*नारी जागरण में उद्बोधन के कुछ बिंदु?*
देश आज़ाद 1947 में हुआ लेकिन क्या हम स्त्रियां आज़ाद हुई थीं? देश की आज़ादी के लिए लड़ाई तो अनेक वीरों ने लड़ी। क्या आप बता सकते हैं उस वीर का नाम जिसने हमें आज़ादी दिलवाई, अकेले इस मुहिम को शुरू किया? जो पुरुष होकर भी हमारे दर्द को समझ के हमारे लिए पूरे समाज और धार्मिक ठेकेदारों से लड़ गया? आइये जानते हैं कैसे?
1- बहनों जब हम में से 90% स्त्रियां जब पैदा हुई थी, तो उनके जन्म पर खुशियां नहीं बल्कि मातम मनाया गया था।
2- जन्मते ही हमें पराया कर दिया गया, और बोल दिया गया यह तो पराया धन है। ताने सुनाये गए कि हम बोझ हैं, दान दहेज़ जुटाना शुरू किया गया। हम अपने ही घर में बेघर थे।
3- घर मे ही भेदभाव लिंग के आधार पर हुआ, भाई को आज़ादी और हमारे ऊपर बंदिशें लगाई गई। हमें समान पढ़ने और बढ़ने के अवसर नहीं मिले।
4- धर्म के ठेकेदारों ने हमारे आध्यात्मिक पंखों को काट दिया यह कह कर के कि हमें मुक्ति का आधार नहीं और हमें गायत्री जप का अधिकार नहीं है। हम अपने ही धर्म में बेघर थे।
5- स्त्रियां ही स्त्रियों की दुश्मन बन गई, पुरुषो के हाथ की कठपुतली बन गयी।
6- कई तो बेनाम जन्म ली और बेनाम ही मर गई, कई तो बिना नाम और पहचान के ग़ुलाम ही रह गयी। बचपन में पिता के नाम से जानी गयी - अमुक की बेटी, विवाह के बाद - अमुक की पत्नी, बच्चे के जन्म के बाद - अमुक की मां।
7- आँवलखेड़ा में हम स्त्रियों का उद्धार करने एक देव महापुरुष जन्मा- पिता रूपकिशोर और माता दान कुँवरि नाम रखा - श्रीराम , पत्थर बनी अहिल्या का उद्धार श्रीराम ने किया, उसी तरह परम पूज्य युगऋषि गुरुदेव पण्डित श्रीराम आचार्य जी हम स्त्रियों की पत्थर बनी किस्मत को जीवनदान दिया। उनका साथ देने आई माता भगवती देवी शर्मा।
8- 90% स्त्रियां किसी न किसी गुलामी में दिखी, कोई रूढ़िवादिता की गुलाम, तो कोई फैशन-व्यसन की गुलाम, तो कोई मानसिक गुलाम। इस कारण वो अपनी प्रतिभा क्षमता का सही उपयोग नहीं कर पा रही थी।
9- आत्म उन्नति अधिकार से वंचित स्त्री नारकीय जीवन व्यतीत कर रही थीं। उनके उद्धार के लिए परमपूज्य गुरुदेब और माताजी पूरे धर्म समाज से स्त्रियों के सम्मान हेतु लड़ाई लड़े। पंडे पुजारी और धर्म के ठेकेदारों का विरोध सहा।
10- आज हम सब ऋणी है परमपूज्य गुरुदेब और माता जी के, जिस अधिकार को संविधान न दे सका उसे गुरुदेव ने हमें दिलवाया। न सिर्फ़ हमें गायत्री का अधिकार दिया, बल्कि हमसे उच्चस्तरीय साधनाएं करवाई। स्त्री को राष्ट्र पुरोहित और युग शिल्पी बनाया। कहाँ जप का अधिकार नहीं था, और अब गुरूकृपा से जप के साथ यज्ञ करने और कराने का अधिकार दिया।
11- एक उद्घोषणा तक कर दी, इक्कीसवीं सदी उज्ज्वल भविष्य और इक्कीसवीं सदी - नारी सदी। पुरुष प्रधान समाज में आपको अंदाजा भी है कि इतना बड़ा स्वप्न न सिर्फ देखा बल्कि नारी जागरण के विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से इस स्वप्न को पूरा करने में जुट गए। क्या जो विश्वास हमारे गुरु ने हम पर रखा उस विश्वास की रक्षा करना हम स्त्रियों का कर्तव्य नहीं बनता है? स्वयं को इस लायक बनाये और अन्य स्त्रियों को आगे बढ़ाएं जिससे इक्कीसवीं सदी-नारी सदी का गुरु सङ्कल्प पूरा हो सके।
