प्रश्न - *मैं गरीब घर से हूँ, शादी से पहले प्राइवेट स्कूल में टीचर थी।मेरे पिता के दोस्त अमीर थे, उनके बेटे से मेरी शादी हुई है। सास जी और अन्य घरवालों को यह रिश्ता स्वीकार्य नहीं था। मेरी सास और अन्य घरवाले मुझे सुबह से शाम तक गरीबी और दहेज न मिलने के ताने मारते हैं। कभी मारा पीटा तो नहीं लेकिन खाने की थाली गिराना, अभद्र शब्द बोलना और जोर से चिल्लाना आम बात है। भोजन बनाओ तो उसमें कोई न कोई बुराई उन्हें दिख जाती है। जुड़वा बच्चियां हुई तो मुझे भोजन तक के लिए सासु माँ ने तरसा दिया, सूखे ब्रेड दूध ख़ाकर काम चलाया। मेरे पति सीधे स्वभाव के हैं, न मुझे कुछ कहते है न ही परिवार वालों का विरोध करते है, संयुक्त परिवार में रहती हूँ। मेरी शादी को 7 साल हो गए और तानों को बौछार में कुछ नहीं बदला। क्या करूँ, कभी कभी लगता है घर छोड़कर भाग जाऊँ, या आत्महत्या कर लूं, बहुत दुःखी हूँ। मार्गदर्शन करो...*
उत्तर - आत्मीय बहन,
घर खुला छोड़ोगे तो कुत्ता मलाई खायेगा, इसका यह अर्थ नहीं हुआ कि कुत्ता ताकतवर और बुद्धिमान है। इसका यह अर्थ हुआ कि घर का मालिक मूर्ख और लापरवाह है।बैंक में चोरी हुई तो दोष चोर का नहीं बैंक का है, उसकी सिक्योरिटी में चूक हुई। चोर के कामों को सोचने में व्यस्त रहने से अच्छा है कि सिक्योरिटी पर ध्यान देना।
बहन, कभी मक्खी को देखा है, पूरे शरीर मे वहीं बैठती है जहां घाव होगा। मक्खी से निपटने के लिए तुम क्या करोगी, मक्खी को उड़ाने और उसे दोषारोपण में व्यस्त रहोगी, या अपने घाव ठीक करने में जुटोगी, उस पर दवा लगाओगी। मक्खी स्वतः भाग जाएगी।
तुम्हारी सास और अन्य परिवार वाले जो ताने मारते है, वो मक्खी है वो तुम पर इसलिए ताने के डंक मार रहे है क्योंकि तुम मन से गरीब होने का भाव(घाव) लगाए बैठी हो। तुम्हारे सास और अन्य घर वाले इसलिए तुम्हे परेशान करने में समर्थ है क्योंकि तुम मन के दरवाज़े को बंद करने में असमर्थ हो, इसलिए तुम्हारे शांति-सुकून की मलाई वो खा जाते हैं।
अतः सुधार की आवश्यकता तुम्हें है, बैंक की तरह सिक्योरिटी मन की बढ़ाओ, मन के गरीबी वाले भाव बदल दो, मन के दरवाज़े उन सबके लिए बन्द कर दो जो रोज सुकून-शांति की मलाई खा जाते हैं।
सपेरा सांप को देखकर टेंशन नहीं लेता, सर्कस के उस्ताद शेर को देखकर टेंशन नहीं लेते, इलेक्ट्रिशियन बिजली के तारों से काम करते वक्त टेंशन नहीं लेता, कुशल ड्राइवर गाड़ी को देख के टेंशन नहीं लेता। गृहणी को गैस की आग से डर नहीं लगता। क्योंकि इन सबको अपने अपने काम को करने में दक्षता है। इसी तरह वो बहु कभी दुःखी नहीं होती तो इलेक्ट्रिशियन की तरह सास के विद्युतीय स्वभाव से दिमाग़ के बल्ब जलाती है न कि दुःख का करेंट खा कर आहत होती है। सपेरे की जिस तरह सर्प के स्वभाव को समझते है, उसी तरह सास के स्वभाव को समझ के अपना काम चला लेती है। मन की गाड़ी चलाते वक्त गड्ढों को हैंडल करना सीखना पड़ेगा। कुशल गृहणी आग पर ही खाना बनाती है, कुशल बहु अग्निवत सास पर ही सुखी गृहस्थी के भाव पकाती है और टेस्ट एन्जॉय करती है।
