प्रश्न - *दीदी जी प्रणाम मेरा नाम $$$$ है और मै जनपद $$$ उत्तर प्रदेश का रहने वाला हॅू। मै अपनी समस्या काफी दिनो से आपसे साझा करना चाहता था पर समयाभाव में नही कर पाया। मै एक $$$$ सेन्टर चलाता हॅू जिसमे सारा काम कम्प्यूटर पर ही होता है। मेरी समस्या यह है कि दीदी मै कोई भी जीच लिखू या पढ़ू या कोई भी सामान अथवा फाइल कही रख दू, कुछ क्षणो के बाद ही भूल जाता हॅू जबकि पहले ऐसा नही था। पहले मेरा चित्त एवं चिन्तन दोनेा सही थे तथा मेरी यादश्यत बहुत अच्छी थी परन्तु अब पता नही क्या हो गया है। मेरी इसी बात को लेकर अपने स्टाफ से एवं घर पर भी मेरी वाइफ से नोकझोक हो जाती है। दीदी जी आजकल में आर्थिक स्थिति थोड़ा ठीक नही चल रही है क्या इसी से तो नही मेरा दिमाग ठीक नही रहता है। कृृपया मार्गदर्शन करने की कृृपा करें।*
उत्तर - आत्मीय भाई, सबसे पहले न परेशान हो और न ही दुःखी।
जब बुखार होता है तो क्या करते हो? दवा लेकर ठीक हो जाते हो। इसी तरह मन बीमार है, धारणा शक्ति अर्थात यादाश्त कमज़ोर हो गयी है, तो इसका उपचार करना है।
अन्तर्द्वन्द्व, चिंता, उद्वेग, निरंतर एक ही प्रकार का मानसिक कार्य करते रहना। उसे बोझ समझ कर करते रहना, अस्त-व्यस्त मानसिक अवस्था में पढ़ना] लिखना, अधिक बोलना, एकान्त स्थान में लगातार बैठ कर पढ़ते रहने से मानसिक थकावट उत्पन्न होती है। सर में दर्द, मन में निष्क्रियता होने लगती है, किसी काम में जी नहीं लगता। रोगी जो कार्य हाथ में लेता है उसी से जी उचटता है। वह इधर-उधर निष्प्रभ सा घूमता है। उसे ऐसा अनुभव होता है जैसा पर्वतों का बोझ उसके मन पर हो। जीवन के वे क्षण उसे बोझ स्वरूप प्रतीत होते हैं। कई दिन तक वह विक्षुब्ध, उद्विग्न एवं चिंतित सा दिखाई देता है। इस उद्विग्नता और मानसिक थकावट के कारण कोई नई चीज याद रख पाना सम्भब नहीं होता।
तुम्हें अत्यधिक काम करने के कारण *मानसिक थकावट* हो गयी है। जैसे ज्यादा गाड़ी चलने पर गाड़ी गर्म हो जाती है। तो कूलेंट चेक करते हैं, पानी डालते है साथ मे थोड़ी देर के लिए गाड़ी बन्द करके खड़ी कर देते है। वही तुम्हें करना है। गाड़ी का जिस प्रकार समय समय पर मेंटेनेंस ज़रूरी है वैसे ही दिमाग़ के भी मेंटेनेंस जरूरी है।
निम्नलिखित उपाय अपनाओ और मानसिक तरोताज़गी पाओ, धारणा शक्ति बढ़ाओ और याददाश्त बढ़ाओ।
1- कुछ दिन कार्य से ब्रेक लो और शान्तिकुंज हरिद्वार या हिमालय और ऊँची पहाड़ियों में स्थित शक्तिपीठ जाकर 9 दिन का नवसनजीवनी साधना सत्र पूरे मनोयोग से करके आओ। नवसनजीवनी सत्र से होगी तुम्हारे दिलो दिमाग की सर्विसिंग।
2- देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के यग्योपैथी डिपार्टमेंट में जाकर डॉक्टर वंदना से मिलो, और समस्यानुसार हवन सामग्री लेकर यज्ञ करो।
