प्रश्न - *दीदी प्रणाम 🙏दीदी मुहूर्त क्या होता है इसके बारे कृपया बताएं 🙏🙏*
उत्तर - आत्मीय बहन, *प्रकृति के सूक्ष्म परिवर्तन, ऋतुओं का हेर फेर, चन्द्रमा की कलाओं की घटा बढ़ी, समुद्र के ज्वार भाटे, आकाशस्थ ग्रह नक्षत्रों का पृथ्वी पर आने वाला प्रभाव, सूक्ष्म जगत में होने वाली उथल पुथल, पृथ्वी की परिक्रमा से परिवर्तित राशिस्थल, आदि अनेक कारणों से संसार के अवश्य वातावरण में बड़े महत्वपूर्ण हेर होते रहते हैं। उन परिवर्तनों का कब, किस वस्तु पर किस प्राणी पर क्या प्रभाव पड़ेगा इस रहस्य को दिव्य दृष्टि से देख सकने वाले योगियों ने मुहूर्त विद्या की रचना की है। किस कार्य के लिऐ कौन समय उपयुक्त होगा? इस सूक्ष्म विज्ञान के आधार पर ही मुहूर्त शोधे जाते है*।(Reference अखण्डज्योति, Oct 1951)
उदाहरण - दिन और रात के मिलन को *संध्या* कहते हैं और दो ऋतुओं के मिलन को *नवरात्र* कहते हैं। यह मुहूर्त अर्थात समय जप, तप और अनुष्ठान के लिए उत्तम है।
सिद्धांत ज्योतिषि गणना करके ठीक ठीक चन्द्रग्रहण और सूर्य ग्रहण की तिथि वक़्त की तरह ही प्रकृति के प्रभाव की भी गणना करने में सक्षम थे, वर्षा कब होगी कब नहीं सब बता देते थे। मनुष्य ने प्रदूषण फैला कर प्रकृति और मौसम चक्र को बिगाड़ दिया है। अतः अब यह प्रभावी उतने नहीं रहे।
शादी व्याह और अन्य उत्सव खुले में होते थे, तो मुहूर्त के अनुसार करने पर, उस वक्त वर्षा और तेज हवा का खतरा नहीं होता था। उत्सव निर्विघ्न हो जाते थे।एक प्रकार से स्थूल और सूक्ष्म weather forecast की तरह कार्य करते थे।
आज के समय जहाँ बड़े बड़े सुरक्षित भवन हैं, वहाँ किसी भी मौसम में विवाह, यज्ञ, उत्सव किया जा सकता है।
*जागृत तीर्थों जैसे युग गायत्री तीर्थ शान्तिकुंज, गायत्री तपोभूमि मथुरा, हिंदू धर्म के तीर्थ जहां नित्य यज्ञ, जप और अखण्डदीप जलता हो, वहाँ सतयुग का वास होता हैं, यहाँ सभी नवग्रह शुभ दृष्टि लिए होते हैं, प्रत्येक पल शुभ मुहूर्त और अमृत सिद्धि योग लिए होता है। तीर्थ क्षेत्र में विवाह, यग्योपवीत(जनेऊ), मुण्डन, जन्मदिन इत्यादि जैसे शुभ कार्य के लिए मुहूर्त विचार करने की आवश्यकता नहीं है।*
*युगऋषि परमपूज्य गुरूदेव कहते हैं, शुभ कार्य के लिए सभी दिन और पल शुभ हैं। शुभ कार्य कर लेना चाहिए।*
*अत्यधिक मुहूर्तवाद अंधविश्वास का द्योतक है, अब मौसम की ठीक ठीक गणना ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण के कारण सम्भव नहीं है। अब सुरक्षित बड़े भवनों में ख़राब मौसम में भी आयोजन आसानी से किया जा सकता है। यदि कोई आयोजन खुले आसमान के नीचे कर रहे हैं तो वर्तमान तकनीक Google पर weather forecast तय तिथि का चेक कर लें और तदनुसार व्यवस्था बना लें। जो कार्य वर्तमान में यह तकनीक कर रही है वही कार्य प्राचीन समय में मुहूर्त करते थे।*
