प्रश्न - *दी, मेरे पतिदेव कहते हैं कि जितना वक़्त गायत्री मंन्त्र जप, लेखन और ध्यान में लगाती हो, इससे कुछ हासिल न होगा, इससे अच्छा है कि अपनी इंग्लिश स्पीकिंग पर ध्यान दो और कमाओ। वो ड्रिंक/शराब कभी कभी करते हैं, रोकने पर कहते है कि मेरा मैनेजर ड्रिंक करके सफल है और तुम बिना ड्रिंक के क्या हासिल की हो, मैं तुम्हारा अनुसरण करूँ या अपने मैनेजर का? हृदय के अच्छे व्यक्ति और केयरिंग है, मेरी समाजसेवा के कार्य में रोक नहीं लगाते लेक़िन मंदिर में दान देने के लिए मना करते हैं।सादा जीवन उच्च विचार से उन्हें समस्या है और पब-पार्टी और आधुनिक वेशभूषा उनकी पसन्द है।*
उत्तर - आत्मीय बहन, पुरुषार्थ और अध्यात्म दो पहियों की गाड़ी पर यह जीवन का सफ़र आनन्दमय कटता है। किसी एक पक्ष की उपेक्षा जीवन के आनन्द की क्षीण कर देती है।
आपको अध्यात्म के साथ अपनी सांसारिक योग्यता और पात्रता बढ़ाने में रुचि लेना चाहिए।
आपके पति की शंका का समाधान दे रही हूँ, यह पोस्ट उन्हें फारवर्ड कर दीजिए।
*आत्मीय भाई, यदि बचपन से जिस अध्यात्म की विशेषता और लाभ को पढ़ा नहीं और अनुभव नहीं किया। उसके बारे में बिना जाने कुतर्क करना अनुचित है। आपकी पत्नी जॉब नहीं करती लेकिन हम जो आपको इस प्रश्न का जवाब दे रहे हैं पढ़े लिखे है, MA, MSc - IT और कई टेक्निकल डिप्लोमा धारक हैं। मल्टीनेशनल कंपनी में पिछले 16 वर्षों से उच्च पद पर हूँ और इंग्लिश भी आती है और आर्थिक रूप से सक्षम हूँ। गायत्री परिवार से जुड़ी हूँ और आध्यात्मिक रिसर्चर हूँ। उम्मीद है आप मेरी पोस्ट पूरी पढ़ेंगे।*
1- अध्यात्म एक प्रकाश है उसके बिना अँधेरे में भी रहा जा सकता है। यह भी सत्य है कि अंगूठी रात में गिर गयी तो उसे ढूंढने का पुरुषार्थ तो स्वयं ही करना पड़ेगा लेकिन यह भी सत्य है कि मोमबत्ती/टॉर्च के प्रकाश में वह पुरुषार्थ आसान हो जाएगा। ढूंढना सरल हो जाएगा।
गाड़ी अगर गड्ढे में फंस जाए तो दारू पियो या जप करो, दोनों ही परिस्थितियों में पुरुषार्थ के बिना गड्ढे से नहीं निकलेगी। लेकिन यह भी सच है दारू पीने के बाद गाड़ी के साथ इंसान गड्ढे में गिरता है, मंन्त्र जप से बुद्धिकुशलता बढ़ती है और गाड़ी बाहर निकालने का आइडिया मिल जाता है।
2- इंग्लिश एक भाषा है बुद्धिकुशलता की गारण्टी नहीं, यदि ऐसा होता तो विदेशों में अंग्रेज भिखारी जो इंग्लिश यहां के मैनेजर से भी अच्छा बोलता है बुद्धिमान कहलाता और जीवन में सफल होता।
आपकी पत्नी को यदि बचपन से आपके जैसे स्कूल मे नर्सरी से पढ़ाया जाता, आपकी तरह पाला पोसा जाता, आपकी तरह स्वतन्त्रता मिलती, तो विश्वास मानिए आज वो आपके समकक्ष जॉब कर रही होती और आपकी तरह इंग्लिश बोल रही होती। अतः पत्नी की परवरिश और अपनी परवरिश की पहले तुलना करो फिर उसके कम ज्ञान पर कमेंट करना।