3- विश्वास का सम्बन्ध मानव मन की अचेतन तरंगों से है। इन अचेतन तरंगों का प्रभाव आन्तरिक सामर्थ्य पर पड़ता है और मनुष्य का अपना ही संकेत उसे प्रत्येक दिशा में लाभ भी पहुँचाता है। अतः संकेतों द्वारा स्वयं के चिकित्सक बनकर रोगी मन को अपना पूर्ण विश्वास दिलाओ और उत्तेजित करके स्वस्थ करो। मनुष्य का उत्कृष्टता, स्वास्थ्य, आनन्द में विश्वास ही मनुष्य को लाभ पहुँचाता है। बाह्य उपकरण तो आत्म श्रद्धा के क्षुद्र प्रतीक हैं। ये तो केवल नाममात्र को ही प्रस्तुत रहते हैं। जीता जागता विश्वास ही सब कुछ है। यही महौषधि है। अतः तुम विश्वास करो कि तुम शीघ्रता से स्वस्थ हो रहे हो और तुम्हारी धारणा शक्ति/यादाश्त बढ़ रही है। स्वयं को रोज यह विश्वास दिलाओ।
4-ब्राह्मी और शंखपुष्पी की औषधि यादाश्त बढ़ाती है और दिमाग को पोषण देती है। अतः शान्तिकुंज फार्मेसी से यही दवा *सरस्वती पंचक* के नाम से उपलब्ध है, उसे खरीद के सेवन करें।
5- हल्दी में कुरकुमीन रसायन होता है जो मरी और बीमार कोशिकाओं को जीवनदान देता है। इसलिए गुनगुने दूध में हल्दी डालकर पीने से लाभ मिलेगा।
6-आंवले का मुरब्बा भी ज्ञान तंतुओं के पोषण में सहायक है।
7- भ्रामरी प्राणायाम, ध्यान और गणेश योगा मेमोरी बढ़ाता है।
8- कुछ माइंड गेम नित्य खेलिए, जैसे 5 ताश के पत्ते कुछ सेकेंड देखिए फिर उन्हें पलट दीजिये, फिर सोचकर बताइये कि कौन से पत्ते थे। इसी तरह एक टेबल बनाइये। दो कॉलम में एक मे नम्बर और दूसरे में वस्तुओं के नाम लिखिए। कुछ सेकेंड देखिए और फ़िर बिना देखे बताइये कि अमुक नम्बर में कौन सी वस्तु का नाम था।
9- रात को सोते समय डायरी लिखिए और सुबह से शाम तक की घटना नोट कीजिये। आत्मबोध-तत्त्वबोध कीजिये। रात को अखण्डज्योति का एक अध्याय पढ़कर सोइये।
10- हर रात मौत और हर सुबह को नया जन्म समझते हुए जीवन को आनन्द पूर्वक जियें।
जब तक यादाश्त पूर्णतया ठीक नहीं हो जाती, तब तक नोटपैड में तुरन्त बातें नोट करते चले, जिससे कोई कार्य न रुके।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय भाई, सबसे पहले न परेशान हो और न ही दुःखी।
जब बुखार होता है तो क्या करते हो? दवा लेकर ठीक हो जाते हो। इसी तरह मन बीमार है, धारणा शक्ति अर्थात यादाश्त कमज़ोर हो गयी है, तो इसका उपचार करना है।
अन्तर्द्वन्द्व, चिंता, उद्वेग, निरंतर एक ही प्रकार का मानसिक कार्य करते रहना। उसे बोझ समझ कर करते रहना, अस्त-व्यस्त मानसिक अवस्था में पढ़ना] लिखना, अधिक बोलना, एकान्त स्थान में लगातार बैठ कर पढ़ते रहने से मानसिक थकावट उत्पन्न होती है। सर में दर्द, मन में निष्क्रियता होने लगती है, किसी काम में जी नहीं लगता। रोगी जो कार्य हाथ में लेता है उसी से जी उचटता है। वह इधर-उधर निष्प्रभ सा घूमता है। उसे ऐसा अनुभव होता है जैसा पर्वतों का बोझ उसके मन पर हो। जीवन के वे क्षण उसे बोझ स्वरूप प्रतीत होते हैं। कई दिन तक वह विक्षुब्ध, उद्विग्न एवं चिंतित सा दिखाई देता है। इस उद्विग्नता और मानसिक थकावट के कारण कोई नई चीज याद रख पाना सम्भब नहीं होता।
