प्रश्न - *किसी बच्चे में छिपी हुई प्रतिभा को कैसे पहचानेंगे सहयोग कीजिए*
उत्तर - *युगऋषि पण्डित श्रीराम आचार्य जी* कहते हैं कि जीवन मे सफलता के तीन कारण होते हैं ।
👉🏼 *(१) परिस्थिति (२)प्रयत्न (३) भाग्य* ।
बहुत बार ऐसी परिस्थितियां प्राप्त होती हैं जिनके कारण स्वल्प योग्यता/प्रतिभा वाले मनुष्य बिना अधिक प्रयत्न के बड़े-बड़े लाभ प्राप्त करते हैं । बहुत बार अपने बाहुबल से कठिन परिस्थितियो को चीरता हुआ मनुष्य निज प्रयत्नों/कैशल से आगे बढ़ता हैऔर लघु से महान बन जाता है । कई बार ऐसा भी देखा गया है कि न तो कोई उत्तम परिस्थिति ही सामने है, न कोई योजना, न कोई योग्यता, न कोई प्रयत्न पर अनायास ही कोई आकस्मिक अवसर आया जिससे मनुष्य कुछ से कुछ बन गया ।
इन तीन साधनों में से न परिस्थिति पर हमारा वश/नियंत्रण है, न भाग्य हमारे वश/नियंत्रण है। केवल प्रयत्न हमारे हाथ में है।
हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा बुद्धिमान हो और पढ़ाई में हमेशा अव्वल आए, परंतु जब ऐसा नहीं होता तो वे निराश हो जाते हैं। एक बात माता पिता को ध्यान में रखना चाहिए कि हर बच्चे में कोई न कोई टैलेंट अवश्य होता है भले ही वह बहुत अद्भुत या विलक्षण न हो। यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप उस टैलेंट को ढूंढ निकालें और उसे प्रोत्साहन दें।
👉🏼 *बच्चे की रुचि देखें, अपनी सहूलियत नहीं*
यदि आप बच्चे को एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज के लिए किसी क्लास में डालना चाहती हैं, तो देखें कि बच्चे की उसमें रुचि है या नहीं। अपनी इच्छा या सहूलियत को ध्यान में न रखें। यह जरूरी नहीं कि यदि आपको क्रिकेट पसंद है, तो बच्चे को भी पसंद होगा। हो सकता है कि क्रिकेट खेलना उसे सजा की तरह लगे, हो सकता है कि उसे कोई और खेल या एक्टिविटी पसंद हो।
👉🏼 *बच्चे के क्रियाकलाप पर गौर करें*
जब बच्चा घर में खेल रहा होता है, तब उसकी गतिविधियों पर गौर करें। क्या वह खेलने की अपेक्षा एक किनारे में रहना पसंद करता है? क्या वह अक्सर दीवारों पर लिखता रहता है? सबसे पहले बच्चे की हॉबी ढूंढें, यह पहला स्टैप है, फिर उसे हॉबी के साथ एंज्वाय करने दें। बच्चों को क्या अच्छा लगता है, वे क्या चुनते हैं, वे दोस्तों के साथ किस तरह और कितना घुलते-मिलते हैं, इन सारी बातों से आप बच्चे की स्ट्रेंथ जान पाएंगी।
👉🏼 *एक्सपेरीमेंट करें*
अपने बच्चे को कई चीजें जैसे बुक्स, एनसाइक्लोपीडिया, पजल्स आदि के बारे में बताएं। यदि वह कोई विशेष क्लास करना चाहता है, तो मना न करें। बड़े-बड़े शहरों में एक्टिविटी सेंटर होते हैं, जहां स्केटिंग से लेकर डांसिंग तक और गायन से लेकर पपेट मेकिंग तक ढेर सारी चीजें सिखाई जाती हैं। उसे वहां अवश्य डालें इससे आप उसकी रुचि जान पाएंगी।
