प्रश्न - *दी, जन्मपत्री में मांगलिक दोष हो तो उसे दूर करने के उपाय बताएँ।*
उत्तर - आत्मीय भाई, युगऋषि कहते हैं कि विवाह का आधार लड़के और लड़की के विचार में मिलान होना चाहिए।
पुस्तक 📖 *नैतिक शिक्षा* - में गुरूदेव कहते हैं सरल शब्दों में ज्योतिष के दो भाग है। एक *सिद्धांत ज्योतिष* जो कि पूर्णतया गणित और खगोलीय घटना और स्थिति पर निर्भर करता है। यह मान्य है और इसकी गणना इतनी अचूक है कि सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण का टाइम बिना मशीनों के बनारस का ज्योतिष बता देता है, जिसे नासा अमेरिका वाले महँगी मशीनों के साथ बता पाते हैं।
*दूसरा होता है फ़लित ज्योतिष* - फ़लित ज्योतिष क्योंकि गणितीय नहीं है, अतः इसे ज्योतिष के नाम पर व्यापार करने वाले इसका मिस यूज किया। जैसे अच्छे डॉक्टर भी होते है और झोला छाप भी। इसी झोला छाप डॉक्टर की तरह झोला छाप ज्योतिषी भी होते हैं जो अंधविश्वास का व्यापार करते हैं। जिनके कारण मंगली लड़कियों और लड़कों का विवाह एक तो जल्दी नहीं होता और दूसरा हो भी जाये तो अंधविश्वास विवाह को सफल नहीं होने देता। शक का बीज उन्हें भ्रमित करता रहता है।
जैसे चिकित्सा बुरा नहीं है, डॉक्टर अच्छे या बुरे नीयत वाले होते हैं। उसी तरह ज्योतिष में दोष नहीं है, ज्योतिषी अच्छे या बुरे नीयत वाले होते हैं। उसी तरह धर्म मे दोष नहीं है, धर्म गुरु अच्छे या बुरे नीयत वाले होते है।
*अंधविश्वास के कारण होने वाले नुकसान को समझने के लिए यह आर्टिकल पढ़ें*: -http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1969/April/v2.30
हम ज्योतिषी नहीं है, अतः ज्योतिष सम्बन्धी प्रश्नों के समाधान के लिए हम ज्योतिष लोगों की सहायता लेते हैं, आज की पोस्ट के लिए- *युगऋषि परमपूज्य गुरूदेव के लिखे आर्टिकल के साथ साथ ज्योतिषाचार्य पण्डित श्रीपति त्रिपाठी के लिए आर्टिकल से भी हैल्प ली है।*
*मांगलिक कुण्डली गैर मांगलिक से भी हो सकता है विवाह जानें आइये समझें - मंगल दोष निवारण के आसान उपाय*
मांगलिक कुंडली का निर्णय बारिकी से किया जाना चाहिए क्योंकि शास्त्रों में मांगलिक दोष निवारण के तरीके उपलब्ध हैं। शास्त्रवचनों के जिस श्लोक के आधार पर जहां कोई कुंडली मांगलिक बनती है वहीं उस श्लोक के परिहार काट के कई प्रमाण हैं।
जब किसी कुण्डली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में मंगल होता है तब मंगलिक दोष लगता है। इस दोष को विवाह के लिए अशुभ माना जाता है। यह दोष जिनकी कुण्डली में हो, उन्हें मंगली जीवनसाथी ही तलाश करना चाहिए, ऐसी मान्यता है।
यदि कोई मांगलिक व्यक्ति 29 की उम्र में विवाह करता है तो उसका मंगल दोष स्वतः निर्मूल हो जाता है। मंगल का मुख्य प्रभाव 13 वर्ष से 27 वर्ष तक ही रहता है। मंगली वर/कन्या किसी भी मंगली कन्या/वर से किसी भी उम्र में विवाह कर सकता है।
