प्रश्न - *दी, पढ़े लिखे लोग भी क्यूँ ढोंगी बाबाओं के ज़ाल में फंस जाते हैं? इनसे बचने के उपाय बताएं*
उत्तर - आत्मीय बहन,
लालच, भय और मजबूरी यह तीन जिस व्यक्ति के अंदर होगा वो ढोंगी बाबा के ज़ाल में फँसेगा। शॉर्टकट तरीक़े से चमत्कारी ढंग से सफ़लता पाने की चाह वाला व्यक्ति भी ढोंगी बाबा का कस्टमर अवश्य बनेगा। अब वो चाहे पढ़ा लिखा हो या अनपढ़ फ़र्क़ नहीं पड़ता। नशे के ज़ाल में भी ऐसे ही लोग फंसते हैं।
आतंकवादी भी ऐसे ही पढ़े लिखे लोगों को आतंक के ज़ाल में फंसा पाते है। लालच के दाने निम्नलिखित में से कुछ भी देने का हो सकता है👉🏼 धन, जमीन, स्त्री, पद, सम्मान, स्वर्ग, मोक्ष इत्यादि।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
आत्मविश्वासी, निर्भय, मेहनती और विवेक के साथ आस्तिक व्यक्ति जो लालची नहीं है, वो किसी भी ढोंगी बाबा के ज़ाल में नहीं फँसेगा और जीवन की समस्याओं का समाधान स्वयंमेव ढूँढ़ लेगा। अब वो शिक्षित हो या अशिक्षित फर्क नहीं पड़ता।
उपासना(गायत्री जप एवं ध्यान), साधना(स्वाध्याय-योग-प्राणायाम-आत्मशोधन) और आराधना(लोक सेवा) नियमित करने वाले व्यक्ति की विवेकदृष्टि जागृत होती है, स्वयं पर नियंत्रण बढ़ता है। आत्मविश्वास जगता है। वो जानता है चमत्कार होते नहीं करने पड़ते हैं। ईश्वर भी केवल उनका साथ देता है जो अपनी मदद स्वयं करता है। उद्यमी पुरुषः बपुतः लक्ष्मी के सूत्र को समझने वाले को कोई भला कैसे मूर्ख बना सकेगा? जिसके अंदर कोई लालच नहीं उसे कोई भला कैसे भ्रष्टाचार में खींच सकेगा?
जो नित्य गायत्री जपता है, 15 मिनट ध्यान करता है, और नित्य सोते वक्त युगसाहित्य या भगवत गीता पढ़कर सोता है, उसे कोई ढोंगी बाबा या नशेड़ी मित्र या आतंकी अपने ज़ाल मे नहीं फंसा सकता।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय बहन,
लालच, भय और मजबूरी यह तीन जिस व्यक्ति के अंदर होगा वो ढोंगी बाबा के ज़ाल में फँसेगा। शॉर्टकट तरीक़े से चमत्कारी ढंग से सफ़लता पाने की चाह वाला व्यक्ति भी ढोंगी बाबा का कस्टमर अवश्य बनेगा। अब वो चाहे पढ़ा लिखा हो या अनपढ़ फ़र्क़ नहीं पड़ता। नशे के ज़ाल में भी ऐसे ही लोग फंसते हैं।
आतंकवादी भी ऐसे ही पढ़े लिखे लोगों को आतंक के ज़ाल में फंसा पाते है। लालच के दाने निम्नलिखित में से कुछ भी देने का हो सकता है👉🏼 धन, जमीन, स्त्री, पद, सम्मान, स्वर्ग, मोक्ष इत्यादि।
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आत्मविश्वासी, निर्भय, मेहनती और विवेक के साथ आस्तिक व्यक्ति जो लालची नहीं है, वो किसी भी ढोंगी बाबा के ज़ाल में नहीं फँसेगा और जीवन की समस्याओं का समाधान स्वयंमेव ढूँढ़ लेगा। अब वो शिक्षित हो या अशिक्षित फर्क नहीं पड़ता।
उपासना(गायत्री जप एवं ध्यान), साधना(स्वाध्याय-योग-प्राणायाम-आत्मशोधन) और आराधना(लोक सेवा) नियमित करने वाले व्यक्ति की विवेकदृष्टि जागृत होती है, स्वयं पर नियंत्रण बढ़ता है। आत्मविश्वास जगता है। वो जानता है चमत्कार होते नहीं करने पड़ते हैं। ईश्वर भी केवल उनका साथ देता है जो अपनी मदद स्वयं करता है। उद्यमी पुरुषः बपुतः लक्ष्मी के सूत्र को समझने वाले को कोई भला कैसे मूर्ख बना सकेगा? जिसके अंदर कोई लालच नहीं उसे कोई भला कैसे भ्रष्टाचार में खींच सकेगा?
जो नित्य गायत्री जपता है, 15 मिनट ध्यान करता है, और नित्य सोते वक्त युगसाहित्य या भगवत गीता पढ़कर सोता है, उसे कोई ढोंगी बाबा या नशेड़ी मित्र या आतंकी अपने ज़ाल मे नहीं फंसा सकता।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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