प्रश्न - *श्वेता जी आज मेरे घर में ख़र्चीली शादी को लेकर बहस हो गयी, मेरे जामाता का तर्क है कि इससे कई लोगों को खाना मिलता है और कई लोगों को रोज़गार मिलता है। इस पर अपने विचारों की रौशनी डालें...*
उत्तर- दहेज़ प्रथा और ख़र्चीली शादी, कन्या भ्रूण हत्या के लिए उत्तरदायी कारणों में प्रमुख है।
शरीर सबके अलग अलग है लेकिन जीवन सबका जुड़ा हुआ है, पड़ोसी के घर आग लगी तो आपके घर लगने में देर नहीं लगेगी। हवा में जहर छोड़ोगे अपने घर से लेकिन मरेंगे सब आसपास वाले...
पेड़ की अंधाधुंध कटाई और लकड़ी माफिया में भी लोगों को रोजगार मिलता है, लेकिन क्या यह सही है?
नशे और शराब व्यापार में भी कई लोगो को रोजगार मिलता है, तो क्या यह सही है?
हम सब सामाजिक प्राणी है, यदि हमारे कार्य के कारण समाज मे गलत परम्परा को बढ़ावा मिल रहा है, तो क्या यह सही है?
जब अमीर लोग बिन दहेज सादगी से शादी को बढ़ावा देंगे तो स्वतः उनकी नकल मध्यम वर्गीय और नीचे तबके के लोग करने लगेंगे। फ़िल्मो और टीवी सिरियल में भी बिन दहेज और बिना खर्च की शादी को दिखाया जाने लगेगा।
तब गरीब की लड़की हो या अमीर की लड़की दोनों के विवाह का खर्च ही न रहेगा। जब लड़की के विवाह में दहेज प्रथा और ख़र्चीली शादी का चलन खत्म हो जाएगा तो फिर कोई माता-पिता अपनी लड़की को गर्भ में मारने का पाप नहीं करेगा। क्योंकि लड़की जन्म से आर्थिक बोझ और दहेज जुटाने की परेशानी खत्म हो जाएगी।
युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी कहते है, कि यदि परिवर्तन समाज मे चाहते हो तो उस परिवर्तन का स्वयं हिस्सा बनो।
बच्चो के विवाह के बाद अपने बच्चों के नाम पर निम्नलिखित पुण्य कीजिये और बच्चो को भी आशीर्वाद मिलेगा।
गरीबों को भोजन और गरीबों को रोजगार देना चाहते हो तो मंदिरों में जाकर लंगर दे दो। झुग्गी झोपड़ी में कपड़े बांट दो, गरीब बच्चो को स्कूलों में जाकर कॉपी पुस्तक और पेन पेंसिल बांट दो। रोजगार भी लोगो को मिलेगा और जीवन भी मिलेगा।
जिन पेट भरे अमीर रिश्तेदारों को ख़र्चीली शादी में शानदार दावत देंगे, उनके पेट तो ऑलरेडी भरे है, उनके मुंह से कोई दुआ नहीं निकलती बल्कि चुगली और पीठ पीछे बुराई निकलेगी। भरे पेट में ज्यादा खाने से बदबूदार गैस निकलेगी।
पैसा आपका है लेकिन सम्पत्ति देश की होती है और अन्न भी देश का होता है। शादी व्याह में जो अन्न बर्बाद होता है उससे दुआ नहीं बल्कि अन्न की बद्दुआ मिलेगी। धरती माँ और किसानों का श्राप और बद्दुआ मिलता है, जब धरती को चीर कर निकाला अनाज और खून-पसीने से सींचा अनाज आप मात्र एक दिन के दिखावे के लिए नष्ट करते हो।
