प्रश्न - *वेदोक्त, उपनिषदों और पुराणोक्त कथन में क्या अंतर है? कृपया अंतर बताने का कष्ट करें।*
उत्तर - आत्मीय भाई, वेद ईश्वरीय सन्देश है जो ब्रह्मा जी के मुख से निकला था। फिर इन संदेशों को तपशक्ति द्वारा ऋषियों ने अर्जित किया नैमिषारण्य और कुंभ जैसे आयोजनों में सुनाया गया। भोजपत्र में लिखा गया।
वेद केवल मृत्यु के बाद स्वर्ग का खोखला दावा नहीं करते, अपितु जीवित अवस्था में स्वर्गीय सुख शांति युक्त मनःस्थिति के प्राप्ति के भी समस्त आध्यात्मिक वैज्ञानिक सूत्रों को देते हैं।
उपनिषद इन्ही वेदों के ज्ञान को आसान व्याख्या और प्रश्नोत्तरी, छोटी कहानियों के माध्यम से समझाता है।
*हांजी वेद उपनिषद तो 100% प्रामाणिक हैं।*
लेकिन...क्या पुराण अक्षरशः सत्य है....??
पुराण समय समय पर बुद्धिजीवी ऋषियों के द्वारा लिखे गए, जो कल्पना पर आधारित थे। इन काल्पनिक कहानियों के माध्यम से वो गूढ़ बातों को आसानी से जन सामान्य को कंठस्थ करवा देते थे। कृष्ण भगवान की ढेरों मनगढ़ंत कहानियां, देवी देवताओं की काल्पनिक मनगढंत कहानियों से पुराण भरे पड़े हैं। किसी एक इष्ट पर श्रद्धा करके केवल उसका वाला कहानी का पुराण पढोगे तो कन्फ्यूज नहीं होंगे। लेकिन जैसे ही बुद्धि का प्रयोग किया और सभी देवताओं के पुराण पढ़े तो दिमाग चकरा जाएगा और कन्फ्यूज हो जाओगे। हद तो तब होगी जब गोरखपुर प्रेस अर्थात एक ही प्रेस से छपे पुराणों में विरोधाभास पढोगे।
अब जब तुम्हारी बुद्धि चकराई तो इसका फ़ायदा अधर्मी उठाएंगे, वो तरह तरह से तुम्हे बेवकूफ बनाके अपना उल्लू सीधा करेंगे।
*आओ समझते है तुम्हें सो कॉल्ड पढ़े लिखे लोगो को पुराणों के नाम से बुद्धू बनाने का आसान उपाय*:-
उदाहरण में - *पंचतंत्र की एक मनगढंत कहानी जो नैतिक शिक्षा समझाने के उद्देश्य से लिखी गयी थी उससे समझते हैं*, एक कौआ रोटी मुंह मे लेकर डाल पर बैठा, चतुर लोमड़ी ने उसकी झूठी सिंगिग कैपेसिटी और सुंदर आवाज की प्रशंसा की और कौवे ने मुंह खोला। रोटी गिरी लोमड़ी ख़ाकर भाग गई।
*मोरल ऑफ स्टोरी*- झूठी प्रशंशा में नहीं पड़ना चाहिए।
अब इसी सन्देश को पुराणों में कैसे लिखेंगे:- *भगवान शिव से माता पार्वती ने पूँछा, भगवन मनुष्य की विपत्ति का कारण क्या है। शिव मुस्कुराए और बोले हे देवी आपने जगत कल्याण के लिए अति उत्तम प्रश्न पूँछा है। ध्यान से सुनो*:-
एक बार एक ऋषि ने तप किया और अपनी तपस्या से अनेक सिद्धियां पाई। उसे अपने तप का अहंकार हो गया कि वह इंद्रियों को जीत चुका है, अप्सराएं भी उसकी तपस्या भंग न कर सकी। तब भगवान इंद्र ने लीला रची। एक अप्सरा को साधारण वस्त्रों में भोजन इत्यादि लेकर भेजा, झूठी प्रसंसा करने को बोला। वो अप्सरा आती रोज भोजन करवाती उस ऋषि की झूठी झूठी प्रसंशा करती। जिससे उस ऋषि का अहंकार पुष्ट होता। फिर वो स्त्री बोली अब आपको ज्यादा तप करने की क्या आवश्यकता आपके पास तो इतना तप का खजाना है जो कई जन्मों तक चलेगा, आप तो मुझे अपने चरणों मे जगह दें, आपके समान पुत्र प्राप्त करने की इच्छा है। उस लोमड़ी सी चतुर स्त्री की झूठी प्रसंशा के चक्कर मे पड़कर उसने उस स्त्री से विवाह किया, तप छोड़ दिया। धर्म भ्रष्ट ज्यो हुआ और तप का खजाना ख़ाली हुआ। अप्सरा उसे छोड़ के चली गयी। अब वो केवल पछतावे में सिर धुनता रहा।
