प्रश्न - *नमस्ते स्वेता बेटा. एक बच्चे के प्रश्न का जवाब मेरे पास नही था, इसलिए मै तुमसे जानना चाह रही हूं। रितेश नाम के bache ka अपने दादाजी से बहस हुई और उसके दादा जी ने कहा कि आज का युवा एक दम खराब है, रितेश ने कहा कि आप गलत बोल रहे हो कल भी युवा की सोच और उनके बड़ो की सोच में फर्क था और आज भी फर्क है ।पहले के दादा भी अपने पोते को खराब बोलते थे, कल जो दादा होंगे वो भी खराब बोलेंगे।आप लोग खाली सुंन सुन कर बोलते हो कि समय खराब है, कुछ समय खराब नहीं है ।आप सब खाली नेगेटिविटी फेला रहे हो, अपनी बात रखने के लिए और मुझसे समाधान चाहता है कि दादा सही है या वो सही है?*
उत्तर - आत्मीय दी उसे यह पोस्ट फारवर्ड कर दीजिए:-
आत्मीय बेटे, एक बार एक कॉलेज में दो ग्रुप अक्सर लड़ता रहता था, उनमें काफ़ी मतभेद था। प्रोफ़ेसर ने एक दिन उन दोनों ग्रुप के एक एक प्रतिनिधी को अपने पास बुलाया। और बाकी ग्रुप सदस्यों को सामने बैठाया और चुप रहने को बोला।
जेब से बॉल निकाल कर टेबल पर रखते हुए दोनों प्रतिनिधियों राम और श्याम से पूँछा कि बॉल का कलर बताओ। राम ने ब्लैक और श्याम ने व्हाइट बताया। पुनः दोनों प्रतिनिधि का जगह बदल दिया गया। अब श्याम ने ब्लैक बताया और राम ने व्हाइट। दोनों के साथ साथ सबको समझ आया कि दोनों अपने लिए तो सही थे लेकिन दूसरे के लिए गलत थे। वो बॉल दो कलर की थी, आधी सफ़ेद और आधी काली।
ऐसे ही बेटे, दादा के दृष्टिकोण से जमाना खराब है, और तुम्हारे दृष्टिकोण से जमाना तरक्क़ी के साथ अच्छा है। अब सही आँकलन के लिए दादा की जगह तुम्हे और तुम्हारी जगह रहकर दादा को सोचने की आवश्यकता है। किन पैरामीटर/बिंदुओं को दादा जी जमाना और युवा के एनालिसिस हेतु प्रयोग कर रहे है, और किन पैरामीटर/बिंदुओं को तुम जमाने और युवाओं के आधार पर जज कर रहे हो यह समझना होगा।
आज का युवा ज्यादा समझदार और एक्टिव है एकतरफ तो दूसरी तरफ बहुत बड़ा बेवकूफ और मदहोश भी।
एक पोस्ट ग्रेजुएट - नशे के समस्त दुष्परिणामों को पढ़कर भी जानबूझकर नशा कर रहा है। देहव्यापार अब बच्चों का भी हो रहा है। दरिंदगी का आलम यह है कि 8 महीने की बच्ची के रेप की घटनाएं भी हो रही है। लाखों की सँख्या में रेप और मर्डर पिछले पांच वर्षों में हो चुके है। एक लड़की दस लड़को को एकत्र कहीं खड़ा देख ले तो भयग्रस्त हो जाये और एक लड़का यदि शहरों में दस लड़कियों को खड़ा देख ले तो भयग्रस्त हो जाता है। पोर्न साइट और फिल्में मर्डर और क्राइम की ट्रेनिंग घर बैठे मुहैया करवा रहे हैं।
टूटते रिश्ते और बिखरता जीवन सर्वत्र है। युवा मन की अशांति का मुख्य कारण घटते जॉब अवसर और बढ़ती जनसंख्या है। न आज पीने को साफ पानी है और न लेने को साफ हवा और खाने को शुद्ध भोजन।
