Sunday 25 November 2018

प्रश्न - मुझे कोई ऐसा मंन्त्र प्रयोग बताइये जिसे हम आसानी से घर पर करके देख सकें

प्रश्न - *दी, कल आपने चमत्कार को परिभाषित करते हुए बताया था कि जो तकनीक, प्रोसेस और कार्य परिणाम हमारी बुद्धि को समझ नहीं आता उसे चमत्कार कहते है, वास्तव में चमत्कार जैसा कुछ नहीं होता। इसी संदर्भ आपने बताया था कि मंन्त्र भी एक विज्ञान है, इसकी तकनीक समझ के इसे उपयोग में लाया जा सकता है। मुझे कोई ऐसा मंन्त्र प्रयोग बताइये जिसे हम आसानी से घर पर करके देख सकें।*

उत्तर - आत्मीय बहन,

मंत्र, योग साधना का एक ऐसा शब्द और विज्ञान है कि उसका उच्चारण करते ही किसी चमत्कारिक शक्ति का बोध होता है, यह चमत्कार नहीं है अपितु इसका सीधा सम्बन्ध *ध्वनि विज्ञान* से है। आध्यात्मिक साइंटिस्ट और रिसर्चर प्राचीन काल के योगी, ऋषि और तत्वदर्शी महापुरुषों ने मंत्रबल से पृथ्वी, देव-लोक और ब्रह्माण्ड की अनन्त शक्तियों को नियंत्रण करने की शक्ति पाई थी। मंत्र शक्ति के उपयोग में वे इतने समर्थ थे कि इच्छानुसार किसी भी पदार्थ का हस्तान्तरण, शक्ति को पदार्थ और पदार्थ को शक्ति में बदल देते थे। शाप और वरदान मंत्र का ही प्रभाव माना जाता है। एक क्षण में किसी का रोग अच्छा कर देना, एक पल में करोड़ों मील दूर की बात जान लेना एक नक्षत्र से दूसरे नक्षत्र की जानकारी और शरीर की 72 हजार नाड़ियों के एक-एक जोड़ की जानकारी तक मंत्र और ध्वनि विज्ञान की ही शक्ति थी।

एक काम कीजिये, इस उपरोक्त विज्ञान को समझने के लिए गूगल पर दो Key word सर्च कीजिये :- Therapeutic ultrasound या ultrasonic sound therapy

आपको पता चलेगा, भारतीय लोग मंन्त्र की ध्वनि विज्ञान पर भरोसा करें या न करें लेकिन वैज्ञानिक पूरा भरोसा करते है, बस फर्क इतना है कि अब उन्हीं अल्ट्रा ध्वनियों को मशीनों द्वारा उतपन्न कर अल्ट्रासाउंड करके पेट मे पल रहे रोग जानना हो या ऑपेरशन करना हो या ट्रीट करने हेतु कोई थेरेपी करनी हो उपयोग में ले रहे हैं।

समस्त ब्रह्माण्ड ध्वनि का कम्पन मात्र है यह वैज्ञानिक स्वीकार चुके है, ध्वनि स्वयंमेव एक ऊर्जा है, और ऊर्जा का रूपांतरण सम्भव है, इसी पर आधार करके फ़ोन इत्यादि उपकरण चल रहे हैं।

हम मनुष्यों की बुद्धि थोड़ी है, ज्ञान का तो सागर है, जो जितनी गहराई में उतरेगा वो उतना ही जान पायेगा। कम पढ़ा लिखा व्यक्ति स्वयं को बुद्धिमान और सर्वज्ञाता समझता है और आइंस्टीन-न्यूटन जैसे महान वैज्ञानिक स्वयं को अल्पबुद्धि और ज्ञान के समुद्र की कुछ बूंद समझ सकने की योग्यता वाला समझते हैं।

*मंन्त्र विज्ञान प्रयोग पूर्व तैयारी*- लोहे को अग्नि में पिघलाकर से पतला चाकू बनता है, उसमें पुनः धार दी जाती है, तब जाकर वो फ़ल या सब्जी काटने योग्य बनता है।

अतः जीभ को अनुष्ठान, व्रत और तप से तपाकर वाक सिद्ध किया जाता है, पुनः निरन्तर जप और ध्यान द्वारा उसमें धार दी जाती है। तब जाकर उससे जपे मंन्त्र द्वारा अभीष्ट परिणाम प्राप्त किया जाता है।

तलवार, चाकू, आरी, सुई, ऑपेरेशन के लिए उपयुक्त औजार सबके मूल में लोहा है। कहीं लोहे के मूल रूप में उपयोग होता है और कहीं लोहे को प्रोसेस करके स्टील बना के फिर औजार बनता है। इसी तरह मंन्त्र विज्ञान में उपयोग तो जिह्वा का ही होगा मूल रूप में, लेकिन जैसा प्रयोग करना है उस स्तर का तप और अनुष्ठान करना पड़ेगा।

