Thursday 14 March 2019

प्रश्न - *ज़िंदगी में जब कुछ न समझ आये और हर रिश्ता बेगाना लगे तो क्या करना चाहिए?*

प्रश्न - *ज़िंदगी में जब कुछ न समझ आये और हर रिश्ता बेगाना लगे तो क्या करना चाहिए?*

उत्तर - आत्मीय बहन, आपको मनोचिकित्सक की आवश्यकता है। आपके नजरिये(दृष्टिकोण) को इलाज़ की ज़रूरत है।

👉🏼नज़र का इलाज़ डॉक्टर के पास है, लेक़िन नजरिये(दृष्टिकोण) का इलाज़ डॉक्टर कर नहीं सकता। मनोचिकित्सक थोड़ी बहुत मदद जरूर कर सकता है।

👉🏼क्योंकि जिंदगी कोई क़िताब नहीं है जिसे समझा जाय। रिश्ते कोई रोबोट नहीं जिन्हें मरम्मत किया जाय। समझना है तो स्वयं को समझो, जानना है तो स्वयं को जानो, मरम्मत करनी है तो स्वयं के दृष्टिकोण की करो। तुमने स्वयं को महत्त्वपूर्ण माना ही नहीं तो फिर दूसरे क्यों माने? तुम स्वयं के वजूद को बनाने में जुटी नहीं तो कोई तुम्हे क्यों भाव दें? तुम अपने निःश्वार्थ सच्चे प्रेम को प्रदर्शित करने में चूक गयी तो कोई रिश्ता तुमसे क्यों निभाये?

👉🏼 रिश्ता तब बेगाना लगता है जब उस रिश्ते से स्वार्थ पूर्ति में बाधा उतपन्न होती है। जब मन अशांत, उद्विग्न, उदास हैं, वो ही मन के भाव संसार मे प्रोजेक्ट हो रहा है, इसलिए सर्वत्र अशांति, उद्विग्नता और उदासी दिख रही है। आपका सम्पूर्ण ध्यान जीवन के ख़ालीपन पर केंद्रित है, आपके जीवन में किस चीज़ की कमी है केवल वही देख रही हैं। आप समस्या गिनने में इतनी व्यस्त हैं कि समस्या के समाधान ढूंढने का आपको वक्त ही नहीं मिल रहा है।

👉🏼 प्रेम में भरे मन को बरसात की बूंदे प्रेममय दिखेंगी, और अशांत अतृप्त मन को बरसात एक झंझट दिखेगी।

👉🏼दुर्योधन को राजसूय यज्ञ में कोई भला व्यक्ति नहीं मिला और उसी राजसूय यज्ञ में युधिष्ठिर को कोई बुरा व्यक्ति नहीं मिला। लोग वही थे लेक़िन ढूंढ़ने वाले लोगों के दृष्टिकोण अलग थे।

👉🏼एक राजा ने एक उद्यान बनवाया,  चोरों को वो चोरी का सामान बांटने की जगह दिखी, तो प्रेमी युगल को वह प्रेम करने की जगह दिखी, सन्तों को ध्यान लगाने की उत्तम जगह लगी, राहगीर को सुस्ताने की जगह लगी, जैसे लोग वैसी उद्यान के बारे में प्रतिक्रिया थी। क्योंकि सब अपने दृष्टिकोण से उद्यान देख रहे थे।

👉🏼सत, रज, तम तीनों गुणों से युक्त यह संसार रूपी उद्यान परमात्मा ने हमें दिया है। जिसका जैसा नजरिया है उसे वैसा यह संसार दिख रहा है। सत, रज, तम युक्त रिश्ते हमें मिलते हैं, हमारे दृष्टिकोण और क्रियाकलाप से रिश्ते बिगड़ते/बनते हैं। जिसको किसी से कुछ नहीं चाहिए, जो केवल सबसे प्रेम करता है, उसे भला कोई कैसे धोखा दे सकता है?

