प्रश्न - *यदि पति धोखेबाज हो और किसी अन्य विवाहित स्त्री के साथ सम्बन्ध में हो तो ऐसे में एक गृहस्थ जॉब न करने वाली स्त्री को क्या करना चाहिए। जिसके दो बच्चे हों। मार्गदर्शन करें, क्या उस पति को भगवान सज़ा देगा? क्या भारतीय कानून में व्यभिचार के लिए कोई सज़ा का प्रावधान है?*
उत्तर- आत्मीय बहन, प्राचीन गृहस्थ तपोवन और मर्यादित घर गृहस्थी को पाश्चात्य और आधुनिकता के प्रभाव ने नष्ट भ्रष्ट कर दिया है।
भगवान व्यभिचारी को दण्ड तो जरूर देता है, लेकिन भारतीय क़ानून न्यायव्यवस्था दण्ड नहीं देता। पुलिस कोर्ट कचहरी में आपको कोई हेल्प नहीं मिलेगी।
क्योंकि इसी वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने एडल्ट्री (व्यभिचार) संबंधी कानून की धारा 497 को खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत के इस फैसले के बाद अब एडल्ट्री(व्यभिचार-अवैध सम्बन्ध) अपराध नहीं है घोषित कर दिया है।
आज टीवी सीरियल फ़िल्म, समाचार, पत्र, कानून व्यवस्था और शोशल मीडिया सब घर गृहस्थी तोड़ने और पशुवत जीने हेतु प्रेरित कर रहे हैं। नशा तो इसमें आग में घी का कार्य कर रहा है। विकृत चिंतन और संस्कारों के अभाव ने समाज को विकृत और कुत्सित कर दिया है।
अब भारत देश में चरित्रवान स्त्री-पुरुष की तीन केटेगरी हो गयी है:-
1- जिन्हें घर मे बचपन से शुभ सँस्कार मिले और आध्यात्मिक है। ऐसे लोग अपने चरित्र चिंतन व्यवहार पर कड़ी नज़र रखते है औऱ वास्तव में मन वचन कर्म से चरित्रवान होते है। ये जाति अब लुप्तप्राय और अल्पसंख्यक हो रही है मात्र 10% ऐसे लोग भारत मे बचे हैं।
2- दूसरे टाइप के चरित्रवान लोग बाह्य चरित्र से चरित्रवान होते है और मानसिक व्यभिचारी होते है। अश्लील साहित्य और अश्लील चिंतन में निरत रहते हैं। अतः यदि मौका मिलेगा इन्हें तो चरित्र से गिरने में वक्त नहीं लगेगा।
3- तीसरे टाइप के चरित्रवान वो लोग है जो अभी तक व्यभिचार करते पकड़े नहीं गए। घरवाली/घरवाला के साथ साथ साथ बाहरवाली/बाहरवाला दोनों ही चल रहा है।
व्यभिचारी तो हम उन्हें घोषित करते है जिनका गुनाह पकड़ा गया। अन्यथा भारत देश मे व्यभिचार का ग्राफ़ बढ़ ही रहा है।
उन बहन को बोलिये, कि ठंडे दिमाग़ से घटना का एनालिसिस करें, उन विवाहित स्त्री के पति तक भी इस समस्या का संदेश पहुंचा दें कही से गुमनाम फोन या मेसेज के माध्यम से...
