Wednesday, 6 February 2019

प्रश्न - *दी, देवसंस्कृति भारतीय संस्कृति के मूल चार तत्व - समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी और बहादुरी हैं। देश को विश्वगुरु-जगतगुरु के रूप में स्थापित करने के लिए, युगनिर्माण के लिए हममें से प्रत्येक को इसे अपनाना होगा। यह कथन स्पष्ट करें।*

प्रश्न - *दी, देवसंस्कृति भारतीय संस्कृति के मूल चार तत्व - समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी और बहादुरी हैं। देश को विश्वगुरु-जगतगुरु के रूप में स्थापित करने के लिए, युगनिर्माण के लिए हममें से प्रत्येक को इसे अपनाना होगा। यह कथन स्पष्ट करें।*

उत्तर - आत्मीय भाई,

🙏🏻 *सामान्य स्थिति से ऊपर उठने के लिए हर व्यक्ति को प्रचुर मात्रा में स्वतंत्रता विधाता द्वारा प्राप्त है। समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी, बहादुरी ये चार विभूतियां ऐसी है, जिनका सदुपयोग सुनियोजन कर हर व्यक्ति प्रगति की दिशा में आगे बढ़ता रह सकता है। वस्तुतः ये आत्म उन्नति के चार चरण हैं।  इन्हें अपनाने के लिए हमें जागरूकता, तत्परता और तन्मयतापूर्वक निरंतर प्रयत्नरत रहना चाहिए। 👉🏼इन्हें हम अपनाकर देवसंस्कृति भारतीय संस्कृति की पताका विश्व में फहरा सकते हैं। देश को पुनः विश्वगुरु-जगतगुरु बना सकते हैं।* 🙏🏻

👉🏼 *1- समझदारी*- समझदारी मनुष्य का सर्वोपरि गुण है। समझदारी सौभाग्य का प्रवेश द्वार है, तो बेवकूफी दुर्भाग्य का। समझदारी का अर्थ है, तात्कालिक आकर्षण में समय बरतना, दूर की सोचना, किसी काम की प्रतिक्रिया और परिणति का रूप समझना, स्थिति के अनुकूल निर्णय और प्रयास करना समझदारी दैवी अनुदान नहीं है, वरन् सतर्क, विवेकशील व्यक्ति निरंतर अभ्यास करके इस गुण को स्थायी बनाते हैं और अपने व्यक्तित्व को निखारते हैं। समझदारी के साथ दूरदर्शिता और विवेकशीलता अनिवार्य रूप से जुड़ी रहती है। समझदार व्यक्ति संयम, श्रम, मनोयोग और अनुशासन को उज्ज्वल भविष्य की नींव मानते हैं। वे तात्कालिक लाभ पर कम ध्यान देते हैं, दूरगामी सत्परिणामों पर विचार करते हैं। इसीलिए समझदार व्यक्ति समुचित सतर्कता, तत्परता और तन्मयता से अनेकानेक उपलब्धियां पाते ही चले जाते हैं।

इसके विपरीत समझदारी से काम न लेने वाले व्यक्ति तत्काल के लाभ को देखते हैं और यह सोचते ही नहीं कि भविष्य में इसका क्या परिणाम होगा? जब उनकी जल्दबाजी, अदूरदर्शिता का परिणाम सामने आता है, तो उन्हें दुःख-ही-दुःख सहन करना पड़ता है। उतावले, अस्थिर, आलसी, प्रमादी समस्त सुविधाएं होते हुए भी धूर्तों द्वारा ठगे जाते हैं और ठोकरें खाते, निरर्थक श्रम करते, कष्ट सहते, उपहास सहते, तिरस्कार पाते हैं और हर प्रकार से घाटे में रहते हैं।

👉🏼 *2. ईमानदारी* — समझदारी के अतिरिक्त मानवी गरिमा में चार चांद लगाने वाली है—ईमानदारी। ईमानदारी का अर्थ मोटे रूप में आर्थिक लेन−देन में प्रामाणिकता बरतना माना जाता है। वस्तुतः वह उतने क्षेत्र तक सीमित नहीं है।

व्यापारी वस्तुओं में मिलावट न करें, नासमझों की जेब न काटें, कर चोरी न करें, रिश्वत के आधार पर अनुचित लाभ न उठाएं। साधारणतया ये बातें ईमानदारी की सीमा में आती हैं। यह नीति ऐसी है, जिसे अपनाने पर कोई आरंभ में घाटे में भले ही रहे, पर अंततः भरपाई हो जाती है।


ईमानदार हमें अपने प्रति, भगवान के प्रति, परिवार के प्रति व समाज के प्रति भी रहना चाहिए| हम अपनी आत्मा के दरबार में झूठे, बेईमान साबित न हों। जैसे भीतर हैं, वैसे ही बाहर रहें। छल, झूठ, कपट, फरेब किसी भी प्रकार हमारे भीतर प्रवेश न करें व पारिवारिक जिम्मेदारी के प्रति हम अपना फर्ज निबाहें।


👉🏼 *3. जिम्मेदारी* — जिम्मेदारियां भगवान ने मनुष्य को अनेक रूपों में सौंपी हैं। समाज ने भी उसे मर्यादाओं और वर्जनाओं के अंकुश को मानने के लिए बाधित किया है। इन सब की जो अवज्ञा करता है, उसे उद्दंड, उच्छृंखल माना जाता है।