3- पढ़ें लिखे व्यक्ति अजीबोगरीब तरिके के कुतर्की और नासमझ होते हैं। वेद-उपनिषद, प्राचीन ऋषि, चिकित्सक और साइंटिस्ट जिस गायत्री मंत्र जप और ध्यान के गुणगान करते हैं, जिनपर अनेकों रिसर्च पेपर भी नेंट पर उपलब्ध हैं। जो बुद्धिकुशलता और सुख-समृद्धि की गारंटी है उसे तो आवश्यक नहीं समझते। जबकि शराब, नशा, गुटखा और अन्य नशीली वस्तुएं जिनके बुरे परिणाम चिकित्सक बताते है और उनके पैकिंग में लिखा होता है उसे चाव से खाते पीते हैं। उसकी मार्केटिंग करते है। वाह रे पढ़े लिखे समझदारों की बेतुकी नासमझी। जो समझ कर समझना ना चाहे तो उसे कोई क्या कहे। इंटरनेट पक्षपात नहीं करता जो ढूंढोगे वो मिलेगा। अतः स्वयं सर्च करके आर्टिकल पढ़ लो।
4- नक़लची बंदर आज़कल सर्वत्र हैं, बंदर तो अपना भला बुरा सोच नहीं सकता, तुम्हारे तो अक्ल है। मैनेजर शराब पीता है तो हम भी पियेंगे, ये कहाँ की अक्लमंदी है? वह कुएँ में गिरेगा तो क्या तुम भी गिरोगे? मैनेजर को क्या शराब पीने पर पोस्टिंग मिली है या उसकी योग्यता पात्रता और उसके काम से? यदि शराब सफ़लता की गारण्टी होता तो सभी शराबी सफल और सुखी होते?
आस्था संकट सर्वत्र है, फ़टी जीन्स और अर्ध नग्न फ़ैशन, दारू और अंग्रेजी आज़कल मॉडर्न होने का टिकट बन गया है।
5- पत्नी को कम पढ़े लिखे होने या इंग्लिश न आने पर तंज/व्यंग करके कौन सी मर्दानगी व्यक्त कर रहे हो? मर्द वो है जो स्त्री को योग्य बनाये। क्या रोज एक घण्टे अपना नॉलेज उसे ट्रांसफर नहीं कर सकते? क्या ख़ुद इंग्लिश नहीं पढ़ा सकते? उसके प्रेरित नहीं कर सकते।
वन्दनीया माता शिक्षित नहीं थी, गुरुदेव ने शादी करके उन्हें पढ़ाया और इस योग्य बनाया कि समस्त वेदों के भाष्य में उन्होंने हाथ बंटाया और अश्वमेध की शृंखला चलाया, मिशन को नई ऊंचाइयां दी। इसे कहते हैं मर्दानगी।
6- एक सफल पुरूष के पीछे एक स्त्री का हाथ होता है, और एक सफल स्त्री के पीछे एक पुरुष का हाथ होता है। अतः एक दूसरे के पूरक बने, व्यंग्य/तंज न कस के अध्यात्म के विज्ञान को समझें, उससे सम्बंधित देश-विदेश के रिसर्च पेपर पढें, AIIMS की रिसर्च को पढ़े, फिर तीन से छः महीने आध्यात्मिक जीवन जी कर देखे लाभ न मिले तो छोड़ दीजिए। फिर विश्वास पूर्वक पत्नी को मना कीजिये कि गायत्री मंत्र जप और ध्यान से कुछ नहीं होता।
7- ख़ुद को धोखा कब तक दोगे यह कह के जो जॉब व्यवसाय करके कमा रहे हो, वो तुम्हें पूर्णता दे रहा है और तुम परमानन्द में हो। झूठे खोखले धन से ही सुख के ज्ञान को कब तक बांटोगे? यदि धन से सुख मिलता तो कभी जॉब करने वाले या अमीर लोग सुसाइड नहीं करते, मनोचिकित्सक के चक्कर नहीं काटते। सुखी होते। अरे जिन पाश्चात्य देशो की भौतिक चमक से अंधे हो रहे हो, पता तो करो वो कितने सुखी है? कितने सुसाइड प्रत्येक वर्ष होते हैं और टूटते मन, टूटते रिश्ते और पागल पन के केस हैं?
