प्रश्न - *दी, 50 वर्ष की उम्र हो गयी है, अब मुझे जीवनचर्या में ऐसे कौन से अनुभूत उपाय अपनाना चाहिए, जिससे बुढ़ापे का कष्ट मुझे कम से कम हो।*
उत्तर - आत्मीय भाई, सबसे पहले हम तीनों शरीर के तीनों आयाम की उम्र समझते हैं:-
1- *शारीरिक उम्र* - यह प्रकृति के नियमों के अनुसार वृद्ध होगी। लेकिन मानसिक ताकत से इसे सम्हाला जा सकता है। स्वास्थ्यकर भोजन, उचित विश्राम, और व्यायाम से शरीरबल बढ़ाया जा सकता है।
2- *मानसिक उम्र*- यदि जागरूकता(अवेयरनेस) जीवन मूल्यों के प्रति नहीं है, तो यह कभी भी बूढ़ी हो जाती है। यदि अवेयरनेस है, तो जीवनभर जवान, कुशाग्र, शांत, उल्लासपूर्ण, होशपूर्वक, और एक्टिव जोशीला रहा जा सकता है। उदाहरण स्वरूप एक शरीर से युवक को भी वृद्धों जैसी मानसिकता का देख सकते हो और एक वृद्ध शरीर में भी युवकों जैसा उल्लास उमंग जोश देख सकते हो। योग-प्राणायाम और स्वाध्याय से मनोबल बढ़ता है।
3- *आत्मिक उम्र-* निःश्वार्थ जनसेवा और भक्तिभाव से आत्मबल बढ़ाया जा सकता है। उपासना(आत्मकल्याण हेतु जप और ध्यान) और आराधना(लोककल्याण हेतु समयदान और अंशदान) दोनों यदि नियमितता से होते रहे तो आत्मा सदा प्रकाशित रहेगी।
*ध्यान रखें, आत्मा को उपासना-आराधना से प्रकाशित रखें, मन को साधना से उमंग उल्लास से भरें और शरीर को व्यायाम का अभ्यस्त करें, वृद्धावस्था के कष्टों को स्वयं से दूर रखें। आइये बुढ़ापे से बचने के लिए कुछ दिनचर्या को समझ लेते हैं:-*
1- सुबह उठते ही, स्वयं को शरीर से अलग आत्मा समझते हुए, अपने शरीर को देखें, बोले यह शरीर उठ गया है।
2- इस शरीर में जो भी अंग व्यवस्थित काम कर रहे हैं, उदाहरण आंख-कान-मुंह-दिमाग़-हाथ-पैर इत्यादि, उसके लिए ईश्वर को धन्यवाद दीजिये। शरीर को भी धन्यवाद दीजिये।
3- मन ही मन गायत्री मंत्र जपकर प्राणवान होने का भाव कीजिये और पृथिवी माता को प्रणाम करके उठ जाइये।
4- सुबह हल्के गर्म पानी में चूना लगभग दो सरसों के दाने के बराबर का मिला कर पी लीजिये। हड्डियाँ मजबूत होंगी।
5- मनुष्य हो या मशीन चलेगी तो ही बचेगी, अन्यथा जंग लग जायेगा। सुबह -शाम 2 से 3 किलोमीटर टहलिए।
6- चबाकर खाना भूख से आधा खाइये, खाने के बाद थोड़ा देशी गुड़ जरूर खाएं। आंतो को स्वास्थ्यलाभ मिलेगा, एनर्जी बनी रहेगी। यदि सम्भव हो तो जब दाहिना स्वर(सांस) चल रही हो तब भोजन करें, जल्दी पचेगा। अंकुरित भोजन आयु में वृद्धि करता है। फलों के जूस स्वास्थ्य बढ़ाते है।
7- भोजन में कम से कम दिन में एक बार आधा चम्मच देशी घी खायें, हड्डियों और मांसपेशियों के लिए अच्छा है।
8- पानी या पेय पदार्थ घूँट घूँट कर पीना जिससे वो सहज पचे।
9- सरसों के तेल को गर्म करके या मालिश के तेल से अपने हाथ-पैर-कमर सर्वत्र मालिश करें। सोते वक्त तलवे और नाभि में तेल लगाकर सोएं। सप्ताह में दो बार देशी गाय के घी की दो-दो बूंद नाक में डालें। जो हाथ वृद्धावस्था में कम्पकपाता है वो कभी आपको नहीं होगा, आपके दिमाग और हाथ का कंट्रोल बना रहेगा।
10- हाथ में कलावा बांधे एक रिमांडर की तौर पर, जब भी हाथ पर नज़र जाए गहरी श्वांस लें, लेते वक्त *सो* बोलें और छोड़ते वक्त *हम* बोलें, *सो$हम* साधना स्वांस से करें। मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद दें, फिर शरीर को धन्यवाद दें, मन को धन्यवाद दें। मैं अवेयर हूँ, मैं जागरूक हूँ, मैं प्राणवान हूँ।
