प्रश्न - *क्या हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा है?*
उत्तर - हिंदी हमारी मातृ भाषा है, मुझे अत्यंत गर्व हुआ जब हमने इसकी वैज्ञानिकता को समझा। प्राचीन ऋषियों ने मानवीय शरीर की संरचना और ध्वनि विज्ञान की गहरी समझ के आधार पर संस्कृत भाषा बनाई। उसी संस्कृत भाषा से हिंदी की देवनागरी लिपि बनी। इसमें भी मानवीय शारीरिक संरचना, मुंह के ध्वनि उतपन्न करने वाले केंद्र और ध्वनि विज्ञान की गहरी समझ और उसका दिमाग़ और शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान रखा गया है।
हिन्दी एक वैज्ञानिक भाषा है। वैज्ञानिक होने के कारण ही यह बाचन एवं लेखन की दृष्टिï से एक क्रमबद्ध भाषा भी है। यह जिस क्रम से बोली जाती है उसी क्रम से लिखी भी जाती है तथा उसका अर्थ या ध्वन्यार्थ भी क्रमबद्ध ही होता है। अँग्रेजी में कर्ता + क्रिया + कर्म का क्रम रहता है जबकि हिन्दी में कर्ता + कर्म + क्रिया का क्रम रहता है जो कि बोलने के क्रम के अनुरूप ही होता है।
हिन्दी में एक शब्द से अर्थ निकालने की तीन शब्द शक्तियां-अभिधा, लक्षणा एवं व्यञ्जना प्रतिपादित हैं जो शब्द के अर्थ में विस्तार, मर्म एवं रस भरती हैं।
हिन्दी की वर्णमाला के उच्चारण मनुष्य की शरीर रचना पर आधारित हैं। अर्थात् शब्द के उच्चारण में ओठ, जिह्वा, दाँत, तालू, मूर्धा पर ध्वनि का भिन्न-भिन्न अवस्था में स्पर्श होता है। उच्चारण से प्राणवायु का संचार भी प्रभावित होता है। इतना ही नहीं वक्ता व श्रोता का संकल्प अर्थात् विचार शक्ति भी उच्चारण की गति व परिणाम को प्रभावित करती है। शरीर के अवयव, प्राणवायु एवं संकल्प तीनों के मेल से शब्द में जो समेकित शक्ति निष्पादित होती है वह ही मंत्र शक्ति को निष्पन्न करती है। हिन्दी के स्वर और व्यञ्जन भी अँग्रेजी की तुलना में बहुत व्यापक हैं। हिन्दी में बारह स्वर हैं जो लृ, लृ, ऋ, ऋ सहित सोलह होते हैं। राजभाषा हिन्दी के लिये संयोजित वर्णमाला में 'ऋÓ सहित तेरह स्वर शामिल किये गये हैं। इनके अतिरिक्त 'कÓ से लेकर 'ज्ञÓ तक 36 व्यञ्जन हैं। इस प्रकार हिन्दी वर्णमाला में मूलत: 16+36=52 स्वर-व्यञ्जनों का व्यापक एवं तर्क संगत अक्षर विधान है।
हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा इसलिये भी है और कोई भी अक्षर वैसा क्यूँ है उसके पीछे कुछ कारण है अंग्रेजी भाषा में ये बात देखने में नहीं आती |
*क, ख, ग, घ, ङ- कंठव्य कहे गए*,
क्योंकि इनके उच्चारण के समय ध्वनि कंठ से निकलती है | एक बार बोल कर देखिये |
*च, छ, ज, झ,ञ- तालव्य कहे गए,*
क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ तालू से लगती है | एक बार बोल कर देखिये |
*ट, ठ, ड, ढ , ण- मूर्धन्य कहे गए,*
क्योंकि इनका उच्चारण जीभ के मूर्धा से लगने पर ही सम्भव है | एक बार बोल कर देखिये |
*त, थ, द, ध, न- दंतीय कहे गए,*
क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ दांतों से लगती है | एक बार बोल कर देखिये |
*प, फ, ब, भ, म,- ओष्ठ्य कहे गए,*
क्योंकि इनका उच्चारण ओठों के मिलने पर ही होता है | एक बार बोल कर देखिये |
*प, फ, ब, भ, म,- ओष्ठ्य कहे गए,*
क्योंकि इनका उच्चारण ओठों के मिलने पर ही होता है। एक बार बोल कर देखिये ।
