प्रश्न - *गायत्री उपासना क्यों जरूरी है?*
उत्तर - ऐसा ही पश्न एक कॉलेज गोइंग युवा ने पूँछा।
हमने उससे कहा, तर्क से हम तुम्हें समझाएंगे, तो तर्क से ज्ञान मिलेगा भावना नहीं। जिस तरह प्रेम तर्क युक्त नहीं है वैसे ही उपासना तर्क युक्त नहीं है।
आजकल तुम्हारे जैसे अधिकतर युवा पढ़ाई के बोझ और घर की प्रॉब्लम के कारण शांति की तलाश में है। दिमाग़ को रिलैक्स करने का उपाय ढूँढ़ रहे है। अच्छे लोग तुम्हें गायत्री उपासना(जप और ध्यान) की सलाह देंगे और बुरे लोग नशा करने की सलाह देंगे। नशा ग़म भुलायेगा और गम के कारण का निदान नशा नही देगा। उपासना गम को भुलायेगा नहीं बल्कि गम के कारण को मिटाएगा।
उदाहरण स्वरूप घर के फर्श पर कचड़ा है, अब उसे नशा कुछ पल के लिए ढँक देगा। ढंकना आसान है कम वक्त लेगा। लेकिन कचड़ा वहीं है, वो सड़ेगा और दुर्गंध और कीड़े सब पनपेंगे।
उपासना अर्थात सफ़ाई करना, झाड़ू-पोछा करके साफ सफाई में वक्त भी लगेगा और मेहनत भी लगेगी। लेकिन स्वास्थ्य तो मिलेगा।
अब चयन तुम्हारे हाथ मे है, कि गम भुलाना है या गम मिटाना है? कचड़ा साफ करना है या मात्र कुछ देर के लिए ढंकना है?
बेटे गुड़ की व्याख्या से उसका स्वाद समझना मुश्किल है, इसी तरह उपासना के लाभ भी अनुभूति जन्य है। क्योंकि दुनियाँ अनुभूति जन्य चीज़ें शब्दो द्वारा विस्तार से बताना मुश्किल है। एक काम करो तुम उगते हुए सूर्य का ध्यान करो, भावना करने कि तुम्हारा सूक्ष्म शरीर सूर्य के पास गया और चार्ज हो गया। अब तुम सूर्य से मिलकर सूर्य हो गए जैसे आग में मिलकर लकड़ी आग हो जाती है। अब तुम प्रकाश के गोले की तरह अपने शरीर में प्रवेश कर गए। ऐसा ध्यान एक वर्ष तक गायत्री जप के साथ करके देखो, 3 माला रोज अर्थात 324 मंन्त्र रोज। अच्छी पुस्तक से थोड़ा स्वाध्याय करके रोज सोना।
एक वर्ष तक करो, यदि लाभ न मिले तो छोड़ देना। बेटा, इतना समझ लो यह वो जीवन अमृत है जो तुम्हें हमेशा चैतन्य और दिव्य ऊर्जा से भर देगा।
वह युवा थोड़ा व्यथित, हैरान, अशांत और परेशान था, अतः उसने इसे चैलेंज की तरह लिया और करने लगा। 3 महीने बाद ही आकर उसने बताया कि दी मन बहुत शांत हो गया है, समस्या वही है लेकिन उन्हें सम्हालना थोड़ा थोड़ा सीख रहा हूँ। एक वर्ष बाद जब दिसम्बर 2018 में उससे मिली तो देखकर हतप्रभ रह गई। उसके चेहरे की कांति/ओज बढ़ गया था और वह बड़ा शांत भाव मे था। हमने उससे पूँछा कि बेटा क्या विचार है, गायत्री उपासना अगले वर्ष करना है या छोड़ना है? वो बोला दी, आपने सत्य कहा था, यह गुड़ है, इसका स्वाद और अनुभूति निराली है। मेरे जैसे लड़के जो व्यथित थे उनमें से कुछ ने नशे का मार्ग अपनाया और आज उनकी हालत दयनीय है। मेरे दो दोस्त जो मेरी बात मानकर उपासना किये आज वो बड़े खुश है, और भी बहुत ख़ुश हूँ।
धन्यवाद दी, आज समझ भी आ गया कि गायत्री उपासना क्यों करें? और लोगो को समझा भी रहा हूँ। जीवन की रोड वही है, यह शरीर रूपी गाड़ी वही है, गायत्री उपासना ने हमें ड्राइविंग सिखा दी साथ ही अनलिमिटेड जीवनउर्जा का ईंधन दे दिया है, इसलिए जीवन के सफर को एन्जॉय कर रहे हैं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - ऐसा ही पश्न एक कॉलेज गोइंग युवा ने पूँछा।
