🙏🏻😇 *एको$हम - सो$हम ध्यान* 😇🙏🏻
1- गुरूदेव और माता जी का ध्यान कीजिये जैसे वो समक्ष खड़े हों
2- फ़िर उन्हें चरणों से ऊपर शिखा तक देखिए
3- फिंर गुरुदेब माता जी को प्रकाश पुंज में परिवर्तित देखिए
4- फिंर उस दो गोलों को एक प्रकाशित ज्योति में परिवर्तित महसूस कीजिये
5- फिंर वह ज्योति आपके आज्ञा चक्र में या हृदय चक्र में समाहित होती महसूस कीजिये
6- स्वयं को हज़ारो वाट के बल्ब सा प्रकाशित महसूस कीजिये। स्वयं को गुरु का ही अंश महसूस कीजिये। अब दूध और जल की तरह मिक्स हो गए हैं कुछ ऐसा अनुभव कीजिये।
7- फिंर उस प्रकाश को रोम रोम में फैलता महसूस कीजिये
8- फिंर एक एक करके अपने छः चक्र - 👉🏼मूलाधार चक्र में पीले प्रकाश स्वरूप गुरु के तेज प्रकाश का ध्यान कीजिये👉🏼स्वाधिष्ठान चक्र में सफ़ेद प्रकाश स्वरूप गुरु के तेज प्रकाश का ध्यान कीजिये👉🏼मणिपुर चक्र में लाल प्रकाश स्वरूप गुरु के तेज प्रकाश का ध्यान कीजिये👉🏼अनाहत चक्र में धुएं के रँग के प्रकाश स्वरूप गुरु के तेज प्रकाश का ध्यान कीजिये👉🏼विशुद्ध चक्र में नीले प्रकाश स्वरूप गुरु के तेज प्रकाश का ध्यान कीजिये👉🏼आज्ञाचक्र में सफ़ेद प्रकाश स्वरूप गुरु के तेज प्रकाश का ध्यान कीजिये👉🏼सहस्त्रार मस्तिष्क के मध्य में स्वर्णिम प्रकाश स्वरूप गुरु के तेज प्रकाश का ध्यान कीजिये।
ऐसी कल्पना कीजिये मानो गुरूदेव आपके भीतर इन छः चक्रों और सातवें सहस्त्रार को जागृत कर रहे हैं।
9- इस ध्यान के बाद जप तप कीजिये।
10- पूजा से उठने से पहले जल हाथ मे लेकर बोलें तन मन धन साधना उपासना व्रत तप सबकुछ गुरूदेव आपको अर्पण है।
11- हम खाली हो गए हैं। कुछ ऐसा मानो सैलरी मिली और हाथों हाथ कैश बैंक में जमा कर दिया। तो चोर लुटेरे के लूटने को कुछ बचा ही नहीं।
कभी कभी तप ऊर्जा हम गुरु को अर्पित किए बिना स्वयं लेकर घूमते हैं, मानो कैश लेकर चल रहे हो। तो भय लगेगा कि कहीं अनहोनी न हो जाये कोई चुरा न ले जाये। इसलिए उच्चतम साधना के बाद शरीर भारी रहता है या नशे जैसी कभी कभी हालत हो जाती है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
1- गुरूदेव और माता जी का ध्यान कीजिये जैसे वो समक्ष खड़े हों
2- फ़िर उन्हें चरणों से ऊपर शिखा तक देखिए
3- फिंर गुरुदेब माता जी को प्रकाश पुंज में परिवर्तित देखिए
4- फिंर उस दो गोलों को एक प्रकाशित ज्योति में परिवर्तित महसूस कीजिये
5- फिंर वह ज्योति आपके आज्ञा चक्र में या हृदय चक्र में समाहित होती महसूस कीजिये
6- स्वयं को हज़ारो वाट के बल्ब सा प्रकाशित महसूस कीजिये। स्वयं को गुरु का ही अंश महसूस कीजिये। अब दूध और जल की तरह मिक्स हो गए हैं कुछ ऐसा अनुभव कीजिये।
7- फिंर उस प्रकाश को रोम रोम में फैलता महसूस कीजिये
8- फिंर एक एक करके अपने छः चक्र - 👉🏼मूलाधार चक्र में पीले प्रकाश स्वरूप गुरु के तेज प्रकाश का ध्यान कीजिये👉🏼स्वाधिष्ठान चक्र में सफ़ेद प्रकाश स्वरूप गुरु के तेज प्रकाश का ध्यान कीजिये👉🏼मणिपुर चक्र में लाल प्रकाश स्वरूप गुरु के तेज प्रकाश का ध्यान कीजिये👉🏼अनाहत चक्र में धुएं के रँग के प्रकाश स्वरूप गुरु के तेज प्रकाश का ध्यान कीजिये👉🏼विशुद्ध चक्र में नीले प्रकाश स्वरूप गुरु के तेज प्रकाश का ध्यान कीजिये👉🏼आज्ञाचक्र में सफ़ेद प्रकाश स्वरूप गुरु के तेज प्रकाश का ध्यान कीजिये👉🏼सहस्त्रार मस्तिष्क के मध्य में स्वर्णिम प्रकाश स्वरूप गुरु के तेज प्रकाश का ध्यान कीजिये।
ऐसी कल्पना कीजिये मानो गुरूदेव आपके भीतर इन छः चक्रों और सातवें सहस्त्रार को जागृत कर रहे हैं।
9- इस ध्यान के बाद जप तप कीजिये।
10- पूजा से उठने से पहले जल हाथ मे लेकर बोलें तन मन धन साधना उपासना व्रत तप सबकुछ गुरूदेव आपको अर्पण है।
11- हम खाली हो गए हैं। कुछ ऐसा मानो सैलरी मिली और हाथों हाथ कैश बैंक में जमा कर दिया। तो चोर लुटेरे के लूटने को कुछ बचा ही नहीं।
कभी कभी तप ऊर्जा हम गुरु को अर्पित किए बिना स्वयं लेकर घूमते हैं, मानो कैश लेकर चल रहे हो। तो भय लगेगा कि कहीं अनहोनी न हो जाये कोई चुरा न ले जाये। इसलिए उच्चतम साधना के बाद शरीर भारी रहता है या नशे जैसी कभी कभी हालत हो जाती है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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