Thursday 20 September 2018

शिक्षकों के लिए उद्बोधन के कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदु*

*शिक्षकों के लिए उद्बोधन के कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदु*

 1- planned baby हो या unplanned baby हो पालना तो पड़ेगा। लेकिन यदि मन उसे स्वीकारेगा नहीं तो बच्चा तिरस्कार सहेगा। इसमें बच्चे की कोई गलती नहीं।

2- planned way में  teacher बने हो या unplanned  way में teacher बने हो, टीचर का कर्तव्य तो पालना पड़ेगा। लेकिन यदि मन उसे स्वीकारेगा नहीं तो क्लास का बच्चा तिरस्कार ही सहेगा।

3- टीचर का कितना प्रभाव पड़ता है उसका लेटेस्ट उदाहरण है कि एक अध्यापिका लेटर राइट टू लेफ्ट फार्म करती हैं। उनकी क्लास के समस्त बच्चे ऐसा ही करते हैं। जो करोगे वो बच्चे सीखेंगे।

 4- बच्चो के ऊपर महात्मा गांधी और विवेकानन्द जी का प्रभाव उतना नहीं पड़ता जितना प्रभाव उनके अध्यापक का उन पर पड़ता है। आप चलते फिरते रोल मॉडल हो।

5- बच्चे सुबह से दोपहर तक का सबसे ज्यादा कीमती वक्त स्कूल में आपके साथ बिताते हैं। आप उनकी माइंड प्रोग्रामिंग करते हैं।

6- बालक का निर्माण हालाकिं टीम वर्क है। लेकिन यदि माता पिता कैच छोड़ दें तो अध्यापक पकड़ लेता है। लेकिन अध्यापक की छोड़ी कैच माता पिता कभी नहीं पकड़ पाते।

7- पुलिस और सेना देश को केवल बाहरी सुरक्षा दे सकती है। लेकिन अध्यापक देश को अंदर से मजबूत कर सकता है।

 8- किसी देश की आबादी और बर्बादी उस देश की शिक्षा व्यवस्था पर निर्भर करती है।

9- आपके सहयोग के बिना राष्ट्र का निर्माण हो ही नहीं सकता।

10- चिकित्सक की गलती क़ब्र में दब जाएगी। इंजीनियर की गलती से भवन और पुल बिगड़ेगा। शिक्षक की गलती से समाज दबाह होगा। क्योंकि शिक्षक की गलती जीवित होती है

 11- हम यहां देशहित आये है, आपसे देश के उज्ज्वल भविष्य में सहयोग मांगने।

12- हम यहां इनर इंजीनियरिंग के माध्यम से एक नया दृष्टिकोण और ध्यान के माध्यम से तनाव प्रबंधन सिखाने आये हैं।

13- आप कितने भी बड़े स्कूल के टीचर या प्रिंसिपल हो, आपके बच्चे के लिए माता-पिता ही हो। और आपके बच्चे आपसे ज्यादा अपने शिक्षक को महत्त्व देंगे वो चाहे आपसे कम पढ़ा लिखा ही क्यों न हो।

14- गुरु शिष्य परम्परा पुनः शुरू करने की आवश्यकता है। पेरेंट्स और टीचर के बीच पुनः विश्वास जमाने की आवश्यकता है। क्योंकि बालक निर्माण टीम वर्क है।

15- युगऋषि परमपूज्य गुरुदेब ने कहा है मुझे 1000 निष्ठावान शिक्षक दे दो उस जगह का समाज में बदल के रख दूंगा।

16- आज पूरा देश विकृत चिंतन और कुसंस्कार से उपजी समस्या को झेल रहा है। रेयान इंटरनेशनल स्कूल में क्लास सेकंड के बच्चे का मर्डर सिर्फ इसलिए क्लास 11 के बच्चे ने कर दिया क्योंकि एग्जाम को टालना था।

