Wednesday 27 February 2019

गायत्री मंत्र अखण्डजप सङ्कल्प व विधि

*आत्मीय भाई प्रणाम*,

*जिस दिन अखण्ड जप करना हो अपने नियत समय पर जप से पूर्व साधक निम्नलिखित  संकल्प ले--*



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*प्रारब्ध काटने के लिए- *गायत्रीमंत्र अखंड जप* *सहायक है*।


*साधक जप पे बैठने से पहले पवित्रता को ध्यान में रखते हुए स्नान या धूलेस्वच्छ वस्त्र पहने । देव मंदिर में दिया जलाए व् अखण्ड जप के निम्मित संकल्प लेने हेतु अपने दाहिने हाथ की हथेली में एक आचमनी जल अक्षत -पुष्प रखे कमर सीधी मन को संकल्प पर एकाग्र करते हुए निचे लिखे संकल्प को दोहराएं*।। 🙏🙏

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विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य, अद्य श्रीब्रह्मणो द्वितीये प्ररार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे, वैवस्वतमन्वन्तरे, भूर्लोके, जम्बूद्वीपे, भारतवर्षे, भरतखण्डे, आर्यावर्त्तैकदेशान्तर्गते, < *अपने अपने देश का नाम यदि कोई इस संकल्प में भारत के बाहर से भी जो साधक भाई बहन जुड़ रहे हो। फिर उस राज्य (स्टेट)फिर क्षेत्र का स्थान नाम यहां जोड़ें*> क्षेत्रे,  स्थले 2075 विक्रमसंवत्सरे मासानां मासोत्तमेमासे *फाल्गुनमासे* *कृष्ण पक्षे ..  नवमी तिथौ . गुरुवार शुभवासरे .....अब अपना नाम गोत्र (गुरुगौत्र भरद्वाज) के साथ बोलें*>..... गोत्रोत्पन्नः .. < *अपना नाम बोलें*>........ नामाऽहं सत्प्रवृत्ति- संवर्द्धनाय, दुष्प्रवृत्ति- उन्मूलनाय, लोककल्याणाय, आत्मकल्याणाय, वातावरण -परिष्काराय,  उज्ज्वलभविष्यकामनापूर्तये च प्रबलपुरुषार्थं करिष्ये, अस्मै प्रयोजनाय च कलशादि- आवाहितदेवता- पूजनपूर्वकम् ...                *मेरी अच्छी जॉब के लिए, मेरी और मेरे परिवार की सद्बुद्धि और आर्थिक खुशहाली के लिए ,हम सबके उज्ज्वलभविष्य निमित्तकम* *8 घण्टे का अखंड जप* > कर्मसम्पादनार्थं सङ्कल्पम् अहं करिष्ये।

*व देव मन्दिर में अपने इष्ट के समक्ष रखे पात्र में (श्री सद्गुरु अर्पणमस्तु /श्री हरीअर्पण मस्तु )बोल के समर्पित कर दें*🙏


भगवान और सद्गुरु को काम बताने वाले बहुत लोग हैं उनपर मनोकामना का बोझ लादने वाले बहुत हैं, लेकिन उनका साझेदार कोई नहीं बनता। भाग्यशाली हैं हम है कि भगवान से काम मांगने वाले, उनका हाथ बंटाने वाले बनेंगे है। अतः भगवान के साथ साझेदारी कीजिये और अपनी कमाई का ताउम्र 2% दान करने का सङ्कल्प लीजिये।

सङ्कल्प के बाद टाइम नोट कर लें, और जप शुरू कर दें। अखण्डजप में कलश स्थापित अवश्य करें। जप में कोई न कोई व्यक्ति बैठा रहेगा। एक घण्टी वहां रख दें, जो उठना चाहे वो घण्टी बजा के दूसरे को बुला ले। दूसरा जब जप शुरू कर दें 5 मिनट दोनों साथ जप करें फिर पहला व्यक्ति उठ सकता है। इस तरह आठ घण्टे जप करें। जप के बाद यज्ञ या दीपयज्ञ करके पूर्णाहुति कर दें।

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