प्रश्न - *मनुष्य का स्वभाव कैसे पहचानें? वो किस प्रकार का है कैसे जाने?*
उत्तर - बेटा, आपका प्रश्न बहुत उचित है, इस पर ज्यादा विस्तृत जानकारी के लिए आपको एक लिंक इस पोस्ट के नीचे दूंगी उसे पढ़ लेना। कुछ पॉइंट्स/हिंट आपको दे रही हूँ, उससे इंसान को समझने में आसानी होगी।
👉🏼 चटकीले भड़कीले वस्त्र पहनने वाले स्त्री पुरुष गंवार होते है, सादगी और हल्के कलर के वस्त्र पहनने वाले ज्ञानी होते हैं।
👉🏼 अस्तव्यस्त और अव्यवस्थित रहने वाले अंदर से दरिद्र होते है, इसके कारण दरिद्रता और अभाव इन्हें घेरे रहता है।
👉🏼 व्यवस्थित और ढंग से रहने वाले अंदर से अमीर होते है, इसके कारण धन संपदा आकर्षित होती है।
👉🏼 ज्यादा इत्र फुलेल लगाने वाले क्रिएटिव लोग नहीं होते, वो उबाऊ होते है।
👉🏼 ज्यादा मेकअप करने वाले हीनता के शिकार होते है या वासना से भरे होते हैं।
👉🏼 जो व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत सफाई के बारे में लापरवाह है, वह या तो मूर्ख और असंस्कृत हो सकता है, अथवा दार्शनिक।
👉🏼 सरलता, सादगी, व्यवस्थित आदमी की सज्जनता की निशानी है।
👉🏼 गन्दे वस्त्रों वाला, गन्दे पर्दे और गन्दे विस्तर में सोने वाले व्यक्ति आलसी, अशिक्षित एवं मूर्ख हो जाता है। वह कलात्मक अभिरुचि से बहुत दूर रहता है। इसलिए उसके कीमती वस्त्र भी गन्दे रहते हैं।
👉🏼किसी व्यक्ति के घर में आकर यदि आप प्रत्येक वस्तु यथा स्थान पाते हैं, तो समझ लीजिए कि वह योजना बनाकर चलने वाला मानसिक दृष्टि से स्थिर संतुष्ट कलात्मक है।
👉🏼अस्त व्यस्त गृह रखने वाला लापरवाह, कला-शून्य, तथा जल्दबाजी उनके जीवन के हर पहलू में प्रदर्शित होती रहती है।
👉🏼हजामत बनाने में असावधानी, या लापरवाही लम्बी मूंछें रखना, या केशों को न संवारना, नाक में निकले हुए बाल , बढ़े हुए नाखून मनुष्य की असंस्कृति, असभ्यता, बहसीपन और आलस प्रकट करते हैं।
👉🏼 जो व्यक्ति बार बार मुँह पर हाथ रखता है, कपोलों का स्पर्श करता हैं, नाक में उंगली डालता है, कान कुरेदता है, वह हीनत्व की भावना से ग्रसित, शरीर तथा आत्मा की निर्बलता ही प्रकट किया करता है।
👉🏼जो व्यक्ति मुँह खोल कर डकार, या जमुहाई लेते हैं अथवा अपान वायु अधिक निकाला करते हैं वे प्रायः आन्तरिक पेट की बीमारियों के मरीज होते हैं ।
👉🏼जो व्यक्ति जरा जरा सी बात पर ही ही कर दाँत निकाला करते हैं, अथवा वे बात करते समय मखोल करते रहते हैं, वे अस्थिर और थोथे ज्ञान वाले होते हैं।
👉🏼कुछ व्यक्ति आपसे अल्पकाल में ही मित्रता गाँठ लेते हैं। हंसकर, कुछ चीजें जैसे-लैमन सोडा, सिगरेट पान, या सिनेमा दिखा कर आपको अपना परम मित्र दिखाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्ति स्वार्थी होते हैं।
👉🏼 कुछ लोग अपने घर, गाड़ी, वस्त्र या ज्ञान को बढ़ा चढ़ा के बोलते हैं, वो अहंकारी और प्रशंशा के भूखे लोग होते है। इनकी झूठी प्रसंशा करके इनसे काम निकाला जा सकता है।
🙏🏻प्रत्येक व्यक्ति अपने साथ एक सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक प्रभाव लाता है। जब वह आपके सम्मुख आता है, तो आपकी अन्तरात्मा तुरन्त यह बताती है कि वह अच्छा है, बुरा है, पवित्र है, या लफंगा है। गन्दी प्रवृत्ति वाला व्यक्ति अपने हाव भाव, नेत्रों, मुख, क्रियाओं, तथा दृष्टि भेद से अपनी आन्तरिक गन्दगी स्पष्ट कर देता है। स्त्रियों में मनुष्य के चरित्र को पढ़ लेने की अद्भुत क्षमता होती है। वे गन्दे व्यक्ति को एक दम ताड़ लेती है। सात्विक मनुष्य का दिव्य प्रभाव भी सूक्ष्म तरंगों में निकल कर दूसरों पर पड़ता है। उसकी क्रियाओं तथा वेशभूषा एकदम उसकी सत् प्रवृत्तियाँ प्रकट कर देती हैं। दूसरे के विषय में आपका अन्तःकरण जो गवाही देता है वह सौ में नब्बे प्रतिशत ठीक होता है। अतः अन्तःकरण क्या कहता है यह सुनो।🙏🏻
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
Reference :- http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1951/December/v2.10
http://awgpggn.blogspot.in