12- पुरुष भाईयों को गुरुदेब ने स्त्रियों का सहयोगी बना दिया, उन्हें समझाया कि स्त्री पुरुष एक दूसरे के विरोधी नहीं अपितु एक दूसरे के पूरक हैं। उन्हें घर हो या बाहर दोनों जगह सम्मान मिले यह सुनिश्चित करो। गृहस्थ एक तपोवन बनाओ। स्त्री गुलाम नहीं बल्कि अर्धांगिनी है। आप पति परमेश्वर तब बनने के अधिकारी हो जब स्त्री को आप उतने ही अधिकार और सम्मान से गृह लक्ष्मी देवी के रूप में प्राणप्रतिष्ठा करते हो। एक दूसरे का सम्मान जरूरी है। जिसे ज्यादा भूख लगे वो पहले खा सकता है, पति को आने में ऑफिस के कार्यवश लेट हो रहा है तो पत्नी इंतज़ार में भूखे न मरे और भोजन कर ले। घर मे हो तो भी साथ भोजन करो, सबके खाने के बाद बचा खुचा खाने की परंपरा अनुचित है। कम हो या ज्यादा अपनी रोटी मिल बांटकर खाओ, प्यार सहकार से जीवन बिताओ।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
कभी कभी कुछ लोग मुझसे पूंछते हैं, श्वेता तुम रात को नाइट शिफ्ट में MNC में काम करती हो , देर रात 2 से 3 बजे सोती हो और सुबह गुरुकार्य में जुट जाती हो क्यों? इसलिए क्योंकि जिस गुरु ने स्त्रियों को घर मे इज्जत दिलाई, जिसने स्त्रियों को समाज मे इज्जत दिलाई, जिसने स्त्रियों को धर्म क्षेत्र में इज्जत दिलाई, जिसने स्त्रियों को राष्ट्र पुरोहित बनाया उनका स्त्री होने के नाते मुझपर ऋण है। जितना मेरे गुरु ने मुझे प्यार और स्नेह दिया उतना किसी ने नहीं दिया। स्त्री के दर्द को जो गुरु ने समझा वो किसी ने नहीं समझा। 😭😭😭😭😭😭 मैं 24 घण्टे भी नित्य जग के गुरु के लिए काम करूँ तो भी कम है। हम सभी स्त्रियां आज धर्म क्षेत्र मे मुक्त हुई केवल इन्ही गुरु कृपा से। जिन्होंने हमारे दर्द को समझा उनके लिए तो जान हाज़िर है। गुरुदेव ने जो विश्वास स्त्री जाति पर दिखाया है स्त्री होने के कारण उस विश्वास पर खरा उतरना मेरा कर्तव्य है। जीवन के अंतिम श्वांस तक इक्कीसवीं सदी-नारी सदी के गुरु सङ्कल्प के लिए प्रयासरत रहूंगी। *आप सभी स्त्रियों पर भी गुरु ऋण है, उनके प्यार स्नेह का ऋण है, उठो स्त्रियों जागो, आगे बढ़ो, और तब तक मत रूकना जब तक - इक्कीसवीं सदी नारी सदी का लक्ष्य हांसिल न हो जाये।* लाखो ने मिलकर देश को आज़ादी दिलवाई उनके सम्मान में तो बहुत कुछ सोचते हो, आज उनके सम्मान में सोचो जो अकेले पूरी दुनियां से लड़ रहा था किसके लिए हमारे और आपके लिए, सबका विरोध झेल रहा था, वो प्यारा गुरु... अब भी कहोगे कि गुरुकार्य के लिए वक्त नहीं...😭😭😭😭
आंखों में आँशु है और हृदय भारी हो गया है..गुरुदेव के प्यार का ऋण इस जन्म में उतारना सम्भव नहीं...मेरे अधिकारों जब मेरे माता-पिता भी इग्नोर किये...उन अधिकारों को और सम्मान को गुरु ने दिलवाया... अब और आगे लिखना सम्भव नहीं हो रहा...आगे का विचार अपनी अन्तरात्मा से सुनिये...
