Sunday 23 September 2018

प्रश्न - *बाल यौन शोषण* विषय पर अपने विचार दें, कारण और आध्यात्मिक निदान बतायें।

प्रश्न - *बाल यौन शोषण* विषय पर अपने विचार दें, कारण और आध्यात्मिक निदान बतायें।

उत्तर - एक चिकित्सा निदान के रूप में, बाल यौन शोषण *पीडोफिलिया* (या पेडोफिलिया), को आमतौर पर वयस्कों या बड़े उम्र के किशोरों (16 या उससे अधिक उम्र) में मानसिक विकार के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो गैर-किशोर बच्चों (आमतौर पर 13 साल या उससे कम उम्र, हालांकि किशोरवय का समय भिन्न हो सकता है) के प्रति प्राथमिक या विशेष यौन रूचि द्वारा चरितार्थ होता है। ऐसे मानसिक रोगी बच्चो का शोषण करते है, फ़िर भयाक्रांत होकर कभी कभी पकड़े जाने के डर से उनका मर्डर भी कर देते हैं।

*पीडोफिलिया* एक गम्भीर मानसिक बीमारी है, रिसर्च के अनुसार पुरुष इस रोग से ज्यादा प्रभावित होते है, इस रोग से प्रभावित महिलाओं के केस अत्यंत कम रजिस्टर हुए हैं। अमेरिका में इस सम्बंध में कई शोध हुए हैं। बाल यौन शोषण के रोगियों को बच्चे उपलब्ध कराने के लिए विदेशों में देहव्यापार हेतु बच्चो को बड़ी मात्रा में अगवा किया जाता है। गरीब देशों से बच्चे अपहरण किये जाते है।

ऐसे मरीज किसी भी उम्र के हो सकते हैं, ऐसे मरीजों के पास बच्चे भय वश जाना पसंद नहीं करते। ऐसे मरीज कुँवारे और शादीशुदा दोनों होते हैं। यह मरीज अगर कम आय के हुए तो आमतौर पर घर परिवार के बच्चों को अपना शिकार बनाते हैं।  अमीर हुए तो दलालों की मदद से अपनी इच्छा की पूर्ति करते हैं।

अतः यदि आपका छोटा बच्चा किसी रिश्तेदार के पास जाने से भयग्रस्त हो या डरे, तो उसे कभी भी जबरजस्ती न करें। स्कूल से आने पर बच्चे से पूरे दिन का हाल चाल लें। यदि कोई शक जैसी बात हो तो एक्शन लें।

ऐसे रोगी अश्लील साहित्य और वीडियो देखते रहते हैं, अश्लील कल्पना में खोए रहते हैं। यदि आपके घर के आसपास ऐसे रोगी हो तो सतर्क रहें।

अपने बच्चों को गुड टच और बैड  टच से अवगत करवाये। उन्हें सेफ सर्कल फ़ैमिली में कोई भी समस्या हो तो खुलकर बताने को प्रेरित करें। सावधानी से बचाव सम्भव है।

जिन बच्चों के साथ यौनशोषण होता है, वो डरे डरे -सहमे सहमे, गुमसुम रहते हैं। या अत्यधिक तोड़फोड़ और उद्दंडता किसी विशेष को देखकर क्रोध व्यक्त करने के लिए करते हैं।

ऐसे मानसिक रोगी को ठीक करने के उपाय:-

1- ऐसे रोगियों को सकारात्मक विचारों हेतु अच्छे साहित्य का स्वाध्याय करना चाहिए।

2- मानसिक विकारों के शमनार्थ जो यज्ञ औषधि होती है और कॉमन हवन सामग्री में मिलाकर सूर्य गायत्री मंत्र और हनुमान गायत्री मंत्र से करने पर फायदा होता है। गायत्री मंत्र के अनुष्ठान लाभदायक है। तीर्थ सेवन लाभदायक है।

3- हनुमानजी का मंगलवार व्रत और सुंदरकांड पाठ भी कर सकते हैं।

4- मनोचिकित्सक से उपचार करवाएं।

5-  मन के मानसिक विकार को उद्दीप्त करने वाली वस्तुओं और वातावरण से दूर रहना चाहिए।

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घर में यदि अच्छे संस्कार, स्वाध्याय-सत्संग की व्यवस्था रखेंगे, नित्य बलिवैश्व यज्ञ करेंगे, घर मे आध्यात्मिक माहौल रखेंगे। तो ऐसे मनोरोगी आपके घर मे कदम नहीं रख सकेंगे, या घर के भीतर आये भी तो आपके घर की सकारात्मक ऊर्जा और हवन की ऊर्जा उनके मनोविकारों को उद्दीप्त ही नहीं होने देगी।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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