Sunday, 21 April 2019

प्रश्न - *श्वेता जी, आपके प्रश्नोंत्तर के लेख होते तो बहुत अच्छे हैं, लेकिन सभी प्रश्नों के उत्तर में समाधान तौर पर गायत्रीमंन्त्र जप, ध्यान और स्वाध्याय होता ही है। ऐसा क्यों है जानना चाहता हूँ।*

प्रश्न - *श्वेता जी, आपके प्रश्नोंत्तर के लेख होते तो बहुत अच्छे हैं, लेकिन सभी प्रश्नों के उत्तर में समाधान तौर पर गायत्रीमंन्त्र जप, ध्यान और स्वाध्याय होता ही है। ऐसा क्यों है जानना चाहता हूँ।*

उत्तर - आत्मीय भाई, गाड़ी आप किसी भी कम्पनी की खरीदें, कोई से भी मॉडल खरीदें, उसे चलाने के लिए पेट्रोलियम ईंधन तो चाहिए।

इसी तरह समस्या कोई भी हो, उसके समाधान हेतु शक्ति तो चाहिए। गायत्री मंत्र जप, ध्यान और स्वाध्याय से यह शक्ति उतपन्न होती है। इसी शक्ति के उपयोग से समाधान मिलता है।

*उदाहरण 1* - हम सभी के मन में दो विचारधारा रूपी अस्तित्व   हैं - एक वफ़ादार देवत्व युक्त और दूसरा नुकसानदेह असुरत्व युक्त है। 

गायत्री मंत्र जप , ध्यान, स्वाध्याय से देवत्वगुण वाली विचार धारा को शक्ति मिलेगी।

 गन्दे वीडियो, चुगली चपाटी, नशे इत्यादि कुकर्मों से असुरत्व युक्त विचार धारा को शक्ति मिलेगी।

 युद्ध मे वही पहलवान जीतेगा जिसे आप भोजन दोगे। अपने भीतर देवत्व जगाना है या असुरत्व, यह चयन तो आपको करना पड़ेगा, चयन के अनुसार परिणाम भी मिलेगा।

*उदाहरण 2* - अब मान लो आप कैरियर बनाना चाहते हैं, सुबह उठ कर पढ़ने का, घण्टों पढ़ने का सङ्कल्प लेते हैं। लेक़िन सुबह आपके भीतर असुरत्व और देवत्व विचारधारा के बीच युद्ध होगा। जो विजयी होगा वो आपका दिन तय करेगा। देवत्व जीता तो सुबह उठेंगे और दिनभर पढ़ेंगे, असुरत्व जीता तो सुबह उठ न पाएंगे और दिनभर पढ़ न पाएंगे।

*उदाहरण 3* - सुबह व्यायाम और आराम के बीच,   सेहतमंद भोजन और स्वादिष्ट भोजन के बीच भी जब आप चयन करने जाएंगे तो पुनः भीतर देवासुर संग्राम होगा। देव विचारधारा विजयी हुई तो व्यायाम और सेहतमंद भोजन चुनेंगें, स्वास्थ्य पाएंगे। असुर विचारधारा जीती तो सुबह आलस्य में समय गंवाएंगे, स्वादिष्ट मसालेदार भोजन करेंगे, परिणामस्वरूप रोगी बनेंगे।

🙏🏻दुनियां समस्त विचारक शुभसँकल्प लेकर जीवन लक्ष्य चुनने को बोलते हैं। लेक़िन यह शुभसँकल्प युक्त लक्ष्य तब तक पूरा नहीं हो सकता जब तक भीतर दैवीय शक्ति न हो।

वस्तुतः दैवीय शक्ति का स्रोत तो गायत्री मंत्र जप, ध्यान और स्वाध्याय ही है, जिससे उतपन्न शक्ति से सङ्कल्प बल मिलता है।  भावनाएं शुद्ध होती है और बुद्धिकुशलता मिलती है। साधक स्वयं अपने जीवन की समस्याओं का समाधान करने में सक्षम हो जाता है।

गूगल करके गायत्रीमंत्र जप, ध्यान और स्वाध्याय के फायदे और मेडिकल रिसर्च देख सकते हैं।

सङ्कल्प बल की गाड़ी का ईंधन है, गायत्री मंन्त्र जप, ध्यान और स्वाध्याय। इस गाड़ी में बैठकर जहां चाहे वहाँ पहुंच सकते हैं।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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