प्रश्न - *अनुभूतियां क्या है? मानसिक उपज? भ्रांति या सच्चाई? पूर्वाभास क्या है? कृपया मार्गदर्शन करें*
उत्तर - आत्मीय बहन, यदि गहराई से विचार करो तो तुम्हें पता चलेगा कि अनुभूतियां/पूर्वाभास न मन का भ्रम होता है और न ही मन की कल्पना होता है।
कोई भी फ़िल्म के पर्दे में दिखने से पूर्व उसकी स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी होती है। यदि वह स्क्रिप्ट पढ़ लिया जाय तो फ़िल्म की जानकारी मिल जाती है। इसी तरह कोई भी घटना स्थूल में घटने से पूर्व सूक्ष्म में उसकी स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी होती है। जिनकी चेतना परिष्कृत होती है वो सूक्ष्म में लिखी स्क्रिप्ट पढ़ सकते है और अघटित घटनाओं को अनुभूत कर सकते हैं। लेक़िन कभी कभी अपरिष्कृत चेतना वाले साधारण जन भी अपने स्वजनों से सम्बंधित अघटित अनुभूत कर लेते हैं। ऐसी घटनाओं की न्यूज़, आर्टिकल, पुस्तकें आपको देश विदेश में सर्वत्र मिल जाएंगी।
एक विदेश की घटना - जो कि 28 जून 1954 की है, न्यूयॉर्क अमेरिका के डॉक्टर रेमर की पत्नी एल्सा विश्राम कर रही थीं नेत्र बन्द थे पर वो जग रहीं थीं, अचानक उन्होंने बेटी जेस्सी की दर्द भरी चीख सुनी, मानो उसका भयंकर एक्सीडेंट हुआ हो, एल्सा चीखकर उठ बैठी। बेटी मां से 3 हज़ार किलोमीटर दूर कैलिफोर्निया में थी। जो कि स्वस्थ थी।
लेकिन ठीक दो दिन बाद उसी वक़्त जेस्सी का कैलिफोर्निया में एक्सीडेंट हो गया और मृत्यु हो गयी। तार सुनकर एल्सा और रेमर स्तब्ध रह गए। अर्थात दो दिन पहले ही स्थान-वक्त एक्सीडेंट का सूक्ष्म में घट गया था। स्थूल में दो दिन बाद घटित हुआ।
ऐसा ही कई प्रकार का अनुभव गायत्री साधकों को होता रहता है, यह पूर्वाभास कभी अचानक बेवज़ह मन में घबराहट और अनिष्ट की आशंका का हो जाता है। कुछ दिनों बाद दुर्घटना की खबर आती है।
अचानक मन प्रशन्न हो जाता है और कुछ देर बाद या कुछ दिनों बाद खुशखबरी मिल जाती है।
कुछ साधक जो नित्य गायत्री जप, ध्यान, योग-प्राणायाम और स्वाध्याय द्वारा चेतना को परिष्कृत करने में जुट जाते हैं, वो नींद में स्वप्न दर्शन के माध्यम से भविष्य में घटने वाली घटना को अनुभूत कर लेते है, उन्हें पूर्वाभास हो जाता है।
साधना की उच्च स्तरीय साधना द्वारा ही केवल सूक्ष्म में घटित होने वाली घटना को प्रभावित करके टाला जा सकता है। स्क्रिप्ट बदली जा सकती है।लेकिन इसके लिए साधना उच्च लेवल की होनी चाहिए।
यह एक सुनिश्चित सूक्ष्म शरीर और परिष्कृत चेतना का विज्ञान है, लेकिन आम जनता जिसे नहीं समझती उसे चमत्कार की संज्ञा दे देती है। आज से हज़ारो वर्ष पहले यदि समय यंत्र से पहुँच के लोगो को मोबाइल इंटरनेट दिखाओ तो आपको चमत्कारी देवता मान लेंगे, क्योंकि आपके पास रिद्धि-सिद्धि है मोबाइल इंटरनेट की। लेकिन अफ़सोस अभी कोई इसे चमत्कार नहीं मानेगा क्योंकि सबके पास मोबाइल है।
*अघटित घटनाओं के अनुभूति/पूर्वाभास का वर्गीकरण:-*
1- बिना किसी साधन के सुदूर घटित घटना की जानकारी स्वप्न या अर्ध जागृत अवस्था मे मिलना
2- दूसरे की मनःस्थिति पढ़ लेना
3- भविष्य में घटित होने वाली घटना का पूर्वाभास
4- मृतात्माओं के सूक्ष्म शरीर की उपस्थिति का अहसास
5- पूर्वजन्म के ज्ञान का प्रकटीकरण
6- कुछ विलक्षण शक्ति का स्वयं में अनुभूति होना
7- कुछ विलक्षण क्षमता अन्य व्यक्तियों से होना
8- प्रचंड मनोबल
9- अदृश्य शक्तियो से सहायता मिलना
10- शाप या वरदान देने पर फ़लित होना। वाकसिद्धि होना।
11- किसी के व्यक्तित्व में उससे भिन्न व्यक्तित्व उभरना
मनुष्य जीवन स्वयंमेव चमत्कारों से भरा प्रतीत होता है, लेकिन यह कोई चमत्कार नहीं है। केवल एक्टिव और परिष्कृत चेतना का कमाल है जो स्थूल से परे सूक्ष्म घटनाओं को देख सुन समझ सकती है।
एक जादूगर की जादूगरी, दूसरे जादूगर के लिए चमत्कार और जादूगरी नहीं होती। केवल एक सुनिश्चित तकनीक और स्पीड से हाथ की सफाई होती है।लेकिन आम जनता के लिए यह जादू और चमत्कार है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय बहन, यदि गहराई से विचार करो तो तुम्हें पता चलेगा कि अनुभूतियां/पूर्वाभास न मन का भ्रम होता है और न ही मन की कल्पना होता है।