👉🏼 सन्त राबिया को कोठा/वैश्यावृत्ति चलाने वालों को बेंच दिया गया। वो शांत थीं, उनके रूम में कस्टमर भेजा गया, उनके नजरिये में भगवान ने उन्हें किसी का उद्धार करने का माध्यम बनने का मौका दिया माना। उन्होंने उसे आत्मज्ञान प्रदान कर शरीर की नश्वरता का भान कर दिया। ऐसे कई लोग उसके सम्पर्क में साधु-सन्त-फ़क़ीर हो गए। सबके सन्त होते देख उन लोगो ने उन्हें स्वतः मुक्त कर दिया। और उन्होंने ने स्वयं के साथ कई कन्याओं को मुक्त करवा दिया।

👉🏼 इस संसार में जो बाँटोगे वही वापस मिलेगा, जैसा सोचोगे और जैसा करोगे वैसा ही होता जाएगा। एक महीने सङ्कल्प लो निःश्वार्थ प्रेम बाँटने का, बिना किसी आशा अपेक्षा के दुसरो की मदद और सेवा करने का, फिंर देखो पूरी दुनियाँ तुम्हें अपनी लगेगी, सारे रिश्तों में प्राण संचार हो जाएगा।

👉🏼तीन पुस्तक पढो, और अपने दृष्टिकोण का स्वयं इलाज करो
📖दृष्टिकोण ठीक रखें
📖भाव सम्वेदना की गंगोत्री
📖मित्रभाव बढ़ाने की कला

👉🏼नज़रिया बदलने पर ही नजारे बदलेंगे ! जब निःश्वार्थ आत्मियता से सेवा का भाव जगेगा तभी कोई रिश्ता अपना मिलेगा। एक सत्य घटना सुनो

👉🏼अमेरिका में एक मनोचिकित्सक के पास एक हाई डिप्रेशन में ग्रस्त भारतीय मूल की एक महिला सुनीता गई,उसके भारतीय पति ने उससे सहमति से शादी की थी। लेकिन ग्रीन कार्ड के चक्कर में वो एक अमेरिकन अमीर महिला के साथ उसने विवाह कर लिया और उसे डिवोर्स दे दिया। वो स्त्री आत्महत्या करने की कोशिश किया,बचा ली गयी। पुलिस उसे मनोचिकित्सक के पास ले आई।

उसने जोर जोर से रोना शुरू किया कि कितनी मुश्किल से दहेज जोड़कर पिता ने शादी की, कर्जे में डूबे हुए हैं। भारत जाकर उनपर बोझ नहीं बन सकती,आस-पड़ोस गाँव वाले मुझे ताने देंगे मेरे जीवन मे जिंदा रहने का कोई मकसद नहीं बचा। मेरी जिंदगी शापित हो गयी है।

डॉक्टर ने कहा - तुम अभी से लेकर कल सुबह इसी वक्त तक मेरे ऑफिस में काम कंरने वाली मार्गरेट को ऑब्जर्व करो। हम कल सुबह बात करेंगे। मार्गरेट गुनगुनाते हुए ऑफिस की साफ सफाई का कार्य कर रही थी। शाम को 7 बजे वो ऑफ़ीस से निकली और ढेर सारा दूध, बिस्किट और कुछ सामान खरीदा। सुनीता उसके पीछे पीछे चल रही थी। जैसे ही वो घर पहुंची,कुत्ते बिल्ली के बच्चो ने उसे चाटना और प्यार करना शुरू कर दिया। उसने सबको दूध और बिस्किट दिए। सब खा पीकर सो गए। तब सुनीता ने मार्गरेट से पूँछा आपके चेहरे की शांति और खुशी का राज क्या है? आप इतने सारे जानवर क्यों पालती है? इत्यादि इत्यादि।