1- रोज सुबह उठ के बोलो, मैं एक आत्मा हूँ और उस सर्वसमर्थ परमात्मा का अंश हूँ जिसने यह सृष्टि बनाई है। हे परमात्मा आपने मुझे सुंदर स्वस्थ शरीर दिया इसके लिए धन्यवाद, एक अच्छे हृदय का पति दिया उसके लिए धन्यवाद, दो प्यारी बच्चियां दिया उसके लिए धन्यवाद, इस जीवन के लिए धन्यवाद।
2- ग़रीब अमीर की परिभाषा तुम्हारे और सास जी के मन की उपज है, जिस तरह तुम तुम्हारा मायका छोड़ कर तुम ससुराल आई हो वैसे ही तो सास जी भी आई है, जितना हक सम्पत्ति पर उनका है उतना ही तुम्हारा है। तो जब सास अमीर हुई तो तुम भी तो अमीर हुई, फिर जब तुम दोनों ही समान हो तो तुम्हारे मन में गरीबी का भाव(घाव) क्यों? यदि तुम गरीब हो तो सास भी गरीब हुई, यदि सास अमीर है तो तुम भी अमीर हुई। अब तुम दोनों समान हो। अतः विवाह से पूर्व के अस्तित्व को भूलकर वर्तमान में जियो, तुम इतनी पढ़ी लिखी हो जब चाहो तब पुनः कमा सकती हो। एक ही सरनेम की दो स्त्रियां, एक जैसी सम्पत्ति का उपभोग करने वाली, सास और बहू में एक अमीर और दूसरा गरीब कैसे हो सकता है?😊
3- दहेज का यदि पुनः ताना मारे, तो केवल उन्हें देख के मुस्कुरा देना। इंसान ताना दूसरे को दुःखी करने के लिए मारता है, जिस तरह कुत्ता लोगो को भयग्रस्त करने के लिए भौंकता है। यदि भय के हार्मोन न निकालो तो कुत्ता स्वयंमेव भयग्रस्त होकर मार्ग छोड़ देता है, उसी तरह तानों पर दुःख और क्रोध के हार्मोन न निकालो तो ताने मारने वाले के अंदर दुःख और क्रोध का हार्मोन निकलने लगता है, कि मेरा वॉर खाली गया। ताने मारने वाला स्वयमेव हारा हुआ महसूस करता है।
4- रिश्ते पूर्व जन्म के प्रारब्ध का परिणाम होते है, रोज 1 माला सास और अन्य ताना मारने वाले लोगो के लिए करो और सबको ध्यान में समाधि स्थल शान्तिकुंज हरिद्वार ले जाओ। सब आत्माओं से क्षमा मांगो कि पूर्वजन्म में हमने आपका बुरा किया था हमे क्षमा करें। प्रायाश्चित स्वरूप यह 108 गायत्री मंत्र हे गुरूदेव समर्पित करती हूँ।
5- वो रोज घृणा की अग्नि तुम पर फेंकते है, तुम रोज प्रेम की बारिश करना शुरू करो। थोड़ी अग्नि बुझाने के लिए ज्यादा पानी चाहिए। उनकी घृणा से पांच गुना प्रेम भाव का घर मे संचार करना होगा। किसी भी सदस्य के प्रति मन मे उतपन्न राग-द्वेष को निकाल दो। सबसे प्रेम मय होकर बात करो।
6- भोजन बनाते समय उतना ही प्रेम भाव सबके लिए रखो जितना प्रेम तुम अपनी सन्तान से करती हो। सास को उतना ही प्रेम करो।
7- अंगुलिमाल बुद्ध के समक्ष आतंक न फैला सका, अहिंसक बन गया। तुम जब बुद्ध के शांति मार्ग पर चलोगी, अन्तर्मन साफ कर लोगी, तो ये मक्खियां भी भिनभिनाना बन्द कर देंगी।