पति के व्यभिचार के सबूत व्हाट्सएप, मेसेज कॉल इत्यादि रेकॉर्ड करके अपने सास ससुर को सबूत के साथ बतायें। क्योंकि सास ससुर लड़के का ही पक्ष लेंगे यदि आप बिना सबूत के इल्जाम लगाएंगी।
पति से क्लियर बात करें और उन्हें समझाये कि गलत का परिणाम गलत ही निकलेगा। बच्चों का भविष्य बिगड़ेगा। उस स्त्री का पुरुष यदि हथियार उठाया तो जीवन भी जाएगा।
घर में लड़ाई झगड़ा न करें, इससे बच्चों पर बुरा असर होगा। लड़ाई-झगड़े से व्यभिचार की आदत नहीं छूटती।
केवल बिना शर्त प्रेम और आत्मीयता से ही पति के व्यवहार में आवश्यक सुधार लाया जा सकता है। विवाह एक पवित्र बंधन है और आध्यात्मिक-सामाजिक समझौता भी। अतः घर के बड़े बुजुर्ग को विश्वास में लेकर पति को समझाने हेतु बोलें।
*व्यवहारात्मक उपाय* - झगड़ा तुरन्त बन्द कर दें कोई फायदा नहीं है। प्रेमपूर्वक ऐसे रहें कि जैसे कुछ हुआ ही न हो। रोज रोज प्यार और आत्मीयता से समझाये और घर गृहस्थी अपनी बचाएं। क्रोध और घृणा का कोई फायदा नहीं है।
*आध्यात्मिक उपाय* - जीवन मे जीवनसाथी हमारे पूर्व जन्म के पाप पुण्य का फल होता है। अतः यदि जीवनसाथी से कष्ट मिल रहा है तो तप करके पूर्व जन्म के संचित प्रारब्ध को नष्ट करने की आवश्यकता है। सुखी जीवन हेतु पुण्यार्जन करना होगा।
श्रद्धा और विश्वास के साथ सवा लाख गायत्री मंत्र का जप अनुष्ठान करें, पतिदेव जिस तकिया में सोते हैं उसके ऊपर गायत्री मन्त्रलेखन की पुस्तिका रख कर लिखें। घर मे सुबह शाम बलिवैश्व यज्ञ करें। बलिवैश्व यज्ञ की एक चुटकी भष्म को पानी मे मिलाकर घर में सर्वत्र छिड़क दें। सभी बाथरूम की नालियों में एक चुटकी नमक डाल दें, और घर मे नमक चुटकी भर मिला कर पोछा मारे। अनुष्ठान के जप करते वक्त कलश के लोटे में दो दाना मिश्री का डालकर जप करें। सूर्य को वही कलश जल अर्घ्य दें, फिर थोड़ा जल बचा ले। उस बचे जल की कुछ बूंदे रोटी या चावल बनाते समय उपयोग में लेवेँ। मंन्त्र जपते हुए सकारात्मक विचार से भोजन बनाये। और बड़ी आत्मियता और प्यार से भोजन करवाएं।
रोज ध्यान में पति की आत्मा का आह्वाहन करें और शान्तिकुंजं ले जाएं। ध्यान में भावना करें कि गुरूदेव माता जी पति को और आपको सद्बुद्धि दे रहे है। भावना कीजिये कि आप दोनों को अच्छी घर गृहस्थी के लिए गुरुदेब माताजी आशीर्वाद दे रहे हैं।
पुस्तक
📖गृहस्थ एक तपोवन,
📖मित्रभाब बढ़ाने की कला,
📖गहना कर्मणोगति: और
📖दृष्टिकोण ठीक रखें जरूर पढ़िये।
निःश्वार्थ और श्रद्धायुक्त प्रेम से भगवान को भी वश में कर सकते हैं, तो वैसे भी पति तो एक इंसान ही है। निःश्वार्थ और श्रद्धायुक्त प्रेम से पति को वश में करना तो और भी ज्यादा आसान है।
बस सबसे पहले पति के कुकृत्य के लिए उनसे घृणा न करें। जैसे वायरल फ़ीवर होने पर मरीज़ से घृणा न करके उपचार किया जाता है। वैसे ही व्यभिचार रूपी मानसिक बीमारी होने पर दूसरी स्त्री को वायरस माने, और पति को रोगी माने, और मन्त्रशक्ति और यग्योपैथी से उपचार करने में जुट जाएं।
*गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय भारत के उत्तराखण्ड राज्य के हरिद्वार शहर में स्थित है। इसकी स्थापना सन् १९०२ में स्वामी श्रद्धानन्द ने की थी। स्वामी श्रद्धानन्द ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वो गलत संगत में पड़कर नशा करते थे और कोठे में जाया करते थे। लेकिन उनकी पत्नी के निःस्वार्थ श्रद्धायुक्त प्रेम ने उनके कुकर्मो के नरक से बाहर निकाल दिया। न सिर्फ़ व्यवहार में बदलाव लाया। बल्कि एक सच्चरित्र महापुरुष बना दिया। अगर स्वामी श्रद्धानन्द की पत्नी का त्याग और प्रेम न होता तो आज भारत को गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय कभी नहीं मिलता।*
यदि पत्नी व्यभिचारी हो तो पति को उपरोक्त उपाय अपनाना चाहिए। प्रारब्ध का शमन करना चाहिए।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर- आत्मीय बहन, प्राचीन गृहस्थ तपोवन और मर्यादित घर गृहस्थी को पाश्चात्य और आधुनिकता के प्रभाव ने नष्ट भ्रष्ट कर दिया है।
भगवान व्यभिचारी को दण्ड तो जरूर देता है, लेकिन भारतीय क़ानून न्यायव्यवस्था दण्ड नहीं देता। पुलिस कोर्ट कचहरी में आपको कोई हेल्प नहीं मिलेगी।
क्योंकि इसी वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने एडल्ट्री (व्यभिचार) संबंधी कानून की धारा 497 को खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत के इस फैसले के बाद अब एडल्ट्री(व्यभिचार-अवैध सम्बन्ध) अपराध नहीं है घोषित कर दिया है।
आज टीवी सीरियल फ़िल्म, समाचार, पत्र, कानून व्यवस्था और शोशल मीडिया सब घर गृहस्थी तोड़ने और पशुवत जीने हेतु प्रेरित कर रहे हैं। नशा तो इसमें आग में घी का कार्य कर रहा है। विकृत चिंतन और संस्कारों के अभाव ने समाज को विकृत और कुत्सित कर दिया है।
अब भारत देश में चरित्रवान स्त्री-पुरुष की तीन केटेगरी हो गयी है:-
1- जिन्हें घर मे बचपन से शुभ सँस्कार मिले और आध्यात्मिक है। ऐसे लोग अपने चरित्र चिंतन व्यवहार पर कड़ी नज़र रखते है औऱ वास्तव में मन वचन कर्म से चरित्रवान होते है। ये जाति अब लुप्तप्राय और अल्पसंख्यक हो रही है मात्र 10% ऐसे लोग भारत मे बचे हैं।
2- दूसरे टाइप के चरित्रवान लोग बाह्य चरित्र से चरित्रवान होते है और मानसिक व्यभिचारी होते है। अश्लील साहित्य और अश्लील चिंतन में निरत रहते हैं। अतः यदि मौका मिलेगा इन्हें तो चरित्र से गिरने में वक्त नहीं लगेगा।
3- तीसरे टाइप के चरित्रवान वो लोग है जो अभी तक व्यभिचार करते पकड़े नहीं गए। घरवाली/घरवाला के साथ साथ साथ बाहरवाली/बाहरवाला दोनों ही चल रहा है।
व्यभिचारी तो हम उन्हें घोषित करते है जिनका गुनाह पकड़ा गया। अन्यथा भारत देश मे व्यभिचार का ग्राफ़ बढ़ ही रहा है।
उन बहन को बोलिये, कि ठंडे दिमाग़ से घटना का एनालिसिस करें, उन विवाहित स्त्री के पति तक भी इस समस्या का संदेश पहुंचा दें कही से गुमनाम फोन या मेसेज के माध्यम से...
