Sunday, 9 December 2018

प्रश्न - प्रतिभा परिष्कार (Personality Refinement) की क्लास चलाने को कहा था। युवाओं का समूह तैयार है। मुझे यह बतायें कि शुरुआत कैसे करूँ?

प्रश्न - *दी, आपने मुझसे अपने शहर में युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा मार्गदर्शित प्रतिभा परिष्कार (Personality Refinement) की क्लास चलाने को कहा था। युवाओं का समूह तैयार है। मुझे यह बतायें कि शुरुआत कैसे करूँ? यह अन्य संस्थाओं द्वारा चलाई जा रही व्यक्तित्व विकास (Personality Development) प्रोग्राम से किस प्रकार भिन्न होगा? हमारे प्रोग्राम के यूनिक पॉइंट्स क्या होंगे?*

उत्तर - आत्मीय भाई, पहले *व्यक्तित्व क्या है*? यह समझते हैं...

हर मनुष्य का अपना-अपना व्यक्तित्व है। वही मनुष्य की पहचान है। कोटि-कोटि मनु्ष्यों की भीड़ में भी वह अपने निराले व्यक्तित्व के कारण पहचान लिया जाएगा। यही उसकी विशेषता है। यही उसका व्यक्तित्व है। प्रकृति का यह नियम है कि एक मनुष्य की आकृति दूसरे से भिन्न है। आकृति का यह जन्मजात भेद आकृति तक ही सीमित नहीं है; उसके स्वभाव, संस्कार और उसकी प्रवृत्तियों में भी वही असमानता रहती है। *इस आकृति और प्रकृति में असमानता में ही सृष्टि का सौन्दर्य है। अतः नक़लची बंदर की तरह किसी के व्यक्तित्व की नकल करना सर्वथा अनुचित है, जो कि अन्य संस्थाएं करवा रही है*। हम ऐसा नहीं करेंगे। गुलाब को गुड़हल के फूल की नकल की आवश्यकता नहीं, न मछली को पक्षी के नकल की आवश्यकता है। नकली व्यक्तित्व का मुखौटा लगाना सर्वथा अनुचित है।

हर बालक/युवा अनगढ़ पत्थर की तरह है जिसमें सुन्दर मूर्ति छिपी है, जिसे शिल्पी की आँख देख पाती है। वह उसे तराश कर सुन्दर मूर्ति में बदल सकता है। क्योंकि मूर्ति पहले से ही पत्थर में मौजूद होती है शिल्पी तो बस उस फालतू पत्थर को जिसमें मूर्ति ढकी होती है, एक तरफ कर देता है और सुन्दर मूर्ति प्रकट हो जाती है। मेरे भाई गुरुदेव ने हम सबको युगशिल्पी ही तो बनाया है। हमारा काम ही है इन अनगढ़ व्यक्तित्व को सुगढ़ बनाना। इनकी प्रतिभा/व्यक्तित्व का परिष्कार करना। इसलिए बाल सँस्कार शाला और व्यक्तित्व परिष्कार की कार्यशाला चलाई जा रही हैं।

बालक निर्माण एक टीम वर्क है, माता-पिता शिक्षक और समाज बालक को इसी प्रकार सँवार कर खूबसूरत व्यक्तित्व प्रदान करते हैं। लेकिन आज यह यूनिट डिस्टर्ब हो गयी है, इसलिए इनके सहयोग हेतु युगऋषि ने हम सब युगशिल्पियों को नियुक्त किया है।

व्यक्तित्व-विकास में वंशानुक्रम (Heredity) तथा परिवेश (Environment) दो प्रधान तत्त्व हैं। वंशानुक्रम व्यक्ति को जन्मजात शक्तियाँ प्रदान करता है। परिवेश उसे इन शक्तियों को सिद्धि के लिए सुविधाएँ प्रदान करता है। बालक के व्यक्तित्व पर सामाजिक परिवेश प्रबल प्रभाव डालता है। आज के विकृत समाज की विकृत सोच और प्रभाव से विकृत व्यक्तित्व स्वतः बनते चले जा रहे हैं। ऐसे में केवल सद्चिन्तन युक्त सुदृढ मानसिकता बनाने हेतु इनके विचारों में तुम्हें क्रांति उतपन्न करनी होगी। हम सभी युगशिल्पियों को कुछ आध्यात्मिक औजार युगऋषि ने दिए है जिनकी सहायता से ही यह महान कार्य हमें करना है। यह आध्यात्मिक औजार हैं:- गायत्री मंत्र, उगते सूर्य का ध्यान, प्राणाकर्षण/अनुलोमविलोम/भ्रामरी प्राणायाम, प्रज्ञा योग, संयम, युगसाहित्य का स्वाध्याय और यज्ञ एक समग्र उपचार।