8- *जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत तिन देखी तैसी, भावना अंतर्जगत की बदल दो, नज़रिया बदल दो, स्वयं को लक्ष्मी मान लो,नज़ारे बदल जाएंगे।*
9- मन के हारे हार है मन के जीते जीत, मन को विजय कर लो, बाहर स्वयमेव जीत जाओगी। आत्मविश्वास से भर जाओ। अपनी चाल ढाल में आत्मविश्वास की झलक भी दिखाओ।
10- *गायत्री मंत्र जपते हुए भाव करो - हे प्राणवान परमात्मा मुझे प्राणवान बना दो, दुःख नाशक और सुख स्वरूप मुझे बना दो, श्रेष्ठ तेजस्वी व्यक्तित्व मेरा गढ़ दो, पापनाशक और देवस्वरूप मुझे बना दो, मेरी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर प्रेरित कर दो, मुझे सुकून भरा उज्ज्वल भविष्य दो। स्वयं को प्राणवान महसूस करो।*
कायर मत बनो, जीवन युद्ध का वीरता पूर्वक सामना करो। आग्नेयास्त्र तानों का जब आये तो भाव सम्वेदना की बारिश करो और चेहरे पर मुस्कुराहट बिखेर दो।
युगऋषि ने शशक्त विचारो के हथियार निम्नलिखित पुस्तको में दिए है, प्रत्येक बहु के लिए उपयोगी हैं, कुशलता पूर्वक ससुराल हैंडल करने के लिए, प्यार सहकार भरा परिवार बनाने इन पुस्तकों का नित्य स्वाध्याय करे।।
1- महापुरुषों और वीरांगनाओं की जीवनियां
2- निराशा को पास न फटकने दें
3- मानसिक संतुलन
4- हारिये न हिम्मत
5- शक्ति संचय के पथ पर
6- शक्तिवान बनिये
7- हम अशक्त क्यो? शशक्त बने
8- आगे बढ़ने की तैयारी
9- सफल जीवन की दिशा धारा
10 - मित्रभाव बढ़ाने की कला
11- प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
12- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
13- सफलता के सात सूत्र साधन
14- दृष्टिकोण ठीक रखिये
15- भाव सम्वेदना की गंगोत्री
16- गृहस्थ एक तपोवन
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय बहन,
घर खुला छोड़ोगे तो कुत्ता मलाई खायेगा, इसका यह अर्थ नहीं हुआ कि कुत्ता ताकतवर और बुद्धिमान है। इसका यह अर्थ हुआ कि घर का मालिक मूर्ख और लापरवाह है।बैंक में चोरी हुई तो दोष चोर का नहीं बैंक का है, उसकी सिक्योरिटी में चूक हुई। चोर के कामों को सोचने में व्यस्त रहने से अच्छा है कि सिक्योरिटी पर ध्यान देना।
बहन, कभी मक्खी को देखा है, पूरे शरीर मे वहीं बैठती है जहां घाव होगा। मक्खी से निपटने के लिए तुम क्या करोगी, मक्खी को उड़ाने और उसे दोषारोपण में व्यस्त रहोगी, या अपने घाव ठीक करने में जुटोगी, उस पर दवा लगाओगी। मक्खी स्वतः भाग जाएगी।
तुम्हारी सास और अन्य परिवार वाले जो ताने मारते है, वो मक्खी है वो तुम पर इसलिए ताने के डंक मार रहे है क्योंकि तुम मन से गरीब होने का भाव(घाव) लगाए बैठी हो। तुम्हारे सास और अन्य घर वाले इसलिए तुम्हे परेशान करने में समर्थ है क्योंकि तुम मन के दरवाज़े को बंद करने में असमर्थ हो, इसलिए तुम्हारे शांति-सुकून की मलाई वो खा जाते हैं।