वर्तमान युग में अत्याधुनिक वाहन की सुविधा है, अतः कहीं प्रस्थान करने के लिए, बिजनेस मीटिंग और जॉब इंटरव्यू पर जाने के लिए हवा का रूख़, दिशाशूल, मुहूर्त और मौसम देखने की जरूरत नहीं है। भगवान का नाम लेकर निकलिए, जो स्वर नाक का चल रहा हो वो पैर आगे पहले बढ़ाइए और घर से निकलिए, समय पर पहुंच कर शुभकार्य कीजिये।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय बहन, *प्रकृति के सूक्ष्म परिवर्तन, ऋतुओं का हेर फेर, चन्द्रमा की कलाओं की घटा बढ़ी, समुद्र के ज्वार भाटे, आकाशस्थ ग्रह नक्षत्रों का पृथ्वी पर आने वाला प्रभाव, सूक्ष्म जगत में होने वाली उथल पुथल, पृथ्वी की परिक्रमा से परिवर्तित राशिस्थल, आदि अनेक कारणों से संसार के अवश्य वातावरण में बड़े महत्वपूर्ण हेर होते रहते हैं। उन परिवर्तनों का कब, किस वस्तु पर किस प्राणी पर क्या प्रभाव पड़ेगा इस रहस्य को दिव्य दृष्टि से देख सकने वाले योगियों ने मुहूर्त विद्या की रचना की है। किस कार्य के लिऐ कौन समय उपयुक्त होगा? इस सूक्ष्म विज्ञान के आधार पर ही मुहूर्त शोधे जाते है*।(Reference अखण्डज्योति, Oct 1951)
उदाहरण - दिन और रात के मिलन को *संध्या* कहते हैं और दो ऋतुओं के मिलन को *नवरात्र* कहते हैं। यह मुहूर्त अर्थात समय जप, तप और अनुष्ठान के लिए उत्तम है।
सिद्धांत ज्योतिषि गणना करके ठीक ठीक चन्द्रग्रहण और सूर्य ग्रहण की तिथि वक़्त की तरह ही प्रकृति के प्रभाव की भी गणना करने में सक्षम थे, वर्षा कब होगी कब नहीं सब बता देते थे। मनुष्य ने प्रदूषण फैला कर प्रकृति और मौसम चक्र को बिगाड़ दिया है। अतः अब यह प्रभावी उतने नहीं रहे।
शादी व्याह और अन्य उत्सव खुले में होते थे, तो मुहूर्त के अनुसार करने पर, उस वक्त वर्षा और तेज हवा का खतरा नहीं होता था। उत्सव निर्विघ्न हो जाते थे।एक प्रकार से स्थूल और सूक्ष्म weather forecast की तरह कार्य करते थे।
आज के समय जहाँ बड़े बड़े सुरक्षित भवन हैं, वहाँ किसी भी मौसम में विवाह, यज्ञ, उत्सव किया जा सकता है।
*जागृत तीर्थों जैसे युग गायत्री तीर्थ शान्तिकुंज, गायत्री तपोभूमि मथुरा, हिंदू धर्म के तीर्थ जहां नित्य यज्ञ, जप और अखण्डदीप जलता हो, वहाँ सतयुग का वास होता हैं, यहाँ सभी नवग्रह शुभ दृष्टि लिए होते हैं, प्रत्येक पल शुभ मुहूर्त और अमृत सिद्धि योग लिए होता है। तीर्थ क्षेत्र में विवाह, यग्योपवीत(जनेऊ), मुण्डन, जन्मदिन इत्यादि जैसे शुभ कार्य के लिए मुहूर्त विचार करने की आवश्यकता नहीं है।*
*युगऋषि परमपूज्य गुरूदेव कहते हैं, शुभ कार्य के लिए सभी दिन और पल शुभ हैं। शुभ कार्य कर लेना चाहिए।*
*अत्यधिक मुहूर्तवाद अंधविश्वास का द्योतक है, अब मौसम की ठीक ठीक गणना ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण के कारण सम्भव नहीं है। अब सुरक्षित बड़े भवनों में ख़राब मौसम में भी आयोजन आसानी से किया जा सकता है। यदि कोई आयोजन खुले आसमान के नीचे कर रहे हैं तो वर्तमान तकनीक Google पर weather forecast तय तिथि का चेक कर लें और तदनुसार व्यवस्था बना लें। जो कार्य वर्तमान में यह तकनीक कर रही है वही कार्य प्राचीन समय में मुहूर्त करते थे।*
वर्तमान युग में अत्याधुनिक वाहन की सुविधा है, अतः कहीं प्रस्थान करने के लिए, बिजनेस मीटिंग और जॉब इंटरव्यू पर जाने के लिए हवा का रूख़, दिशाशूल, मुहूर्त और मौसम देखने की जरूरत नहीं है। भगवान का नाम लेकर निकलिए, जो स्वर नाक का चल रहा हो वो पैर आगे पहले बढ़ाइए और घर से निकलिए, समय पर पहुंच कर शुभकार्य कीजिये।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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