जिस मिट्टी में मिलने से,
स्वयं को रोक न सकोगे,
जो शरीर साथ नहीं जाएगा,
फिंर उसे सजाने में क्या लाभ मिलेगा?
अरे किस मोह में पड़े हो,
क्यों ज़मीन-जायजाद लोभ में जकड़े हो,
तपोधन और पुण्य जो साथ जाएगा,
हे इंसान! उसे कब कमाएगा?
स्वयं को रोक न सकोगे,
जो शरीर साथ नहीं जाएगा,
फिंर उसे सजाने में क्या लाभ मिलेगा?
अरे किस मोह में पड़े हो,
क्यों ज़मीन-जायजाद लोभ में जकड़े हो,
तपोधन और पुण्य जो साथ जाएगा,
हे इंसान! उसे कब कमाएगा?
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