8- भारत के कॉलेज गोइंग के लिए अमेरिका और कनाडा स्वर्ग से कम नहीं। परेशान है वहां जाने को..लेकिन जो अमेरिका और कनाडा में है क्या उन्हें स्वर्गीय आनन्द की अनुभूति हो रही है? एक गरीब मजदूर या रिक्शे वाले के लिए तुम्हारी वर्तमान आर्थिक स्थिति किसी स्वर्गीय सुख से कम नहीं, लेकिन क्या तुम स्वर्गीय आनंद में हो वर्तमान जॉब और आर्थिक स्थिति से संतुष्ट हो? जिस मैनेजर की तुम नकल कर रहे हो उसे सुखी मान रहे हो क्या वो सुखी है?
9- जीवन ऐसा जियो कि जीवन ढोना न पड़े, जीवन में जीवनसाथी को आगे बढ़ाने और योग्य बनाने में इतना मशगूल हो जाओ कि व्यग्य करने की जरूरत न पड़े। जीवनसाथी के पूरक बनो लेकिन प्रतिद्वंद्वी मत बनो।
10 - ऐसे मन्दिर-मस्जिद-गुरुद्वारे-चर्च जो जन जागृति के केंद्र नहीं, जहां से जनसेवा और युगपिड़ा पतन निवारण का उपक्रम नहीं चलता, जहां देशहित कार्य नहीं होता, वहां दान नहीं देना चाहिए। दान हमेशा युगनिर्माण में संलग्न आध्यात्मिक केंद्रों में ही दें, जहाँ आपके धन का सदुपयोग हो।
11- एक खुला चैलेंज, आपकी वर्तमान में जो भी सैलरी है उसमें से एक दिन की सैलरी निकालिये। अब उसे 8 घण्टे से भाग दीजिये और अपने एक घण्टे की सैलरी निकालिये। 6 महीने में लगभग 180 घण्टे में नित्य आधे घण्टे गायत्री मंन्त्र का अर्थ चिंतन करते हुए जप और 15 मिनट उगते सूर्य का आती जाती श्वांस को महसूस करते हुए ध्यान और 15 मिनट अखण्डज्योति पत्रिका का स्वाध्याय कीजिये। यदि छः महीने में लाभ न मिले तो वो 180 घण्टे की सैलरी मुझसे ले जाइए और अपनी पत्नी को विश्वासपूर्वक जप करने से रोक दीजिये। यदि लाभ मिल जाये तो मेरी तरह लोगों को आप भी प्रेरित कीजिये।
मेरे श्रीमान पतिदेव भी उच्च पोस्ट पर कार्यरत हैं वो भी जप और ध्यान करते है। हम दोनों ने जीवन में गायत्री साधना में लाभ पाया है और इसलिए विश्वास पूर्वक आपको कह रहे हैं। हमारी तरह हज़ारो लाखो जॉब और व्यसाय करने वाले लोग उच्च पद और अच्छी आर्थिक स्थिति में है। नशा नहीं करते और केवल साधना से ही आपके मैनेजर जिनकी आप नकल करते हैं उनसे ज्यादा सुखी और समृद्ध हैं।
बुरा मत मानना मेरे भाई, यह जीवन यात्रा में जितना हम जानते है केवल उतनी ही दुनियाँ नहीं है। बहुत कुछ जानने को है, यदि वर्तमान सांसारिक ज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान मिला लो तो आप मैनेजर से भी उच्च पद को प्राप्त कर सकते हो और उसे पीछे छोड़ सकते हो।
*गायत्री मंत्र जप विधि और लाभ:-*
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=642829612804154&id=596434594110323
🙏🏻 यदि मेरी बातों से आपको बुरा लगा हो तो क्षमा कर दीजिए🙏🏻
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय बहन, पुरुषार्थ और अध्यात्म दो पहियों की गाड़ी पर यह जीवन का सफ़र आनन्दमय कटता है। किसी एक पक्ष की उपेक्षा जीवन के आनन्द की क्षीण कर देती है।
आपको अध्यात्म के साथ अपनी सांसारिक योग्यता और पात्रता बढ़ाने में रुचि लेना चाहिए।