👉🏼 *प्रोफैशनल/एक्सपर्ट की हैल्प लें*
बच्चा जब 9वीं क्लास में पहुंचे, तो किसी अच्छे इंस्टीच्यूट से उसका एप्टीच्यूड टेस्ट अवश्य करवाएं, इससे बच्चे की प्रतिभा का पता चलता है। साथ ही वह कौन-से क्षेत्र में बेहतर कर पाएगा, यह जानने में भी मदद मिलती है।
👉🏼 *इनसे भी पहचानें*
👉🏼 *इंजीनियर* -यदि बच्चा खिलौनों में कार चलाना अधिक पसंद करता है, कार के या अन्य खिलौनों के पार्ट्स निकालना और उन्हें जोडऩा पसंद करता है, तो वह इंजीनियरिंग की योग्यता दर्शाता है।
👉🏼 *आर्किटेक्ट* - यदि बच्चा डिजाइन बनाने और ड्राइंग में रुचि लेता है तो आर्किटेक्ट की योग्यता दर्शाता है।
👉🏼 *फील्डर या स्पोर्ट्समैन*- यदि बच्चा जंपिंग, क्लाइंबिंग और डांसिंग में रुचि रखता है और बिना थके उत्साह से यह सब करता है, तो ऐसे बच्चे स्पोर्ट्समैन, डांसर या अन्य फील्ड वर्क में खुश रहते हैं। ये डैस्क जॉब नहीं कर पाते।
👉🏼 *साइंटिस्ट, टीचर एवं प्रोफेसर*- यदि बच्चा ऑर्गेनाइज्ड है, खिलौनों या चीजों को उनके आकार और रंगों के अनुसार क्रम से चुनता या लगा कर रखता है, जब तक उत्तर न मिल जाए प्रश्न पूछता रहता है, ऐसे बच्चे मैथ्स या साइंस में अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
👉🏼 *क्रिएटिव लर्नर* - ऐसे बच्चे जो दिन में सपने देखते हैं, अपनी कल्पना को कहानी में रंग कर बातें सुनाते हैं, लोगो, ब्लॉक्स और पजल्स जोडऩे में खुशी महसूस करते हैं, उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए। ऐसे बच्चे आगे चल कर बहुत कुछ कर सकते हैं।
👉🏼 *रूचि(पैसिव मोड़) को प्रतिभा-टैलेंट(एक्टिव मोड) बनाएं*
बच्चे को कॉमिक्स पढ़ने का शौक है और साथ ही उसको कार्टून कैरक्टर्स की स्केचिंग भी बहुत पसंद है | कॉमिक्स पढ़ना पैसिव मोड है और कार्टून स्केचिंग एक्टिव मोड है |
*सार की बात ये है की बच्चे का टैलेंट बच्चे के इंटरेस्ट को पैसिव मोड से एक्टिव मोड में ले जाता है | टैलेंट बच्चे की रूचि का हिस्सा बनाता है |*
👉🏼 *बच्चे के कौशल और प्रतिभा के बीच अंतर करना सीखें*
*प्रतिभा(टैलेंट) और कौशल(स्किल) इन दोनों में एक बहुत बड़ा अंतर है कौशल हम जन्म से नहीं सीखते बल्कि कौशल हमारे लगातार काम करने का एक प्रमाण होता है जबकि प्रतिभा हमें बचपन से ही प्राप्त होता है और इसे हम सीखते नहीं है बस इसे उभरने की जरुरत होती है इसीलिए अपनी प्रतिभा को पहचानने के लिए हमे इन दोनों के बीच के अंतर् को जानना होगा |*
👉🏼कुछ पुस्तकें जो बच्चे के भीतर की प्रतिभा को जगाने में सहायक है:-👈🏻
1- अधिकतम अंक कैसे पाएं
2- बुद्धि बढ़ाने की कला
3- आगे बढ़ने की तैयारी
4- सफलता आत्मविश्वासी को मिलती है
5- सफल जीवन की दिशा धारा
6- सफलता के सात सूत्र साधन
7- हारिये न हिम्मत
