प्रश्न - *हम आम जनता इस पुलवामा आतंकी हमला की करो या मरो की स्थिति में देश के सम्मान और सुरक्षा के लिए, हमारी सेना की सुरक्षा के लिए क्या और कैसे सहयोग करें?*
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
उत्तर - हम सभी देशवासी एकजुट होकर देश और सेना के साथ खड़े है।
जब प्राचीन वक्त में युध्द जैसा कोई संकट होता था, तो आम जनता महाकाली की साधना, जप और यज्ञ के द्वारा सेना और सरकार की शक्ति बढाते थे। स्थूल युद्ध सेना लड़ती है और सूक्ष्म युध्द ऋषिमुनि और आमजनता लड़ती थी। इसलिए राक्षस सबसे पहले यज्ञ और तप बन्द करवाते थे। क्योंकि तप की शक्ति से वो भी परिचित थे।
हम सबको भी महाकाली की साधना करना है, कुछ देर में मीटिंग होने वाली है, सही निर्णय सरकार और सेना ले सके, और सबको सद्बुद्धि मिले इसके लिए निम्नलिखित जप तप यज्ञ जो कर सकें अवश्य करें:-
1- असुरता और आतंकवाद के नाश के लिए कम से कम 108 बार महाकाली मंन्त्र या इससे ज्यादा मौन मानसिक जपें -
महाकाली गायत्री मंत्र - *ॐ भूर्भुवः स्व: क्लीं क्लीं क्लीं तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात क्लीं क्लीं क्लीं ॐ*
2- यज्ञ में उपरोक्त महाकाली मंन्त्र के साथ साथ गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र की भी आहुति असुरता और आतंकवाद के नाश के लिए दें।
गायत्री मंत्र - *ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात*
महामृत्युंजय मंत्र- *ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥*
3- जो *दुर्गाशप्तशती* या *गुरुगीता का -खण्ड बी* का या *सुंदरकांड* का पाठ कर सकते हैं वो अवश्य करें, यह भी संकट की परिस्थिति में मनोबल बढ़ाता है और असुरता और आतंकवाद के नाश के लिए सहायक है।
4- गायत्री चालीसा या हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ असुरता और आतंकवाद के नाश के लिए करें।
5- ध्यान में देवशक्तियों का आह्वाहन और प्रार्थना असुरता और आतंकवाद के नाश के लिए करें। रुद्राष्टाध्यायी पाठ एवं रुद्राभिषेक असुरता और आतंकवाद के नाश के लिए करें।
रामायण की एक कथा में गोस्वामी तुलसीदास लिखते हैं कि राजा प्रतापभानु एक तपस्वी की तंत्र-मंत्र शक्तियों की निपुणता देख चकित हो जाते हैं। तब वह तपस्वी राजा को कहते हैं:
*जनी अचरजु करहु मन माहीं। सुत तप तें दुर्लभ कछु नाहीं*।।
*तपबल तें जग सृजइ बिधाता। तपबल बिष्नु भए परित्ताता*।।
*तपबल संभु करहिं संघारा। तप तें अगम न कछु संसारा।। (तुलसी रामायण*, १.१६२.१-२)
श्रीराम ने युध्द से पहले यज्ञ किया और सभी पांडवों ने भी श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन में किया था। सेना के लिए यह कार्य हम सबको करना है, आइये मिलकर सेना और देश को दुर्गा शक्ति प्रदान करें, आतंकवाद और असुरता का नाश करें।
स्वयं भी देश की सुरक्षा और सेना के लिए प्रार्थना और तपदान करें, साथ ही अन्यदेशवासियो को प्रेरित करें।
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
जय हिंद जय भारत
जय जवान जय किसान
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
उत्तर - हम सभी देशवासी एकजुट होकर देश और सेना के साथ खड़े है।
जब प्राचीन वक्त में युध्द जैसा कोई संकट होता था, तो आम जनता महाकाली की साधना, जप और यज्ञ के द्वारा सेना और सरकार की शक्ति बढाते थे। स्थूल युद्ध सेना लड़ती है और सूक्ष्म युध्द ऋषिमुनि और आमजनता लड़ती थी। इसलिए राक्षस सबसे पहले यज्ञ और तप बन्द करवाते थे। क्योंकि तप की शक्ति से वो भी परिचित थे।
हम सबको भी महाकाली की साधना करना है, कुछ देर में मीटिंग होने वाली है, सही निर्णय सरकार और सेना ले सके, और सबको सद्बुद्धि मिले इसके लिए निम्नलिखित जप तप यज्ञ जो कर सकें अवश्य करें:-
1- असुरता और आतंकवाद के नाश के लिए कम से कम 108 बार महाकाली मंन्त्र या इससे ज्यादा मौन मानसिक जपें -
महाकाली गायत्री मंत्र - *ॐ भूर्भुवः स्व: क्लीं क्लीं क्लीं तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात क्लीं क्लीं क्लीं ॐ*
2- यज्ञ में उपरोक्त महाकाली मंन्त्र के साथ साथ गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र की भी आहुति असुरता और आतंकवाद के नाश के लिए दें।
गायत्री मंत्र - *ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात*
महामृत्युंजय मंत्र- *ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥*
3- जो *दुर्गाशप्तशती* या *गुरुगीता का -खण्ड बी* का या *सुंदरकांड* का पाठ कर सकते हैं वो अवश्य करें, यह भी संकट की परिस्थिति में मनोबल बढ़ाता है और असुरता और आतंकवाद के नाश के लिए सहायक है।
4- गायत्री चालीसा या हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ असुरता और आतंकवाद के नाश के लिए करें।
5- ध्यान में देवशक्तियों का आह्वाहन और प्रार्थना असुरता और आतंकवाद के नाश के लिए करें। रुद्राष्टाध्यायी पाठ एवं रुद्राभिषेक असुरता और आतंकवाद के नाश के लिए करें।
रामायण की एक कथा में गोस्वामी तुलसीदास लिखते हैं कि राजा प्रतापभानु एक तपस्वी की तंत्र-मंत्र शक्तियों की निपुणता देख चकित हो जाते हैं। तब वह तपस्वी राजा को कहते हैं:
*जनी अचरजु करहु मन माहीं। सुत तप तें दुर्लभ कछु नाहीं*।।
*तपबल तें जग सृजइ बिधाता। तपबल बिष्नु भए परित्ताता*।।
*तपबल संभु करहिं संघारा। तप तें अगम न कछु संसारा।। (तुलसी रामायण*, १.१६२.१-२)
श्रीराम ने युध्द से पहले यज्ञ किया और सभी पांडवों ने भी श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन में किया था। सेना के लिए यह कार्य हम सबको करना है, आइये मिलकर सेना और देश को दुर्गा शक्ति प्रदान करें, आतंकवाद और असुरता का नाश करें।
स्वयं भी देश की सुरक्षा और सेना के लिए प्रार्थना और तपदान करें, साथ ही अन्यदेशवासियो को प्रेरित करें।
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
जय हिंद जय भारत
जय जवान जय किसान
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
No comments:
Post a Comment