11- योग-प्राणायाम-आसान नित्य करें
12- कम से कम आधे घण्टे का गायत्री जप उगते हुए सूर्य का ध्यान करते हुए जपें। आधे घण्टे बिना मोबाइल, बिना टीवी, बिना बोले जस्ट नेत्र बन्द करके बैठें अपने आती जाती श्वास पर ध्यान दें।
13- रोज कम से कम 30 मिनट स्वाध्याय अच्छी पुस्तकों का करें।
14- सोते वक़्त बाएं करवट सोएं, हृदय, पाचन और दिमाग के लिए अच्छा है।
15- यादों के खंडहर में न घूमें, निर्विचार होकर भगवान को धन्यवाद देकर उनकी शरण मे सो जाएं। प्रत्येक दिन को नया जन्म और प्रत्येक रात को एक मौत समझें। ऐसे जिये मानो केवल आज का ही दिन बेहतर जीना है।
16- अपने ज्यादा से ज्यादा कार्य स्वयं करें।
17- खुशियां बांटे, महीने या सप्ताह में एक बार नज़दीकी सरकारी स्कूल में प्राइमरी के बच्चो अच्छी अच्छी कहानी सुनाएं, कम्पटीशन करवाएं, चॉकलेट, रबर, पेंसिल और कॉपियां गिफ्ट में बांटे। उनके साथ खिलखिला कर हंसे।
18- जो बोवोगे वही काटोगे, जो दूसरों को दोगे वही प्रकृति से पाओगे। खुशियां बांटने निकलोगे तो खुशियां ही पाओगे। व्यस्त रहो, मस्त रहो।
19- किसी के लिए भी मन में गुस्सा मत रखो, सबको क्षमा कर दो। केवल हृदय में ईश्वर को रखो।
20- यदि ग़लती हो जाये तो माफ़ी मांग लो, सामने वाला माफ करेगा या नहीं इसकी परवाह मत करो।
युगऋषि के कुछ अनमोल साहित्य जरूर पढ़ें:-
1- भावसम्वेदना की गंगोत्री
2- दृष्टिकोण ठीक रखें
3- उनके जो पचास के हो चले
4- मित्रभाव बढ़ाने की कला
5- बुढ़ापे से टक्कर लें
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय भाई, सबसे पहले हम तीनों शरीर के तीनों आयाम की उम्र समझते हैं:-
1- *शारीरिक उम्र* - यह प्रकृति के नियमों के अनुसार वृद्ध होगी। लेकिन मानसिक ताकत से इसे सम्हाला जा सकता है। स्वास्थ्यकर भोजन, उचित विश्राम, और व्यायाम से शरीरबल बढ़ाया जा सकता है।
2- *मानसिक उम्र*- यदि जागरूकता(अवेयरनेस) जीवन मूल्यों के प्रति नहीं है, तो यह कभी भी बूढ़ी हो जाती है। यदि अवेयरनेस है, तो जीवनभर जवान, कुशाग्र, शांत, उल्लासपूर्ण, होशपूर्वक, और एक्टिव जोशीला रहा जा सकता है। उदाहरण स्वरूप एक शरीर से युवक को भी वृद्धों जैसी मानसिकता का देख सकते हो और एक वृद्ध शरीर में भी युवकों जैसा उल्लास उमंग जोश देख सकते हो। योग-प्राणायाम और स्वाध्याय से मनोबल बढ़ता है।
3- *आत्मिक उम्र-* निःश्वार्थ जनसेवा और भक्तिभाव से आत्मबल बढ़ाया जा सकता है। उपासना(आत्मकल्याण हेतु जप और ध्यान) और आराधना(लोककल्याण हेतु समयदान और अंशदान) दोनों यदि नियमितता से होते रहे तो आत्मा सदा प्रकाशित रहेगी।
*ध्यान रखें, आत्मा को उपासना-आराधना से प्रकाशित रखें, मन को साधना से उमंग उल्लास से भरें और शरीर को व्यायाम का अभ्यस्त करें, वृद्धावस्था के कष्टों को स्वयं से दूर रखें। आइये बुढ़ापे से बचने के लिए कुछ दिनचर्या को समझ लेते हैं:-*
1- सुबह उठते ही, स्वयं को शरीर से अलग आत्मा समझते हुए, अपने शरीर को देखें, बोले यह शरीर उठ गया है।
2- इस शरीर में जो भी अंग व्यवस्थित काम कर रहे हैं, उदाहरण आंख-कान-मुंह-दिमाग़-हाथ-पैर इत्यादि, उसके लिए ईश्वर को धन्यवाद दीजिये। शरीर को भी धन्यवाद दीजिये।