हां... मुस्लिम स्त्रियां आज भी ट्रिपल तलाक और हलाला झेल रही हैं, धार्मिक अधिकारों से वंचित हैं...क्योंकि उनके धर्म मे हमारे गुरु जैसा कोई स्त्री का दर्द समझने वाला महापुरुष पैदा नहीं हुआ...हम बच गए और भाग्यशाली है क्योंकि हमें हमारे परमपूज्य गुरुदेब ने हमें उबार लिया। हम उनके ऋणी हैं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
देश आज़ाद 1947 में हुआ लेकिन क्या हम स्त्रियां आज़ाद हुई थीं? देश की आज़ादी के लिए लड़ाई तो अनेक वीरों ने लड़ी। क्या आप बता सकते हैं उस वीर का नाम जिसने हमें आज़ादी दिलवाई, अकेले इस मुहिम को शुरू किया? जो पुरुष होकर भी हमारे दर्द को समझ के हमारे लिए पूरे समाज और धार्मिक ठेकेदारों से लड़ गया? आइये जानते हैं कैसे?
1- बहनों जब हम में से 90% स्त्रियां जब पैदा हुई थी, तो उनके जन्म पर खुशियां नहीं बल्कि मातम मनाया गया था।
2- जन्मते ही हमें पराया कर दिया गया, और बोल दिया गया यह तो पराया धन है। ताने सुनाये गए कि हम बोझ हैं, दान दहेज़ जुटाना शुरू किया गया। हम अपने ही घर में बेघर थे।
3- घर मे ही भेदभाव लिंग के आधार पर हुआ, भाई को आज़ादी और हमारे ऊपर बंदिशें लगाई गई। हमें समान पढ़ने और बढ़ने के अवसर नहीं मिले।
4- धर्म के ठेकेदारों ने हमारे आध्यात्मिक पंखों को काट दिया यह कह कर के कि हमें मुक्ति का आधार नहीं और हमें गायत्री जप का अधिकार नहीं है। हम अपने ही धर्म में बेघर थे।
5- स्त्रियां ही स्त्रियों की दुश्मन बन गई, पुरुषो के हाथ की कठपुतली बन गयी।
6- कई तो बेनाम जन्म ली और बेनाम ही मर गई, कई तो बिना नाम और पहचान के ग़ुलाम ही रह गयी। बचपन में पिता के नाम से जानी गयी - अमुक की बेटी, विवाह के बाद - अमुक की पत्नी, बच्चे के जन्म के बाद - अमुक की मां।
7- आँवलखेड़ा में हम स्त्रियों का उद्धार करने एक देव महापुरुष जन्मा- पिता रूपकिशोर और माता दान कुँवरि नाम रखा - श्रीराम , पत्थर बनी अहिल्या का उद्धार श्रीराम ने किया, उसी तरह परम पूज्य युगऋषि गुरुदेव पण्डित श्रीराम आचार्य जी हम स्त्रियों की पत्थर बनी किस्मत को जीवनदान दिया। उनका साथ देने आई माता भगवती देवी शर्मा।
8- 90% स्त्रियां किसी न किसी गुलामी में दिखी, कोई रूढ़िवादिता की गुलाम, तो कोई फैशन-व्यसन की गुलाम, तो कोई मानसिक गुलाम। इस कारण वो अपनी प्रतिभा क्षमता का सही उपयोग नहीं कर पा रही थी।
9- आत्म उन्नति अधिकार से वंचित स्त्री नारकीय जीवन व्यतीत कर रही थीं। उनके उद्धार के लिए परमपूज्य गुरुदेब और माताजी पूरे धर्म समाज से स्त्रियों के सम्मान हेतु लड़ाई लड़े। पंडे पुजारी और धर्म के ठेकेदारों का विरोध सहा।
10- आज हम सब ऋणी है परमपूज्य गुरुदेब और माता जी के, जिस अधिकार को संविधान न दे सका उसे गुरुदेव ने हमें दिलवाया। न सिर्फ़ हमें गायत्री का अधिकार दिया, बल्कि हमसे उच्चस्तरीय साधनाएं करवाई। स्त्री को राष्ट्र पुरोहित और युग शिल्पी बनाया। कहाँ जप का अधिकार नहीं था, और अब गुरूकृपा से जप के साथ यज्ञ करने और कराने का अधिकार दिया।
11- एक उद्घोषणा तक कर दी, इक्कीसवीं सदी उज्ज्वल भविष्य और इक्कीसवीं सदी - नारी सदी। पुरुष प्रधान समाज में आपको अंदाजा भी है कि इतना बड़ा स्वप्न न सिर्फ देखा बल्कि नारी जागरण के विभिन्न आंदोलनों के माध्यम से इस स्वप्न को पूरा करने में जुट गए। क्या जो विश्वास हमारे गुरु ने हम पर रखा उस विश्वास की रक्षा करना हम स्त्रियों का कर्तव्य नहीं बनता है? स्वयं को इस लायक बनाये और अन्य स्त्रियों को आगे बढ़ाएं जिससे इक्कीसवीं सदी-नारी सदी का गुरु सङ्कल्प पूरा हो सके।