लड़की को हीरे जवाहरात से सजा कर गिफ्ट पैक की तरह मंडप पर बिठाने में आप उसका सबसे बड़ा अपमान करते है, क्योंकि एक समान के साथ दूसरा सामान तभी फ्री दिया जाता है जब उसमे कोई कमी हो, या बिक न रहा हो। लड़की को पढा लिखा कर कोहिनूर बनाना और वो जैसी है उसे ओरिजिनल रूप में ससम्मान के साथ विवाह करना ही पुत्री को सम्मान देना है।
आप के दिखावे से प्रेरित होकर लड़के के पिता दूसरी लड़की के पिता पर उतना ही खर्च करने और दिखावा करने का दबाव डालेगा। उस लड़की और उस के पिता की जो आह निकलेगी वो भी आपके कर्म अकाउंट में जुड़ेगी। फिर यदि कोई युवा जोड़ा यह निर्णय किया भाई इतना खर्च करने की हमारी तो औकात नहीं लड़की तो आर्थिक बोझ बनेगी। गर्भ में ही खत्म कर दो। तो उस गर्भ हत्या के लिए प्रेरित-प्रोवोक करने का भी पाप अकाउंट में जुड़ेगा। देश की हज़ारो की संपत्ति एक दिन में स्वाहा करेंगे उसका भी कर्मफ़ल आपके अकाउंट में जुड़ेगा।
जीवन सबका एक है, भगवान एक है, कर्मो की लिंक जुड़ी हुई है। अतः व्यर्थ का तर्क देकर ख़र्चीली शादी की वक़ालत करना बंद कर दीजिए।
बुद्धिजीवी वक़ील तो तर्क के आधार पर रेपिष्ट और मर्डरर को भी कोर्ट से बाइज्जत बरी करवा देता है, तो इससे वो अपराधी अपराधमुक्त नहीं हो जाता। भगवान की नज़र में निर्दोष नहीं हो जाता। अपराध करके कोर्ट और वकील को रोजगार देने से कोई पापमुक्त नहीं हो जाता।
विवाह एक पवित्र बंधन है । दो आत्माओं का मिलन है । इसके माध्यम से नर और नारी मिलकर एक परिपूर्ण व्यक्तित्व की, एक गृहस्थ संस्था की स्थापना करते हैं । किसी भी समाज में वर्जनाओं को बनाए रखने तथा नैतिक मूल्यों का आधार सुदृढ़ बनाने के लिए विवाह एक र्कत्तव्य बंधन के रूप में अनिवार्य माना जाता है । इसे ख़र्चीली शादी और दहेज जैसे उपक्रम जोड़कर बर्बाद न करें।
उम्मीद है गायत्री परिवार ख़र्चीली शादी और दहेज प्रथा का क्यों विरोध कर रहा है, आपको क्लियर हो गया होगा। आगे फारवर्ड यह मैसेज कर दें जिससे उन्हें भी क्लियर हो जाये।
🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
http://literature.awgp.org/book/vivahonmad_samasya_aur_samadhan/v1.1
पुस्तक - विवाहोन्मादः समस्या और समाधान
ज्यादा से ज्यादा विवाह में बांटे
उत्तर- दहेज़ प्रथा और ख़र्चीली शादी, कन्या भ्रूण हत्या के लिए उत्तरदायी कारणों में प्रमुख है।
शरीर सबके अलग अलग है लेकिन जीवन सबका जुड़ा हुआ है, पड़ोसी के घर आग लगी तो आपके घर लगने में देर नहीं लगेगी। हवा में जहर छोड़ोगे अपने घर से लेकिन मरेंगे सब आसपास वाले...
पेड़ की अंधाधुंध कटाई और लकड़ी माफिया में भी लोगों को रोजगार मिलता है, लेकिन क्या यह सही है?
नशे और शराब व्यापार में भी कई लोगो को रोजगार मिलता है, तो क्या यह सही है?
हम सब सामाजिक प्राणी है, यदि हमारे कार्य के कारण समाज मे गलत परम्परा को बढ़ावा मिल रहा है, तो क्या यह सही है?
