Saturday 20 October 2018

गर्भ संवाद - पंचतत्वों का ध्यान

*गर्भ संवाद* - 1 जल तत्व का ध्यान
 *नादयोग या मधुर बाँसुरी की धुन बजा लें, और गर्भ पर हाथ रख के भावना/कल्पना करें और मुंह से बोलते जाएं*

मेरे बच्चे, पंच तत्वों से तुम्हारा शरीर बना है, आज हम उनमें से एक तत्व जल का ध्यान करेंगे और उसे अनुभव करेंगे।

मेरे बच्चे आओ हम तुम अनुभव करें कि हम तुम गहरे नीले आकाश के नीचे बैठे हैं और हमारे  ऊपर प्राण पर्जन्य की वर्षा रूपी जल गिर रहा है, बरस रहा है। आओ स्वयं पर गिरती एक एक बूंद को गहराई से अनुभव करें, इस प्राण पर्जन्य के जल के स्पर्श से हमारे शरीर का जल तत्व सन्तुलित और शक्ति सम्पन्न बन रहा है।

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*गर्भ संवाद* - 2 वायु तत्व का ध्यान
 *नादयोग या मधुर बाँसुरी की धुन बजा लें, और गर्भ पर हाथ रख के भावना/कल्पना करें और मुंह से बोलते जाएं*

मेरे बच्चे, पंच तत्वों से तुम्हारा शरीर बना है, आज हम उनमें से एक तत्व वायु का ध्यान करेंगे और उसे अनुभव करेंगे।

मेरे बच्चे आओ हम हिमालय में स्वयं को अनुभव करें, नदी के किनारे गहरे नीले आकाश के नीचे बैठे हैं एक तरफ जंगल है और दूसरी तरफ नदी बह रही है और हिमालय से आती हुई शीतल हवा ढ़ेरों सुगन्धित वायु- प्राण पर्जन्य भरी वायु आपको स्पर्श कर रही है, हमारे केश/बाल और कपड़े हवा से हिल  रहे है। स्वयं पर हवा को प्रवेश करता हुआ अनुभव करें, वायु शरीर को वायु तत्व से सन्तुलित और शक्ति सम्पन्न और चार्ज होता हुआ अनुभव करें। प्रवेश करती प्राणवायु हमारे श्वांसों में ढेर सारा प्राण लेकर आ रही है, हमे प्राणवान ऊर्जावान बना रही है। हमारे शरीर से बाहर जाती श्वांस समस्त विकारों को दूर बहुत दूर हमसे ले जा रही है।

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*गर्भ संवाद* - 3 मिट्टी तत्व का ध्यान
 *नादयोग या मधुर बाँसुरी की धुन बजा लें, और गर्भ पर हाथ रख के भावना/कल्पना करें और मुंह से बोलते जाएं*

मेरे बच्चे, पंच तत्वों से तुम्हारा शरीर बना है, आज हम उनमें से एक तत्व मिट्टी/पृथ्वी का ध्यान करेंगे और उसे अनुभव करेंगे।

आओ मेरे बच्चे हम तुम अनुभव करें कि नदी के किनारे गहरे नीले आकाश के नीचे बैठे हैं एक तरफ जंगल है और दूसरी तरफ नदी बह रही है और हिमालय से आती हुई शीतल हवा ढ़ेरों सुगन्धित वायु- प्राण पर्जन्य भरी वायु आपको स्पर्श कर रही है, वहीं नदी के जल से मिट्टी गीली हुई है। हम तुम उस गीली मिट्टी से स्नान कर रहे है। हमारे केश/बाल और समस्त शरीर पर मिट्टी का आवरण चढ़ गया है, हम दोनों अत्यंत शीतलता अनुभव कर  रहे है। पृथ्वी से बने शरीर को पृथ्वी/मिट्टी तत्व से सन्तुलित और शक्ति सम्पन्न और चार्ज कर रहा है। आओ इस दिव्य ध्यान में खो जाएं।


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*गर्भ संवाद* - 4 आकाश तत्व का ध्यान
 *नादयोग या मधुर बाँसुरी की धुन बजा लें, और गर्भ पर हाथ रख के भावना/कल्पना करें और मुंह से बोलते जाएं*

मेरे बच्चे, पंच तत्वों से तुम्हारा शरीर बना है, आज हम उनमें से एक तत्व आकाश का ध्यान करेंगे और उसे अनुभव करेंगे।

आओ मेरे बच्चे हम तुम अनुभव करें कि नदी के किनारे गहरे नीले आकाश के नीचे लेटे हैं एक तरफ जंगल है और दूसरी तरफ नदी बह रही है और हिमालय से आती हुई शीतल हवा ढ़ेरों सुगन्धित वायु- प्राण पर्जन्य भरी वायु हमको और तुमको स्पर्श कर रही है, हमारे केश/बाल और कपड़े हवा से हिल  रहे है। स्वयं पर हवा को प्रवेश करता हुआ अनुभव करो, देखो बेटा हम तुम बादल के जैसे हल्के हो गए है और बदलो के साथ साथ उड़ रहे हैं। आकाश और हम आपस में स्पर्श कर रहे है, आकाश और हम एक हो गए हैं। आकाश शरीर को आकाश तत्व से सन्तुलित और शक्ति सम्पन्न और चार्ज कर रहा है। हम आनन्दित और असीम प्रशन्नता का अनुभव कर रहे हैं।

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*गर्भ संवाद* - 5 अग्नि तत्व का ध्यान
 *नादयोग या मधुर बाँसुरी की धुन बजा लें, और गर्भ पर हाथ रख के भावना/कल्पना करें और मुंह से बोलते जाएं*

मेरे बच्चे, पंच तत्वों से तुम्हारा शरीर बना है, आज हम उनमें से एक तत्व अग्नि का ध्यान करेंगे और उसे अनुभव करेंगे।

मेरे बच्चे आओ अनुभव करें, भावना करें कि हम हिमालय में हैं, यहां हज़ारो कुंडीय यज्ञ हो रहा है। हम तुम पीले वस्त्र और गायत्री मंत्र दुप्पटा धारण कर यज्ञ कर रहे हैं। चारों ओर कर्णप्रिय वेद मंत्रों के गुंजार हो रहे हैं। फिर बच्चे हम और तुम स्वयं को समिधा की तरह देखो और आओ स्वयं को यज्ञ में प्रवेश करता हुआ अनुभव करें, अब स्वयं को यज्ञ अनुभव करें। आओ हम तुम अग्नि शरीर को अग्नि तत्व से सन्तुलित और शक्ति सम्पन्न और चार्ज होता हुआ अनुभव करें। अब कल्पना करो मेरे बच्चे जिस प्रकार दौपदी और प्रदुम्न अग्नि से जन्मे थे, उसी प्रकार तुम स्वयं अग्नि स्नान के बाद अग्नि से बाहर प्रकट हो रहे हो और मेरे गर्भ में प्रवेश कर रहे हो। तुम अग्नि के समान ऊर्जावान हो गए हो। तुम्हे गर्भ में धारण कर मैं भी ऊर्जा वान हो गयी हूँ।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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