उत्तर - बेटा, आपका प्रश्न बहुत उचित है, इस पर ज्यादा विस्तृत जानकारी के लिए आपको एक लिंक इस पोस्ट के नीचे दूंगी उसे पढ़ लेना। कुछ पॉइंट्स/हिंट आपको दे रही हूँ, उससे इंसान को समझने में आसानी होगी।
👉🏼 चटकीले भड़कीले वस्त्र पहनने वाले स्त्री पुरुष गंवार होते है, सादगी और हल्के कलर के वस्त्र पहनने वाले ज्ञानी होते हैं।
👉🏼 अस्तव्यस्त और अव्यवस्थित रहने वाले अंदर से दरिद्र होते है, इसके कारण दरिद्रता और अभाव इन्हें घेरे रहता है।
👉🏼 व्यवस्थित और ढंग से रहने वाले अंदर से अमीर होते है, इसके कारण धन संपदा आकर्षित होती है।
👉🏼 ज्यादा इत्र फुलेल लगाने वाले क्रिएटिव लोग नहीं होते, वो उबाऊ होते है।
👉🏼 ज्यादा मेकअप करने वाले हीनता के शिकार होते है या वासना से भरे होते हैं।
👉🏼 जो व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत सफाई के बारे में लापरवाह है, वह या तो मूर्ख और असंस्कृत हो सकता है, अथवा दार्शनिक।
👉🏼 सरलता, सादगी, व्यवस्थित आदमी की सज्जनता की निशानी है।
👉🏼 गन्दे वस्त्रों वाला, गन्दे पर्दे और गन्दे विस्तर में सोने वाले व्यक्ति आलसी, अशिक्षित एवं मूर्ख हो जाता है। वह कलात्मक अभिरुचि से बहुत दूर रहता है। इसलिए उसके कीमती वस्त्र भी गन्दे रहते हैं।
👉🏼किसी व्यक्ति के घर में आकर यदि आप प्रत्येक वस्तु यथा स्थान पाते हैं, तो समझ लीजिए कि वह योजना बनाकर चलने वाला मानसिक दृष्टि से स्थिर संतुष्ट कलात्मक है।
👉🏼अस्त व्यस्त गृह रखने वाला लापरवाह, कला-शून्य, तथा जल्दबाजी उनके जीवन के हर पहलू में प्रदर्शित होती रहती है।
👉🏼हजामत बनाने में असावधानी, या लापरवाही लम्बी मूंछें रखना, या केशों को न संवारना, नाक में निकले हुए बाल , बढ़े हुए नाखून मनुष्य की असंस्कृति, असभ्यता, बहसीपन और आलस प्रकट करते हैं।
👉🏼 जो व्यक्ति बार बार मुँह पर हाथ रखता है, कपोलों का स्पर्श करता हैं, नाक में उंगली डालता है, कान कुरेदता है, वह हीनत्व की भावना से ग्रसित, शरीर तथा आत्मा की निर्बलता ही प्रकट किया करता है।
👉🏼जो व्यक्ति मुँह खोल कर डकार, या जमुहाई लेते हैं अथवा अपान वायु अधिक निकाला करते हैं वे प्रायः आन्तरिक पेट की बीमारियों के मरीज होते हैं ।
👉🏼जो व्यक्ति जरा जरा सी बात पर ही ही कर दाँत निकाला करते हैं, अथवा वे बात करते समय मखोल करते रहते हैं, वे अस्थिर और थोथे ज्ञान वाले होते हैं।
👉🏼कुछ व्यक्ति आपसे अल्पकाल में ही मित्रता गाँठ लेते हैं। हंसकर, कुछ चीजें जैसे-लैमन सोडा, सिगरेट पान, या सिनेमा दिखा कर आपको अपना परम मित्र दिखाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्ति स्वार्थी होते हैं।
👉🏼 कुछ लोग अपने घर, गाड़ी, वस्त्र या ज्ञान को बढ़ा चढ़ा के बोलते हैं, वो अहंकारी और प्रशंशा के भूखे लोग होते है। इनकी झूठी प्रसंशा करके इनसे काम निकाला जा सकता है।
🙏🏻प्रत्येक व्यक्ति अपने साथ एक सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक प्रभाव लाता है। जब वह आपके सम्मुख आता है, तो आपकी अन्तरात्मा तुरन्त यह बताती है कि वह अच्छा है, बुरा है, पवित्र है, या लफंगा है। गन्दी प्रवृत्ति वाला व्यक्ति अपने हाव भाव, नेत्रों, मुख, क्रियाओं, तथा दृष्टि भेद से अपनी आन्तरिक गन्दगी स्पष्ट कर देता है। स्त्रियों में मनुष्य के चरित्र को पढ़ लेने की अद्भुत क्षमता होती है। वे गन्दे व्यक्ति को एक दम ताड़ लेती है। सात्विक मनुष्य का दिव्य प्रभाव भी सूक्ष्म तरंगों में निकल कर दूसरों पर पड़ता है। उसकी क्रियाओं तथा वेशभूषा एकदम उसकी सत् प्रवृत्तियाँ प्रकट कर देती हैं। दूसरे के विषय में आपका अन्तःकरण जो गवाही देता है वह सौ में नब्बे प्रतिशत ठीक होता है। अतः अन्तःकरण क्या कहता है यह सुनो।🙏🏻
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
Reference :- http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1951/December/v2.10
http://awgpggn.blogspot.in
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