*मंन्त्र प्रयोग का डेमो* - एक काम करो किसी भी नवरात्र में पूर्ण श्रद्धा विश्वास के साथ 9 दिन का गायत्री मंत्र जप अनुष्ठान करो, नमक और चीनी मत खाना, फलाहार लेना और तलाभुना मत खाना, गाय के दूध से बने घी, मक्खन, दूध, छाछ का सेवन करना। गुड़ खा सकते हो, एक वक़्त यदि जरूरी हो तो सेंधा नमक ले लेना, केवल आधा पेट ही फलाहार भी करना। दिन में 30 माला गायत्री मंत्र का जप करना, अधिक समय मौन रहना बहुत जरूरी हो तो ही बोलना। उगते हुए सूर्य में माता गायत्री का ध्यान करना। 7 दिन में तुम्हारे जिह्वा के वाक में धार आ जायेगी। 8 वें दिन यह प्रयोग करें, घर में जिसका दिमाग़ अशांत रहता हो या क्रोधी स्वभाव का व्यक्ति हो, उस पर मंन्त्र शक्ति के प्रयोग से शांति करने हेतु तीन तरीक़े हैं:-

1- तांबा में रखा पानी अल्ट्रा साउंड जिसे हमारे कान नहीं सुन सकते उन मन्त्रों की वाईब्रेशन को मेमोरी कार्ड की तरह सुरक्षित रख लेता है। जब हम बिना उच्चारण किये होठ मात्र हिलाते हुए जप करते है तो मंन्त्र की अल्ट्रासाउंड निकलती है जो तांबे के लोटे में टकराती है उस टकराहट से पानी मे समान्तर कम्पन उतपन्न होता रहता है और स्टोर होता रहता है। अतः पूजा के बाद जल आधा सूर्य भगवान को चढ़ा दीजिये और नीचे वाला बचा आधा जल से कुछ बूंदें उस व्यक्ति पर छिड़क दीजिये और बाकी पिला दीजिये। उसे गुस्सा नहीं आएगा और मंन्त्र की तरंगें दिमाग़ शांत कर देंगी।

2- तुलसी की माला अच्छे से साफ पानी मे धो लें। फिर उसी माला से 29 माला जपने के बाद, अंतिम  एक माला अर्थात 30वीं उस जल में स्पर्श कराते हुए जपें। उस जल को अशांत दिमाग़ और क्रोधी व्यक्ति को पिला दें। वो मंन्त्र शक्ति से शांत हो जाएगा।

3- अपना हाथ अच्छे से डिटॉल इत्यादि लगा के साफ पानी से धो लें, नाखून कटे हुए और नेल पॉलिश नहीं लगी होनी चाहिए। अनुष्ठान के वक्त नाखून अच्छे से साफ धुले होने चाहिए। मंन्त्र जप से हमारे शरीर मे तीव्र सूक्ष्म वाईब्रेशन होती है, 29 माला जप लें, अंतिम माला के जप के वक्त अपना बायाँ हाथ के पांचों उंगलियां एक कटोरी जल में स्पर्श करा दें। उंगली के पोरों से आपके शरीर के अंदर की वाईब्रेशन जल में उतरेगी। वो जल क्रोधी या दिमाग़ से अशांत व्यक्ति को पिला दें। वो शांत और स्वयं को 12 घण्टे के लिए ध्यानावस्था में महसूस करेगा।

मन्त्रशक्ति को अच्छे से समझने के लिए युगऋषि द्वारा लिखित पुस्तक - *शब्द ब्रह्म नाद ब्रह्म* पढ़िये।

यदि कोई चिकित्सक स्वयं को साध कर जिह्वा को वाक शक्ति से भर ले, तो वो दवा में मंन्त्र जपकर हाथ के स्पर्श से मंन्त्र वाईब्रेशन मिला सकता है, रोगी को दोगुनी स्पीड से ठीक कर सकता है।

यग्योपैथी में भेषज यज्ञ में मंन्त्र शक्ति के द्वारा औषधि के कारण प्रभाव को जगाया जाता है, श्वांस द्वारा धूम्र में औषधि और मंन्त्र के अल्ट्रा साउंड वाईब्रेशन को रोगी के भीतर प्रवेश करवा के रोगोपचार किया जाता है।

आध्यात्मिक विधि से खेती में यग्योपैथी के उपयोग से मंन्त्र की वाईब्रेशन पौधों में प्रवेश करवा कर खेती की पैदावार और गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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