Thursday, 7 March 2019

प्रश्न - *दी, समझ नहीं आता कि किन अधिकारों के लिए लड़ूँ और किन अधिकारों को छोड़ दूँ? घर की पैतृक सम्पत्ति में अधिकार लेने के लिए पति से उलझूँ या रहने दूँ? पति को पैतृक सम्पत्ति उनके भाई और माता पिता को ऐसे ही देने दूँ? कन्फ़्यूज़ हूँ...क्या करूँ?

प्रश्न - *दी, समझ नहीं आता कि किन अधिकारों के लिए लड़ूँ और किन अधिकारों को छोड़ दूँ? घर की पैतृक सम्पत्ति में अधिकार लेने के लिए पति से उलझूँ या रहने दूँ? पति को पैतृक सम्पत्ति उनके भाई और माता पिता को ऐसे ही देने दूँ? कन्फ़्यूज़ हूँ...क्या करूँ?बच्चों के भविष्य और आर्थिक लाभ के लिए पति को वर्तमान में मानसिक कष्ट देकर डिस्टर्ब करूँ या नहीं..मार्गदर्शन करें*

उत्तर - आत्मीय बहन, इस प्रश्न में व्यक्त उलझन से यह क्लियर है कि वर्तमान में आपको कोई आर्थिक संकट घर गृहस्थी चलाने में नहीं है। आप मात्र अपने बच्चों के लिए पैतृक सम्पत्ति प्राप्त करना चाहती हैं जिससे उनका भविष्य सुरक्षित हो सके। इस प्रश्न से यह भी क्लियर है कि आप के मन मे कोई किसी प्रकार का लोभ लालच नहीं है।

पति जिस माँ के गर्भ से जन्में हैं, और जिस पिता की उंगली पकड़कर बड़े हुए हैं, उन माँ और पिता के साथ उनका भावनात्मक जुड़ाव होगा ही। जिस भाई के साथ बचपन गुजरा वो भी अपना होगा ही। ये उनके जीवन मे पहले आये और आप और उनकी सन्तान बाद में आये।

मानते हैं पति पत्नी का सबसे क्लोज रिश्ता होता है, आपकी सन्तान भी तो उन्ही का अंश है। आप एक दो बार सहज़ पति से इस पैतृक सम्पत्ति के बारे में बात कीजिये, यदि वो न माने तो पैतृक सम्पत्ति भूल जाइए।

आपके लिए सबसे बड़ी सम्पत्ति आपके पति हैं, उनकी ख़ुशी पर फ़ोकस कीजिये। यदि उनकी ख़ुशी इस बात पर है कि वो पैतृक संपत्ति न लें तो मत लीजिये।

बच्चों के भविष्य के लिए पति का वर्तमान सुख मत डिस्टर्ब कीजिये।

एक प्राचीन कहावत :-
*पूत कपूत तो का धन संचय*,
*पूत सपूत तो का धन संचय*।

अर्थात यदि सन्तान अयोग्य और कुंसंस्कारी हुई तो समस्त सम्पत्ति नष्ट वैसे भी कर देगी, तो इनके लिये धन संचय करना बेकार है।

यदि सन्तान योग्य और सुसंस्कारी हुई तो वैसे भी धन सम्पत्ति बना लेगी, अतः उनके लिए धन संचय के चक्कर में न पड़कर उनकी योग्यता और पात्रता बढाने में जुटना चाहिए।

धन चुराया जा सकता है, लेकीन ज्ञान कोई चोरी नहीं कर सकता। जापान की सुनामी में धन और टेक्नोलॉजी नष्ट हुई, ज्ञान और योग्यता के बल पर वह पुनः अर्जित कर ली गयी।

बहन धन क्षणिक है, आता जाता रहता है। अतः बच्चों के भविष्य निर्माण के लिए उनके ज्ञान पर फ़ोकस कीजिये। पैतृक संपत्ति लेने या न लेने का निर्णय पति पर छोड़ दीजिए।

भविष्य में क्या होगा यह कोई नहीं जानता, वर्तमान बेहतर बनेगा तो भविष्य स्वतः अच्छा हो जाएगा।

कुछ निम्नलिखित पुस्तक पढ़िये और गृहस्थ को आनन्दमय बनाइये:-

1- भाव सम्वेदना की गंगोत्री
2- मित्रभाव बढ़ाने की कला
3- दृष्टिकोण ठीक रखें
4- गृहस्थ एक तपोवन
5- हमारी भावी पीढ़ी और उसका नवनिर्माण

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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