*आत्मियता विस्तार के बिना,*
*हो सकता युगनिर्माण नहीं..*
*भावसम्वेदना के जागरण बिना,*
*हो सकता आत्मनिर्माण नहीं..*
माना हर कोई तुम्हारा रिश्तेदार नहीं,
सबसे तुम्हारी मित्रता और प्रेम व्यवहार नहीं,
फिर भी जब कभी तुम किसी से मिलना,
मुस्कुरा कर सबका अभिवादन करना,
क्योंकि बिना आत्मियता विस्तार के,
हो सकता युगनिर्माण नहीं।
ध्यान रखो कि...
आत्मियता विस्तार के बिना,
हो सकता युगनिर्माण नहीं..
भावसम्वेदना के जागरण बिना,
हो सकता आत्मनिर्माण नहीं..
रास्ते में जो किसी से मिलो तो,
हाल चाल पूंछने रुक जाना,
आत्मियता विस्तार की एक झलक,
उसको जरूर दिखला देना।
हो.. यदि दूर कोई पहचाना नजर आए तो,
दूर से ही तुम मुस्करा देना,
अभिवादन में मुस्कुराते हुए,
सिर्फ हाथ ही हवा में लहरा देना।
बस विश्वामित्र बनने की,
राह पर तुम चल देना,
स्वयं में देवत्व जगाने की,
राह पर तुम चल देना।
ध्यान रखो कि..
आत्मियता विस्तार के बिना,
हो सकता युगनिर्माण नहीं..
भावसम्वेदना के जागरण बिना,
हो सकता आत्मनिर्माण नहीं..
ज़िद्दी कभी मत बनना,
किसी बात पर मत अकड़ना,
खुले दिल से परिवर्तन स्वीकारना,
दूसरे के मनोभावों को भी समझना।
किसी की भूल जो है बंद पन्नो में,
उसको समाज में मत खोलना,
बुद्ध सी करूणा और मार्गदर्शन से,
सुधरने का उसे एक मौका जरूर देना।
बात छिड़े चुगली चपाटी की कहीं,
हंसकर उसको टाल देना,
मनुष्य है गलतियों का पुतला,
सुधरने का मौका सबको देना।
जो स्वयं को नुकसान पहुंचाए,
उसको माफ़ कर देना,
लेकिन जो संगठन-मिशन को नुकसान पहुंचाए,
उसे कभी माफ़ मत करना।
ध्यान रखो...
आत्मियता विस्तार के बिना,
हो सकता युगनिर्माण नहीं..
भावसम्वेदना के जागरण बिना,
हो सकता व्यक्तित्वनिर्माण नहीं..
आत्मियता के कैप्सूल में,
ज्ञानामृत की दवा भरकर देना,
कभी बिना भावसम्वेदना के,
कभी कठोर शब्दो मे ज्ञान मत परोसना।
कण कण में जब परमपिता को महसूस करोगे,
तभी मनुष्य मात्र में परमात्मा को देख सकोगे,
आत्मियता विस्तार तब ही संभव होगा,
जब अहंकार शून्य गुरुभक्त निर्मल मन होगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
*हो सकता युगनिर्माण नहीं..*
*भावसम्वेदना के जागरण बिना,*
*हो सकता आत्मनिर्माण नहीं..*
माना हर कोई तुम्हारा रिश्तेदार नहीं,
सबसे तुम्हारी मित्रता और प्रेम व्यवहार नहीं,
फिर भी जब कभी तुम किसी से मिलना,
मुस्कुरा कर सबका अभिवादन करना,
क्योंकि बिना आत्मियता विस्तार के,
हो सकता युगनिर्माण नहीं।
ध्यान रखो कि...
आत्मियता विस्तार के बिना,
हो सकता युगनिर्माण नहीं..
भावसम्वेदना के जागरण बिना,
हो सकता आत्मनिर्माण नहीं..
रास्ते में जो किसी से मिलो तो,
हाल चाल पूंछने रुक जाना,
आत्मियता विस्तार की एक झलक,
उसको जरूर दिखला देना।
हो.. यदि दूर कोई पहचाना नजर आए तो,
दूर से ही तुम मुस्करा देना,
अभिवादन में मुस्कुराते हुए,
सिर्फ हाथ ही हवा में लहरा देना।
बस विश्वामित्र बनने की,
राह पर तुम चल देना,
स्वयं में देवत्व जगाने की,
राह पर तुम चल देना।
ध्यान रखो कि..
आत्मियता विस्तार के बिना,
हो सकता युगनिर्माण नहीं..
भावसम्वेदना के जागरण बिना,
हो सकता आत्मनिर्माण नहीं..
ज़िद्दी कभी मत बनना,
किसी बात पर मत अकड़ना,
खुले दिल से परिवर्तन स्वीकारना,
दूसरे के मनोभावों को भी समझना।
किसी की भूल जो है बंद पन्नो में,
उसको समाज में मत खोलना,
बुद्ध सी करूणा और मार्गदर्शन से,
सुधरने का उसे एक मौका जरूर देना।
बात छिड़े चुगली चपाटी की कहीं,
हंसकर उसको टाल देना,
मनुष्य है गलतियों का पुतला,
सुधरने का मौका सबको देना।
जो स्वयं को नुकसान पहुंचाए,
उसको माफ़ कर देना,
लेकिन जो संगठन-मिशन को नुकसान पहुंचाए,
उसे कभी माफ़ मत करना।
ध्यान रखो...
आत्मियता विस्तार के बिना,
हो सकता युगनिर्माण नहीं..
भावसम्वेदना के जागरण बिना,
हो सकता व्यक्तित्वनिर्माण नहीं..
आत्मियता के कैप्सूल में,
ज्ञानामृत की दवा भरकर देना,
कभी बिना भावसम्वेदना के,
कभी कठोर शब्दो मे ज्ञान मत परोसना।
कण कण में जब परमपिता को महसूस करोगे,
तभी मनुष्य मात्र में परमात्मा को देख सकोगे,
आत्मियता विस्तार तब ही संभव होगा,
जब अहंकार शून्य गुरुभक्त निर्मल मन होगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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