🙏🏻 *व्यक्तित्व परिष्कार के लिए टिप्स* 🙏🏻

👉🏼 1- *चेतना/व्यक्तित्व का रूपांतरण/परिष्कार में गायत्री मंत्र जप से प्रभाव*  -  प्राचीन आध्यात्मिक वैज्ञानिक ऋषि, आधुनिक विज्ञान और आल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन(AIMS) ने सिद्ध कर दिया है कि बुद्धि की प्रखरता, आत्मविश्वास और निर्णयक्षमता गायत्री मंत्र जप के प्रभाव से होता है। अतः युवाओं को नित्य गायत्री मंत्र जप हेतु प्रेरित करें।

👉🏼 2- *चेतना/व्यक्तित्व का रूपांतरण/परिष्कार में ध्यान(Meditation) से प्रभाव*  - ध्यान एक ऐसी विधा है जिससे मनचाहा व्यक्तित्व स्वयं का बनाया जा सकता है। इसके अनेक लाभ सर्वविदित है। उगते सूर्य का ध्यान गायत्री मंत्र के साथ दुगुना लाभ देता है, व्यक्तित्व शानदार आत्मविश्वास से भरा और प्रखरबुद्धि युक्त बनाता है।

👉🏼 3- *प्राणाकर्षण/अनुलोमविलोम/भ्रामरी प्राणायाम*  - मनुष्य का शरीर और आत्मा श्वांस से जुड़े है। यदि आत्मशक्ति बढ़ाना है और स्वस्थ शरीर पाना है तो प्राणायाम करना अनिवार्य है।

👉🏼 4- *प्रज्ञा योग* - स्वस्थ शरीर मे ही स्वस्थ मन और स्वस्थ व्यक्तित्व बन सकता है। स्वस्थ शरीर के लिए प्रज्ञा योग अनिवार्य है।

👉🏼 5 - *संयम/सङ्कल्प शक्ति/व्रत* - जानते हो व्रत/उपवास क्यों रखा जाता है? मनुष्य के अंदर की संकल्पशक्ति के विकास के लिए इसे ऋषियों ने अनिवार्य माना है। अतः युवाओं को कुछ घण्टों का मौन और कुछ घण्टों का उपवास रखने को प्रेरित करो।

👉🏼 6- *युगसाहित्य का स्वाध्याय-मानसिक आहार* - युवाओं को सन्तुलित अन्न-फल-सब्जी युक्त आहार शरीर के लिए और सन्तुलित विचार रूपी आहार मन के लिए जरूरी है। नकारात्मक विचारों और परिस्थितियों को हैंडल करने हेतु सशक्त विचारों के निर्माण में यह सहायक है।

👉🏼 7- *यज्ञ एक समग्र उपचार* - बुद्धि का आध्यात्मिक रोग प्रतिरोधक टीका यज्ञ है। इसे साप्ताहिक या मासिक रूप से अपनाये। यज्ञ से मानसिक सुदृढ़ीकरण में मदद मिलती है।

👉🏼 9 - *अपने ऊपर विश्वास रखें* - जीवन में अगर आप कुछ भी करना चाहते हैं तो उसकी चाबी है अपने ऊपर विश्वास रखना। अपने ऊपर विश्वास रखना पहला कदम है अपने व्यक्तित्व विकास के लिए। अपनी काबिलियत पर कभी भी शक ना कीजिये और हमेशा अपने से स्वयं कहें ! मैं कर सकता, ये मेरे लिए है। अच्छी सफलता से जुडी प्रेरक और प्रेरणादायक कहानियाँ पढ़ें इससे जीवन में आगे बढ़ने का प्रोत्साहन मिलता है। साथ ही इससे आत्म सम्मान बढ़ता है और व्यक्तित्व में भी निखर आता है।

10 - *अपना दिमाग खुला रखें* - अपने अन्दर अच्छा व्यक्तित्व विकास लाने का एक और सबसे बाड़ा कार्य है अपने विश्वदृष्टि में बदलाव लाना। दूसरों की बात को ध्यान से सुनें और अपने दिमाग के बल पर अपना सुझाव या उत्तर दें। अपने फैसलों को खुद के दम पर पूरा करें क्योंकि दूसरों के फैसलों पर चलना या कदम उठाना असफलता का एक मुख्य कारण है।

👉🏼 11 - *शारीरिक भाषा(body language) में सुधार की आवश्यकता* -व्यक्तिगत विकास के लिए शारीरिक भाषा में सुधार लाना बहुत आवश्यक है। इससे आपके विषय में बहुत कुछ पता चलता है। हर चीज चाहे वह आपका खाने का तरिका हो, चलने का तरीका हो, बात करने का हो या बैठने का तरिका सब कुछ बॉडी लैंग्वेज से जुडा है। जब भी बैठें सभी problem को भूल कर आराम से बैठें और जब भी आपक किसी से बात करें आंख से आंख मिला कर बात करें।