हमने उससे कहा, तर्क से हम तुम्हें समझाएंगे, तो तर्क से ज्ञान मिलेगा भावना नहीं। जिस तरह प्रेम तर्क युक्त नहीं है वैसे ही उपासना तर्क युक्त नहीं है।
आजकल तुम्हारे जैसे अधिकतर युवा पढ़ाई के बोझ और घर की प्रॉब्लम के कारण शांति की तलाश में है। दिमाग़ को रिलैक्स करने का उपाय ढूँढ़ रहे है। अच्छे लोग तुम्हें गायत्री उपासना(जप और ध्यान) की सलाह देंगे और बुरे लोग नशा करने की सलाह देंगे। नशा ग़म भुलायेगा और गम के कारण का निदान नशा नही देगा। उपासना गम को भुलायेगा नहीं बल्कि गम के कारण को मिटाएगा।
उदाहरण स्वरूप घर के फर्श पर कचड़ा है, अब उसे नशा कुछ पल के लिए ढँक देगा। ढंकना आसान है कम वक्त लेगा। लेकिन कचड़ा वहीं है, वो सड़ेगा और दुर्गंध और कीड़े सब पनपेंगे।
उपासना अर्थात सफ़ाई करना, झाड़ू-पोछा करके साफ सफाई में वक्त भी लगेगा और मेहनत भी लगेगी। लेकिन स्वास्थ्य तो मिलेगा।
अब चयन तुम्हारे हाथ मे है, कि गम भुलाना है या गम मिटाना है? कचड़ा साफ करना है या मात्र कुछ देर के लिए ढंकना है?
बेटे गुड़ की व्याख्या से उसका स्वाद समझना मुश्किल है, इसी तरह उपासना के लाभ भी अनुभूति जन्य है। क्योंकि दुनियाँ अनुभूति जन्य चीज़ें शब्दो द्वारा विस्तार से बताना मुश्किल है। एक काम करो तुम उगते हुए सूर्य का ध्यान करो, भावना करने कि तुम्हारा सूक्ष्म शरीर सूर्य के पास गया और चार्ज हो गया। अब तुम सूर्य से मिलकर सूर्य हो गए जैसे आग में मिलकर लकड़ी आग हो जाती है। अब तुम प्रकाश के गोले की तरह अपने शरीर में प्रवेश कर गए। ऐसा ध्यान एक वर्ष तक गायत्री जप के साथ करके देखो, 3 माला रोज अर्थात 324 मंन्त्र रोज। अच्छी पुस्तक से थोड़ा स्वाध्याय करके रोज सोना।
एक वर्ष तक करो, यदि लाभ न मिले तो छोड़ देना। बेटा, इतना समझ लो यह वो जीवन अमृत है जो तुम्हें हमेशा चैतन्य और दिव्य ऊर्जा से भर देगा।
वह युवा थोड़ा व्यथित, हैरान, अशांत और परेशान था, अतः उसने इसे चैलेंज की तरह लिया और करने लगा। 3 महीने बाद ही आकर उसने बताया कि दी मन बहुत शांत हो गया है, समस्या वही है लेकिन उन्हें सम्हालना थोड़ा थोड़ा सीख रहा हूँ। एक वर्ष बाद जब दिसम्बर 2018 में उससे मिली तो देखकर हतप्रभ रह गई। उसके चेहरे की कांति/ओज बढ़ गया था और वह बड़ा शांत भाव मे था। हमने उससे पूँछा कि बेटा क्या विचार है, गायत्री उपासना अगले वर्ष करना है या छोड़ना है? वो बोला दी, आपने सत्य कहा था, यह गुड़ है, इसका स्वाद और अनुभूति निराली है। मेरे जैसे लड़के जो व्यथित थे उनमें से कुछ ने नशे का मार्ग अपनाया और आज उनकी हालत दयनीय है। मेरे दो दोस्त जो मेरी बात मानकर उपासना किये आज वो बड़े खुश है, और भी बहुत ख़ुश हूँ।
धन्यवाद दी, आज समझ भी आ गया कि गायत्री उपासना क्यों करें? और लोगो को समझा भी रहा हूँ। जीवन की रोड वही है, यह शरीर रूपी गाड़ी वही है, गायत्री उपासना ने हमें ड्राइविंग सिखा दी साथ ही अनलिमिटेड जीवनउर्जा का ईंधन दे दिया है, इसलिए जीवन के सफर को एन्जॉय कर रहे हैं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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