लेकिन इन सबके लिए जिम्मेदार कौन है, तुम्हारे दादा जी की और पापा के उम्र के सभी लोग। जिन्होंने आने वाली पीढ़ी के लिए नारकीय वातावरण तैयार करके दिए। दादी ने बड़े गले का ब्लाउज का फैशन किया, मम्मी ने सलवार सूट फ़ैशन में कुछ कपड़े कम किया, बेटी ने दादी और मम्मी का टोटल कपड़ा कम किया अब पोती अत्यंत कम कपड़ो के फैशन तक पहुंच गई।
दादा ने मस्ती की और पाश्चात्य का अंधानुकरण किया, पापा अंध भक्त बने और अब पोता पाश्चात्य का दास/ग़ुलाम बन चुका है।
जिस ज़हर का बीजारोपण पहले की जनरेशन ने किया अब वो वृक्ष बन गया है। अतः दादा को लगता है अरे हमारे जमाने मे तो जहर/वैचारिक प्रदूषण का पौधा तो छोटा था, नई जनरेशन के युवा तो जहर/वैचारिक प्रदूषण के वृक्ष बन गए है। बेतहाशा जनसँख्या वृद्धि की, कभी किसी ने बढ़ती जनसंख्या, घटते संसाधन और बढ़ता वैचारिक प्रदूषण के बारे मे कभी सोचा ही नहीं।
बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होय।
अतः बेटा, अब अगर हम लोग कुछ नहीं किये तो सामूहिक मौत को निमन्त्रण देँगे। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, अलग फ्लैट खरीद के अपने बच्चों को दे सकते हो लेकिन बेटा शुद्ध हवा, शुद्ध पानी, शुद्ध अन्न कहाँ से दोगे?
समय अब लड़ने का नहीं है, समस्या के समाधान करने का समय है।
बेटा, कोई इंसान आजकल अपनी गलती और भूलो को नहीं देखता। केवल बाहर दूसरों की गलती और भूलो को देखता है। इसलिए युद्ध होता है।
तुम्हें मैच्योर बनकर ऊंची दृष्टि से वर्तमान समस्या को समझना होगा और समाधान में जुटना होगा। क्योंकि करना तुम्हे है तो समझना भी तुम्हे होगा। सभी युवाओं को समझ विकसित करनी होगी और समाज के प्रति जिम्मेदारी उठानी होगी।
अब दादा जी समझ भी गए तो कुछ करने की अब उनमें उतनी ताकत नहीं है। जिस ओर युवा चलेगा उस ओर जमाना चलेगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय दी उसे यह पोस्ट फारवर्ड कर दीजिए:-
आत्मीय बेटे, एक बार एक कॉलेज में दो ग्रुप अक्सर लड़ता रहता था, उनमें काफ़ी मतभेद था। प्रोफ़ेसर ने एक दिन उन दोनों ग्रुप के एक एक प्रतिनिधी को अपने पास बुलाया। और बाकी ग्रुप सदस्यों को सामने बैठाया और चुप रहने को बोला।
जेब से बॉल निकाल कर टेबल पर रखते हुए दोनों प्रतिनिधियों राम और श्याम से पूँछा कि बॉल का कलर बताओ। राम ने ब्लैक और श्याम ने व्हाइट बताया। पुनः दोनों प्रतिनिधि का जगह बदल दिया गया। अब श्याम ने ब्लैक बताया और राम ने व्हाइट। दोनों के साथ साथ सबको समझ आया कि दोनों अपने लिए तो सही थे लेकिन दूसरे के लिए गलत थे। वो बॉल दो कलर की थी, आधी सफ़ेद और आधी काली।
ऐसे ही बेटे, दादा के दृष्टिकोण से जमाना खराब है, और तुम्हारे दृष्टिकोण से जमाना तरक्क़ी के साथ अच्छा है। अब सही आँकलन के लिए दादा की जगह तुम्हे और तुम्हारी जगह रहकर दादा को सोचने की आवश्यकता है। किन पैरामीटर/बिंदुओं को दादा जी जमाना और युवा के एनालिसिस हेतु प्रयोग कर रहे है, और किन पैरामीटर/बिंदुओं को तुम जमाने और युवाओं के आधार पर जज कर रहे हो यह समझना होगा।
