखें, मां लीजिये आपके परिवार में पांच सदस्य हैं। सभी सदस्यों का EEG, ब्लड रिपोर्ट और समस्त टेस्ट करवा लीजिये।
अब केवल 3 महीने तक घर के एक सदस्य को देशी घी, गुड़ और सूखे मेवे खिलाइए। पुनः रिजल्ट चेक कीजिये, तो आप पाएंगे कि एक व्यक्ति के खाने पर केवल उसे लाभ मिला। बाक़ी सबको कोई लाभ नहीं मिला।
अब दूसरा टेस्ट कीजिये। जो सामग्री एक व्यक्ति देशी घी, गुड़ और सूखे मेवे खा रहा था केवल उतना ही शान्तिकुंज हरिद्वार या गायत्री तपोभूमि मथुरा या आर्यसमाज से खरीदी हवन सामग्री में मिला लीजिए। आम की लकड़ी या सूखे गाय के गोबर के कंडे में या सूखे नारियल की गिरी को जलाकर 11 गायत्री मंत्र और 5 महामृत्युंजय मंत्र से सपरिवार यज्ञ कीजिये। तीन महीने बाद पुनः हॉस्पिटल में जाकर अपने अपने अपने चेकअप करवा लीजिये। आप पाएंगे कि उतना ही देशी घी, सूखा मेवा और गुड़ से सभी की सेहत सुधर गयी, मनोबल और शरीर बल दोनों बढ़ा, घर के पास के वृक्षों में ग्रोथ बढ़ गयी, एयर इंडेक्स मीटर से चेक करने पर पाएंगे कि घर का प्रदूषण मिट गया, सबको नींद अच्छी आयी, सबके चेहरे पर चमक आ गयी, घर मे सकारात्मक वातावरण बना, सकारात्मकता आप आयन मीटर से चेक कर लीजिए, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन जीरो हो गया इसे भी आप इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन मीटर से चेक कर लीजिए।
कहते हैं प्रत्यक्ष को प्रमाण देने में प्रॉब्लम नहीं होती। स्वयं चेक कर लीजिए या देवसंस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार में आकर चेक कर लीजिए। वैज्ञानिक रिसर्च के साक्षी बनिये। युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी की लिखी दो पुस्तक - *यज्ञ का ज्ञान विज्ञान* और *यज्ञ एक समग्र उपचार* पढ़ लीजिये। यग्योपैथी से रोगों का इलाज़ भी होता है और पर्यावरण का शोधन भी। इसके लिए एक्सपर्ट और यग्योपैथी पीएचडी होल्डर - डॉक्टर ममता सक्सेना, डॉक्टर वंदना इत्यादि डॉक्टर की टीम से मिल भी लीजिये।
अमुक **** सन्त और सुधारक के पास आज का आधुनिक विज्ञान नहीं था इसलिए वो परीक्षण न कर सके, लेकिन हम और आप तो कर सकते हैं।😇😇😇😇
उम्मीद है, आपकी शंका का समाधान हो गया होगा कि कोई पदार्थ नष्ट नहीं होता केवल रूप बदलता है, वायुभूत विधवत वैज्ञानिक तरीके से किया जाय तो अनेकगुणा फलदायी होता है। खिलाओगे तो एक का पेट भरेगा और हवन करोगे तो कईयों को पोषण मिलेगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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