प्रश्न - *घर के किसी सदस्य की बीमारी दूर करने और उनके प्रारब्ध काटने के लिए कौन सी साधना करें? कृपया मार्गदर्शन करें।*
उत्तर - आत्मीय बहन, प्रदूषण युक्त वातावरण जहाँ न पीने को शुद्ध जल है, न श्वांस लेने को शुद्ध हवा है, न खाने को शुद्ध ऑर्गेनिक अन्न है। ऐसी विकट परिस्थिति में बीमारियों का आक्रमण शरीर पर स्वभाविक है।
👉🏼 बीमारियां मुख्यतः तीन कारणों से होती हैं,
1- वातावरण व परिस्थिति जन्य
उदाहरण - ज़हरीली केमिकल फैक्ट्री के पास रहने वाले सभी लोगों का रोगी होना
2- आनुवांशिक रोग
उदाहरण - माता-पिता को डायबटीज़ तो बेटे को डायबिटीज होना
3- प्रारब्धजन्य
उदाहरण - पूर्व जन्मों के कर्मफ़ल स्वरूप गम्भीर बीमारियां होना
👉🏼 बीमारियों की जड़ पेट और मन में होती है। यदि पेट और मन को स्वच्छ कर लिया जाय तो बीमारियों को जड़ से उखाड़ना संभव है।
👉🏼आरोग्य, बल, श्री, समृद्धि, निर्विघ्नता, एवं सुख शान्तिमय परिस्थितियाँ उत्पन्न करने वाली देवी गायत्री की साधना, मृत्यसम कष्टों को दूर करने वाले भगवान भोलेनाथ का महामृत्युंजय जप, आरोग्य के देवता सूर्य का व्रत और सर्वसंकट नाशक यग्योपैथी अपनाकर रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है।
👉🏼 ध्यानधारणा द्वारा मन का आंतरिक काया कल्प घर बैठे श्रद्धेय के यूट्यूब चैनल से देख सकते हैं:-
https://youtu.be/umAfVbaGWhw
👉🏼 इम्म्युनिटी (रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए) सुबह गेंहूँ के ज्वारे का रस, एक बड़े सरसों के दाने बराबर चूना(पान वाला) और सुबह शाम अमृता वटी(गिलोय) का तीन महीने तक सेवन करें। यह शरीर को भीतर से मजबूत कर देता है।
👉🏼 बीमारी सम्बन्धी योग-प्राणायाम अपनाकर रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है, रोगसम्बन्धी बीमारियों के लिए कौन सा योग करें:-
योगाचार्य - 09811130431, रमनिश वत्स( भारत सरकार द्वारा रबर बॉय की उपाधि प्राप्त)
यूट्यूब चैनल - https://www.youtube.com/user/ramnish1
योगाचार्य - +919337710225, डॉक्टर विश्व रंजन रथ, भारत और उड़ीसा में ख्यातिप्राप्त योगाचार्य।
यूट्यूब चैनल - https://www.youtube.com/channel/UCBuUm0tNSe1As6Y6HacNxVQ
इन दोनो योगाचार्य के प्रोग्राम टीवी पर आते हैं, इनके उपरोक्त यूट्यूब चैनल पर जाएं और मार्गदर्शन लें।
👉🏼 मन की सफ़ाई के लिए नित्य स्वाध्याय करें और कम से कम एक निश्चित समय में एक घण्टे का मौन रखें। उगते हुए सूर्य का ध्यान करें।
👉🏼 पेट की सफ़ाई के लिए रसाहार और जलाहार लेकर प्रत्येक रविवार व्रत रखें तो पेट साफ़ होगा। रोगी के लिए परिवार के सदस्य रविवार व्रत रखें। जीवनसाथी यदि बीमार हो तो मंगलवार व्रत भी रख सकते हैं।
👉🏼 बीमार बच्चे के माता-पिता, बीमार पति के लिए पत्नी और बीमार पत्नी के लिए पति सवा लाख गायत्री जप का अनुष्ठान उसकी रोगमुक्ति के लिए श्रद्धा भाव से करे। एक दिन 8 घण्टे का गायत्री अखण्डजप मित्रों और परिजनों की मदद से कर लें और एक दिन 8 घण्टे का महामृत्युंजय मंत्र का अखंड जप रोगमुक्ति के लिए कर लें।
