Tuesday 25 December 2018

प्रश्न - *स्थूल शरीर में तेजस, सूक्ष्म शरीर में ओजस और कारण शरीर में वर्चस पाने का सिद्धांत क्या है?*

प्रश्न - *स्थूल शरीर में तेजस, सूक्ष्म शरीर में ओजस और कारण शरीर में वर्चस पाने का सिद्धांत क्या है?*

उत्तर - आत्मीय भाई, यह सृष्टि त्रिगुणात्मक है - *जिस प्रकार परमाणु(Atom) मुख्यता तीन मूल कणों इलेक्ट्रान , प्रोटोन व न्युट्रान से मिलकर बना होता है वैसे ही यह सृष्टि भी सत, रज, तम से बनी है। त्रिदेव - ब्रह्मा(निर्माण), विष्णु(सन्तुलन-पालन), शंकर(विध्वंस) इसी को इंगित करते है। इन तीनो कर बिना तो सृष्टि ही नहीं है।* परमात्मा त्रिगुणातीत अर्थात इन तीनों से परे है।

इस संसार में सभी प्रवृत्तियां या वस्तुएं अच्छी या बुरी कुछ नहीं है, वो केवल प्रवृत्तियां है या वस्तुएं है। उसे अच्छा या बुरा हम उपयोग से बनाते हैं।

उदाहरण - *आग(अग्नि)* - भोजन पकाना और नित्य दैनिक कर्म में प्रयोग करना आग का अच्छा प्रयोग है, लेकिन किसी को आग से जलाना या किसी का घर आग से जलाना या सामान में आग लगा देना बुरा प्रयोग है। इसी तरह काम क्रोध मद लोभ दम्भ इत्यादि प्रवृतियां केवल प्रवृत्तियां ही हैं, इनका प्रयोग कैसे और कहां हो रहा है इस पर सारा परिणाम निर्भर करता है।

स्थूल शरीर में तेजस, सूक्ष्म में ओजस, और कारण में वर्चस तब बढ़ता है जब स्थूल शरीर एक्टिव रहे, मन अवेयर और एक्टिव रहे और आत्म उत्थान के लिए अवेयर और सक्रीय रहे।  इन्हें घटाने या बढ़ाने के निम्नलिखित उपाय अपनाएं:-

👉🏼 *स्थूल शरीर का तेजस(स्वास्थ्य, एक्टिवनेस, अवेयरनेस) घटाने का उपाय*:-

सुबह से शाम तक टीवी या मोबाइल पर गेम खेलते और वीडियो देखते समय बिताएं और पशुओं की तरह गपागप खाएं। शरीर का तेजस घट जाएगा, शाम को शरीर आलस्य से भर जाएगा, मन भी बोझिल हो जाएगा।

👉🏼 *स्थूल शरीर का तेजस(स्वास्थ्य, एक्टिवनेस, अवेयरनेस) बढ़ाने का उपाय*:-

सुबह उठकर उषा पान करें, योग-प्राणायाम-व्यायाम किया, स्वास्थ्यकर खाये, दिन का व्यवस्थित उपयोग करे। शरीर के स्वास्थ्य और गतिविधि के प्रति अवेयर रहे, साक्षी भाव बनाये रखें। जो करे होशपूर्वक करें। स्थूल शरीर का तेजस बढ़ जाएगा। स्वयंमेव इसे शाम को महसूस कर सकेंगे।

👉🏼 *सूक्ष्म शरीर का ओजस(स्वास्थ्य, एक्टिवनेस, अवेयरनेस) घटाने का उपाय*:-
विकृत चिंतन करें, तनाव लें, जीवन की समस्याओं को गिने,  ऐसे साहित्य और टीवी इत्यादि देखें जो तनाव में वृद्धि करे या कुत्सित भावनाओ को भड़काए।दोषारोपण में व्यस्त रहें, मेरे साथ ही ऐसा क्यों घट रहा है? मैं ही क्यों फर्श पर गिरा, फर्श पर पानी न गिरा होता तो मैं न गिरता? पृथ्वी में गुरुत्वाकर्षण मुझे गिराने के लिए जिम्मेदार है। शरीर जहां हो वहां से मन दूर रखें। अर्थात भोजन कर रहे हो तो ऑफिस के बारे में सोचो, ऑफिस में हो तो घर के बारे में सोचो, पत्नी के साथ हो तो बॉस के साथ हुई झड़प सोचो, बॉस के साथ हो तो पत्नी के साथ हुई झड़प सोचो। जहां शरीर वहां से दूर तुम हो जाओ, घर पर ऑफिस और ऑफिस में घर सोचो। शरीर और मन की जितनी ज्यादा दूरी होगी , उतने ही उलझे हुए विचार होंगे, सूक्ष्म शरीर का ओजस उतना ही घटता जाएगा।