👉🏼 12 - *अपने अन्दर सकारात्मक सोच जागृत करें* - चाहें आपकी बातें हो या आपके कार्य, सभी जगह सकारात्मक सोच का होना अच्छे व्यक्तित्व विकास के लिए बहुत आवश्यक है। हमारे सोचने का तरिका यह तय करता है कि हम अपना कार्य किस प्रकार और किस हद तक पूरा कर सकेंगे। सकारात्मक विचारों से आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यक्तित्व को बढाता है। जीवन में कई प्रकार की ऊँची-नीची परिस्तिथियाँ आती हैं परन्तु एक सकारात्मक सोच रखने वाला व्यक्ति हमेशा सही नज़र से सही रास्ते को देखता है।

👉🏼 13 - *नए लोगों से जुड़ें*
- ज्यादा से ज्यादा नए लोगों से मिलना और अलग-अलग प्रकार के लोगों से मिलना जीवन के एक नये स्तर पर जाना है। इससे जीवन में संस्कृति और जीवन शैली से जुडी चीजों के विषय में बहुत कुछ सिखने को मिलता है जो व्यक्तित्व विकास के लिए बहुत ही आवश्यक है।

👉🏼 14 - *एक अच्छा श्रोता बनिए* - ज्यादातर लोग समझने के लिए नहीं सुनते, वे उत्तर देने के लिए सुनते हैं। क्यों ? सही बात है ना। एक अच्छा श्रोता होना बहुत कठिन है परन्तु यह व्यक्तित्व विकास का एक अहम स्टेप है। जब भी कोई आपसे बात करे, ध्यान से उनकी बातों को सुनें और समझें और अपना पूरा ध्यान उनकी बातों पर रखें। सीधी आँखों से ध्यान दें  और इधर-उधर की बातों पर ध्यान ना दें।

👉🏼 15 - *खुश रहें और मुस्कुराहट का भाव चेहरे पर हमेशा रखें।*
- दुनिया की हर चीज में खुशी देखने के लिए प्रयास करें। दूसरों के साथ हँसे पर दूसरों पर कभी भी ना हँसे। उल्लासपूर्ण व्यक्ति की हमेशा सराहना की जाती है। हँसना अच्छे व्यक्तित्व का एक हिस्सा है।

👉🏼 16 - *विनम्र बनें* -भले ही आप प्रतिभाशाली हों, बहुत बड़े व्यक्ति हों परन्तु अगर आपके जीवन में विनम्रता नहीं तो आपका व्यक्तित्व कभी अच्छा नहीं हो सकता। बड़ा अहंकार करने वाले व्यक्तियों को कोई पसंद नहीं करता।

👉🏼 17- *इमानदार और वफादार बनें* - कभी भी किसी को धोका ना दें और भरोसा ना तोड़ें। आपके चाहने वाले आपकी सराहना करेंगे अगर आप ईमानदारी रहेंगे तो। जीवन में विश्वास ही सबसे बड़ी चीज है अगर एक बार वह विश्वास टूटा तो भरोसा करना मुश्किल हो जायेगा।

👉🏼 18 - *मुश्किल की परिस्तिथि में शांति से काम लें*
- बहुत सारे लोगों का व्यक्तित्व बाहर से देखने में बहुत ही सुन्दर और अच्छा दीखता है लेकिन मुश्किल पड़ने पर उनकी सिट्टी-पिट्टी गुल हो जाती है। इमरजेंसी के समय उनका दिमाग काम नहीं देता और वे हमेशा टेंशन में रहते हैं। वैसे समय में हार मानाने वाले व्यक्ति का व्यक्तित्व अन्दर से कमज़ोर होता है।

👉🏼 19 - *जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण/नज़रिया रखें(Attitude is everything)* - जैसा नजरिया होगा वैसे नजारे होंगे। अपने दृष्टिकोण(Attitude) के कारण - एक ही परिस्थिति में कोई टूट(break) जाता हैआ और कोई महान बन जाता है।

👉🏼 20 - *बिन पूजन भोजन नहीं और बिन स्वाध्याय शयन नहीं* - महान व्यक्ति के जीवन की सफलता का यही सूत्र है।

👉🏼 21- *ईश्वर उसी की मदद करता है, जो अपनी मदद स्वयं करता है।* - कभी भी हार न माने, ईमानदारी से प्रयत्न करें।

21 दिन इन्ही 21 पॉइंट्स को डिटेल में पढ़ाये और अभ्यास करवाएं। यह कोर्स व्यक्तित्व की जड़ को पोषित करेगा तो व्यक्तित्व स्वतः निखरेगा।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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