3- मन ही मन गायत्री मंत्र जपकर प्राणवान होने का भाव कीजिये और पृथिवी माता को प्रणाम करके उठ जाइये।
4- सुबह हल्के गर्म पानी में चूना लगभग दो सरसों के दाने के बराबर का मिला कर पी लीजिये। हड्डियाँ मजबूत होंगी।
5- मनुष्य हो या मशीन चलेगी तो ही बचेगी, अन्यथा जंग लग जायेगा। सुबह -शाम 2 से 3 किलोमीटर टहलिए।
6- चबाकर खाना भूख से आधा खाइये, खाने के बाद थोड़ा देशी गुड़ जरूर खाएं। आंतो को स्वास्थ्यलाभ मिलेगा, एनर्जी बनी रहेगी। यदि सम्भव हो तो जब दाहिना स्वर(सांस) चल रही हो तब भोजन करें, जल्दी पचेगा। अंकुरित भोजन आयु में वृद्धि करता है। फलों के जूस स्वास्थ्य बढ़ाते है।
7- भोजन में कम से कम दिन में एक बार आधा चम्मच देशी घी खायें, हड्डियों और मांसपेशियों के लिए अच्छा है।
8- पानी या पेय पदार्थ घूँट घूँट कर पीना जिससे वो सहज पचे।
9- सरसों के तेल को गर्म करके या मालिश के तेल से अपने हाथ-पैर-कमर सर्वत्र मालिश करें। सोते वक्त तलवे और नाभि में तेल लगाकर सोएं। सप्ताह में दो बार देशी गाय के घी की दो-दो बूंद नाक में डालें। जो हाथ वृद्धावस्था में कम्पकपाता है वो कभी आपको नहीं होगा, आपके दिमाग और हाथ का कंट्रोल बना रहेगा।
10- हाथ में कलावा बांधे एक रिमांडर की तौर पर, जब भी हाथ पर नज़र जाए गहरी श्वांस लें, लेते वक्त *सो* बोलें और छोड़ते वक्त *हम* बोलें, *सो$हम* साधना स्वांस से करें। मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद दें, फिर शरीर को धन्यवाद दें, मन को धन्यवाद दें। मैं अवेयर हूँ, मैं जागरूक हूँ, मैं प्राणवान हूँ।
11- योग-प्राणायाम-आसान नित्य करें
12- कम से कम आधे घण्टे का गायत्री जप उगते हुए सूर्य का ध्यान करते हुए जपें। आधे घण्टे बिना मोबाइल, बिना टीवी, बिना बोले जस्ट नेत्र बन्द करके बैठें अपने आती जाती श्वास पर ध्यान दें।
13- रोज कम से कम 30 मिनट स्वाध्याय अच्छी पुस्तकों का करें।
14- सोते वक़्त बाएं करवट सोएं, हृदय, पाचन और दिमाग के लिए अच्छा है।
15- यादों के खंडहर में न घूमें, निर्विचार होकर भगवान को धन्यवाद देकर उनकी शरण मे सो जाएं। प्रत्येक दिन को नया जन्म और प्रत्येक रात को एक मौत समझें। ऐसे जिये मानो केवल आज का ही दिन बेहतर जीना है।
16- अपने ज्यादा से ज्यादा कार्य स्वयं करें।
17- खुशियां बांटे, महीने या सप्ताह में एक बार नज़दीकी सरकारी स्कूल में प्राइमरी के बच्चो अच्छी अच्छी कहानी सुनाएं, कम्पटीशन करवाएं, चॉकलेट, रबर, पेंसिल और कॉपियां गिफ्ट में बांटे। उनके साथ खिलखिला कर हंसे।
18- जो बोवोगे वही काटोगे, जो दूसरों को दोगे वही प्रकृति से पाओगे। खुशियां बांटने निकलोगे तो खुशियां ही पाओगे। व्यस्त रहो, मस्त रहो।
19- किसी के लिए भी मन में गुस्सा मत रखो, सबको क्षमा कर दो। केवल हृदय में ईश्वर को रखो।
20- यदि ग़लती हो जाये तो माफ़ी मांग लो, सामने वाला माफ करेगा या नहीं इसकी परवाह मत करो।
युगऋषि के कुछ अनमोल साहित्य जरूर पढ़ें:-
1- भावसम्वेदना की गंगोत्री
2- दृष्टिकोण ठीक रखें
3- उनके जो पचास के हो चले
4- मित्रभाव बढ़ाने की कला
5- बुढ़ापे से टक्कर लें
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
No comments:
Post a Comment