प्रश्न - *यदि कई महीनों से खाली मकान में किसी नकारात्मक शक्ति और ऊर्जा का आभास हो, पुश्तैनी मकान हो तो क्या करें?*
उत्तर - आत्मीय भाई, मकान उस घर में रहने वाले लोगों की ऊर्जा और विचारों को संग्रहित रखता है।
यदि आपसे पूर्व उस मकान में कुत्सित विचारो के लोग रह रहे होंगे तो आपको उस घर मे अशांति महसूस होगी।
भूत प्रेत की कल्पना और दिखना 99% कपोल काल्पनिक होता है। केवल 1% ही इसमें सच्चाई होती है। यदि उस घर में आगज़नी, अकाल मृत्यु, हत्याकाण्ड या कोई जघन्य अपराध और मर्डर हुआ होगा तो ही भूत-प्रेत की संभावना बनती है। अतः आसपास उस घर के लोगों का इतिहास तलाशिये फिर निर्णय पर पहुंचिए। केवल 1% मनुष्य वही प्रेत बनता है जो प्रचंड मोह में लालच में या बदले की भावना में होता है। अन्यथा सब मुक्त हो जाते हैं। मनुष्य का शरीर स्थूल हो या सूक्ष्म विद्युतीय एटम(परमाणु) से बना है और प्रत्येक कण स्वतन्त्र सृष्टि करने में सक्षम है। कभी कभी ऐसे ही कण एक्टिवेट हो जाते है और स्वतन्त्र सृष्टि करके अपनी उपस्थिति का अहसास देते हैं।
बन्द पड़े कमरे ऊर्जा युक्त शब्दों के अभाव में, प्रकाश के अभाव में भी थोड़े अशान्त और डरावने लगते है। कुछ हमारी कल्पना भी होती है।
किसी मृत व्यक्ति की सूक्ष्म प्रतिमा या नकारात्मक ऊर्जा ज्यादा कठोर न हुई तो इसे आसानी से हटाया जा सकता है। ऐसे मकानों में उर्जावान अधिक मनुष्यों के साथ रहने और ऊर्जा युक्त शब्दों को बोलने से और उनके मानवीय विद्युत की गर्मी से स्वतः घर की ऊर्जा ठीक हो जाती है, नकारात्मकता का शमन हो जाता है। दिव्य ऊर्जा युक्त गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र से 40 दिन लगातार यज्ञ करने से किसी भी मकान की ऊर्जा को शुद्ध किया जा सकता है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय भाई, मकान उस घर में रहने वाले लोगों की ऊर्जा और विचारों को संग्रहित रखता है।
यदि आपसे पूर्व उस मकान में कुत्सित विचारो के लोग रह रहे होंगे तो आपको उस घर मे अशांति महसूस होगी।
भूत प्रेत की कल्पना और दिखना 99% कपोल काल्पनिक होता है। केवल 1% ही इसमें सच्चाई होती है। यदि उस घर में आगज़नी, अकाल मृत्यु, हत्याकाण्ड या कोई जघन्य अपराध और मर्डर हुआ होगा तो ही भूत-प्रेत की संभावना बनती है। अतः आसपास उस घर के लोगों का इतिहास तलाशिये फिर निर्णय पर पहुंचिए। केवल 1% मनुष्य वही प्रेत बनता है जो प्रचंड मोह में लालच में या बदले की भावना में होता है। अन्यथा सब मुक्त हो जाते हैं। मनुष्य का शरीर स्थूल हो या सूक्ष्म विद्युतीय एटम(परमाणु) से बना है और प्रत्येक कण स्वतन्त्र सृष्टि करने में सक्षम है। कभी कभी ऐसे ही कण एक्टिवेट हो जाते है और स्वतन्त्र सृष्टि करके अपनी उपस्थिति का अहसास देते हैं।
बन्द पड़े कमरे ऊर्जा युक्त शब्दों के अभाव में, प्रकाश के अभाव में भी थोड़े अशान्त और डरावने लगते है। कुछ हमारी कल्पना भी होती है।
किसी मृत व्यक्ति की सूक्ष्म प्रतिमा या नकारात्मक ऊर्जा ज्यादा कठोर न हुई तो इसे आसानी से हटाया जा सकता है। ऐसे मकानों में उर्जावान अधिक मनुष्यों के साथ रहने और ऊर्जा युक्त शब्दों को बोलने से और उनके मानवीय विद्युत की गर्मी से स्वतः घर की ऊर्जा ठीक हो जाती है, नकारात्मकता का शमन हो जाता है। दिव्य ऊर्जा युक्त गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र से 40 दिन लगातार यज्ञ करने से किसी भी मकान की ऊर्जा को शुद्ध किया जा सकता है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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