*मोरल ऑफ स्टोरी* - झूठी प्रशंशा में नहीं पड़ना चाहिए।
अब पुराणों में एक ही मोरल/नैतिक शिक्षा/जीवन मूल्य को समझाने के लिए कभी शिव-पार्वती संवाद गढा गया तो कभी नारद - विष्णु संवाद।
अति बुद्धि वादी बाल की खाल निकालने वाले, बोलेंगे भाई कौवा और लोमड़ी का तो संवाद ही सम्भव नहीं। पंचतंत्र झूठा है। अति बुद्धिवादी कभी भी पोस्ट या कहानी पढ़कर मोरल नहीं समझेंगे। बाल की खाल निकालेंगे।
वीडियो कैमरा और इंटरनेट तो था नहीं कि शंकर पार्वती या नारद-विष्णु का संवाद ऋषि ने देखकर लिखा हो। उन ऋषि ने पुराण तो लोगो मे अध्यात्म और धर्म की स्थापना और मोरल समझाने के लिए लिखा था। जिस इष्ट को वो मानता था उसे उसने परब्रह्म घोषित किया और कहानी उसे केंद्रित करके लिख दिया। लक्ष्मी पुराण में ब्रह्माण्ड पॉवर शक्ति लक्ष्मी, विष्णु पुराण में भगवान विष्णु में ब्रह्माण्ड पॉवर शक्ति बताया गया, शिव पुराण में शिव ब्रह्माण्ड पॉवर धारण करते है और शक्ति पुराण में भवानी ब्रह्माण्ड शक्ति धारण करती है।कहानियां एक जैसी ही है, राक्षसों के नाम भी और घटनाएं भी लगभग मिलते जुलते है।
*अतः पुराण को अक्षरशः सत्य और प्रमाणिक मानने वाले भी गलती करेंगे, और पुराणों के महात्म्य को नकारने वाले भी ग़लती करेंगे।*
उत्तम यह होगा कि केवल वेद और उपनिषद को प्रमाणिक माने, और पुराणों से केवल मोरल वैल्यू उठाये। अन्यथा उलझने में कुछ भी हाथ न लगेगा, बाल की खाल तो कभी किसी को नहीं मिलती। कोर्ट जाओगे बड़े वकील को फीस दो तो एक वकील कौए को संगीतज्ञ सिद्ध कर देगा, फिर यदि उसी वकील को लोमड़ी हायर करेगी, तो वो लोमड़ी को महान सिद्ध कर देगा, पैसे के बल पर लोमड़ी के पक्ष में हज़ार गवाह मिल जाएंगे। जिसके पास उत्तम वकील उसका जीतना तय होगा। सत्य कुतर्क में गुम जाएगा। लोग मोरल भूल जाएंगे।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय भाई, वेद ईश्वरीय सन्देश है जो ब्रह्मा जी के मुख से निकला था। फिर इन संदेशों को तपशक्ति द्वारा ऋषियों ने अर्जित किया नैमिषारण्य और कुंभ जैसे आयोजनों में सुनाया गया। भोजपत्र में लिखा गया।
वेद केवल मृत्यु के बाद स्वर्ग का खोखला दावा नहीं करते, अपितु जीवित अवस्था में स्वर्गीय सुख शांति युक्त मनःस्थिति के प्राप्ति के भी समस्त आध्यात्मिक वैज्ञानिक सूत्रों को देते हैं।
उपनिषद इन्ही वेदों के ज्ञान को आसान व्याख्या और प्रश्नोत्तरी, छोटी कहानियों के माध्यम से समझाता है।
*हांजी वेद उपनिषद तो 100% प्रामाणिक हैं।*
लेकिन...क्या पुराण अक्षरशः सत्य है....??