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - *युगऋषि पण्डित श्रीराम आचार्य जी* कहते हैं कि जीवन मे सफलता के तीन कारण होते हैं ।
👉🏼 *(१) परिस्थिति (२)प्रयत्न (३) भाग्य* ।
बहुत बार ऐसी परिस्थितियां प्राप्त होती हैं जिनके कारण स्वल्प योग्यता/प्रतिभा वाले मनुष्य बिना अधिक प्रयत्न के बड़े-बड़े लाभ प्राप्त करते हैं । बहुत बार अपने बाहुबल से कठिन परिस्थितियो को चीरता हुआ मनुष्य निज प्रयत्नों/कैशल से आगे बढ़ता हैऔर लघु से महान बन जाता है । कई बार ऐसा भी देखा गया है कि न तो कोई उत्तम परिस्थिति ही सामने है, न कोई योजना, न कोई योग्यता, न कोई प्रयत्न पर अनायास ही कोई आकस्मिक अवसर आया जिससे मनुष्य कुछ से कुछ बन गया ।
इन तीन साधनों में से न परिस्थिति पर हमारा वश/नियंत्रण है, न भाग्य हमारे वश/नियंत्रण है। केवल प्रयत्न हमारे हाथ में है।
हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा बुद्धिमान हो और पढ़ाई में हमेशा अव्वल आए, परंतु जब ऐसा नहीं होता तो वे निराश हो जाते हैं। एक बात माता पिता को ध्यान में रखना चाहिए कि हर बच्चे में कोई न कोई टैलेंट अवश्य होता है भले ही वह बहुत अद्भुत या विलक्षण न हो। यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप उस टैलेंट को ढूंढ निकालें और उसे प्रोत्साहन दें।
👉🏼 *बच्चे की रुचि देखें, अपनी सहूलियत नहीं*
यदि आप बच्चे को एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज के लिए किसी क्लास में डालना चाहती हैं, तो देखें कि बच्चे की उसमें रुचि है या नहीं। अपनी इच्छा या सहूलियत को ध्यान में न रखें। यह जरूरी नहीं कि यदि आपको क्रिकेट पसंद है, तो बच्चे को भी पसंद होगा। हो सकता है कि क्रिकेट खेलना उसे सजा की तरह लगे, हो सकता है कि उसे कोई और खेल या एक्टिविटी पसंद हो।
👉🏼 *बच्चे के क्रियाकलाप पर गौर करें*
जब बच्चा घर में खेल रहा होता है, तब उसकी गतिविधियों पर गौर करें। क्या वह खेलने की अपेक्षा एक किनारे में रहना पसंद करता है? क्या वह अक्सर दीवारों पर लिखता रहता है? सबसे पहले बच्चे की हॉबी ढूंढें, यह पहला स्टैप है, फिर उसे हॉबी के साथ एंज्वाय करने दें। बच्चों को क्या अच्छा लगता है, वे क्या चुनते हैं, वे दोस्तों के साथ किस तरह और कितना घुलते-मिलते हैं, इन सारी बातों से आप बच्चे की स्ट्रेंथ जान पाएंगी।
👉🏼 *एक्सपेरीमेंट करें*
अपने बच्चे को कई चीजें जैसे बुक्स, एनसाइक्लोपीडिया, पजल्स आदि के बारे में बताएं। यदि वह कोई विशेष क्लास करना चाहता है, तो मना न करें। बड़े-बड़े शहरों में एक्टिविटी सेंटर होते हैं, जहां स्केटिंग से लेकर डांसिंग तक और गायन से लेकर पपेट मेकिंग तक ढेर सारी चीजें सिखाई जाती हैं। उसे वहां अवश्य डालें इससे आप उसकी रुचि जान पाएंगी।
👉🏼 *प्रोफैशनल/एक्सपर्ट की हैल्प लें*