अतः सुधार की आवश्यकता तुम्हें है, बैंक की तरह सिक्योरिटी मन की बढ़ाओ, मन के गरीबी वाले भाव बदल दो, मन के दरवाज़े उन सबके लिए बन्द कर दो जो रोज सुकून-शांति की मलाई खा जाते हैं।
सपेरा सांप को देखकर टेंशन नहीं लेता, सर्कस के उस्ताद शेर को देखकर टेंशन नहीं लेते, इलेक्ट्रिशियन बिजली के तारों से काम करते वक्त टेंशन नहीं लेता, कुशल ड्राइवर गाड़ी को देख के टेंशन नहीं लेता। गृहणी को गैस की आग से डर नहीं लगता। क्योंकि इन सबको अपने अपने काम को करने में दक्षता है। इसी तरह वो बहु कभी दुःखी नहीं होती तो इलेक्ट्रिशियन की तरह सास के विद्युतीय स्वभाव से दिमाग़ के बल्ब जलाती है न कि दुःख का करेंट खा कर आहत होती है। सपेरे की जिस तरह सर्प के स्वभाव को समझते है, उसी तरह सास के स्वभाव को समझ के अपना काम चला लेती है। मन की गाड़ी चलाते वक्त गड्ढों को हैंडल करना सीखना पड़ेगा। कुशल गृहणी आग पर ही खाना बनाती है, कुशल बहु अग्निवत सास पर ही सुखी गृहस्थी के भाव पकाती है और टेस्ट एन्जॉय करती है।
1- रोज सुबह उठ के बोलो, मैं एक आत्मा हूँ और उस सर्वसमर्थ परमात्मा का अंश हूँ जिसने यह सृष्टि बनाई है। हे परमात्मा आपने मुझे सुंदर स्वस्थ शरीर दिया इसके लिए धन्यवाद, एक अच्छे हृदय का पति दिया उसके लिए धन्यवाद, दो प्यारी बच्चियां दिया उसके लिए धन्यवाद, इस जीवन के लिए धन्यवाद।
2- ग़रीब अमीर की परिभाषा तुम्हारे और सास जी के मन की उपज है, जिस तरह तुम तुम्हारा मायका छोड़ कर तुम ससुराल आई हो वैसे ही तो सास जी भी आई है, जितना हक सम्पत्ति पर उनका है उतना ही तुम्हारा है। तो जब सास अमीर हुई तो तुम भी तो अमीर हुई, फिर जब तुम दोनों ही समान हो तो तुम्हारे मन में गरीबी का भाव(घाव) क्यों? यदि तुम गरीब हो तो सास भी गरीब हुई, यदि सास अमीर है तो तुम भी अमीर हुई। अब तुम दोनों समान हो। अतः विवाह से पूर्व के अस्तित्व को भूलकर वर्तमान में जियो, तुम इतनी पढ़ी लिखी हो जब चाहो तब पुनः कमा सकती हो। एक ही सरनेम की दो स्त्रियां, एक जैसी सम्पत्ति का उपभोग करने वाली, सास और बहू में एक अमीर और दूसरा गरीब कैसे हो सकता है?😊
3- दहेज का यदि पुनः ताना मारे, तो केवल उन्हें देख के मुस्कुरा देना। इंसान ताना दूसरे को दुःखी करने के लिए मारता है, जिस तरह कुत्ता लोगो को भयग्रस्त करने के लिए भौंकता है। यदि भय के हार्मोन न निकालो तो कुत्ता स्वयंमेव भयग्रस्त होकर मार्ग छोड़ देता है, उसी तरह तानों पर दुःख और क्रोध के हार्मोन न निकालो तो ताने मारने वाले के अंदर दुःख और क्रोध का हार्मोन निकलने लगता है, कि मेरा वॉर खाली गया। ताने मारने वाला स्वयमेव हारा हुआ महसूस करता है।