पति के व्यभिचार के सबूत व्हाट्सएप, मेसेज कॉल इत्यादि रेकॉर्ड करके अपने सास ससुर को सबूत के साथ बतायें। क्योंकि सास ससुर लड़के का ही पक्ष लेंगे यदि आप बिना सबूत के इल्जाम लगाएंगी।
पति से क्लियर बात करें और उन्हें समझाये कि गलत का परिणाम गलत ही निकलेगा। बच्चों का भविष्य बिगड़ेगा। उस स्त्री का पुरुष यदि हथियार उठाया तो जीवन भी जाएगा।
घर में लड़ाई झगड़ा न करें, इससे बच्चों पर बुरा असर होगा। लड़ाई-झगड़े से व्यभिचार की आदत नहीं छूटती।
केवल बिना शर्त प्रेम और आत्मीयता से ही पति के व्यवहार में आवश्यक सुधार लाया जा सकता है। विवाह एक पवित्र बंधन है और आध्यात्मिक-सामाजिक समझौता भी। अतः घर के बड़े बुजुर्ग को विश्वास में लेकर पति को समझाने हेतु बोलें।
*व्यवहारात्मक उपाय* - झगड़ा तुरन्त बन्द कर दें कोई फायदा नहीं है। प्रेमपूर्वक ऐसे रहें कि जैसे कुछ हुआ ही न हो। रोज रोज प्यार और आत्मीयता से समझाये और घर गृहस्थी अपनी बचाएं। क्रोध और घृणा का कोई फायदा नहीं है।
*आध्यात्मिक उपाय* - जीवन मे जीवनसाथी हमारे पूर्व जन्म के पाप पुण्य का फल होता है। अतः यदि जीवनसाथी से कष्ट मिल रहा है तो तप करके पूर्व जन्म के संचित प्रारब्ध को नष्ट करने की आवश्यकता है। सुखी जीवन हेतु पुण्यार्जन करना होगा।
श्रद्धा और विश्वास के साथ सवा लाख गायत्री मंत्र का जप अनुष्ठान करें, पतिदेव जिस तकिया में सोते हैं उसके ऊपर गायत्री मन्त्रलेखन की पुस्तिका रख कर लिखें। घर मे सुबह शाम बलिवैश्व यज्ञ करें। बलिवैश्व यज्ञ की एक चुटकी भष्म को पानी मे मिलाकर घर में सर्वत्र छिड़क दें। सभी बाथरूम की नालियों में एक चुटकी नमक डाल दें, और घर मे नमक चुटकी भर मिला कर पोछा मारे। अनुष्ठान के जप करते वक्त कलश के लोटे में दो दाना मिश्री का डालकर जप करें। सूर्य को वही कलश जल अर्घ्य दें, फिर थोड़ा जल बचा ले। उस बचे जल की कुछ बूंदे रोटी या चावल बनाते समय उपयोग में लेवेँ। मंन्त्र जपते हुए सकारात्मक विचार से भोजन बनाये। और बड़ी आत्मियता और प्यार से भोजन करवाएं।
रोज ध्यान में पति की आत्मा का आह्वाहन करें और शान्तिकुंजं ले जाएं। ध्यान में भावना करें कि गुरूदेव माता जी पति को और आपको सद्बुद्धि दे रहे है। भावना कीजिये कि आप दोनों को अच्छी घर गृहस्थी के लिए गुरुदेब माताजी आशीर्वाद दे रहे हैं।
पुस्तक
📖गृहस्थ एक तपोवन,
📖मित्रभाब बढ़ाने की कला,
📖गहना कर्मणोगति: और
📖दृष्टिकोण ठीक रखें जरूर पढ़िये।
निःश्वार्थ और श्रद्धायुक्त प्रेम से भगवान को भी वश में कर सकते हैं, तो वैसे भी पति तो एक इंसान ही है। निःश्वार्थ और श्रद्धायुक्त प्रेम से पति को वश में करना तो और भी ज्यादा आसान है।
बस सबसे पहले पति के कुकृत्य के लिए उनसे घृणा न करें। जैसे वायरल फ़ीवर होने पर मरीज़ से घृणा न करके उपचार किया जाता है। वैसे ही व्यभिचार रूपी मानसिक बीमारी होने पर दूसरी स्त्री को वायरस माने, और पति को रोगी माने, और मन्त्रशक्ति और यग्योपैथी से उपचार करने में जुट जाएं।
*गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय भारत के उत्तराखण्ड राज्य के हरिद्वार शहर में स्थित है। इसकी स्थापना सन् १९०२ में स्वामी श्रद्धानन्द ने की थी। स्वामी श्रद्धानन्द ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वो गलत संगत में पड़कर नशा करते थे और कोठे में जाया करते थे। लेकिन उनकी पत्नी के निःस्वार्थ श्रद्धायुक्त प्रेम ने उनके कुकर्मो के नरक से बाहर निकाल दिया। न सिर्फ़ व्यवहार में बदलाव लाया। बल्कि एक सच्चरित्र महापुरुष बना दिया। अगर स्वामी श्रद्धानन्द की पत्नी का त्याग और प्रेम न होता तो आज भारत को गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय कभी नहीं मिलता।*
यदि पत्नी व्यभिचारी हो तो पति को उपरोक्त उपाय अपनाना चाहिए। प्रारब्ध का शमन करना चाहिए।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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