*वसन्तपर्व पर जागो, देश बचाओ*
अंग्रेज चले गए,
अंग्रेजियत का विष,
भारतीयों की सोच में घोल गए,
राजनीतिक गुलामी तो हट गई,
मानसिक ग़ुलामी की बेड़ी रह गई।
स्कूलों से सभ्यता सँस्कार हट गए,
अंग्रेजी रोबोट बनाने के,
बस इक दुकान बन गए।
अंग्रेजी युवा रोबोट,
मात्र नौकरी की होड़ में लग गए,
मालिक बनना भूल गए,
कम्पनी सेवक बनने में जुट गए।
इंग्लिश एक मात्र भाषा,
स्टेटस का सबब बन गई,
माता की लोरी हट गई,
बस गिटर पीटर रह गई।
पापा की भी अंग्रेजी से होड़ हो गई,
ममता भरे शब्दों की जगह,
इंग्लिश से ही ज़बान भर गई।
वृद्धों की सेवा का भाव हट गया,
जगह जगह वृद्धाश्रम खुल गया।
मंदिरों से भीड़ हट गई,
पब-बार में,
मदिरापान में जुट गई,
घर एक मन्दिर न रह गया,
पब बार और होटल बन गया,
आत्मियता और सेवाभाव,
अब रिश्तों में न रहा,
हर रिश्ते का व्यापार और,
मोल भाव हो गया,
पत्नी अर्धागिनी न रही,
पति अर्धांग न रहा,
शादी के बाद भी,
अब एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का,
लगातार प्रचलन बढ़ रहा।
फ़टी जीन्स और फूटे भाग्य,
टूटे रिश्ते और बिछड़े साथ।
शरीर और मन,
रोगों की खान बन गया,
भारतिय युवा बुरी तरह,
नशे के जंजीरों में जकड़ गया,
परिवार बिखर गया,
कोर्ट कचहरी और तलाक में उलझ गया।
जागो! जागो! जागो!,
इस मानसिक ग़ुलामी से,
अपने देश को बचाओ,
स्वतंत्रता का यह बिगुल,
विचारक्रांति से बजाओ।
विश्वगुरू थे मालिक थे,
व्यापार और टेक्नोलॉजी में आगे थे,
सोने की चिड़िया कहलाते थे,
जब घर घर इंग्लिश जगह,
संस्कृत बोले जाते थे,
गुरुकुल में इंसान बनते थे,
जब संस्कृत में अध्ययन करते थे।
जापान, इजराइल, चीन की तरह,
अपनी मूल सभ्यता संस्कृति को अपनाओ,
अपनी उन्नत भारतीय संस्कृति अपनाकर,
विश्वगुरु बनने में जुट जाओ।
रिश्तों में प्यार सहकार बढ़ाओ,
गृहस्थ को धरती का स्वर्ग बनाओ,
पब बार को छोड़कर,
मन्दिर को जनजागृति केंद्र बनाओ,
फ़टी जीन्स छोड़कर,
भारतीय वेशभूषा अपनाओ,
रोगकारक फ़ास्ट फ़ूड छोड़कर,
भारतीय व्यजन स्वास्थ्य से भरपूर खाओ।
पाश्चात्य सोच से मुक्त हो जाओ,
नशे की लंका में आग लगाओ,
भली चाह और अच्छी सोच से,
देश को सुखी समृद्ध बनाने में जुट जाओ।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
*नोट*:- आधुनिक वैज्ञानिक रिसर्च से यह सिद्ध हो चुका है कि संस्कृत के मंन्त्र गायत्री मंत्र जपने से बुद्धिकुशलता बढ़ती है। अंग्रेजी के शब्द बोलने से दिमागी क्षमता में कोई कुशलता नहीं बढ़ती।
अंग्रेज चले गए,
अंग्रेजियत का विष,
भारतीयों की सोच में घोल गए,
राजनीतिक गुलामी तो हट गई,
मानसिक ग़ुलामी की बेड़ी रह गई।
स्कूलों से सभ्यता सँस्कार हट गए,
अंग्रेजी रोबोट बनाने के,
बस इक दुकान बन गए।
अंग्रेजी युवा रोबोट,
मात्र नौकरी की होड़ में लग गए,
मालिक बनना भूल गए,
कम्पनी सेवक बनने में जुट गए।
इंग्लिश एक मात्र भाषा,
स्टेटस का सबब बन गई,
माता की लोरी हट गई,
बस गिटर पीटर रह गई।
पापा की भी अंग्रेजी से होड़ हो गई,
ममता भरे शब्दों की जगह,
इंग्लिश से ही ज़बान भर गई।
वृद्धों की सेवा का भाव हट गया,
जगह जगह वृद्धाश्रम खुल गया।
मंदिरों से भीड़ हट गई,
पब-बार में,
मदिरापान में जुट गई,
घर एक मन्दिर न रह गया,
पब बार और होटल बन गया,
आत्मियता और सेवाभाव,
अब रिश्तों में न रहा,
हर रिश्ते का व्यापार और,
मोल भाव हो गया,
पत्नी अर्धागिनी न रही,
पति अर्धांग न रहा,
शादी के बाद भी,
अब एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का,
लगातार प्रचलन बढ़ रहा।
फ़टी जीन्स और फूटे भाग्य,
टूटे रिश्ते और बिछड़े साथ।
शरीर और मन,
रोगों की खान बन गया,
भारतिय युवा बुरी तरह,
नशे के जंजीरों में जकड़ गया,
परिवार बिखर गया,
कोर्ट कचहरी और तलाक में उलझ गया।
जागो! जागो! जागो!,
इस मानसिक ग़ुलामी से,
अपने देश को बचाओ,
स्वतंत्रता का यह बिगुल,
विचारक्रांति से बजाओ।
विश्वगुरू थे मालिक थे,
व्यापार और टेक्नोलॉजी में आगे थे,
सोने की चिड़िया कहलाते थे,
जब घर घर इंग्लिश जगह,
संस्कृत बोले जाते थे,
गुरुकुल में इंसान बनते थे,
जब संस्कृत में अध्ययन करते थे।
जापान, इजराइल, चीन की तरह,
अपनी मूल सभ्यता संस्कृति को अपनाओ,
अपनी उन्नत भारतीय संस्कृति अपनाकर,
विश्वगुरु बनने में जुट जाओ।
रिश्तों में प्यार सहकार बढ़ाओ,
गृहस्थ को धरती का स्वर्ग बनाओ,
पब बार को छोड़कर,
मन्दिर को जनजागृति केंद्र बनाओ,
फ़टी जीन्स छोड़कर,
भारतीय वेशभूषा अपनाओ,
रोगकारक फ़ास्ट फ़ूड छोड़कर,
भारतीय व्यजन स्वास्थ्य से भरपूर खाओ।
पाश्चात्य सोच से मुक्त हो जाओ,
नशे की लंका में आग लगाओ,
भली चाह और अच्छी सोच से,
देश को सुखी समृद्ध बनाने में जुट जाओ।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
*नोट*:- आधुनिक वैज्ञानिक रिसर्च से यह सिद्ध हो चुका है कि संस्कृत के मंन्त्र गायत्री मंत्र जपने से बुद्धिकुशलता बढ़ती है। अंग्रेजी के शब्द बोलने से दिमागी क्षमता में कोई कुशलता नहीं बढ़ती।
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