कोई भी फ़िल्म के पर्दे में दिखने से पूर्व उसकी स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी होती है। यदि वह स्क्रिप्ट पढ़ लिया जाय तो फ़िल्म की जानकारी मिल जाती है। इसी तरह कोई भी घटना स्थूल में घटने से पूर्व सूक्ष्म में उसकी स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी होती है। जिनकी चेतना परिष्कृत होती है वो सूक्ष्म में लिखी स्क्रिप्ट पढ़ सकते है और अघटित घटनाओं को अनुभूत कर सकते हैं। लेक़िन कभी कभी अपरिष्कृत चेतना वाले साधारण जन भी अपने स्वजनों से सम्बंधित अघटित अनुभूत कर लेते हैं। ऐसी घटनाओं की न्यूज़, आर्टिकल, पुस्तकें आपको देश विदेश में सर्वत्र मिल जाएंगी।
एक विदेश की घटना - जो कि 28 जून 1954 की है, न्यूयॉर्क अमेरिका के डॉक्टर रेमर की पत्नी एल्सा विश्राम कर रही थीं नेत्र बन्द थे पर वो जग रहीं थीं, अचानक उन्होंने बेटी जेस्सी की दर्द भरी चीख सुनी, मानो उसका भयंकर एक्सीडेंट हुआ हो, एल्सा चीखकर उठ बैठी। बेटी मां से 3 हज़ार किलोमीटर दूर कैलिफोर्निया में थी। जो कि स्वस्थ थी।
लेकिन ठीक दो दिन बाद उसी वक़्त जेस्सी का कैलिफोर्निया में एक्सीडेंट हो गया और मृत्यु हो गयी। तार सुनकर एल्सा और रेमर स्तब्ध रह गए। अर्थात दो दिन पहले ही स्थान-वक्त एक्सीडेंट का सूक्ष्म में घट गया था। स्थूल में दो दिन बाद घटित हुआ।
ऐसा ही कई प्रकार का अनुभव गायत्री साधकों को होता रहता है, यह पूर्वाभास कभी अचानक बेवज़ह मन में घबराहट और अनिष्ट की आशंका का हो जाता है। कुछ दिनों बाद दुर्घटना की खबर आती है।
अचानक मन प्रशन्न हो जाता है और कुछ देर बाद या कुछ दिनों बाद खुशखबरी मिल जाती है।
कुछ साधक जो नित्य गायत्री जप, ध्यान, योग-प्राणायाम और स्वाध्याय द्वारा चेतना को परिष्कृत करने में जुट जाते हैं, वो नींद में स्वप्न दर्शन के माध्यम से भविष्य में घटने वाली घटना को अनुभूत कर लेते है, उन्हें पूर्वाभास हो जाता है।
साधना की उच्च स्तरीय साधना द्वारा ही केवल सूक्ष्म में घटित होने वाली घटना को प्रभावित करके टाला जा सकता है। स्क्रिप्ट बदली जा सकती है।लेकिन इसके लिए साधना उच्च लेवल की होनी चाहिए।
यह एक सुनिश्चित सूक्ष्म शरीर और परिष्कृत चेतना का विज्ञान है, लेकिन आम जनता जिसे नहीं समझती उसे चमत्कार की संज्ञा दे देती है। आज से हज़ारो वर्ष पहले यदि समय यंत्र से पहुँच के लोगो को मोबाइल इंटरनेट दिखाओ तो आपको चमत्कारी देवता मान लेंगे, क्योंकि आपके पास रिद्धि-सिद्धि है मोबाइल इंटरनेट की। लेकिन अफ़सोस अभी कोई इसे चमत्कार नहीं मानेगा क्योंकि सबके पास मोबाइल है।
*अघटित घटनाओं के अनुभूति/पूर्वाभास का वर्गीकरण:-*
1- बिना किसी साधन के सुदूर घटित घटना की जानकारी स्वप्न या अर्ध जागृत अवस्था मे मिलना
2- दूसरे की मनःस्थिति पढ़ लेना
3- भविष्य में घटित होने वाली घटना का पूर्वाभास
4- मृतात्माओं के सूक्ष्म शरीर की उपस्थिति का अहसास
5- पूर्वजन्म के ज्ञान का प्रकटीकरण
6- कुछ विलक्षण शक्ति का स्वयं में अनुभूति होना
7- कुछ विलक्षण क्षमता अन्य व्यक्तियों से होना
8- प्रचंड मनोबल
9- अदृश्य शक्तियो से सहायता मिलना
10- शाप या वरदान देने पर फ़लित होना। वाकसिद्धि होना।
11- किसी के व्यक्तित्व में उससे भिन्न व्यक्तित्व उभरना
मनुष्य जीवन स्वयंमेव चमत्कारों से भरा प्रतीत होता है, लेकिन यह कोई चमत्कार नहीं है। केवल एक्टिव और परिष्कृत चेतना का कमाल है जो स्थूल से परे सूक्ष्म घटनाओं को देख सुन समझ सकती है।
एक जादूगर की जादूगरी, दूसरे जादूगर के लिए चमत्कार और जादूगरी नहीं होती। केवल एक सुनिश्चित तकनीक और स्पीड से हाथ की सफाई होती है।लेकिन आम जनता के लिए यह जादू और चमत्कार है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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