*मांगलिक का गैर मांगलिक से यदि 28 वर्ष से पहले विवाह करना चाहते है ऐसे हो सकता है विवाह:-*
मांगलिक कुंडली का निर्णय बारिकी से किया जाना चाहिए क्योंकि शास्त्रों में मांगलिक दोष निवारण के तरीके उपलब्ध हैं। शास्त्रवचनों के जिस श्लोक के आधार पर जहां कोई कुंडली मांगलिक बनती है, वहीं उस श्लोक के परिहार (काट) के कई प्रमाण हैं। मांगलिक प्रभाव वाली कुंडली से भयभीत होने कि जरूरत नहीं है।
ऐसा होने से नहीं लगता है वैवाहिक जीवन में मांगलिक दोष
1. मंगल दोष के परिहार स्वयं की कुंडली में (मंगल भी निम्न लिखित परिस्तिथियों में दोष कारक नहीं होगा)—जैसे शुभ ग्रहों का केंद्र में होना, शुक्र द्वितीय भाव में हो, गुरु मंगल साथ हों या मंगल पर गुरु की दृष्टि हो तो मांगलिक दोष का परिहार हो जाता है।
2. वर-कन्या की कुंडली में आपस में मांगलिक दोष की काट- जैसे एक के मांगलिक स्थान में मंगल हो और दूसरे के इन्हीं स्थानों में सूर्य, शनि, राहू, केतु में से कोई एक ग्रह हो तो दोष नष्ट हो जाता है।
3. मेष का मंगल लग्न में, धनु का द्वादश भाव में, वृश्चिक का चौथे भाव में, वृष का सप्तम में, कुंभ का आठवें भाव में हो तो भौम दोष नहीं रहता।
4. कुंडली में मंगल यदि स्व-राशि (मेष, वृश्चिक), मूलत्रिकोण, उच्चराशि (मकर), मित्र राशि (सिंह, धनु, मीन) में हो तो भौम दोष नहीं रहता है।
5. सिंह लग्न और कर्क लग्न में भी लग्नस्थ मंगल का दोष नहीं होता है। शनि, मंगल या कोई भी पाप ग्रह जैसे राहु, सूर्य, केतु अगर मांगलिक भावों (1,4,7,8,12) में कन्या जातक के हों और उन्हीं भावों में वर के भी हों तो भौम दोष नष्ट होता है। यानी यदि एक कुंडली में मांगलिक स्थान में मंगल हो तथा दूसरे की में इन्हीं स्थानों में शनि, सूर्य, मंगल, राहु, केतु में से कोई एक ग्रह हो तो उस दोष को काटता है।
6. कन्या की कुंडली में गुरू यदि केंद्र या त्रिकोण में हो तो मांगलिक दोष नहीं लगता अपितु उसके सुख-सौभाग्य को बढ़ाने वाला होता है।
7. यदि एक कुंडली मांगलिक हो और दूसरे की कुंडली के 3, 6 या 11वें भाव में से किसी भाव में राहु, मंगल या शनि में से कोई ग्रह हो तो मांगलिक दोष नष्ट हो जाता है।
8. कुंडली के 1,4,7,8,12वें भाव में मंगल यदि चर राशि मेष, कर्क, तुला और मकर में हो तो भी मांगलिक दोष नहीं लगता है।
9. वर की कुण्डली में मंगल जिस भाव में बैठकर मंगली दोष बनाता हो कन्या की कुण्डली में उसी भाव में सूर्य, शनि अथवा राहु हो तो मंगल दोष का शमन हो जाता है।
10. जन्म कुंडली के 1,4,7,8,12,वें भाव में स्थित मंगल यदि स्व, उच्च मित्र आदि राशि -नवांश का, वर्गोत्तम ,षड्बली हो तो मांगलिक दोष नहीं होगा।
11. यदि 1,4,7,8,12 भावों में स्थित मंगल पर बलवान शुभ ग्रहों कि पूर्ण दृष्टि हो तो भी मांगलिक दोष नहीं लगता।
👉🏼 *मंगल दोष के निम्नलिखित में से कोई एक उपाय अपना लें:-*