👉🏼 नित्य कम से कम 3 गायत्री मंत्र की माला और एक महामृत्युंजय मंत्र की माला स्वजन की रोगमुक्ति के लिए करें। कलश का जल सूर्य को अर्पित करके थोड़ा सा बचा लें और उस जल से रोटी का आटा गूंथे और उसकी रोटियां परिवार वालों को खिलाएं।
👉🏼 नित्य घर में दैनिक यज्ञ या बलिवैश्व यज्ञ करें।
👉🏼रोगसम्बन्धी औषधियों के हवन को यग्योपैथी कहते हैं। इससे रोगी को श्वांस द्वारा मंन्त्रतरंगों युक्त औषधि मिलती है, जो उसे तेजी से स्वास्थ्य प्रदान करती है। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार, उत्तराखंड जाएं और रोगसम्बन्धी औषधि वहां से लाकर नित्य हवन करें:-
फोन पर सम्पर्क सूत्र -
919258369619, डॉक्टर वंदना
+916399080163, डॉक्टर विरल
👉🏼 गुरूदेव ने स्वास्थ्य के लिए अनेक पुस्तकें लिखीं है इन्हें पढ़कर घर पर स्वास्थ्य के सूत्र अपनाएं:-
1- बिना औषधियों के कायाकल्प
2- जीवेम शरदः शतम
3- व्यक्तित्व विकास की उच्चस्तरीय साधनाएं (इसमें योग-प्राणायाम-ध्यान विधियों द्वारा रोगोपचार वर्णित है)
4- तुलसी के चमत्कारिक गुण
5- यज्ञ चिकित्सा विज्ञान
6- निराशा को पास न फटकने दें
7- मनःस्थिति बदलें तो परिस्थिति बदले
8- मानसिक संतुलन
9- हारिये न हिम्मत
10- दृष्टिकोण ठीक रखें
🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय बहन, प्रदूषण युक्त वातावरण जहाँ न पीने को शुद्ध जल है, न श्वांस लेने को शुद्ध हवा है, न खाने को शुद्ध ऑर्गेनिक अन्न है। ऐसी विकट परिस्थिति में बीमारियों का आक्रमण शरीर पर स्वभाविक है।
👉🏼 बीमारियां मुख्यतः तीन कारणों से होती हैं,
1- वातावरण व परिस्थिति जन्य
उदाहरण - ज़हरीली केमिकल फैक्ट्री के पास रहने वाले सभी लोगों का रोगी होना
2- आनुवांशिक रोग
उदाहरण - माता-पिता को डायबटीज़ तो बेटे को डायबिटीज होना
3- प्रारब्धजन्य
उदाहरण - पूर्व जन्मों के कर्मफ़ल स्वरूप गम्भीर बीमारियां होना
👉🏼 बीमारियों की जड़ पेट और मन में होती है। यदि पेट और मन को स्वच्छ कर लिया जाय तो बीमारियों को जड़ से उखाड़ना संभव है।
👉🏼आरोग्य, बल, श्री, समृद्धि, निर्विघ्नता, एवं सुख शान्तिमय परिस्थितियाँ उत्पन्न करने वाली देवी गायत्री की साधना, मृत्यसम कष्टों को दूर करने वाले भगवान भोलेनाथ का महामृत्युंजय जप, आरोग्य के देवता सूर्य का व्रत और सर्वसंकट नाशक यग्योपैथी अपनाकर रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है।
👉🏼 ध्यानधारणा द्वारा मन का आंतरिक काया कल्प घर बैठे श्रद्धेय के यूट्यूब चैनल से देख सकते हैं:-
https://youtu.be/umAfVbaGWhw
👉🏼 इम्म्युनिटी (रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए) सुबह गेंहूँ के ज्वारे का रस, एक बड़े सरसों के दाने बराबर चूना(पान वाला) और सुबह शाम अमृता वटी(गिलोय) का तीन महीने तक सेवन करें। यह शरीर को भीतर से मजबूत कर देता है।