जब अमीर लोग बिन दहेज सादगी से शादी को बढ़ावा देंगे तो स्वतः उनकी नकल मध्यम वर्गीय और नीचे तबके के लोग करने लगेंगे। फ़िल्मो और टीवी सिरियल में भी बिन दहेज और बिना खर्च की शादी को दिखाया जाने लगेगा।
तब गरीब की लड़की हो या अमीर की लड़की दोनों के विवाह का खर्च ही न रहेगा। जब लड़की के विवाह में दहेज प्रथा और ख़र्चीली शादी का चलन खत्म हो जाएगा तो फिर कोई माता-पिता अपनी लड़की को गर्भ में मारने का पाप नहीं करेगा। क्योंकि लड़की जन्म से आर्थिक बोझ और दहेज जुटाने की परेशानी खत्म हो जाएगी।
युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी कहते है, कि यदि परिवर्तन समाज मे चाहते हो तो उस परिवर्तन का स्वयं हिस्सा बनो।
बच्चो के विवाह के बाद अपने बच्चों के नाम पर निम्नलिखित पुण्य कीजिये और बच्चो को भी आशीर्वाद मिलेगा।
गरीबों को भोजन और गरीबों को रोजगार देना चाहते हो तो मंदिरों में जाकर लंगर दे दो। झुग्गी झोपड़ी में कपड़े बांट दो, गरीब बच्चो को स्कूलों में जाकर कॉपी पुस्तक और पेन पेंसिल बांट दो। रोजगार भी लोगो को मिलेगा और जीवन भी मिलेगा।
जिन पेट भरे अमीर रिश्तेदारों को ख़र्चीली शादी में शानदार दावत देंगे, उनके पेट तो ऑलरेडी भरे है, उनके मुंह से कोई दुआ नहीं निकलती बल्कि चुगली और पीठ पीछे बुराई निकलेगी। भरे पेट में ज्यादा खाने से बदबूदार गैस निकलेगी।
पैसा आपका है लेकिन सम्पत्ति देश की होती है और अन्न भी देश का होता है। शादी व्याह में जो अन्न बर्बाद होता है उससे दुआ नहीं बल्कि अन्न की बद्दुआ मिलेगी। धरती माँ और किसानों का श्राप और बद्दुआ मिलता है, जब धरती को चीर कर निकाला अनाज और खून-पसीने से सींचा अनाज आप मात्र एक दिन के दिखावे के लिए नष्ट करते हो।
लड़की को हीरे जवाहरात से सजा कर गिफ्ट पैक की तरह मंडप पर बिठाने में आप उसका सबसे बड़ा अपमान करते है, क्योंकि एक समान के साथ दूसरा सामान तभी फ्री दिया जाता है जब उसमे कोई कमी हो, या बिक न रहा हो। लड़की को पढा लिखा कर कोहिनूर बनाना और वो जैसी है उसे ओरिजिनल रूप में ससम्मान के साथ विवाह करना ही पुत्री को सम्मान देना है।
आप के दिखावे से प्रेरित होकर लड़के के पिता दूसरी लड़की के पिता पर उतना ही खर्च करने और दिखावा करने का दबाव डालेगा। उस लड़की और उस के पिता की जो आह निकलेगी वो भी आपके कर्म अकाउंट में जुड़ेगी। फिर यदि कोई युवा जोड़ा यह निर्णय किया भाई इतना खर्च करने की हमारी तो औकात नहीं लड़की तो आर्थिक बोझ बनेगी। गर्भ में ही खत्म कर दो। तो उस गर्भ हत्या के लिए प्रेरित-प्रोवोक करने का भी पाप अकाउंट में जुड़ेगा। देश की हज़ारो की संपत्ति एक दिन में स्वाहा करेंगे उसका भी कर्मफ़ल आपके अकाउंट में जुड़ेगा।
जीवन सबका एक है, भगवान एक है, कर्मो की लिंक जुड़ी हुई है। अतः व्यर्थ का तर्क देकर ख़र्चीली शादी की वक़ालत करना बंद कर दीजिए।
बुद्धिजीवी वक़ील तो तर्क के आधार पर रेपिष्ट और मर्डरर को भी कोर्ट से बाइज्जत बरी करवा देता है, तो इससे वो अपराधी अपराधमुक्त नहीं हो जाता। भगवान की नज़र में निर्दोष नहीं हो जाता। अपराध करके कोर्ट और वकील को रोजगार देने से कोई पापमुक्त नहीं हो जाता।
विवाह एक पवित्र बंधन है । दो आत्माओं का मिलन है । इसके माध्यम से नर और नारी मिलकर एक परिपूर्ण व्यक्तित्व की, एक गृहस्थ संस्था की स्थापना करते हैं । किसी भी समाज में वर्जनाओं को बनाए रखने तथा नैतिक मूल्यों का आधार सुदृढ़ बनाने के लिए विवाह एक र्कत्तव्य बंधन के रूप में अनिवार्य माना जाता है । इसे ख़र्चीली शादी और दहेज जैसे उपक्रम जोड़कर बर्बाद न करें।
उम्मीद है गायत्री परिवार ख़र्चीली शादी और दहेज प्रथा का क्यों विरोध कर रहा है, आपको क्लियर हो गया होगा। आगे फारवर्ड यह मैसेज कर दें जिससे उन्हें भी क्लियर हो जाये।
🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
http://literature.awgp.org/book/vivahonmad_samasya_aur_samadhan/v1.1
पुस्तक - विवाहोन्मादः समस्या और समाधान
ज्यादा से ज्यादा विवाह में बांटे
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