आज का युवा ज्यादा समझदार और एक्टिव है एकतरफ तो दूसरी तरफ बहुत बड़ा बेवकूफ और मदहोश भी।
एक पोस्ट ग्रेजुएट - नशे के समस्त दुष्परिणामों को पढ़कर भी जानबूझकर नशा कर रहा है। देहव्यापार अब बच्चों का भी हो रहा है। दरिंदगी का आलम यह है कि 8 महीने की बच्ची के रेप की घटनाएं भी हो रही है। लाखों की सँख्या में रेप और मर्डर पिछले पांच वर्षों में हो चुके है। एक लड़की दस लड़को को एकत्र कहीं खड़ा देख ले तो भयग्रस्त हो जाये और एक लड़का यदि शहरों में दस लड़कियों को खड़ा देख ले तो भयग्रस्त हो जाता है। पोर्न साइट और फिल्में मर्डर और क्राइम की ट्रेनिंग घर बैठे मुहैया करवा रहे हैं।
टूटते रिश्ते और बिखरता जीवन सर्वत्र है। युवा मन की अशांति का मुख्य कारण घटते जॉब अवसर और बढ़ती जनसंख्या है। न आज पीने को साफ पानी है और न लेने को साफ हवा और खाने को शुद्ध भोजन।
लेकिन इन सबके लिए जिम्मेदार कौन है, तुम्हारे दादा जी की और पापा के उम्र के सभी लोग। जिन्होंने आने वाली पीढ़ी के लिए नारकीय वातावरण तैयार करके दिए। दादी ने बड़े गले का ब्लाउज का फैशन किया, मम्मी ने सलवार सूट फ़ैशन में कुछ कपड़े कम किया, बेटी ने दादी और मम्मी का टोटल कपड़ा कम किया अब पोती अत्यंत कम कपड़ो के फैशन तक पहुंच गई।
दादा ने मस्ती की और पाश्चात्य का अंधानुकरण किया, पापा अंध भक्त बने और अब पोता पाश्चात्य का दास/ग़ुलाम बन चुका है।
जिस ज़हर का बीजारोपण पहले की जनरेशन ने किया अब वो वृक्ष बन गया है। अतः दादा को लगता है अरे हमारे जमाने मे तो जहर/वैचारिक प्रदूषण का पौधा तो छोटा था, नई जनरेशन के युवा तो जहर/वैचारिक प्रदूषण के वृक्ष बन गए है। बेतहाशा जनसँख्या वृद्धि की, कभी किसी ने बढ़ती जनसंख्या, घटते संसाधन और बढ़ता वैचारिक प्रदूषण के बारे मे कभी सोचा ही नहीं।
बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होय।
अतः बेटा, अब अगर हम लोग कुछ नहीं किये तो सामूहिक मौत को निमन्त्रण देँगे। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, अलग फ्लैट खरीद के अपने बच्चों को दे सकते हो लेकिन बेटा शुद्ध हवा, शुद्ध पानी, शुद्ध अन्न कहाँ से दोगे?
समय अब लड़ने का नहीं है, समस्या के समाधान करने का समय है।
बेटा, कोई इंसान आजकल अपनी गलती और भूलो को नहीं देखता। केवल बाहर दूसरों की गलती और भूलो को देखता है। इसलिए युद्ध होता है।
तुम्हें मैच्योर बनकर ऊंची दृष्टि से वर्तमान समस्या को समझना होगा और समाधान में जुटना होगा। क्योंकि करना तुम्हे है तो समझना भी तुम्हे होगा। सभी युवाओं को समझ विकसित करनी होगी और समाज के प्रति जिम्मेदारी उठानी होगी।
अब दादा जी समझ भी गए तो कुछ करने की अब उनमें उतनी ताकत नहीं है। जिस ओर युवा चलेगा उस ओर जमाना चलेगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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