Sunday, 17 February 2019

प्रश्न - *दी, हमने सुना है कि गायत्री मंत्र कीलित/शापित है, क्या श्रापविमोचन किये बिना गायत्री साधना फ़लित नहीं होती? मार्गदर्शन करें*

प्रश्न - *दी, हमने सुना है कि गायत्री मंत्र कीलित/शापित है, क्या श्रापविमोचन किये बिना गायत्री साधना फ़लित नहीं होती? मार्गदर्शन करें*

उत्तर - आत्मीय बहन, बैंक में यदि होम लोन लेने जाओगी, तो वह आपकी पात्रता चेक करेगा।कम्पनी में उच्च जॉब के लिए जाओगे तो भी योग्यता चेक होगा।

पुलिस, सेना, IB और RAW सबमें पदानुसार योग्यता चाहिए। इन महत्त्वपूर्ण पदों में योग्यता के साथ साथ देशभक्ति होना जरूरी है।

*प्राचीन समय में चेकलिस्ट कम होने की वजह से राक्षस तप करते और बड़े बड़े वरदान प्राप्त करके सृष्टि के विनाश में जुट जाते। देवताओं के लिए बड़ा सरदर्द हो गया। अच्छी बात यहाँ यह थी कि यह समस्त साधनाएं बलवान शरीर और अस्त्रशस्त्रो के लिए होती थीं। देवता गायत्री साधना से बुद्धिबल अर्जित करके उन्हें अंततः हराने में सफल हो जाते थे। अब राक्षस देवताओं को बुद्धिबल से हराने का उपाय ढूंढने लगे।*

*जब राक्षसों को बुद्धिबल की देवी गायत्री शक्ति का पता चला तो वो इसको भी हासिल करने को दौड़े। तब वशिष्ठ और विश्वामित्र ऋषियों ने गायत्री साधना करने से पूर्व चेकलिस्ट/योग्यता निर्धारित कर दी, और ऐसी कड़ी व्यवस्था बना दी कि कुत्सित मानसिकता और स्वार्थकेन्द्रित व्यक्ति गायत्री को सिद्ध ही न कर पाए। इन दोनों ऋषियों ने तप किया और गायत्री को सिद्ध किया। वशिष्ठ ऋषि ने माता से वर मांगा कि जब तक कोई योग्य(वशिष्ठ) न हो उसे गायत्री शक्ति का अधिकार न मिले। ऋषि विश्वामित्र ने वर मांगा कि जिसके अंदर विश्वकल्याण की भावना न हो और जो विश्व का मित्र(विश्वामित्र) न हो उसकी गायत्री साधना सिद्ध न हो। माता ने तथास्तु कह दिया। साथ ही यह भी वचन लिया कि कोई वशिष्ठ और विश्वामित्र की कंडीशन को पूरा करने वाला सद्गुरु गारण्टी ले तो ही उसके शिष्य को इस मार्ग में प्रवेश मिले।*

अब देवताओं में यह नियम है कि First come First serve, जिसने पहले तप किया और वचन ले लिया। उसे दूसरा तोड़ नहीं सकता। इस तरह वशिष्ठ और विश्वामित्र ने राक्षसों के हाथ गायत्री शक्ति जाने से बचा लिया। राक्षस न योग्य होते हैं और न ही विश्वकल्याण की भावना उनके मन मे होती है। अतः इस मार्ग में अयोग्य होने के कारण आगे बढ़ न सके।

बैंक लोन के लिए एक गारंटर लगता है, यदि वो गारंटी ले ले तो भी लोन पास हो जाता है। लेकिन वो गारंटर योग्य होना चाहिए।

*गायत्री पूर्ण सिद्धि के लिए गारंटर वही सद्गुरु बन सकता है जिसने सवा करोड़ गायत्री जप किया हो और 1008 से ज्यादा गायत्री यज्ञ किया हो। कम से कम 12 वर्ष तप के साथ लोकल्याण हेतु कार्य किया हो। यह उपरोक्त प्रोफ़ाइल से ज्यादा योग्यता हमारे युगऋषि परमपूज्य गुरूदेव पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी का है। उन्होंने उपरोक्त कंडीशन को दो से ज्यादा बार एक ही जन्म में कर लिया।*

अतः वशिष्ठ और विश्वामित्र के दोनों श्रापविमोचन अर्थात साधना मार्ग की एंट्री पास गुरु आह्वाहन से ही हो जाता है। गुरु को हम वचन देते हैं कि *करिष्ये वचनम तव* आपके अनुसाशन में जीवन जिएंगे और साधना करेंगे। यदि शिष्य मर्यादा भंग करेगा तो शिष्य के साथ साथ उस दण्ड का एक भाग गुरु को भी भुगतना पड़ेगा। क्योंकि शिष्य की उसने गारण्टी ली थी।

अतः समर्पित गायत्री साधक गुरु आह्वाहन करके गायत्री अनुष्ठान प्रारम्भ कर सकते हैं। क्योंकि अध्यात्म के सफ़र में वो अकेले नहीं है गुरु उनके साथ है।

 जिन्होंने गुरु धारण नहीं किया और गुरु दीक्षा नहीं ली है। वो अध्यात्म के सफर में अकेले हैं, अतः उन्हें अपना प्रोफ़ाइल चेक करवाना पड़ेगा। श्रापविमोचन और उत्कीलन मंन्त्र के माध्यम से शपथ पत्र पूर्व में ही भरना पड़ेगा कि यदि मैं गायत्री के लिए योग्यता साबित करने में वशिष्ठ और विश्वामित्र जी की निर्धारित की हुई गाइडलाइन में फेल होता हूँ तो इसकी पूरी जिम्मेदारी मेरी होगी और मुझे साधना का फ़ल न दिया जाय।

 (यह एक प्रकार का शपथ पत्र है, यदि योग्यता सिद्ध नहीं कर पाऊं तो मेरी साधना यात्रा समाप्त कर दी जाय। यदि सिद्धि का दुरुपयोग करूँ तो मेरी सिद्धि वापस ले लिया जाय।)

पुस्तक 📖 *गायत्री महाविज्ञान* में श्रापविमोचन और उत्कीलन विस्तार से दिया गया है।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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