4- रिश्ते पूर्व जन्म के प्रारब्ध का परिणाम होते है, रोज 1 माला सास और अन्य ताना मारने वाले लोगो के लिए करो और सबको ध्यान में समाधि स्थल शान्तिकुंज हरिद्वार ले जाओ। सब आत्माओं से क्षमा मांगो कि पूर्वजन्म में हमने आपका बुरा किया था हमे क्षमा करें। प्रायाश्चित स्वरूप यह 108 गायत्री मंत्र हे गुरूदेव समर्पित करती हूँ।
5- वो रोज घृणा की अग्नि तुम पर फेंकते है, तुम रोज प्रेम की बारिश करना शुरू करो। थोड़ी अग्नि बुझाने के लिए ज्यादा पानी चाहिए। उनकी घृणा से पांच गुना प्रेम भाव का घर मे संचार करना होगा। किसी भी सदस्य के प्रति मन मे उतपन्न राग-द्वेष को निकाल दो। सबसे प्रेम मय होकर बात करो।
6- भोजन बनाते समय उतना ही प्रेम भाव सबके लिए रखो जितना प्रेम तुम अपनी सन्तान से करती हो। सास को उतना ही प्रेम करो।
7- अंगुलिमाल बुद्ध के समक्ष आतंक न फैला सका, अहिंसक बन गया। तुम जब बुद्ध के शांति मार्ग पर चलोगी, अन्तर्मन साफ कर लोगी, तो ये मक्खियां भी भिनभिनाना बन्द कर देंगी।
8- *जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत तिन देखी तैसी, भावना अंतर्जगत की बदल दो, नज़रिया बदल दो, स्वयं को लक्ष्मी मान लो,नज़ारे बदल जाएंगे।*
9- मन के हारे हार है मन के जीते जीत, मन को विजय कर लो, बाहर स्वयमेव जीत जाओगी। आत्मविश्वास से भर जाओ। अपनी चाल ढाल में आत्मविश्वास की झलक भी दिखाओ।
10- *गायत्री मंत्र जपते हुए भाव करो - हे प्राणवान परमात्मा मुझे प्राणवान बना दो, दुःख नाशक और सुख स्वरूप मुझे बना दो, श्रेष्ठ तेजस्वी व्यक्तित्व मेरा गढ़ दो, पापनाशक और देवस्वरूप मुझे बना दो, मेरी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर प्रेरित कर दो, मुझे सुकून भरा उज्ज्वल भविष्य दो। स्वयं को प्राणवान महसूस करो।*
कायर मत बनो, जीवन युद्ध का वीरता पूर्वक सामना करो। आग्नेयास्त्र तानों का जब आये तो भाव सम्वेदना की बारिश करो और चेहरे पर मुस्कुराहट बिखेर दो।
युगऋषि ने शशक्त विचारो के हथियार निम्नलिखित पुस्तको में दिए है, प्रत्येक बहु के लिए उपयोगी हैं, कुशलता पूर्वक ससुराल हैंडल करने के लिए, प्यार सहकार भरा परिवार बनाने इन पुस्तकों का नित्य स्वाध्याय करे।।
1- महापुरुषों और वीरांगनाओं की जीवनियां
2- निराशा को पास न फटकने दें
3- मानसिक संतुलन
4- हारिये न हिम्मत
5- शक्ति संचय के पथ पर
6- शक्तिवान बनिये
7- हम अशक्त क्यो? शशक्त बने
8- आगे बढ़ने की तैयारी
9- सफल जीवन की दिशा धारा
10 - मित्रभाव बढ़ाने की कला
11- प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
12- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
13- सफलता के सात सूत्र साधन
14- दृष्टिकोण ठीक रखिये
15- भाव सम्वेदना की गंगोत्री
16- गृहस्थ एक तपोवन
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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