हर व्यक्ति शरीर रक्षा, परिवार व्यवस्था, समाजनिष्ठा, अनुशासन का परिपालन जैसे कर्त्तव्यों से बंधा हुआ है। जिम्मेदारियों को निबाहने पर ही मनुष्य का शौर्य निखरता है, विश्वास बनता है और विश्वसनीयता के आधार पर ही वह व्याख्या बनने लगती है, जिसके अनुसार उन्हें अधिक जिम्मेदारियां सौंपी जाएं, प्रगति के उच्च शिखर पर जा पहुंचने का सुयोग खिंचता चला आए। लोग उन्हें आग्रहपूर्वक बुलाएं और सिर-माथे पर चढ़ाएं। जिम्मेदारी लोगों का ही व्यक्तित्व निखरता है और बड़े पराक्रम वे ही कर पाते हैं।

देशद्रोही कृष्णराव अलाउद्दीन के लिए जासूसी कर रहा है, जब इस बात का पता उसकी पत्नी वीरमती को चला, तो उसने अपने पति की हत्या कर दी। मरते हुए पति ने कहा—‘‘यह क्या किया वीरमती तुमने? भारतीय स्त्रियां ऐसा तो कभी नहीं करतीं।’’ ‘‘हां, तुम बिल्कुल ठीक कहते हो, पर भारतीय पुरुष भी तो कभी देश द्रोह नहीं करते। इस समय राष्ट्र की रक्षा ही मेरा धर्म है। रही पतिव्रत की बात सो यह अब लो।’’ यह कहकर उसने खुद को भी कटार भोंक ली और पति के साथ सती हो गई।

हर समझदार व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वे जिस प्रकार अपने शरीर और अर्थ व्यवस्था का ध्यान रखता है, उसी प्रकार अपने प्रमुख उपकरण शरीर और मस्तिष्क को स्वस्थ व संतुलित बनाए रहे। शरीर भगवान की सौंपी हुई अमानत है। उसे यदि असंयमित और अव्यवस्थित न किया जाए तो पूर्ण आयुष्य तक निरोगी रहा जा सकता है। हमारी जिम्मेदारी है कि जिस प्रकार चोर को घर में नहीं घुसने दिया जाता, उसी प्रकार मस्तिष्क में अनुपयुक्त विचारों का प्रवेश न होने दें। गैर जिम्मेदारी का आभास यहीं से मिलता है कि व्यक्ति ने अपने शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को गड़बड़ा तो नहीं दिया।

नवयुवको! तुम्हें भी ईश्वर ने विवेकशील मस्तिष्क और विशाल हृदय दिया है। अपनी जिम्मेदारियां निबाहना सीखो। अपने देश, धर्म, समाज, संस्कृति से संबंधित अपने संपर्क क्षेत्र को भौतिक दृष्टि से समुन्नत और भावना की दृष्टि से सुसंस्कृत बनाने का प्रयत्न करो, क्योंकि तुम ही वर्तमान हो, तुम ही भविष्य हो। हमारा परिवार, समाज व राष्ट्र यशस्वी बने, यह तुम्हारी जिम्मेदारी है।

👉🏼 *4- बहादुरी* — समझदार, ईमानदार व जिम्मेदार होने के साथ-साथ मनुष्य को बहादुर भी होना चाहिए। साहसी और पराक्रमी व्यक्ति कायरों की तरह असफलता की आशंका और कठिनाइयों से भयभीत होकर अपने कर्त्तव्य छोड़कर बैठ नहीं जाते, जो करने योग्य है उसको करते हैं।

ईश्वर ने मनुष्य को इतना कमजोर नहीं बनाया कि उसे दीन-हीन बनकर जीना पड़े। मार्ग उन्हीं का अवरुद्ध रहता हो जो अपने ऊपर भरोसा नहीं करते। कितने ही व्यक्ति आत्महीनता की ग्रंथि से ग्रसित होकर अच्छे-खासे साधन होते हुए भी अपने आपको गया-गुजरा मानते हैं। इस प्रकार के लोगों को ऐसा अभागा जानना चाहिए, जिसने दारिद्रय को निमंत्रण देकर बुलाया है और अपने सिर पर बैठा लिया है। बहादुरी इसी में है कि अगर तुम्हारे पास अल्प साधन ही हैं तो भी अपनी लगन, हिम्मत और मेहनत के बलबूते ऐसे काम कर दिखाओ, जिसके लिए लोगों को आश्चर्यचकित होकर दांतों तले उंगली दबानी पड़ें।

🙏🏻 *याद रखिये भारत सोने की चिड़िया, आर्थिक रूप से विश्व व्यापार में 32% से ज्यादा प्रभाव, ज्ञान दाता विश्वगुरु-जगत गुरु इन्हीं चार आधारों पर रहा था, और इन चार आधारों को पुनः अपनाकर ही इसे पुनः सोने की चिड़िया, आर्थिक रूप से विकसित, टेक्नोलॉजी में विकसित, अध्यात्म ज्ञान में विश्वगुरु और जगतगुरु बनाया जा सकता है*।🙏🏻

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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