Friday 29 March 2019

प्रश्न - *साधु और सन्त को परमहंस की उपाधि कब दी जाती है? परमहंस के बारे में बताइये।*

प्रश्न - *साधु और सन्त को परमहंस की उपाधि कब दी जाती है? परमहंस के बारे में बताइये।*

उत्तर - आत्मीय बहन, परमहंस एक ऐसी अवस्था का नाम है जहां पर कोई भी जीव सांसारिक आसक्तियों से ऊपर उठ चुका होता है वो पहुँचता है। यह अवस्था सिर्फ और सिर्फ समाधि के मार्ग से होकर ही पायी जा सकती है, तथा समाधि में ध्यान के द्वारा ही प्रविष्ट हुआ जा सकता है।

 वैसे तो आज संसार में ध्यान के तरीकों की बाढ़ सी आ गई है परन्तु यह सारे तरीके क्षण भर के लिए हमारे मन को एकाग्र तो कर सकते हैं परन्तु इनसे हम अतल साधना की गहराइयों में नहीं जा सकते।

 हमारे शास्त्रों में वर्णित है कि कोई पूर्ण गुरु और सिद्ध सद्गुरु ही शिष्य की मानसिकता और जीवन को समझकर उसके कल्याण हेतु असल ध्यान का तरीका बता सकता है। ध्यान एक सहज अवस्था है बस जरूरत है तो एक ऐसे पूर्ण गुरु की जो इस अवस्था को उपलब्ध करा दे। ऐसे गुरु की यही पहचान है कि वह दीक्षा के माध्यम से हमारे अन्दर ही प्रभु का प्रकाश रूप में साक्षात्कार करा देता है। आज भी ऐसे गुरु हैं जो यह चमत्कार कर सकते हैं।  इतिहास में यदि एक सरसरी नजर दौड़ाएं तो ऐसे ही महापुरुषों में से राम, कृष्ण, जीसस, बुद्ध, महावीर स्वामी, गुरु साहिब, रामकृष्ण परमंहस, वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य आदि को सद्गुरु इस स्तर का माना जाता है जो शिष्य की चेतना को सहज उर्ध्वगामी अपने तपबल से करने में समर्थ थे।

परमहंस मानसिक रूप से समाधिस्थ रहते हैं और इनकी बुद्धि हँस की तरह होती है। नीर-क्षीर में अंतर कर लेते हैं। जैसे हंस जल के ऊपर तैरता है और साथ में ऊंचा उड़ता है। वैसे ही मात्र जीवनचर्या के निर्वहन को इनकी चेतना शारीरिक गतिविधियों का उपयोग करती, अन्यथा हर वक्त इनकी चेतना शिखर पर समाधिस्थ रहती है। जब यह समाधिस्थ होते हैं, इनके शरीर अरबों मच्छर या मधुमक्खी काटे तो भी इसका भान नहीं होता। धूप, गर्मी, ठण्ड इत्यादि का भान इन्हें समाधिवस्था में नहीं रहता। रूप, रस, गन्ध, शब्द और स्वाद से ये परे हो जाते हैं। इनके लिए शमशान और महल में कोई फर्क नहीं। कड़वे, मीठे, कसैले, खट्टे में कोई भेद नहीं। जो सन्त सूखे नारियल की तरह शरीर मे रहकर भी शरीर से जुदा/परे रहने की अवस्था में होते परमहंस कहलाते हैं, ऐसे सन्तों को ही परमहंस की संज्ञा/उपाधि दी जाती है।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

No comments:

Post a Comment

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...