1👉🏼 गायत्री मंन्त्र के नौ दिन के लघु अनुष्ठान(24 हज़ार गायत्री जप) को करें और नौ शनिवार पीपल के वृक्ष में मिट्टी के बर्तन से जल चढ़ाएं औऱ उसे स्पर्श करें। इससे कुंडली का मंगलदोष दूर हो जाता है। नौ गुरुवार व्रत रखें। नौ कन्याओं को भोजन करवाये और द्रव्य दान दें।
2.👉🏼 सबसे सरल उपाय है हनुमान जी की नियमित उपासना और 21 सुंदरकांड के पाठ का अनुष्ठान। यह मंगल के हर तरह के दोष तो खत्म करने में सहायक है। 21 मंगलवार का व्रत और पूजन। गरीबों को भोजन करवाये और दान दक्षिणा करें।
3👉🏼 16 सोमवार का व्रत, प्रत्येक सोमवार को रुद्राभिषेक करें और रुद्र अष्टध्यायी का पाठ करें, हर सोमवार और मंगलवार को शिवलिंग पर कुमकुम चढ़ाएं। इसके साथ ही शिवलिंग पर लाल मसूर की दाल और लाल गुलाब अर्पित करें। गौ शाला में चारा दान करें।
4👉🏼 40 दिन देशी गाय की गौ सेवा, लाल वस्त्र या कलावा गौ की सींग में बांध दें, मसूर दाल या चने की दाल गुड़ के साथ खिलाएं, रक्त चंदन का तिलक गौ माता को लगाएं। गौशाला में हरा चारा दान करें।
5👉🏼 108 गायत्री चालीसा का पाठ और गायत्री मंत्र लेखन और 21 गुरुवार का व्रत करें। गरीबों को भोजन करवाये और दान दक्षिणा करें।
6👉🏼 108 हनुमान चालीसा का पाठ और राम नाम का लेखन, 21 मंगलवार का व्रत करें। गरीबों को भोजन करवाये और दान दक्षिणा करें।
7👉🏼 40 दुर्गा सप्तशती के पाठ, लाल पुष्प चढ़ाएं। 11 गुरुवार या 11 मंगलवार के व्रत रखें। 11 गरीब कन्याओं को वस्त्र दान दें।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय भाई, युगऋषि कहते हैं कि विवाह का आधार लड़के और लड़की के विचार में मिलान होना चाहिए।
पुस्तक 📖 *नैतिक शिक्षा* - में गुरूदेव कहते हैं सरल शब्दों में ज्योतिष के दो भाग है। एक *सिद्धांत ज्योतिष* जो कि पूर्णतया गणित और खगोलीय घटना और स्थिति पर निर्भर करता है। यह मान्य है और इसकी गणना इतनी अचूक है कि सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण का टाइम बिना मशीनों के बनारस का ज्योतिष बता देता है, जिसे नासा अमेरिका वाले महँगी मशीनों के साथ बता पाते हैं।
*दूसरा होता है फ़लित ज्योतिष* - फ़लित ज्योतिष क्योंकि गणितीय नहीं है, अतः इसे ज्योतिष के नाम पर व्यापार करने वाले इसका मिस यूज किया। जैसे अच्छे डॉक्टर भी होते है और झोला छाप भी। इसी झोला छाप डॉक्टर की तरह झोला छाप ज्योतिषी भी होते हैं जो अंधविश्वास का व्यापार करते हैं। जिनके कारण मंगली लड़कियों और लड़कों का विवाह एक तो जल्दी नहीं होता और दूसरा हो भी जाये तो अंधविश्वास विवाह को सफल नहीं होने देता। शक का बीज उन्हें भ्रमित करता रहता है।
जैसे चिकित्सा बुरा नहीं है, डॉक्टर अच्छे या बुरे नीयत वाले होते हैं। उसी तरह ज्योतिष में दोष नहीं है, ज्योतिषी अच्छे या बुरे नीयत वाले होते हैं। उसी तरह धर्म मे दोष नहीं है, धर्म गुरु अच्छे या बुरे नीयत वाले होते है।
*अंधविश्वास के कारण होने वाले नुकसान को समझने के लिए यह आर्टिकल पढ़ें*: -http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1969/April/v2.30