17- दिल्ली के स्कूल की प्रिंसिपल  को अटेंडेंस कम होने पर एक बड़े बच्चे को एग्जाम में नहीं बैठने दिया। सिर्फ इसलिए उसने प्रिंसिपल को क्रोध में गोली मार दी।

18- छोटी बच्चियों और बच्चो को स्कूल में सेक्स अब्यूज से बचाना एक बड़ा कठिन कार्य बन चुका है।

19- आजकल माता पिता उस लापरवाह गड़रिये की तरह भेड़ो की सुरक्षा कर रहे, जिसने भेड़ो के साथ बाढ़ में भेड़िया भी बन्द कर दिया है। अनियंत्रित इंटरनेट का उपयोग वह भेड़िया है, जो कभी भी नुकसान पहुंचा सकता है।

20- मीडिया, टीवी औऱ फ़िल्म नकारात्मक गन्दी बाते बच्चो को परोस रहे हैं।

21- शिक्षक के रूप में वर्तमान समय मे सभी उपरोक्त जहर का आपको ही इलाज करना है।

22- सबका एंटीडोड राष्ट्रहित तैयार करना है,

23- माता-पिता सक्षम नहीं है बाल निर्माण में अब, तो यह जिम्मेदारी संस्कारो को भी अध्यापक को ही सम्हालनी है।

 24- अतः प्राचीन गुरुकुल परम्परा को वर्तमान शिक्षा प्रणाली में इंजेक्ट करना होगा। कस्टमर-वेंडर रिश्ता समाप्त करके, पुनः गुरु शिष्य परम्परा को स्थापित करना होगा। इसके लिए विचारों की क्रांति - विचारक्रांति करनी होगी।

 25- आधा ग्लास भरा और आधा ग्लास खाली , दोनों ही बाते सच है। लेकिन सुखी रहने हेतु आधा ग्लास भरा देखना और समझना पड़ेगा।

 26- आध्यात्मिक दृष्टिकोण में तो आधा ग्लास पानी से और आधा ग्लास हवा से भरा है। अतः सुख-दुःख दोनों से जीवन भरा है। इसी में जीना है। टेंशन झेलने के लिए ही सैलरी हमें मिलती है ऐसी कोई दुनियाँ में सर्विस नहीं जहां टेंशन न हो। हमारा इनर मैनेजमेंट अगर छोटा हुआ तो समस्या/टेंशन बड़ी लगेगी, यदि हमारा इनर मैनेजमेंट बड़ा हुआ तो समस्या छोटी दिखेगी।

 27- एक बच्चे हो या दस, 24 घण्टे ही मिलेंगे पालने के लिए। एक कम्पनी हो या 10, 24 घण्टे ही मिलेंगे सम्हालने के लिए। अतः समय प्रबंधन तो करना पड़ेगा।

28- शरीर न पढ़ा सकता है और न ही पढ़ सकता है। मन ही पढ़ायेगा और मन ही पढ़ेगा। अतः जितना जरूरी विद्यार्थी का मन से पढ़ना है तो उससे ज्यादा जरूरी अध्यापक का मन से पढ़ाना है। विद्यार्थी और शिक्षक जब दोनों का मन लगेगा तभी शिक्षा सधेगी।

29- नैतिक शिक्षा, सोचने की कला(How to think), पढ़े तो कैसे पढें, एकाग्रता, मन पर नियंत्रण, सोच को बदलना, सोच को छोड़ना इत्यादि गुण शिक्षकों स्वयं सीखना होगा और बालको को सिखाना होगा। तभी परिणाम अच्छे आएंगे।

 30- स्कूल की शानदार बिल्डिंग, स्कूल का अच्छा सेलेब्स शिक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकती। स्कूल के श्रेष्ठ शिक्षक अच्छी शिक्षा सुनिश्चित कर सकते है। स्कूल का नाम भी विद्यार्थियों के और शिक्षक के परफॉर्मेंस पर निर्भर करता है।

🙏🏻 राष्ट्रनिर्माता शिक्षकों को नमन 🙏🏻

🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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