👉🏼 बीमारी सम्बन्धी योग-प्राणायाम अपनाकर रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है, रोगसम्बन्धी बीमारियों के लिए कौन सा योग करें:-
योगाचार्य - 09811130431, रमनिश वत्स( भारत सरकार द्वारा रबर बॉय की उपाधि प्राप्त)
यूट्यूब चैनल - https://www.youtube.com/user/ramnish1
योगाचार्य - +919337710225, डॉक्टर विश्व रंजन रथ, भारत और उड़ीसा में ख्यातिप्राप्त योगाचार्य।
यूट्यूब चैनल - https://www.youtube.com/channel/UCBuUm0tNSe1As6Y6HacNxVQ
इन दोनो योगाचार्य के प्रोग्राम टीवी पर आते हैं, इनके उपरोक्त यूट्यूब चैनल पर जाएं और मार्गदर्शन लें।
👉🏼 मन की सफ़ाई के लिए नित्य स्वाध्याय करें और कम से कम एक निश्चित समय में एक घण्टे का मौन रखें। उगते हुए सूर्य का ध्यान करें।
👉🏼 पेट की सफ़ाई के लिए रसाहार और जलाहार लेकर प्रत्येक रविवार व्रत रखें तो पेट साफ़ होगा। रोगी के लिए परिवार के सदस्य रविवार व्रत रखें। जीवनसाथी यदि बीमार हो तो मंगलवार व्रत भी रख सकते हैं।
👉🏼 बीमार बच्चे के माता-पिता, बीमार पति के लिए पत्नी और बीमार पत्नी के लिए पति सवा लाख गायत्री जप का अनुष्ठान उसकी रोगमुक्ति के लिए श्रद्धा भाव से करे। एक दिन 8 घण्टे का गायत्री अखण्डजप मित्रों और परिजनों की मदद से कर लें और एक दिन 8 घण्टे का महामृत्युंजय मंत्र का अखंड जप रोगमुक्ति के लिए कर लें।
👉🏼 नित्य कम से कम 3 गायत्री मंत्र की माला और एक महामृत्युंजय मंत्र की माला स्वजन की रोगमुक्ति के लिए करें। कलश का जल सूर्य को अर्पित करके थोड़ा सा बचा लें और उस जल से रोटी का आटा गूंथे और उसकी रोटियां परिवार वालों को खिलाएं।
👉🏼 नित्य घर में दैनिक यज्ञ या बलिवैश्व यज्ञ करें।
👉🏼रोगसम्बन्धी औषधियों के हवन को यग्योपैथी कहते हैं। इससे रोगी को श्वांस द्वारा मंन्त्रतरंगों युक्त औषधि मिलती है, जो उसे तेजी से स्वास्थ्य प्रदान करती है। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार, उत्तराखंड जाएं और रोगसम्बन्धी औषधि वहां से लाकर नित्य हवन करें:-
फोन पर सम्पर्क सूत्र -
919258369619, डॉक्टर वंदना
+916399080163, डॉक्टर विरल
👉🏼 गुरूदेव ने स्वास्थ्य के लिए अनेक पुस्तकें लिखीं है इन्हें पढ़कर घर पर स्वास्थ्य के सूत्र अपनाएं:-
1- बिना औषधियों के कायाकल्प
2- जीवेम शरदः शतम
3- व्यक्तित्व विकास की उच्चस्तरीय साधनाएं (इसमें योग-प्राणायाम-ध्यान विधियों द्वारा रोगोपचार वर्णित है)
4- तुलसी के चमत्कारिक गुण
5- यज्ञ चिकित्सा विज्ञान
6- निराशा को पास न फटकने दें
7- मनःस्थिति बदलें तो परिस्थिति बदले
8- मानसिक संतुलन
9- हारिये न हिम्मत
10- दृष्टिकोण ठीक रखें
🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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