Tuesday 23 October 2018

प्रेम तो जीवन देने वाला है, बहादुर बनाता है, प्राण देने की क्या आवश्यकता है? कायर बनकर आत्महत्या प्रेम के लिए क्यों?

*प्रेम तो जीवन देने वाला है, बहादुर बनाता है, प्राण  देने की क्या आवश्यकता है? कायर बनकर आत्महत्या प्रेम के लिए क्यों?*

बिजली विभाग में मेधावी युवक ने असिस्टेंट जूनियर इंजीनियर की सरकारी नौकरी पाया और आवास पाया। उस मेधावी युवक ने सब डिविजनल ऑफिसर बनने हेतु एग्जाम भी दिया और सफल भी हुआ।

पिता ने उसके लिए सपने संजोए, माता ने उसके लिए सपने संजोए। लेकिन किसी ने उसके ख़ुद के सपने के बारे में कभी सोचा ही नहीं। क्योंकि पिता ने बड़ी मुश्किलों से उसे पढ़ाया लिखाया था। माता ने उसके लिए कष्ट सहे थे। अब पुत्र से अपने हिसाब का सुख पाने की आकांक्षा रखते थे।

उस युवक को प्रेम हो गया। लड़की वाले भी अंतर्जातीय विवाह हेतु तैयार न हुए। मानसिक प्रेशर दोनों तरह बढ़ता गया। जो युवक ताउम्र पढ़ाई में फ़ेल नही हुआ। वो प्रेम में फ़ेल होना झेल नहीं सका। असफ़ल प्रेम के साथ जिंदगी जीना गंवारा नहीं समझा और आत्महत्या ट्रेन से कटकर लड़की और लड़के ने कर ली।

घर वालों को लड़के और लड़की की लाश भी पूरी नहीं मिली, टुकड़ों में ले गए बैग में भरकर....

ये क्यो हुआ? किसकी ग़लती थी? कौन जिम्मेदार है?

आज के युवक और युवतियां सफ़लता के लिए तो तैयारी करते हैं, असफ़लता को झेलने और उससे उबरने का उनके पास कोई प्लान नहीं होता। इसलिए आज लोग भूख से कम मर रहे है, आज ज़्यादातर मौतें विकृत चिंतन और कमज़ोर मनोबल के कारण हो रही हैं।

कहीं ऑनर कीलिंग जैसी घृणित प्रथा झूठी शान के लिए तो कहीं आत्महत्या स्वयं की इच्छाओं की पूर्ति न होने के कारण की जाती है। धैर्य तो कहीं है ही नहीं। क्या हो गया है समाज को...कोई समष्टिगत सोच दूसरों के लाभ की सोच नहीं रहा। सब केवल और केवल व्यक्तिगत स्वार्थप्रेरित होकर ही सन्तानोत्पत्ति, बालक का पालन पोषण और उनका निर्माण कर रहे हैं। जब माता-पिता ने ही परमार्थ जगत कल्याण और राष्ट्र सेवा नहीं सोचा तो उनकी स्वार्थप्रेरित भावना से जन्मी सन्तान भी भला उनके बारे में कैसे सोचती? वो भी भला केवल अपने बारे में क्यों नहीं सोचेगी?

माता-पिता और सन्तान के साथ साथ पूरे समाज को इस दिशा में गम्भीर सोच विचार करने की आवश्यकता है। भविष्य में होने वाली लाखों मौतों को रोकना सम्भव हो सकेगा, केवल सद्चिन्तन, लोककल्याण की भावना, भावसम्वेदना और आत्मीयता के विस्तार से....स्वयं विचार करें...

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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