प्रश्न - *आजकल की सन्तान माता पिता की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ अपनी मनमर्ज़ी से शादी करके उनके साथ बेवफ़ाई करते है, ये कैसे सुनिश्चित करें कि बच्चे बड़े होकर मनमर्ज़ी और बेफ़वाई न करें?*
उत्तर - आत्मीय बहन,
विवाह में दो लोग शामिल होते है एक लड़का और एक लड़की।
ये दोनों ही जीवित मनुष्य है और इनके अंदर मन बुद्धि चित्त अहंकार होता है। कामना - वासना- इच्छाये होती है।
फ़िल्मे टीवी सीरियल फ़िल्मी गाने और मीडिया सुबह से शाम मुहब्बत करना सिखाते है और जमाना प्यार का दुश्मन है यह बताते हैं। मुहब्बत के लिए आग का दरिया पास कर लो। इश्क़ और जंग में सब जायज़ है। बच्चो को बचपन से कुसंस्कार ये माध्यम दे रहे हैं।
आजकल कमाने में माता-पिता इतने व्यस्त है कि गिफ्ट का ढेर बच्चो को देते है, खूब धन खर्च करते हैं। केवल क़्वालिटी वक्त उन्हें नहीं देते। माता-पिता भूल जाते हैं कि - *प्यार का मतलब ही है वक्त, जो प्रेम करेगा वो उसे वक्त तो देना ही पड़ेगा*।
मनमर्ज़ी से विवाह में यदि लड़की ने अपने माता-पिता से बेवफ़ाई की तो लड़के ने भी अपने माता-पिता से बेवफ़ाई की। तो इसमें लिंगभेद न करें कि मेरी लड़की तो भोलीभाली है उसे लड़के ने फंसाया या मेरा बेटा तो भोलाभाला है उसे लड़की ने फंसाया। ये सब बक़वास न सोचें, अपनी सन्तान को बेगुनाह और दूसरे की सन्तान को गुनाहगार घोषित न करें। कभी एक हाथ से ताली नहीं बजती, प्रेम विवाह में दोनों की मर्जी शामिल होती है।
सन्तान जन्म लेने से पूर्व आपके घर अनुरोध एप्लिकेशन नहीं भेजती, कि मैं भटक रहा/रही हूँ, मुझे जन्म दो। सन्तान प्राप्ति हेतु भावी माता-पिता प्रयत्न करते है। लेकिन मनचाही आत्मा को सन्तान रूप में आप चुन नहीं सकते है और न ही सन्तान अपने लिए मनचाहे माता-पिता और घर चुन सकती है। ऑनलाइन/ऑफलाइन सन्तान की रेडीमेड शॉपिंग उपलब्ध नहीं है। लेकिन युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी कहते हैं कि - *गर्भ सँस्कार से लेकर विभिन्न संस्कारो के माध्यम से मनचाही सन्तान आप गढ़ जरूर सकते है।*
संतानों की बेवफाई से बचने के कुछ उपाय बता रही हूँ, जो पसन्द आये वो अपना लें:-
1- सन्तान ही उतपन्न मत करो, बाजार से रोबोट लाओ और अपनी मर्जी से रिमोट से चलाओ। जीवित सन्तान का रिमोट नहीं होता।
2- सन्तान को घर से बाहर मत जाने दो, गुलाम की तरह रखो, गुलाम मानसिकता का बना दो और फिर मन मर्जी से उनका विवाह करो। क्योंकि ग़ुलाम को मन मर्जी से किसी को भी गिफ्ट/विवाह किया जा सकता है। स्वतन्त्र सोच के सन्तान को काबू में करना मुश्किल है।
3- घर से टीवी रेडियो फ़िल्मे और इंटरनेट सबकुछ हटा दो, जो बच्चा कभी फ़िल्म और टीवी सीरियल में इश्क होता हुआ न देखेगा और कभी इश्क के बारे में न जानेगा। वो मनमर्जी से शादी करने की कल्पना भी नहीं करेगा।
4- बच्चे को बचपन से किसी बड़े जीवन लक्ष्य से जोड़ दो। उस लक्ष्य के प्रति जुनून भर दो। वो अपने काम मे ही इतना मशगूल होगा कि इश्क करने की फुर्सत ही नहीं मिलेगी।
5- बच्चो से निःश्वार्थ प्यार करो, और अच्छे संस्कार गर्भ से जीवन पर्यन्त दो, कि वो अपनी मर्ज़ी को आपकी मर्जी के लिए त्याग दें। उनके साथ मित्रवत हो जाओ और उन्हें इतना विश्वास दिला दो कि आप प्रत्येक उनके निर्णय में साथ हो, बशर्ते वह उनके भले के लिए हो। ऐसे में बच्चा आपके लिए इश्क की तो बात ही क्या वो अपनी जान और सर्वस्व भी आपके लिए देने को तैयार रहेगा। बच्चे के हृदय में आपके लिए सम्मान हो ऐसा अपना चरित्र चिंतन व्यवहार बना लो।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय बहन,
