कविता में - *अशांत मन और बैचैन मन को सम्हालने का फॉर्मूला*
मन और मौसम,
हमेशा बदलता रहता है,
इसे बदलने या बिगड़ने से,
रोका नहीं जा सकता है,
केवल उस वक्त क्या करना है,
यह तय किया जा सकता है,
तदनुसार कार्य किया जा सकता है,
या उस स्थान से हटा जा सकता है,
या उस स्थान पर डटा जा सकता है,
भाई स्थान से हटना या डटना सीख के,
मन और मौसम को सम्हाला जा सकता है।
बारिश के मौसम में,
सुरक्षित स्थान पर चले जाओ,
भीगने का मज़ा लो,
या छाता खोलकर,
ख़ुद को भीगने से बचाओ।
गर्मी में छांव और पंखा लो,
सर्दी में गुनगुनी धूप और कम्बल लो,
बदलते मौसम का रूख़ समझ के,
मौसम के अनुसार निर्णय लो।
ऐसे ही यदि मन परेशान है,
बेचैन और अशांत है,
हृदय में भावनाओं का उफान है,
तो मन का मौसम समझो,
औऱ उसके अनुसार निर्णय लो।
जब समस्या सम्हले,
तो कुशलता से सम्हाल लो,
जो समस्या न सम्हले,
तो उसे बहादुरी से स्वीकार लो।
कभी स्थान परिवर्तन कर लो,
तो कभी फ़ोकस परिवर्तित कर लो,
कभी कार्य क्षेत्र बदल लो,
तो कभी उसे करने का तरीका बदल लो।
समस्या पर फ़ोकस करोगे,
तो समस्या बड़ी होती जाएगी,
समाधान पर फ़ोकस करोगे,
तो समस्या घटती जाएगी।
attention जहाँ जाएगा,
साथ में energy flow लाएगा,
tension से attention हटाने पर,
बिन energy के tension मर जाएगा।
मन को तुरन्त शांत करने का,
बड़ा आसान उपाय है,
जलते घी के दीपक पर attention केंद्रित करो,
फ़िर नेत्र बन्द कर,
आती-जाती श्वांस पर focus करो।
कुछ देर में शांति महसूस होने लगेगी,
सहज समाधान मन में उभरेगा,
दीपक की रौशनी पर attention करने पर,
मन का अंधकार definitely छटेगा।
यदि जप सको,
गायत्री मंत्र इसके बाद,
फ़िर तो सोने पे सुहागा होगा,
और ज्यादा लाभ मिलेगा।
उपांशु गायत्री जप ऊर्जा का भंडार देगा,
यह मुँह का अग्निचक्र activate करेगा,
प्राण ऊर्जा का पूर्ण शरीर में संचार करेगा,
यह बुद्धिकुशलता को बढ़ा देगा,
और समस्त समस्या का समाधान प्रदान करेगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
मन और मौसम,
हमेशा बदलता रहता है,
इसे बदलने या बिगड़ने से,
रोका नहीं जा सकता है,
केवल उस वक्त क्या करना है,
यह तय किया जा सकता है,
तदनुसार कार्य किया जा सकता है,
या उस स्थान से हटा जा सकता है,
या उस स्थान पर डटा जा सकता है,
भाई स्थान से हटना या डटना सीख के,
मन और मौसम को सम्हाला जा सकता है।
बारिश के मौसम में,
सुरक्षित स्थान पर चले जाओ,
भीगने का मज़ा लो,
या छाता खोलकर,
ख़ुद को भीगने से बचाओ।
गर्मी में छांव और पंखा लो,
सर्दी में गुनगुनी धूप और कम्बल लो,
बदलते मौसम का रूख़ समझ के,
मौसम के अनुसार निर्णय लो।
ऐसे ही यदि मन परेशान है,
बेचैन और अशांत है,
हृदय में भावनाओं का उफान है,
तो मन का मौसम समझो,
औऱ उसके अनुसार निर्णय लो।
जब समस्या सम्हले,
तो कुशलता से सम्हाल लो,
जो समस्या न सम्हले,
तो उसे बहादुरी से स्वीकार लो।
कभी स्थान परिवर्तन कर लो,
तो कभी फ़ोकस परिवर्तित कर लो,
कभी कार्य क्षेत्र बदल लो,
तो कभी उसे करने का तरीका बदल लो।
समस्या पर फ़ोकस करोगे,
तो समस्या बड़ी होती जाएगी,
समाधान पर फ़ोकस करोगे,
तो समस्या घटती जाएगी।
attention जहाँ जाएगा,
साथ में energy flow लाएगा,
tension से attention हटाने पर,
बिन energy के tension मर जाएगा।
मन को तुरन्त शांत करने का,
बड़ा आसान उपाय है,
जलते घी के दीपक पर attention केंद्रित करो,
फ़िर नेत्र बन्द कर,
आती-जाती श्वांस पर focus करो।
कुछ देर में शांति महसूस होने लगेगी,
सहज समाधान मन में उभरेगा,
दीपक की रौशनी पर attention करने पर,
मन का अंधकार definitely छटेगा।
यदि जप सको,
गायत्री मंत्र इसके बाद,
फ़िर तो सोने पे सुहागा होगा,
और ज्यादा लाभ मिलेगा।
उपांशु गायत्री जप ऊर्जा का भंडार देगा,
यह मुँह का अग्निचक्र activate करेगा,
प्राण ऊर्जा का पूर्ण शरीर में संचार करेगा,
यह बुद्धिकुशलता को बढ़ा देगा,
और समस्त समस्या का समाधान प्रदान करेगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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