पुराण समय समय पर बुद्धिजीवी ऋषियों के द्वारा लिखे गए, जो कल्पना पर आधारित थे। इन काल्पनिक कहानियों के माध्यम से वो गूढ़ बातों को आसानी से जन सामान्य को कंठस्थ करवा देते थे। कृष्ण भगवान की ढेरों मनगढ़ंत कहानियां, देवी देवताओं की काल्पनिक मनगढंत कहानियों से पुराण भरे पड़े हैं। किसी एक इष्ट पर श्रद्धा करके केवल उसका वाला कहानी का पुराण पढोगे तो कन्फ्यूज नहीं होंगे। लेकिन जैसे ही बुद्धि का प्रयोग किया और सभी देवताओं के पुराण पढ़े तो दिमाग चकरा जाएगा और कन्फ्यूज हो जाओगे। हद तो तब होगी जब गोरखपुर प्रेस अर्थात एक ही प्रेस से छपे पुराणों में विरोधाभास पढोगे।
अब जब तुम्हारी बुद्धि चकराई तो इसका फ़ायदा अधर्मी उठाएंगे, वो तरह तरह से तुम्हे बेवकूफ बनाके अपना उल्लू सीधा करेंगे।
*आओ समझते है तुम्हें सो कॉल्ड पढ़े लिखे लोगो को पुराणों के नाम से बुद्धू बनाने का आसान उपाय*:-
उदाहरण में - *पंचतंत्र की एक मनगढंत कहानी जो नैतिक शिक्षा समझाने के उद्देश्य से लिखी गयी थी उससे समझते हैं*, एक कौआ रोटी मुंह मे लेकर डाल पर बैठा, चतुर लोमड़ी ने उसकी झूठी सिंगिग कैपेसिटी और सुंदर आवाज की प्रशंसा की और कौवे ने मुंह खोला। रोटी गिरी लोमड़ी ख़ाकर भाग गई।
*मोरल ऑफ स्टोरी*- झूठी प्रशंशा में नहीं पड़ना चाहिए।
अब इसी सन्देश को पुराणों में कैसे लिखेंगे:- *भगवान शिव से माता पार्वती ने पूँछा, भगवन मनुष्य की विपत्ति का कारण क्या है। शिव मुस्कुराए और बोले हे देवी आपने जगत कल्याण के लिए अति उत्तम प्रश्न पूँछा है। ध्यान से सुनो*:-
एक बार एक ऋषि ने तप किया और अपनी तपस्या से अनेक सिद्धियां पाई। उसे अपने तप का अहंकार हो गया कि वह इंद्रियों को जीत चुका है, अप्सराएं भी उसकी तपस्या भंग न कर सकी। तब भगवान इंद्र ने लीला रची। एक अप्सरा को साधारण वस्त्रों में भोजन इत्यादि लेकर भेजा, झूठी प्रसंसा करने को बोला। वो अप्सरा आती रोज भोजन करवाती उस ऋषि की झूठी झूठी प्रसंशा करती। जिससे उस ऋषि का अहंकार पुष्ट होता। फिर वो स्त्री बोली अब आपको ज्यादा तप करने की क्या आवश्यकता आपके पास तो इतना तप का खजाना है जो कई जन्मों तक चलेगा, आप तो मुझे अपने चरणों मे जगह दें, आपके समान पुत्र प्राप्त करने की इच्छा है। उस लोमड़ी सी चतुर स्त्री की झूठी प्रसंशा के चक्कर मे पड़कर उसने उस स्त्री से विवाह किया, तप छोड़ दिया। धर्म भ्रष्ट ज्यो हुआ और तप का खजाना ख़ाली हुआ। अप्सरा उसे छोड़ के चली गयी। अब वो केवल पछतावे में सिर धुनता रहा।
*मोरल ऑफ स्टोरी* - झूठी प्रशंशा में नहीं पड़ना चाहिए।
अब पुराणों में एक ही मोरल/नैतिक शिक्षा/जीवन मूल्य को समझाने के लिए कभी शिव-पार्वती संवाद गढा गया तो कभी नारद - विष्णु संवाद।
अति बुद्धि वादी बाल की खाल निकालने वाले, बोलेंगे भाई कौवा और लोमड़ी का तो संवाद ही सम्भव नहीं। पंचतंत्र झूठा है। अति बुद्धिवादी कभी भी पोस्ट या कहानी पढ़कर मोरल नहीं समझेंगे। बाल की खाल निकालेंगे।
वीडियो कैमरा और इंटरनेट तो था नहीं कि शंकर पार्वती या नारद-विष्णु का संवाद ऋषि ने देखकर लिखा हो। उन ऋषि ने पुराण तो लोगो मे अध्यात्म और धर्म की स्थापना और मोरल समझाने के लिए लिखा था। जिस इष्ट को वो मानता था उसे उसने परब्रह्म घोषित किया और कहानी उसे केंद्रित करके लिख दिया। लक्ष्मी पुराण में ब्रह्माण्ड पॉवर शक्ति लक्ष्मी, विष्णु पुराण में भगवान विष्णु में ब्रह्माण्ड पॉवर शक्ति बताया गया, शिव पुराण में शिव ब्रह्माण्ड पॉवर धारण करते है और शक्ति पुराण में भवानी ब्रह्माण्ड शक्ति धारण करती है।कहानियां एक जैसी ही है, राक्षसों के नाम भी और घटनाएं भी लगभग मिलते जुलते है।
*अतः पुराण को अक्षरशः सत्य और प्रमाणिक मानने वाले भी गलती करेंगे, और पुराणों के महात्म्य को नकारने वाले भी ग़लती करेंगे।*
उत्तम यह होगा कि केवल वेद और उपनिषद को प्रमाणिक माने, और पुराणों से केवल मोरल वैल्यू उठाये। अन्यथा उलझने में कुछ भी हाथ न लगेगा, बाल की खाल तो कभी किसी को नहीं मिलती। कोर्ट जाओगे बड़े वकील को फीस दो तो एक वकील कौए को संगीतज्ञ सिद्ध कर देगा, फिर यदि उसी वकील को लोमड़ी हायर करेगी, तो वो लोमड़ी को महान सिद्ध कर देगा, पैसे के बल पर लोमड़ी के पक्ष में हज़ार गवाह मिल जाएंगे। जिसके पास उत्तम वकील उसका जीतना तय होगा। सत्य कुतर्क में गुम जाएगा। लोग मोरल भूल जाएंगे।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
No comments:
Post a Comment