Thursday 25 April 2019

प्रश्न - *दी प्रणाम,* *दी ये कहा जाता है जिंदगी गुजारो नहीं जियो.. हर लम्हें को जियो..*

प्रश्न - *दी प्रणाम,*
*दी ये कहा जाता है जिंदगी गुजारो नहीं जियो.. हर लम्हें को जियो..*
*मैं ये जानना चाहती हूँ जिंदगी कैसे जी जाती है? हम ऐसा क्या करें की हमें लगें हम जिंदगी जी रहे गुजार नहीं रहे।*
*अपने आप को हर आयु में रख कर अगर ये सवाल करें।मतलब एक बच्चे को, युवा को, वृद्ध को। कैसे अपनी जिंदगी जीना चाहिए?*

उत्तर - आत्मीय बहन, यदि ड्राइवर गाड़ी चलाना किसी अच्छे गुरु से सीखा हो, अभ्यास किया हो और पूरे होशोहवास में गाड़ी चलायेगा तो एक्सीडेंट होने के चांसेस कम होते हैं।

इसी तरह जीवन की गाड़ी को चलाना जो किसी योग्य गुरु से सीखता है, अभ्यास करता है और पूरे होशोहवास में जीवन की गाड़ी चलाये तो उसके जीवन में भी एक्सीडेंट होने के चांसेस कम होते हैं।

यदि ड्राइवर का चित्त कहीं और हो, अस्थिर चित्त, मन में उलझन लिए, कुछ और सोचते हुए उसका ध्यान गाड़ी चलाने के मोमेंट से हटा तो कुछ भी गड़बड़ हो सकती हैं। साथ ही वो सुंदर वादियों में गाड़ी क्यों न चला रहा हो, वो किसी भी दृश्य का आनन्द न ले सकेगा। क्योंकि मन से वो उपलब्ध नहीं है, तन से गाड़ी चला रहा है। गाड़ी गुजर रही है, सफ़र में आनंद नहीं है। खूबसूरत वादियां और लम्हे सब गुजर रहे हैं, वो जी नही रहा।

इसी तरह अस्थिर चित्त और मानसिक उलझन में व्यक्ति खूबसूरत जीवन के पलों और लम्हों में समय गुजार देता है, वो उन पलों में जी नही रहा होता। अरे चाय का भी स्वाद तब ले सकोगे जब अस्थिर चित्त और उलझे हुए मन में न होंगे। तुम्हारा ध्यान चाय के स्वाद और चुस्कियों में होगा तभी तो तुम्हारी स्वादेन्द्रियाँ स्वाद ले सकेंगी।

Where attention goes energy flows..

जिधर ध्यान जाएगा, उसी तरफ़ आत्म चेतना की ऊर्जा प्रवाहित होगी। ध्यान जीवन के प्रत्येक पल पर होगा तभी प्रत्येक पल में जीवन होगा और आनंद होगा।

जिस उम्र में गाड़ी चलाना एक बार सीख लो और अभ्यास हो जाये तो फिर दुबारा गाड़ी चलाना नहीं सीखना पड़ता। केवल अभ्यास करना पड़ता है।

इसी तरह जीवन जीने की कला सीखने के बाद एक बार जब अभ्यास में आ जाता है तो बालक, युवा और वृद्ध किसी भी उम्र में कोई क्यों न हो जीवन जीता है, गुजारता नहीं है। लेक़िन जीवन जीने के नियमो का अभ्यास नित्य करना होगा।

ड्राइविंग गुरु गाड़ी चलाना सिखाता है, गाड़ी पर कंट्रोल, ब्रेक और रेस का प्रयोग, स्टेयरिंग इत्यादि की जानकारी देता है।लेक़िन शिष्य के जीवन में वो किन रास्तों और किन किन जगहों पर वो गाड़ी चलाएगा यह तय नहीं कर सकता। वो शिष्य के लिए समस्या मुक्त, भीड़ मुक्त साफ सुंदर सड़क मुहैया नहीं करा सकता।

इसी तरह आध्यात्मिक गुरु मन की गाड़ी चलाना सिखाता है, मन पर नियंत्रण सिखाता है। कैसे ध्यान लगाना है(रेस), कैसे ध्यान हटाना है(ब्रेक), स्टेयरिंग मन की गतिविधि पर नजर रखना सिखाता है। लेक़िन शिष्य के जीवन में वो किन परिस्थितियों और किन किन समस्याओं वाले रास्ते में मन की गाड़ी चलाएगा यह तय नहीं कर सकता। वो शिष्य के लिए समस्या मुक्त, उलझन मुक्त साफ सुंदर जीवन मुहैया नहीं करा सकता।

होशपूर्वक चैतन्यता के साथ जियें। जीवन जीने के आध्यात्मिक सूत्रों का अभ्यास करें।

युगऋषि की लिखी पुस्तक - 📖 *जीवन जीने की कला* और 📖 *सफल जीवन की दिशा धारा* अवश्य पढ़िये।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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