Monday, 4 February 2019

प्रश्न - *दी, अपने subconsious mind तक किसी भी संदेश को easly कैसे पहुचाये, कोई ऐसा विधि बताएं जिससे की हमलोग अपना goal अपने subconsious mind तक पहुचा सके और उसे अपने जीवन मे पा सके🙏🙏🙏*

प्रश्न - *दी, अपने subconsious mind तक किसी भी संदेश को easly कैसे पहुचाये, कोई ऐसा विधि बताएं जिससे की हमलोग अपना goal अपने subconsious mind तक पहुचा सके और उसे अपने जीवन मे पा सके🙏🙏🙏*

उत्तर - आत्मीय भाई, आपकी सभी इच्छाएं साकार हो सकती हैं यदि हम अपने अवचेतन मन में छिपी हुई शक्ति का प्रयोग कर लें जिससे हम अपने जीवन में प्रभावशाली प्रभुत्व के स्वामी बन सकते हैं। यदि यह सम्भव हो सके कि व्यक्ति अपने चेतन, अचेतन व सुपरचेतन मस्तिष्कीय परतों की एनाटॉमी समझकर तदनुसार अपना व्यक्तित्त्व विकसित करने की व्यवस्था बना ले तो उसके लिए सब कुछ हस्तगत करना सम्भव है । यह एक विज्ञान सम्मत तथ्य है, यह मानवी मनोविज्ञान को समझाते हुए *पूज्यवर युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने बडे़ विस्तार से इस गूढ़ विषय को विवेचन 📖 पुस्तक - *चेतन, अचेतन एवं सुपर चेतन मन* करते ।

*Table of content of this book* -
1. चेतन मन और उसका सुनियोजन
2. शेखचिल्ली न बनें
3. मन कैसे वश में किया जाय ?
4. मनोमय कोश -मस्तिष्कीय परिष्कार
5. उत्थान -पतन की कुंजियाँ अपने हाथ में
6. चेतना के तीन चरण
7. चेतना को अंतमुर्खी बनायें

मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार रूपी अन्त: करण चतुष्टय की सत्ता से हमारा निर्माण हुआ है । यदि विचारों की व्यापकता और सशक्तता का स्वरूप समझा जा सके व तदनुसार अपने व्यक्तित्त्व के निर्माण का सूत्र समझा जा सके तो इस अन्त करण चतुष्टय को प्रखर, समर्थ और बलवान बनाया जा सकता है ।

यदि अचेतन का परिष्कार किया जा सके, आत्महीनता की महाव्याधि से मुक्त हुआ जा सके, तो हर व्यक्ति अपने विकास का पथ स्वयं प्रशस्त कर सकता है । उत्कृष्टता से ओतप्रोत मानवी सत्ता ही मनुष्य के वैचारिक विकास की अन्तिम नियति है । यदि चिन्तन उत्कृष्ट स्तर का होगा तो कार्य भी वैसे बन पड़ेंगे एवं मानव से महामानव, चेतन से सुपरचेतन के विकास की, अतिचेतन के विकास की आधारशिला रखी जा सकेगी ।

*अवचेतन मन में समाहित शक्तिया प्रकट करने के लिए या अवचेतन मन की प्रोग्रामिंग करने के लिए निम्नलिखित विचार स्मरण रखने योग्य है-*

 1- हमारा अवचेतन मन हमारी हर बात मानता है। रात को सोनें से पहले अपने अवचेतन मन से दृढ़ता से संकल्पपूर्वक कहे,” मै सुबह पांच बजे उठना चाहता हूँ” तो यह आपको ठीक आपके कहे समयानुसार जगा देगा।

2- हमारा अवचेतन मन हमारा उपचार भी कर सकता है। यदि हम रोज़ सोने से पहले अपनी सेहत के बारे में बहुत प्यार और स्वाभिमान से विश्वासपूर्वक अच्छा कहकर सोएंगे और अपने मन से कहेंगे मेरा स्वास्थ्य बहुत अच्छा है और मैं ठीक हो रहा हूं। हमारा अवचेतन मन हमारे आदेशानुसार पालन करेगा। आप स्वस्थ रहेंगे।

3- आप जो भी करना चाहते हैं, जिसके लिए आप दिन-रात मेहनत कर रहे हैं और अगर आपने ये तय कर लिया है वो काम करना ही है तो देखिएगा परिस्थितियां आपके अनुसार ही उत्पन्न होनें लग जाएंगी। उदाहरण के लिए यदि आप डॉक्टर बनना चाहते हैं तो स्वयं को सफल डॉक्टर बन गए हैं ऐसी कल्पनाएं दृढ़ता और संकल्पपूर्वक नित्य कीजिये। साथ ही डॉक्टर बनना क्यों चाहते हैं सोचिए। जिसे हृदय की गहराई से चाहेंगे और उसके लिए दिलोजान से प्रयास करेंगे वो अवचेतन - सुपर चेतन मन तक पहुंच जाएगा। फ़िर वह होकर रहेगा।