हम ज्योतिषी नहीं है, अतः ज्योतिष सम्बन्धी प्रश्नों के समाधान के लिए हम ज्योतिष लोगों की सहायता लेते हैं, आज की पोस्ट के लिए- *युगऋषि परमपूज्य गुरूदेव के लिखे आर्टिकल के साथ साथ ज्योतिषाचार्य पण्डित श्रीपति त्रिपाठी के लिए आर्टिकल से भी हैल्प ली है।*
*मांगलिक कुण्डली गैर मांगलिक से भी हो सकता है विवाह जानें आइये समझें - मंगल दोष निवारण के आसान उपाय*
मांगलिक कुंडली का निर्णय बारिकी से किया जाना चाहिए क्योंकि शास्त्रों में मांगलिक दोष निवारण के तरीके उपलब्ध हैं। शास्त्रवचनों के जिस श्लोक के आधार पर जहां कोई कुंडली मांगलिक बनती है वहीं उस श्लोक के परिहार काट के कई प्रमाण हैं।
जब किसी कुण्डली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में मंगल होता है तब मंगलिक दोष लगता है। इस दोष को विवाह के लिए अशुभ माना जाता है। यह दोष जिनकी कुण्डली में हो, उन्हें मंगली जीवनसाथी ही तलाश करना चाहिए, ऐसी मान्यता है।
यदि कोई मांगलिक व्यक्ति 29 की उम्र में विवाह करता है तो उसका मंगल दोष स्वतः निर्मूल हो जाता है। मंगल का मुख्य प्रभाव 13 वर्ष से 27 वर्ष तक ही रहता है। मंगली वर/कन्या किसी भी मंगली कन्या/वर से किसी भी उम्र में विवाह कर सकता है।
*मांगलिक का गैर मांगलिक से यदि 28 वर्ष से पहले विवाह करना चाहते है ऐसे हो सकता है विवाह:-*
मांगलिक कुंडली का निर्णय बारिकी से किया जाना चाहिए क्योंकि शास्त्रों में मांगलिक दोष निवारण के तरीके उपलब्ध हैं। शास्त्रवचनों के जिस श्लोक के आधार पर जहां कोई कुंडली मांगलिक बनती है, वहीं उस श्लोक के परिहार (काट) के कई प्रमाण हैं। मांगलिक प्रभाव वाली कुंडली से भयभीत होने कि जरूरत नहीं है।
ऐसा होने से नहीं लगता है वैवाहिक जीवन में मांगलिक दोष
1. मंगल दोष के परिहार स्वयं की कुंडली में (मंगल भी निम्न लिखित परिस्तिथियों में दोष कारक नहीं होगा)—जैसे शुभ ग्रहों का केंद्र में होना, शुक्र द्वितीय भाव में हो, गुरु मंगल साथ हों या मंगल पर गुरु की दृष्टि हो तो मांगलिक दोष का परिहार हो जाता है।
2. वर-कन्या की कुंडली में आपस में मांगलिक दोष की काट- जैसे एक के मांगलिक स्थान में मंगल हो और दूसरे के इन्हीं स्थानों में सूर्य, शनि, राहू, केतु में से कोई एक ग्रह हो तो दोष नष्ट हो जाता है।
3. मेष का मंगल लग्न में, धनु का द्वादश भाव में, वृश्चिक का चौथे भाव में, वृष का सप्तम में, कुंभ का आठवें भाव में हो तो भौम दोष नहीं रहता।
4. कुंडली में मंगल यदि स्व-राशि (मेष, वृश्चिक), मूलत्रिकोण, उच्चराशि (मकर), मित्र राशि (सिंह, धनु, मीन) में हो तो भौम दोष नहीं रहता है।