*सूक्ष्म शरीर का ओजस(स्वास्थ्य, एक्टिवनेस, अवेयरनेस) बढाने का उपाय*:-
सद्चिन्तन करें, जीवन का आनन्द लें, जीवन की समस्याओं का समाधान ढूंढे, आत्मशोधन में व्यस्त रहें। ऐसे साहित्य और टीवी इत्यादि देखें जो आनन्द में वृद्धि करे या अच्छी भावनाओ के साथ विवेक को जगाए। मेरे साथ जो घट रहा है उसके लिए केवल मैं जिम्मेदार हूँ, यदि फर्श पर मैं गिरा तो इसके लिए मेरी असावधानी जिम्मेदार है, फर्श पर गिरा पानी जिम्मेदार नहीं है और न मुझे गिराने में पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण जिम्मेदार है। शरीर जहां है वहीं  मन है। अर्थात भोजन कर रहे हो तो भोजन की टेबल पर मन है और पूरे होश से अवेयरनेस के साथ भोजन कर रहे हैं, ऑफिस में हैं तो ऑफिस के बारे में सोच रहे हैं और पूरी अवेयरनेस के साथ काम कर रहे हैं, पत्नी के साथ है तो केवल घर की सोच है, बॉस के साथ हैं तो केवल ऑफिस की सोच है। घर पर ऑफिस नहीं, और ऑफिस मे घर की सोच नहीं। जहां शरीर वहां ही मन। शरीर और मन की जितनी ज्यादा नजदीकी और सामंजस्य होगा, विचार सुलझे हुए होंगे,  उतना ही सूक्ष्म शरीर का ओजस बढ़ता जाएगा।

*कारण शरीर का वर्चस(स्वास्थ्य, एक्टिवनेस, अवेयरनेस) घटाने का उपाय*:-
स्वयं की चेतना के प्रति जागरूक मत रहो, केवल स्वयं को शरीर समझो। कभी ईश्वर के पास उपासना के लिये मत बैठो। जीवन के प्रति साक्षी भाव विकसित मत करो, बदहवास जियो। कभी भूलकर भी ध्यान मत करो, थाली की बैंगन की तरह कभी इधर कभी उधर लुढको। सोचो कि यह शरीर कभी नष्ट नहीं होगा, इसे ही सजाने, मेकअप करने, और इंद्रियसुख सुख में लिप्त रहो। सोचो कि तुम कोई भी गुनाह करो तुम्हें कोई नहीं देख रहा। लोकसेवा और आत्मियता विस्तार तो बिल्कुल मत करो। जहां स्वार्थ सधे बस वही करो। जिस वृक्ष की छाया में सुरक्षित हो उसी को काटो, प्रकृति का अंधाधुंध दोहन करो और लोगो को प्रताड़ित करो। स्वयंमेव कारण शरीर का वर्चस घट जाएगा और अंधेरे की ओर जीवन यात्रा चलने लगेगी।

*कारण शरीर का वर्चस(स्वास्थ्य, एक्टिवनेस, अवेयरनेस) बढाने/जगाने का उपाय*:-
स्वयं की चेतना के प्रति जागरूक रहो, केवल स्वयं को परमात्मा का अंश जानो और इस शरीर को आत्मा का वस्त्र मानो। संसार नश्वर है आत्मा शाश्वत है। नित्य ईश्वर के पास उपासना के लिये बैठो, ध्यान द्वारा परमात्म चेतना से जुड़ो। जीवन के प्रति साक्षी भाव विकसित करो। कभी भूलकर भी ध्यान भटकने मत दो, प्रत्येक पल होश में रहो, जीवन के रंगमंच पर तुम अभिनय कर रहे हो और ईश्वरीय कैमरे रिकॉर्ड कर रहे हैं, ईश्वर सब देख रहा है। लोकसेवा और आत्मियता विस्तार करो। कण कण में परमात्मा है इसे मानते हुए प्रकृति के कण कण से प्रेम करो।जिस वृक्ष की छाया में सुरक्षित हो उसी को पोषित करो, प्रकृति का संरक्षण करो और लोगो में खुशियां बाँटो। स्वयंमेव कारण शरीर का वर्चस बढ़ जाएगा और प्रकाश की ओर जीवन यात्रा बढ़ने लगेगी। आत्मा प्रकाशित होने लगेगी।

🙏🏻 *केवल तम में रमे तो सांसारिक और नर्क में जाओगे, तम और रज में सन्तुलन किये तो साधु बनोगे और स्वर्ग जाओगे और सत-रज-तम में सन्तुलन किये तो सन्त बन जाओगे और बैकुंठ जाओगे। जब इन तीनों से परे चले जाओगे तो मोक्ष मिल जाएगा - प्रकाश फिर प्रकाश में मिल जाएगा। फिर नर नारायण एक हो जाएंगे। बीज मिट जाएगा और वृक्ष बन जायेगा।*

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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