आपके पति की शंका का समाधान दे रही हूँ, यह पोस्ट उन्हें फारवर्ड कर दीजिए।
*आत्मीय भाई, यदि बचपन से जिस अध्यात्म की विशेषता और लाभ को पढ़ा नहीं और अनुभव नहीं किया। उसके बारे में बिना जाने कुतर्क करना अनुचित है। आपकी पत्नी जॉब नहीं करती लेकिन हम जो आपको इस प्रश्न का जवाब दे रहे हैं पढ़े लिखे है, MA, MSc - IT और कई टेक्निकल डिप्लोमा धारक हैं। मल्टीनेशनल कंपनी में पिछले 16 वर्षों से उच्च पद पर हूँ और इंग्लिश भी आती है और आर्थिक रूप से सक्षम हूँ। गायत्री परिवार से जुड़ी हूँ और आध्यात्मिक रिसर्चर हूँ। उम्मीद है आप मेरी पोस्ट पूरी पढ़ेंगे।*
1- अध्यात्म एक प्रकाश है उसके बिना अँधेरे में भी रहा जा सकता है। यह भी सत्य है कि अंगूठी रात में गिर गयी तो उसे ढूंढने का पुरुषार्थ तो स्वयं ही करना पड़ेगा लेकिन यह भी सत्य है कि मोमबत्ती/टॉर्च के प्रकाश में वह पुरुषार्थ आसान हो जाएगा। ढूंढना सरल हो जाएगा।
गाड़ी अगर गड्ढे में फंस जाए तो दारू पियो या जप करो, दोनों ही परिस्थितियों में पुरुषार्थ के बिना गड्ढे से नहीं निकलेगी। लेकिन यह भी सच है दारू पीने के बाद गाड़ी के साथ इंसान गड्ढे में गिरता है, मंन्त्र जप से बुद्धिकुशलता बढ़ती है और गाड़ी बाहर निकालने का आइडिया मिल जाता है।
2- इंग्लिश एक भाषा है बुद्धिकुशलता की गारण्टी नहीं, यदि ऐसा होता तो विदेशों में अंग्रेज भिखारी जो इंग्लिश यहां के मैनेजर से भी अच्छा बोलता है बुद्धिमान कहलाता और जीवन में सफल होता।
आपकी पत्नी को यदि बचपन से आपके जैसे स्कूल मे नर्सरी से पढ़ाया जाता, आपकी तरह पाला पोसा जाता, आपकी तरह स्वतन्त्रता मिलती, तो विश्वास मानिए आज वो आपके समकक्ष जॉब कर रही होती और आपकी तरह इंग्लिश बोल रही होती। अतः पत्नी की परवरिश और अपनी परवरिश की पहले तुलना करो फिर उसके कम ज्ञान पर कमेंट करना।
3- पढ़ें लिखे व्यक्ति अजीबोगरीब तरिके के कुतर्की और नासमझ होते हैं। वेद-उपनिषद, प्राचीन ऋषि, चिकित्सक और साइंटिस्ट जिस गायत्री मंत्र जप और ध्यान के गुणगान करते हैं, जिनपर अनेकों रिसर्च पेपर भी नेंट पर उपलब्ध हैं। जो बुद्धिकुशलता और सुख-समृद्धि की गारंटी है उसे तो आवश्यक नहीं समझते। जबकि शराब, नशा, गुटखा और अन्य नशीली वस्तुएं जिनके बुरे परिणाम चिकित्सक बताते है और उनके पैकिंग में लिखा होता है उसे चाव से खाते पीते हैं। उसकी मार्केटिंग करते है। वाह रे पढ़े लिखे समझदारों की बेतुकी नासमझी। जो समझ कर समझना ना चाहे तो उसे कोई क्या कहे। इंटरनेट पक्षपात नहीं करता जो ढूंढोगे वो मिलेगा। अतः स्वयं सर्च करके आर्टिकल पढ़ लो।
4- नक़लची बंदर आज़कल सर्वत्र हैं, बंदर तो अपना भला बुरा सोच नहीं सकता, तुम्हारे तो अक्ल है। मैनेजर शराब पीता है तो हम भी पियेंगे, ये कहाँ की अक्लमंदी है? वह कुएँ में गिरेगा तो क्या तुम भी गिरोगे? मैनेजर को क्या शराब पीने पर पोस्टिंग मिली है या उसकी योग्यता पात्रता और उसके काम से? यदि शराब सफ़लता की गारण्टी होता तो सभी शराबी सफल और सुखी होते?