5. सिंह लग्न और कर्क लग्न में भी लग्नस्थ मंगल का दोष नहीं होता है। शनि, मंगल या कोई भी पाप ग्रह जैसे राहु, सूर्य, केतु अगर मांगलिक भावों (1,4,7,8,12) में कन्या जातक के हों और उन्हीं भावों में वर के भी हों तो भौम दोष नष्ट होता है। यानी यदि एक कुंडली में मांगलिक स्थान में मंगल हो तथा दूसरे की में इन्हीं स्थानों में शनि, सूर्य, मंगल, राहु, केतु में से कोई एक ग्रह हो तो उस दोष को काटता है।
6. कन्या की कुंडली में गुरू यदि केंद्र या त्रिकोण में हो तो मांगलिक दोष नहीं लगता अपितु उसके सुख-सौभाग्य को बढ़ाने वाला होता है।
7. यदि एक कुंडली मांगलिक हो और दूसरे की कुंडली के 3, 6 या 11वें भाव में से किसी भाव में राहु, मंगल या शनि में से कोई ग्रह हो तो मांगलिक दोष नष्ट हो जाता है।
8. कुंडली के 1,4,7,8,12वें भाव में मंगल यदि चर राशि मेष, कर्क, तुला और मकर में हो तो भी मांगलिक दोष नहीं लगता है।
9. वर की कुण्डली में मंगल जिस भाव में बैठकर मंगली दोष बनाता हो कन्या की कुण्डली में उसी भाव में सूर्य, शनि अथवा राहु हो तो मंगल दोष का शमन हो जाता है।
10. जन्म कुंडली के 1,4,7,8,12,वें भाव में स्थित मंगल यदि स्व, उच्च मित्र आदि राशि -नवांश का, वर्गोत्तम ,षड्बली हो तो मांगलिक दोष नहीं होगा।
11. यदि 1,4,7,8,12 भावों में स्थित मंगल पर बलवान शुभ ग्रहों कि पूर्ण दृष्टि हो तो भी मांगलिक दोष नहीं लगता।
👉🏼 *मंगल दोष के निम्नलिखित में से कोई एक उपाय अपना लें:-*
1👉🏼 गायत्री मंन्त्र के नौ दिन के लघु अनुष्ठान(24 हज़ार गायत्री जप) को करें और नौ शनिवार पीपल के वृक्ष में मिट्टी के बर्तन से जल चढ़ाएं औऱ उसे स्पर्श करें। इससे कुंडली का मंगलदोष दूर हो जाता है। नौ गुरुवार व्रत रखें। नौ कन्याओं को भोजन करवाये और द्रव्य दान दें।
2.👉🏼 सबसे सरल उपाय है हनुमान जी की नियमित उपासना और 21 सुंदरकांड के पाठ का अनुष्ठान। यह मंगल के हर तरह के दोष तो खत्म करने में सहायक है। 21 मंगलवार का व्रत और पूजन। गरीबों को भोजन करवाये और दान दक्षिणा करें।
3👉🏼 16 सोमवार का व्रत, प्रत्येक सोमवार को रुद्राभिषेक करें और रुद्र अष्टध्यायी का पाठ करें, हर सोमवार और मंगलवार को शिवलिंग पर कुमकुम चढ़ाएं। इसके साथ ही शिवलिंग पर लाल मसूर की दाल और लाल गुलाब अर्पित करें। गौ शाला में चारा दान करें।
4👉🏼 40 दिन देशी गाय की गौ सेवा, लाल वस्त्र या कलावा गौ की सींग में बांध दें, मसूर दाल या चने की दाल गुड़ के साथ खिलाएं, रक्त चंदन का तिलक गौ माता को लगाएं। गौशाला में हरा चारा दान करें।
5👉🏼 108 गायत्री चालीसा का पाठ और गायत्री मंत्र लेखन और 21 गुरुवार का व्रत करें। गरीबों को भोजन करवाये और दान दक्षिणा करें।
6👉🏼 108 हनुमान चालीसा का पाठ और राम नाम का लेखन, 21 मंगलवार का व्रत करें। गरीबों को भोजन करवाये और दान दक्षिणा करें।
7👉🏼 40 दुर्गा सप्तशती के पाठ, लाल पुष्प चढ़ाएं। 11 गुरुवार या 11 मंगलवार के व्रत रखें। 11 गरीब कन्याओं को वस्त्र दान दें।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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