तुम्हें अत्यधिक काम करने के कारण *मानसिक थकावट* हो गयी है। जैसे ज्यादा गाड़ी चलने पर गाड़ी गर्म हो जाती है। तो कूलेंट चेक करते हैं, पानी डालते है साथ मे थोड़ी देर के लिए गाड़ी बन्द करके खड़ी कर देते है। वही तुम्हें करना है। गाड़ी का जिस प्रकार समय समय पर मेंटेनेंस ज़रूरी है वैसे ही दिमाग़ के भी मेंटेनेंस जरूरी है।
निम्नलिखित उपाय अपनाओ और मानसिक तरोताज़गी पाओ, धारणा शक्ति बढ़ाओ और याददाश्त बढ़ाओ।
1- कुछ दिन कार्य से ब्रेक लो और शान्तिकुंज हरिद्वार या हिमालय और ऊँची पहाड़ियों में स्थित शक्तिपीठ जाकर 9 दिन का नवसनजीवनी साधना सत्र पूरे मनोयोग से करके आओ। नवसनजीवनी सत्र से होगी तुम्हारे दिलो दिमाग की सर्विसिंग।
2- देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के यग्योपैथी डिपार्टमेंट में जाकर डॉक्टर वंदना से मिलो, और समस्यानुसार हवन सामग्री लेकर यज्ञ करो।
3- विश्वास का सम्बन्ध मानव मन की अचेतन तरंगों से है। इन अचेतन तरंगों का प्रभाव आन्तरिक सामर्थ्य पर पड़ता है और मनुष्य का अपना ही संकेत उसे प्रत्येक दिशा में लाभ भी पहुँचाता है। अतः संकेतों द्वारा स्वयं के चिकित्सक बनकर रोगी मन को अपना पूर्ण विश्वास दिलाओ और उत्तेजित करके स्वस्थ करो। मनुष्य का उत्कृष्टता, स्वास्थ्य, आनन्द में विश्वास ही मनुष्य को लाभ पहुँचाता है। बाह्य उपकरण तो आत्म श्रद्धा के क्षुद्र प्रतीक हैं। ये तो केवल नाममात्र को ही प्रस्तुत रहते हैं। जीता जागता विश्वास ही सब कुछ है। यही महौषधि है। अतः तुम विश्वास करो कि तुम शीघ्रता से स्वस्थ हो रहे हो और तुम्हारी धारणा शक्ति/यादाश्त बढ़ रही है। स्वयं को रोज यह विश्वास दिलाओ।
4-ब्राह्मी और शंखपुष्पी की औषधि यादाश्त बढ़ाती है और दिमाग को पोषण देती है। अतः शान्तिकुंज फार्मेसी से यही दवा *सरस्वती पंचक* के नाम से उपलब्ध है, उसे खरीद के सेवन करें।
5- हल्दी में कुरकुमीन रसायन होता है जो मरी और बीमार कोशिकाओं को जीवनदान देता है। इसलिए गुनगुने दूध में हल्दी डालकर पीने से लाभ मिलेगा।
6-आंवले का मुरब्बा भी ज्ञान तंतुओं के पोषण में सहायक है।
7- भ्रामरी प्राणायाम, ध्यान और गणेश योगा मेमोरी बढ़ाता है।
8- कुछ माइंड गेम नित्य खेलिए, जैसे 5 ताश के पत्ते कुछ सेकेंड देखिए फिर उन्हें पलट दीजिये, फिर सोचकर बताइये कि कौन से पत्ते थे। इसी तरह एक टेबल बनाइये। दो कॉलम में एक मे नम्बर और दूसरे में वस्तुओं के नाम लिखिए। कुछ सेकेंड देखिए और फ़िर बिना देखे बताइये कि अमुक नम्बर में कौन सी वस्तु का नाम था।
9- रात को सोते समय डायरी लिखिए और सुबह से शाम तक की घटना नोट कीजिये। आत्मबोध-तत्त्वबोध कीजिये। रात को अखण्डज्योति का एक अध्याय पढ़कर सोइये।
10- हर रात मौत और हर सुबह को नया जन्म समझते हुए जीवन को आनन्द पूर्वक जियें।
जब तक यादाश्त पूर्णतया ठीक नहीं हो जाती, तब तक नोटपैड में तुरन्त बातें नोट करते चले, जिससे कोई कार्य न रुके।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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