आस्था संकट सर्वत्र है, फ़टी जीन्स और अर्ध नग्न फ़ैशन, दारू और अंग्रेजी आज़कल मॉडर्न होने का टिकट बन गया है।
5- पत्नी को कम पढ़े लिखे होने या इंग्लिश न आने पर तंज/व्यंग करके कौन सी मर्दानगी व्यक्त कर रहे हो? मर्द वो है जो स्त्री को योग्य बनाये। क्या रोज एक घण्टे अपना नॉलेज उसे ट्रांसफर नहीं कर सकते? क्या ख़ुद इंग्लिश नहीं पढ़ा सकते? उसके प्रेरित नहीं कर सकते।
वन्दनीया माता शिक्षित नहीं थी, गुरुदेव ने शादी करके उन्हें पढ़ाया और इस योग्य बनाया कि समस्त वेदों के भाष्य में उन्होंने हाथ बंटाया और अश्वमेध की शृंखला चलाया, मिशन को नई ऊंचाइयां दी। इसे कहते हैं मर्दानगी।
6- एक सफल पुरूष के पीछे एक स्त्री का हाथ होता है, और एक सफल स्त्री के पीछे एक पुरुष का हाथ होता है। अतः एक दूसरे के पूरक बने, व्यंग्य/तंज न कस के अध्यात्म के विज्ञान को समझें, उससे सम्बंधित देश-विदेश के रिसर्च पेपर पढें, AIIMS की रिसर्च को पढ़े, फिर तीन से छः महीने आध्यात्मिक जीवन जी कर देखे लाभ न मिले तो छोड़ दीजिए। फिर विश्वास पूर्वक पत्नी को मना कीजिये कि गायत्री मंत्र जप और ध्यान से कुछ नहीं होता।
7- ख़ुद को धोखा कब तक दोगे यह कह के जो जॉब व्यवसाय करके कमा रहे हो, वो तुम्हें पूर्णता दे रहा है और तुम परमानन्द में हो। झूठे खोखले धन से ही सुख के ज्ञान को कब तक बांटोगे? यदि धन से सुख मिलता तो कभी जॉब करने वाले या अमीर लोग सुसाइड नहीं करते, मनोचिकित्सक के चक्कर नहीं काटते। सुखी होते। अरे जिन पाश्चात्य देशो की भौतिक चमक से अंधे हो रहे हो, पता तो करो वो कितने सुखी है? कितने सुसाइड प्रत्येक वर्ष होते हैं और टूटते मन, टूटते रिश्ते और पागल पन के केस हैं?
8- भारत के कॉलेज गोइंग के लिए अमेरिका और कनाडा स्वर्ग से कम नहीं। परेशान है वहां जाने को..लेकिन जो अमेरिका और कनाडा में है क्या उन्हें स्वर्गीय आनन्द की अनुभूति हो रही है? एक गरीब मजदूर या रिक्शे वाले के लिए तुम्हारी वर्तमान आर्थिक स्थिति किसी स्वर्गीय सुख से कम नहीं, लेकिन क्या तुम स्वर्गीय आनंद में हो वर्तमान जॉब और आर्थिक स्थिति से संतुष्ट हो? जिस मैनेजर की तुम नकल कर रहे हो उसे सुखी मान रहे हो क्या वो सुखी है?