बच्चा जब 9वीं क्लास में पहुंचे, तो किसी अच्छे इंस्टीच्यूट से उसका एप्टीच्यूड टेस्ट अवश्य करवाएं, इससे बच्चे की प्रतिभा का पता चलता है। साथ ही वह कौन-से क्षेत्र में बेहतर कर पाएगा, यह जानने में भी मदद मिलती है।
👉🏼 *इनसे भी पहचानें*
👉🏼 *इंजीनियर* -यदि बच्चा खिलौनों में कार चलाना अधिक पसंद करता है, कार के या अन्य खिलौनों के पार्ट्स निकालना और उन्हें जोडऩा पसंद करता है, तो वह इंजीनियरिंग की योग्यता दर्शाता है।
👉🏼 *आर्किटेक्ट* - यदि बच्चा डिजाइन बनाने और ड्राइंग में रुचि लेता है तो आर्किटेक्ट की योग्यता दर्शाता है।
👉🏼 *फील्डर या स्पोर्ट्समैन*- यदि बच्चा जंपिंग, क्लाइंबिंग और डांसिंग में रुचि रखता है और बिना थके उत्साह से यह सब करता है, तो ऐसे बच्चे स्पोर्ट्समैन, डांसर या अन्य फील्ड वर्क में खुश रहते हैं। ये डैस्क जॉब नहीं कर पाते।
👉🏼 *साइंटिस्ट, टीचर एवं प्रोफेसर*- यदि बच्चा ऑर्गेनाइज्ड है, खिलौनों या चीजों को उनके आकार और रंगों के अनुसार क्रम से चुनता या लगा कर रखता है, जब तक उत्तर न मिल जाए प्रश्न पूछता रहता है, ऐसे बच्चे मैथ्स या साइंस में अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
👉🏼 *क्रिएटिव लर्नर* - ऐसे बच्चे जो दिन में सपने देखते हैं, अपनी कल्पना को कहानी में रंग कर बातें सुनाते हैं, लोगो, ब्लॉक्स और पजल्स जोडऩे में खुशी महसूस करते हैं, उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए। ऐसे बच्चे आगे चल कर बहुत कुछ कर सकते हैं।
👉🏼 *रूचि(पैसिव मोड़) को प्रतिभा-टैलेंट(एक्टिव मोड) बनाएं*
बच्चे को कॉमिक्स पढ़ने का शौक है और साथ ही उसको कार्टून कैरक्टर्स की स्केचिंग भी बहुत पसंद है | कॉमिक्स पढ़ना पैसिव मोड है और कार्टून स्केचिंग एक्टिव मोड है |
*सार की बात ये है की बच्चे का टैलेंट बच्चे के इंटरेस्ट को पैसिव मोड से एक्टिव मोड में ले जाता है | टैलेंट बच्चे की रूचि का हिस्सा बनाता है |*
👉🏼 *बच्चे के कौशल और प्रतिभा के बीच अंतर करना सीखें*
*प्रतिभा(टैलेंट) और कौशल(स्किल) इन दोनों में एक बहुत बड़ा अंतर है कौशल हम जन्म से नहीं सीखते बल्कि कौशल हमारे लगातार काम करने का एक प्रमाण होता है जबकि प्रतिभा हमें बचपन से ही प्राप्त होता है और इसे हम सीखते नहीं है बस इसे उभरने की जरुरत होती है इसीलिए अपनी प्रतिभा को पहचानने के लिए हमे इन दोनों के बीच के अंतर् को जानना होगा |*
👉🏼कुछ पुस्तकें जो बच्चे के भीतर की प्रतिभा को जगाने में सहायक है:-👈🏻
1- अधिकतम अंक कैसे पाएं
2- बुद्धि बढ़ाने की कला
3- आगे बढ़ने की तैयारी
4- सफलता आत्मविश्वासी को मिलती है
5- सफल जीवन की दिशा धारा
6- सफलता के सात सूत्र साधन
7- हारिये न हिम्मत
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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