*अपने अवचेतन मन को अपने अनुसार ढालने की कौशिश करें।*
4- आप जो भी करना चाहते हैं, जिसके लिए आप दिन-रात मेहनत कर रहे हैं और अगर आपने ये तय कर लिया है वो काम करना ही है तो देखिएगा परिस्थितियां आपके अनुसार ही उत्पन्न होनें लग जाएंगी।

5- वास्तव में हमारा अवचेतन मन गीली मिट्टी की तरह होता है जिसे हम जैसा ढालनें की कोशिश करेंगे वो वैसे ही ढल जाएगा। इसी तरह से हमे अपने अवचेतन मन को सही आदेश (विचार और तस्वीरें) देने होगें, जो हमारे सभी अनुभवो को नियंत्रित करता है।

*रोज़ाना नेगेटिव वाक्यों को न दोहराएं, स्वयं या प्रियजनों के लिए भूलकर भी नकारात्मक बातें न करें ।*
इस तरह का वाक्यों का प्रयोग कभी नही करना चाहिए,”मेरे पास इसके लिए पैसे नही है”, “मै ये काम नही कर सकता”, “मेरी तो किस्मत ही खराब है”, मेरे तो कर्म ही फूटे थे”, मेरी किस्मत में कुछ अच्छा होना लिखा ही नहीं है”, मैं कोई भी काम करुं, मेरा काम पूरा होता ही नहीं है”, इससे अच्छा तो मैं मर ही जाऊं” आदि। हम जो सोचते हैं हमारा अवचेतन मन उसी बात को सच मान लेता है इसलिए वह यह सुनिश्चित कर लेता है कि हमारे पास कभी पैसे न रहें या वह काम करने की क्षमता न रहे, जो हम करना चाहते हैं। इसके बजाय दृढ़ता से कहें, ”मैं अपने अवचेतन मन की शक्ति से सारे काम कर सकता हूं।”

7- विश्वास ही जावन का नियम है। विश्वास हमारे मस्तिष्क का एक विचार है। उन चीजो में विश्वास न करें, जो हमे नुकसान या चोट पहुचायें। अपने अवचेतन मन की शक्तियों में विश्वास करें। यह विश्वास रखें कि वे हमारा उपचार करेगीं, प्रेरित करेगी, हमें शक्तिशाली और समृद्ध बनाएंगी। असल में हमें दृढ होने की ज़रूरत है, जरूरत है हमें आत्म-ज्ञानी और आत्मविश्वासी होने की। ज़रूरत है हमें अपने अवचेतन मन से बात करने की और उसे आदेश देने की। देखना आपके काम बनने शुरु हो जाएंगे बस अपने अवचेतन मन को आदेश दीजिए ऐसा लगेगा मानों भीतर से आवाज़ आयी हो “जो हुक्म मेरे आका”।

8- *स्व सम्मोहन* - अर्थात स्वयं को स्वयं ही सकारात्मक बातें नित्य बोलना और उन सकारात्मक से सम्बंधित चित्र और घटनाओं की कल्पना करना। स्वयं को सन्देश देते समय संकल्पपूर्वक और पूर्णविश्वास के साथ ही सन्देश दें।

*सूक्ष्म स्तर पर कुछ भी निर्माण या ध्वस्त करना है तो एक ही माध्यम है-*
*वह है पहले लक्ष्य क्या है इस विचार को सोचना और समझना है, फिर उसी लक्ष्य का चिंतन करना है, फिर उस लक्ष्य से सम्बन्धित चित्र और घटनाओं को सोचना/कल्पना करना है, इसे बार बार दोहराना है। जो लक्ष्य सोच रहे हो उसे पाने और साकार करने के लिए सङ्कल्पपूर्वक प्राणपण जुट जाना है। बड़े लक्ष्य को पुनः छोटे छोटे लक्ष्य में बाँट दीजिये, जैसे घर को हम कमरों में बाँट देते हैं। इससे हमें लक्ष्य की प्रोग्रेस को ट्रैक करना आसान हो जाता है।*

*गायत्री मंत्र जप वह प्रक्रिया है जो सङ्कल्प बल को बढ़ाता है, मन को मजबूत करता है और बुद्धिकुशलता और निर्णयक्षमता को बढ़ाता है। इसे AIIMS की डॉक्टर रमा जयसुन्दर ने अपने विभिन्न रिसर्च में सिद्ध भी किया है।*

*संसार में सम्पूर्ण तरक्क़ी का एक त्रिभुज होता है, जिनके तीन लाइन क्रमशः दृष्टिकोण(attitude), कार्यकुशलता(skill) और सम्बन्धित विषय का ज्ञान(knowledge) से बना होता है। किसी एक भी लाइन की उपेक्षा आपके तरक्क़ी को रोक देगी। अतः तीनों पर कार्य कीजिये, सन्तुलन बनाइये।*

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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