9- जीवन ऐसा जियो कि जीवन ढोना न पड़े, जीवन में जीवनसाथी को आगे बढ़ाने और योग्य बनाने में इतना मशगूल हो जाओ कि व्यग्य करने की जरूरत न पड़े। जीवनसाथी के पूरक बनो लेकिन प्रतिद्वंद्वी मत बनो।
10 - ऐसे मन्दिर-मस्जिद-गुरुद्वारे-चर्च जो जन जागृति के केंद्र नहीं, जहां से जनसेवा और युगपिड़ा पतन निवारण का उपक्रम नहीं चलता, जहां देशहित कार्य नहीं होता, वहां दान नहीं देना चाहिए। दान हमेशा युगनिर्माण में संलग्न आध्यात्मिक केंद्रों में ही दें, जहाँ आपके धन का सदुपयोग हो।
11- एक खुला चैलेंज, आपकी वर्तमान में जो भी सैलरी है उसमें से एक दिन की सैलरी निकालिये। अब उसे 8 घण्टे से भाग दीजिये और अपने एक घण्टे की सैलरी निकालिये। 6 महीने में लगभग 180 घण्टे में नित्य आधे घण्टे गायत्री मंन्त्र का अर्थ चिंतन करते हुए जप और 15 मिनट उगते सूर्य का आती जाती श्वांस को महसूस करते हुए ध्यान और 15 मिनट अखण्डज्योति पत्रिका का स्वाध्याय कीजिये। यदि छः महीने में लाभ न मिले तो वो 180 घण्टे की सैलरी मुझसे ले जाइए और अपनी पत्नी को विश्वासपूर्वक जप करने से रोक दीजिये। यदि लाभ मिल जाये तो मेरी तरह लोगों को आप भी प्रेरित कीजिये।
मेरे श्रीमान पतिदेव भी उच्च पोस्ट पर कार्यरत हैं वो भी जप और ध्यान करते है। हम दोनों ने जीवन में गायत्री साधना में लाभ पाया है और इसलिए विश्वास पूर्वक आपको कह रहे हैं। हमारी तरह हज़ारो लाखो जॉब और व्यसाय करने वाले लोग उच्च पद और अच्छी आर्थिक स्थिति में है। नशा नहीं करते और केवल साधना से ही आपके मैनेजर जिनकी आप नकल करते हैं उनसे ज्यादा सुखी और समृद्ध हैं।
बुरा मत मानना मेरे भाई, यह जीवन यात्रा में जितना हम जानते है केवल उतनी ही दुनियाँ नहीं है। बहुत कुछ जानने को है, यदि वर्तमान सांसारिक ज्ञान के आध्यात्मिक विज्ञान मिला लो तो आप मैनेजर से भी उच्च पद को प्राप्त कर सकते हो और उसे पीछे छोड़ सकते हो।
*गायत्री मंत्र जप विधि और लाभ:-*
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=642829612804154&id=596434594110323
🙏🏻 यदि मेरी बातों से आपको बुरा लगा हो तो क्षमा कर दीजिए🙏🏻
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
भज गोविन्दम भज गोविन्दम गोविन्दम भज मूढ़ मते,
ReplyDeleteसंप्राप्ते सन्नहित काले न ही न ही रक्षति डुकुंज रचे।
है भारतवर्ष की श्रेष्ठ भूमि में जन्म लेने वाले आर्यवीर नरश्रेष्ठ मेरे आत्मज आप गोविन्द को भजो गोविन्द में प्रेम करो गोविन्द में अस्तित्व को मिलाओ मूर्खता पूर्ण जीवन से उबारो स्वयं को और गोविन्द नाम मे लीन हो जाओ क्योंकि जिस वक्त मृत्यु आएगी आपका ज्ञान आपका पद आपकी महत्वकांक्षा उससे आपको पार नही लगा पानी,स्वयं को खोजो संसार मे सबसे बड़ी उपलब्धि यही है स्वयं की खोज,में कौन हूं? में जिस नाम से अवस्थित हु ज्ञात हु वो तो सांसारिक मात्र है,संसार ने दिया है।वास्तविक चेतन्य आत्मा को समझो उसके अस्तित्व को पहचानो और उस समय स्वयं को उप्लब्धियुक्त मानना जब पहले स्वयं के अंतर्मन में उतर कर स्वयं को जान जाओ।
अतः शिवा स्वरूपा अपनी अर्धांग को समझो और स्वयं को भी चिरानंद में अवस्थित करो।
तुम्हारा कल्याण उसी में है।