*य, र, ल, व, अन्तस्थ कहलाते हैं* क्योंकि इनके उच्चारण के समय ध्वनि अंदर से निकलती है । बोलकर देखिये ।
*श, ष, स, ह, ऊष्म कहलाते हैं* क्योंकि इनके उच्चारण करते समय अंदर से गर्म गर्म ऊष्मा निकलती है । बोलते समय मुंह के आगे हथेली का पिछला हिस्सा लगाकर महसूस कीजिए ।
इसके अलावा भी हिन्दी जैसी लिखी जाती है वैसी ही छपाई में प्रयुक्त होती है । इसके विपरित अंग्रेजी भाषा के
अक्षर चार प्रकार के हैं । छपाई के बङे और छोटे । लिखाई के बङे और छोटे ।
*हिंदी भाषा में जितनी ध्वनियां होती हैं उतने अक्षर हैं* अंग्रेजी में ख के KH, घ के लिए GH तथा ठ के लिए TH और द के लिए भी TH प्रयोग करने से गङबङ होती है । अंग्रेजी में GH से फ का भी ध्वनि बनती हे जैसे ENOUGH, ROUGH, COUGH, LAUGH, TOUGH, के उच्चारण एनफ रफ कफ लाॅफ टफ आदि है ।
GH का उच्चारण भी गायब है । ALTHOUGH, THOUGH, THROUGH का उच्चारण आलदो दो थ्रू हैं ।
हम अपनी भाषा पर गर्व करते हैं ये सही है परन्तु लोगो को इसका कारण भी बताईये इतनी वैज्ञानिकता दुनिया की किसी भाषा मे नही है | कुछ विचारकों का मत:-
(१) हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी, उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि दे सकती है।
— *आचार्य विनोबा भावे*
(२) देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है।
— *सर विलियम जोन्स*
(३) मानव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है।
— *जान क्राइस्ट*
हिंदी भाषा को पढ़ने और लिखने में दिमाग़ के दोनों भागों का प्रयोग होता है, अतः यह भाषा बुद्धि विकास में भी उपयोगी है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - हिंदी हमारी मातृ भाषा है, मुझे अत्यंत गर्व हुआ जब हमने इसकी वैज्ञानिकता को समझा। प्राचीन ऋषियों ने मानवीय शरीर की संरचना और ध्वनि विज्ञान की गहरी समझ के आधार पर संस्कृत भाषा बनाई। उसी संस्कृत भाषा से हिंदी की देवनागरी लिपि बनी। इसमें भी मानवीय शारीरिक संरचना, मुंह के ध्वनि उतपन्न करने वाले केंद्र और ध्वनि विज्ञान की गहरी समझ और उसका दिमाग़ और शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान रखा गया है।
हिन्दी एक वैज्ञानिक भाषा है। वैज्ञानिक होने के कारण ही यह बाचन एवं लेखन की दृष्टिï से एक क्रमबद्ध भाषा भी है। यह जिस क्रम से बोली जाती है उसी क्रम से लिखी भी जाती है तथा उसका अर्थ या ध्वन्यार्थ भी क्रमबद्ध ही होता है। अँग्रेजी में कर्ता + क्रिया + कर्म का क्रम रहता है जबकि हिन्दी में कर्ता + कर्म + क्रिया का क्रम रहता है जो कि बोलने के क्रम के अनुरूप ही होता है।
हिन्दी में एक शब्द से अर्थ निकालने की तीन शब्द शक्तियां-अभिधा, लक्षणा एवं व्यञ्जना प्रतिपादित हैं जो शब्द के अर्थ में विस्तार, मर्म एवं रस भरती हैं।
हिन्दी की वर्णमाला के उच्चारण मनुष्य की शरीर रचना पर आधारित हैं। अर्थात् शब्द के उच्चारण में ओठ, जिह्वा, दाँत, तालू, मूर्धा पर ध्वनि का भिन्न-भिन्न अवस्था में स्पर्श होता है। उच्चारण से प्राणवायु का संचार भी प्रभावित होता है। इतना ही नहीं वक्ता व श्रोता का संकल्प अर्थात् विचार शक्ति भी उच्चारण की गति व परिणाम को प्रभावित करती है। शरीर के अवयव, प्राणवायु एवं संकल्प तीनों के मेल से शब्द में जो समेकित शक्ति निष्पादित होती है वह ही मंत्र शक्ति को निष्पन्न करती है। हिन्दी के स्वर और व्यञ्जन भी अँग्रेजी की तुलना में बहुत व्यापक हैं। हिन्दी में बारह स्वर हैं जो लृ, लृ, ऋ, ऋ सहित सोलह होते हैं। राजभाषा हिन्दी के लिये संयोजित वर्णमाला में 'ऋÓ सहित तेरह स्वर शामिल किये गये हैं। इनके अतिरिक्त 'कÓ से लेकर 'ज्ञÓ तक 36 व्यञ्जन हैं। इस प्रकार हिन्दी वर्णमाला में मूलत: 16+36=52 स्वर-व्यञ्जनों का व्यापक एवं तर्क संगत अक्षर विधान है।
हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा इसलिये भी है और कोई भी अक्षर वैसा क्यूँ है उसके पीछे कुछ कारण है अंग्रेजी भाषा में ये बात देखने में नहीं आती |
*क, ख, ग, घ, ङ- कंठव्य कहे गए*,
क्योंकि इनके उच्चारण के समय ध्वनि कंठ से निकलती है | एक बार बोल कर देखिये |
*च, छ, ज, झ,ञ- तालव्य कहे गए,*
क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ तालू से लगती है | एक बार बोल कर देखिये |
*ट, ठ, ड, ढ , ण- मूर्धन्य कहे गए,*
क्योंकि इनका उच्चारण जीभ के मूर्धा से लगने पर ही सम्भव है | एक बार बोल कर देखिये |
*त, थ, द, ध, न- दंतीय कहे गए,*
क्योंकि इनके उच्चारण के समय जीभ दांतों से लगती है | एक बार बोल कर देखिये |
*प, फ, ब, भ, म,- ओष्ठ्य कहे गए,*
क्योंकि इनका उच्चारण ओठों के मिलने पर ही होता है | एक बार बोल कर देखिये |
*प, फ, ब, भ, म,- ओष्ठ्य कहे गए,*
क्योंकि इनका उच्चारण ओठों के मिलने पर ही होता है। एक बार बोल कर देखिये ।
*य, र, ल, व, अन्तस्थ कहलाते हैं* क्योंकि इनके उच्चारण के समय ध्वनि अंदर से निकलती है । बोलकर देखिये ।
*श, ष, स, ह, ऊष्म कहलाते हैं* क्योंकि इनके उच्चारण करते समय अंदर से गर्म गर्म ऊष्मा निकलती है । बोलते समय मुंह के आगे हथेली का पिछला हिस्सा लगाकर महसूस कीजिए ।
इसके अलावा भी हिन्दी जैसी लिखी जाती है वैसी ही छपाई में प्रयुक्त होती है । इसके विपरित अंग्रेजी भाषा के
अक्षर चार प्रकार के हैं । छपाई के बङे और छोटे । लिखाई के बङे और छोटे ।
*हिंदी भाषा में जितनी ध्वनियां होती हैं उतने अक्षर हैं* अंग्रेजी में ख के KH, घ के लिए GH तथा ठ के लिए TH और द के लिए भी TH प्रयोग करने से गङबङ होती है । अंग्रेजी में GH से फ का भी ध्वनि बनती हे जैसे ENOUGH, ROUGH, COUGH, LAUGH, TOUGH, के उच्चारण एनफ रफ कफ लाॅफ टफ आदि है ।
GH का उच्चारण भी गायब है । ALTHOUGH, THOUGH, THROUGH का उच्चारण आलदो दो थ्रू हैं ।
हम अपनी भाषा पर गर्व करते हैं ये सही है परन्तु लोगो को इसका कारण भी बताईये इतनी वैज्ञानिकता दुनिया की किसी भाषा मे नही है | कुछ विचारकों का मत:-
(१) हिन्दुस्तान की एकता के लिये हिन्दी भाषा जितना काम देगी, उससे बहुत अधिक काम देवनागरी लिपि दे सकती है।
— *आचार्य विनोबा भावे*
(२) देवनागरी किसी भी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित लिपि है।
— *सर विलियम जोन्स*
(३) मानव मस्तिष्क से निकली हुई वर्णमालाओं में नागरी सबसे अधिक पूर्ण वर्णमाला है।
— *जान क्राइस्ट*
हिंदी भाषा को पढ़ने और लिखने में दिमाग़ के दोनों भागों का प्रयोग होता है, अतः यह भाषा बुद्धि विकास में भी उपयोगी है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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