मार्गरेट ने बताया कि एक कार एक्सीडेंट में उसके पति, तीन बच्चे और माता पिता मारे गए और केवल वो बच गयी। हॉस्पिटल से लौटते वक्त वो सोच रही थी ऐसी शापित जिंदगी जीने का क्या फ़ायदा? अतः वो जहर और दूध लेकर लौट रही थी। कि अचानक उसने एक घायल कुत्ते के पिल्ले(बच्चे) को देखा जो दर्द से तड़फ रहा था। अतः वो मरना भूल गयी और दूध जो लाई थी उसे पिलाया और मरहम पट्टी की। सुबह काम पर आई पुनः रात को लौटते वक्त आत्महत्या का विचार किया और दूध ब्रेड लेकर लौटी तो उस पिल्ले के साथ दो और पिल्ले उसका घर पर इंतज़ार कर रहे थे। आते ही उसे चाटना प्यार करना शुरू कर दिया। तब मार्गरेट ने उनका उपचार किया दूध ब्रेड दिया और स्वयं भूखे सो गई। लेकीन उस रात न जाने क्या हुआ कि मरने का ख्याल छोड़ दिया। और आसपास गली मोहल्ले के बीमार पशुओं के इलाज और सेवा में जुट गई। जो सैलरी मिलती वो उनपर ख़र्च करती। इस निःश्वार्थ सेवा ने उसे शांति सुकून और आनन्द से भर दिया।

सुनीता यह सब सुनकर निःशब्द थी।

मार्गरेट ने कहा - *सुनीता मेरे पति भारतीय मूल के थे। वो भगवत गीता मुझे सुनाते थे।मनुष्य केवल स्वयं से प्रेम करता है, केवल सगे सम्बन्धियों के लिए ही जीता और मरता है। केवल उनसे ही मधुर सम्बन्ध रखता है जिससे उसका स्वार्थ सधता है। क्योंकि स्वार्थ भावना से कर्म बन्धन में बंधता है इसलिए कभी मुक्त नहीं हो पाता।*

 तुम्हारा पति एक स्वार्थी इंसान था जिसने एक और स्वार्थ में रिश्ता बना लिया तुम्हे धोखा दिया। तुम क्या सोचती हो,जिस पति ने नए रिश्ते की नींव स्वार्थ पर रखी हो उस पर आनन्द का भवन खड़ा हो सकेगा !! बबूल के बीज से क्या आम फलेगा? उसका अंत तो कष्टदायी होगा ही,क्योंकि बुरे कर्म का बुरा नतीजा होगा ही...

तुम आज अपने माता-पिता के बारे में सोच रही हो, समस्या गिन रही हो।लेकिन समाधान नहीं ढूँढ़ रही। क्या तुम्हारे अंदर कोई ऐसा गुण नहीं जिससे तुम कमा सको, स्वयं का वजूद बचा सको। क्या तुम अपाहिज़ हो जो पति की वैसाखी ढूँढ़ रही हो। जिसने तुम्हें छोड़ दिया तुमने उसे मन में क्यों जगह दे रखी है?
सुनीता खाना बनाना जानती थी,मार्गरेट की मदद से किसी के घर मे भोजन बनाने का काम मिल गया। कई वर्षों में मेहनत करके वो रेस्तरां की मालिक बनी और मार्गरेट के साथ उसने NGO खोला। लावारिस पशुओं के मुफ्त इलाज के लिए अस्पताल खोला। वो सफल बिजनेस वीमेन बनी,आज उसके पास उसकी सुखी गृहस्थी है।

👉🏼 बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिल्या कोय। जो दिल देखा आपना, मुझसे बुरा न कोय।।

👉🏼पुष्प बनो, नदी के किनारे हो या किसी मन्दिर में हो या किसी शव पर चढ़ाया गया हो या गुलदस्ते में सजाया गया हो या रास्ते मे फेंका गया हो। जब तक अस्तित्व है उमंग-उल्लास-उत्साह से भरकर खिले रहो और आत्मियता-निःश्वार्थ प्रेम की खुशबू बिखेरते रहो। वास्तव में यही जीवन जीने की कला है।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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