Monday, 17 December 2018

जेलों में गायत्री मन्त्रलेखन अभियान*

*जेलों में गायत्री मन्त्रलेखन अभियान*

जब व्यक्ति अपराध करता है तो 50% केस में वो अपने क्रोध को नियंत्रण में न रख पाने के कारण होता है या नशे में वो अपने ऊपर नियंत्रण खो देता है।  वो क्रोध में न होकर, नशे में न होकर यदि शांत स्थिर मनोदशा में होता तो शायद वो अपराध करता ही नहीं।

40% केस में अपराध इंसान किसी न किसी मजबूरी में आकर करता है, अभावग्रस्त मजबूरी उसे अपराधी बना देती है।

केवल 10% अपराधी ही जानबूझकर प्लान करके होश में अपराध करते हैं।

इन 90% लोगों को गायत्री जप ध्यान और मन्त्र लेखन साधना, सत्साहित्य के स्वाध्याय और प्रायश्चित विधान से उबारा जा सकता है। इनकी मनोदशा का इलाज कर इन्हें समाज की मुख्य धारा में जोड़ा जा सकता है।

दण्ड व्यवस्था में यदि अपराधी को पश्चाताप न हुआ और अपराधमुक्त होने की भावना न पनपी तो अपराधी को जेल भेजना अधूरी व्यवस्था ही रहेगी। जब अपराधी के व्यवहार और स्वभाव में, मनोदशा में सकारात्मक परिवर्तन हो तभी जेलों में अपराधी लाने का कार्य पूर्ण होगा।

जेल एक प्रकार का हॉस्पिटल है, जैसे हॉस्पिटल में रोगों का इलाज होता है वैसे ही जेलों में अपराध का इलाज होता है। हॉस्पिटल से निकला व्यक्ति समाज की मुख्य धारा में जुड़ता है वैसे ही जेलों से निकलकर अपराधी अपराध भाव से मुक्त हो समाज की मुख्यधारा में जुड़े।

इस दशा में बेहतरीन प्रयास और इस प्रोजेक्ट को लीड गायत्री परिवार की समर्पित कार्यकर्ता विनीता खण्डेलवाल जी, मध्यप्रदेश ने किया है। ढाई लाख मन्त्रलेखन विभिन्न जेलों में करवाया। इसी तरह के अनेकों प्रयास देश के विभिन्न प्रांतों और जिलों में गायत्री परिवार के परिजन निःस्वार्थ भाव से कर रहे हैं। जेलों से बहुत अच्छा रिस्पॉन्स सर्वत्र मिल रहे है, उनके व्यवहार में परिवर्तन सहज ही देखा जा सकता है।

गायत्री परिवार आप सभी का आह्वान करता है कि अपराध भाव चिकित्सा के महत पूण्य कार्य मे अपना सहयोग दें। और अपराधियों की मनःस्थिति सुधारने में साथ मिलकर प्रयास करें।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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