Sunday, 21 October 2018

ज्ञानरथ से जुड़े जीवंत अनुभव - आत्महत्या से बचाव

*ज्ञानरथ से जुड़े जीवंत अनुभव*

एक लड़की अपनी तीन वर्षीय बेटी को लेकर रेलवे ट्रैक में आत्महत्या कर रही थी। एक 82 वर्ष के वृद्ध साधु ने उसे बचाया और शान्तिकुंज लेकर आ गया।

गेट पर ज्ञानरथ चलाने वाले द्विवेदी बाबूजी को परेशान लड़की  को वो बृद्ध साधु समझाते हुए दिखे। बाबूजी ने साधु और उस लड़की को बिठाया और चाय पानी पिलाया। हाल चाल और परेशानी पूँछी।

फ़िर लड़की की काउंसलिंग की, और गृहस्थ एक तपोवन पुस्तक उसे देकर के सफल गृहस्थी और मित्रभाव बढ़ाने के सूत्र समझाये।

बोला बेटी, आजकल हम मनुष्य इसलिए दुःखी है क्योंकि हम किसी को बिना शर्त प्रेम नहीं करते। हम हमेशा तराजू हाथ मे लिए फिरते है कि उसने इतने ग्राम/परसेंटेज हमें प्रेम किया तो बदले में हम भी उतना ही प्रेम उसे बदले में करेंगे।

इस नाप तौल और व्यापार में गृहस्थी बिखर रही है। बेटी तू आज यही इसी वक्त इस नाप तौल के तराजू को जीवन से विदा कर दें। जैसे माँ रूप में अपनी बेटी से बिना शर्त प्यार करती है, उसी तरह पति से बिना शर्त, बिना किसी उम्मीद के प्रेम कर, उसकी सेवा निःश्वार्थ करो।

बेटा, जॉब में परेशान होकर वो क्रुद्ध हुआ होगा, गलत सँस्कार तुम्हारे पति को बचपन से मिले है, इसलिए वो हाथ उठाता है। अतः तुम्हें उसके व्यवहार-स्वभाव में समझदारी से परिवर्तन लाना होगा। इस पुस्तक में समस्त सूत्र है पढो और बुद्धिमान बनो।

जीवन अमूल्य है, इसे नष्ट मत करो। गुस्सा में इंसान अंधा हो जाता है वो आगे पीछे और आने वाला भविष्य नहीं देख पाता। स्त्री के तप में इतनी ताकत है कि वो यमराज से पति वापस ला सकती है। पति को बीमारी हो जाये और यदि सिंहनी के दूध से वो बीमारी ठीक होने वाली हो तो पत्नी सिंहनी तक को वश में करके उपाय करके पति ठीक कर लेगी। बेटी जहाँ चाह वहां राह है। गुरूदेव की समाधि में प्रार्थना करके हमारी बात मानकर दिल्ली अपने घर लौट जाओ। बुद्धि से काम लो और अपना घर सम्हालो।

द्विवेदी बाबूजी और उस साधु महराज ने उस लड़की को काफ़ी समझाया और साधु महराज ने उस लड़की को दिल्ली उसके घर तक पहुंचाया।

लगभग 20 दिनों बाद वही लड़की अपने पति के साथ शान्तिकुंज आयी। जीवन बचाने, काउंसलिंग करने और उस लड़की को सकुशल घर पहुंचवाने में मदद के लिए, उसके पति ने भी बाबूजी को धन्यवाद दिया। उसके पति ने और उसने गुरुदीक्षा शान्तिकुंज में ली, और ढेर सारा युगसाहित्य खरीद कर पाथेय के रूप में ले गए।

ज्ञानरथ जीवन सन्देश देता है,
यह चलता फिरता आर्ट ऑफ लिविंग की कार्यशाला है। ज्ञानरथ से अर्थ नहीं अपितु जीवन कमाया जाता है।

क्रमशः...


🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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