12- पुरुष भाईयों को गुरुदेब ने स्त्रियों का सहयोगी बना दिया, उन्हें समझाया कि स्त्री पुरुष एक दूसरे के विरोधी नहीं अपितु एक दूसरे के पूरक हैं। उन्हें घर हो या बाहर दोनों जगह सम्मान मिले यह सुनिश्चित करो। गृहस्थ एक तपोवन बनाओ। स्त्री गुलाम नहीं बल्कि अर्धांगिनी है। आप पति परमेश्वर तब बनने के अधिकारी हो जब स्त्री को आप उतने ही अधिकार और सम्मान से गृह लक्ष्मी देवी के रूप में प्राणप्रतिष्ठा करते हो। एक दूसरे का सम्मान जरूरी है। जिसे ज्यादा भूख लगे वो पहले खा सकता है, पति को आने में ऑफिस के कार्यवश लेट हो रहा है तो पत्नी इंतज़ार में भूखे न मरे और भोजन कर ले। घर मे हो तो भी साथ भोजन करो, सबके खाने के बाद बचा खुचा खाने की परंपरा अनुचित है। कम हो या ज्यादा अपनी रोटी मिल बांटकर खाओ, प्यार सहकार से जीवन बिताओ।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
कभी कभी कुछ लोग मुझसे पूंछते हैं, श्वेता तुम रात को नाइट शिफ्ट में MNC में काम करती हो , देर रात 2 से 3 बजे सोती हो और सुबह गुरुकार्य में जुट जाती हो क्यों? इसलिए क्योंकि जिस गुरु ने स्त्रियों को घर मे इज्जत दिलाई, जिसने स्त्रियों को समाज मे इज्जत दिलाई, जिसने स्त्रियों को धर्म क्षेत्र में इज्जत दिलाई, जिसने स्त्रियों को राष्ट्र पुरोहित बनाया उनका स्त्री होने के नाते मुझपर ऋण है। जितना मेरे गुरु ने मुझे प्यार और स्नेह दिया उतना किसी ने नहीं दिया। स्त्री के दर्द को जो गुरु ने समझा वो किसी ने नहीं समझा। 😭😭😭😭😭😭 मैं 24 घण्टे भी नित्य जग के गुरु के लिए काम करूँ तो भी कम है। हम सभी स्त्रियां आज धर्म क्षेत्र मे मुक्त हुई केवल इन्ही गुरु कृपा से। जिन्होंने हमारे दर्द को समझा उनके लिए तो जान हाज़िर है। गुरुदेव ने जो विश्वास स्त्री जाति पर दिखाया है स्त्री होने के कारण उस विश्वास पर खरा उतरना मेरा कर्तव्य है। जीवन के अंतिम श्वांस तक इक्कीसवीं सदी-नारी सदी के गुरु सङ्कल्प के लिए प्रयासरत रहूंगी। *आप सभी स्त्रियों पर भी गुरु ऋण है, उनके प्यार स्नेह का ऋण है, उठो स्त्रियों जागो, आगे बढ़ो, और तब तक मत रूकना जब तक - इक्कीसवीं सदी नारी सदी का लक्ष्य हांसिल न हो जाये।* लाखो ने मिलकर देश को आज़ादी दिलवाई उनके सम्मान में तो बहुत कुछ सोचते हो, आज उनके सम्मान में सोचो जो अकेले पूरी दुनियां से लड़ रहा था किसके लिए हमारे और आपके लिए, सबका विरोध झेल रहा था, वो प्यारा गुरु... अब भी कहोगे कि गुरुकार्य के लिए वक्त नहीं...😭😭😭😭
आंखों में आँशु है और हृदय भारी हो गया है..गुरुदेव के प्यार का ऋण इस जन्म में उतारना सम्भव नहीं...मेरे अधिकारों जब मेरे माता-पिता भी इग्नोर किये...उन अधिकारों को और सम्मान को गुरु ने दिलवाया... अब और आगे लिखना सम्भव नहीं हो रहा...आगे का विचार अपनी अन्तरात्मा से सुनिये...
हां... मुस्लिम स्त्रियां आज भी ट्रिपल तलाक और हलाला झेल रही हैं, धार्मिक अधिकारों से वंचित हैं...क्योंकि उनके धर्म मे हमारे गुरु जैसा कोई स्त्री का दर्द समझने वाला महापुरुष पैदा नहीं हुआ...हम बच गए और भाग्यशाली है क्योंकि हमें हमारे परमपूज्य गुरुदेब ने हमें उबार लिया। हम उनके ऋणी हैं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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