विवाह में दो लोग शामिल होते है एक लड़का और एक लड़की।
ये दोनों ही जीवित मनुष्य है और इनके अंदर मन बुद्धि चित्त अहंकार होता है। कामना - वासना- इच्छाये होती है।
फ़िल्मे टीवी सीरियल फ़िल्मी गाने और मीडिया सुबह से शाम मुहब्बत करना सिखाते है और जमाना प्यार का दुश्मन है यह बताते हैं। मुहब्बत के लिए आग का दरिया पास कर लो। इश्क़ और जंग में सब जायज़ है। बच्चो को बचपन से कुसंस्कार ये माध्यम दे रहे हैं।
आजकल कमाने में माता-पिता इतने व्यस्त है कि गिफ्ट का ढेर बच्चो को देते है, खूब धन खर्च करते हैं। केवल क़्वालिटी वक्त उन्हें नहीं देते। माता-पिता भूल जाते हैं कि - *प्यार का मतलब ही है वक्त, जो प्रेम करेगा वो उसे वक्त तो देना ही पड़ेगा*।
मनमर्ज़ी से विवाह में यदि लड़की ने अपने माता-पिता से बेवफ़ाई की तो लड़के ने भी अपने माता-पिता से बेवफ़ाई की। तो इसमें लिंगभेद न करें कि मेरी लड़की तो भोलीभाली है उसे लड़के ने फंसाया या मेरा बेटा तो भोलाभाला है उसे लड़की ने फंसाया। ये सब बक़वास न सोचें, अपनी सन्तान को बेगुनाह और दूसरे की सन्तान को गुनाहगार घोषित न करें। कभी एक हाथ से ताली नहीं बजती, प्रेम विवाह में दोनों की मर्जी शामिल होती है।
सन्तान जन्म लेने से पूर्व आपके घर अनुरोध एप्लिकेशन नहीं भेजती, कि मैं भटक रहा/रही हूँ, मुझे जन्म दो। सन्तान प्राप्ति हेतु भावी माता-पिता प्रयत्न करते है। लेकिन मनचाही आत्मा को सन्तान रूप में आप चुन नहीं सकते है और न ही सन्तान अपने लिए मनचाहे माता-पिता और घर चुन सकती है। ऑनलाइन/ऑफलाइन सन्तान की रेडीमेड शॉपिंग उपलब्ध नहीं है। लेकिन युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी कहते हैं कि - *गर्भ सँस्कार से लेकर विभिन्न संस्कारो के माध्यम से मनचाही सन्तान आप गढ़ जरूर सकते है।*
संतानों की बेवफाई से बचने के कुछ उपाय बता रही हूँ, जो पसन्द आये वो अपना लें:-
1- सन्तान ही उतपन्न मत करो, बाजार से रोबोट लाओ और अपनी मर्जी से रिमोट से चलाओ। जीवित सन्तान का रिमोट नहीं होता।
2- सन्तान को घर से बाहर मत जाने दो, गुलाम की तरह रखो, गुलाम मानसिकता का बना दो और फिर मन मर्जी से उनका विवाह करो। क्योंकि ग़ुलाम को मन मर्जी से किसी को भी गिफ्ट/विवाह किया जा सकता है। स्वतन्त्र सोच के सन्तान को काबू में करना मुश्किल है।
3- घर से टीवी रेडियो फ़िल्मे और इंटरनेट सबकुछ हटा दो, जो बच्चा कभी फ़िल्म और टीवी सीरियल में इश्क होता हुआ न देखेगा और कभी इश्क के बारे में न जानेगा। वो मनमर्जी से शादी करने की कल्पना भी नहीं करेगा।
4- बच्चे को बचपन से किसी बड़े जीवन लक्ष्य से जोड़ दो। उस लक्ष्य के प्रति जुनून भर दो। वो अपने काम मे ही इतना मशगूल होगा कि इश्क करने की फुर्सत ही नहीं मिलेगी।
5- बच्चो से निःश्वार्थ प्यार करो, और अच्छे संस्कार गर्भ से जीवन पर्यन्त दो, कि वो अपनी मर्ज़ी को आपकी मर्जी के लिए त्याग दें। उनके साथ मित्रवत हो जाओ और उन्हें इतना विश्वास दिला दो कि आप प्रत्येक उनके निर्णय में साथ हो, बशर्ते वह उनके भले के लिए हो। ऐसे में बच्चा आपके लिए इश्क की तो बात ही क्या वो अपनी जान और सर्वस्व भी आपके लिए देने को तैयार रहेगा। बच्चे के हृदय में आपके लिए सम्मान हो ऐसा अपना चरित्र चिंतन व्यवहार बना लो।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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