Tuesday 23 April 2019

कविता - नंन्हे दीपकों से लो युग सृजन की प्रेरणा

*नंन्हे दीपकों से लो युग सृजन की प्रेरणा*

विध्वंस है सरल,
सृजन है कठिन,
चरित्र पतन है सहज़,
चरित्र उत्थान है कठिन,
युगपतन है सरल,
युगनिर्माण है कठिन,

इसे गहराई से समझ ले तू इंसान,
तुम्हें ही करना है सृजन और युगनिर्माण।

उथले जल में,
बालक्रीड़ा है आसान,
समुद्र की गहराई में,
गोताखोर बनके,
मोती लाना है मुश्किल,
वातारण प्रदूषित-विषाक्त,
करना है आसान,
वातावरण प्रदूषणमुक्त-विषमुक्त,
करना है मुश्किल,

इसे गहराई से समझ ले तू इंसान,
तुम्हें ही प्रदूषणमुक्त करना है,
यह वातावरण और संसार।

कठिनाई सुनकर,
क्या भयग्रस्त हो गया तू,
चुनौतियों से डरकर,
क्या पीछे हट गया तू,
इसे गहराई से,
समझ ले तू इंसान,
जो कठिनाई से जूझ सका,
वही बन सका महान,
जो चुनौतियों से खेला,
वही है भारत की आन-बान-शान।

इसे गहराई से समझ ले तू इंसान,
तुझे ही बनना है भारत की आन-बान और शान।

कार्तिक अमावस्या की थी,
वह गहन अंधेरी रात,
जनमानस नें देवताओं से लगाई थी,
तब मदद की गुहार,
नंन्हे दीपकों ने तब जगाई,
सोए जनमानस में इक आस,
प्रबल सङ्कल्प से जलकर,
फैलाया वहाँ प्रकाश,
दीपकों के प्रबल सङ्कल्प से,
हार गया था अंधकार,
दीपों की साहसिकता का,
तब तीनों लोकों में हुआ गुणगान,

इसे गहराई से समझ ले तू इंसान,
जब नंन्हे दीपक की सङ्कल्प ज्योति को,
बुझा नहीं सकता,
गहन से गहन अंधकार,
फ़िर तेरे प्रचण्ड सङ्कल्प से तो,
झुक जाएगा आसमान।

सूर्य की तरह चमकने के लिए,
स्वयं जलना होगा,
दुनियाँ को बचाने के लिए,
कुछ न कुछ करना होगा।

आओ युगशिल्पियों,
इन नंन्हे दीपकों से लें प्रेरणा,
अंतिम श्वांस तक,
युगसृजन का सङ्कल्प बनाये रखना,
याद रखो, स्वयं जलकर,
तिमिर को है भगाना,
जहां हैं वहीं,
गुरुचेतना का प्रकाश है फैलाना,
दीप से दीप है जलाते जाना,
युगनिर्मानियों सृजन सेना है बनाते जाना,
युगऋषि का स्वप्न है पूरा करना,
हमें उनका अंगअवयव है बनना,
मनुष्य में देवत्व है जगाना,
धरती को ही स्वर्ग सा सुंदर है बनाना।

इसे गहराई से समझ तू इंसान,
स्वर्ग और नर्क क्या है ज्ञान - विज्ञान।
समाज और समूह का,
अच्छा चरित्र चिंतन और व्यवहार ही,
धरती का स्वर्ग है,
समाज और समूह का,
बुरा चरित्र चिंतन और व्यवहार ही,
धरती का नर्क है,
चरित्र चिंतन व्यवहार बदलने के लिए,
तुझे उनकी सोच को बदलना होगा,
इसके लिए तुम्हें,
गायत्रीमंत्र जप, ध्यान और स्वाध्याय से,
जनमानस को जोड़ना होगा,
सबके भीतर भाव सम्वेदना जगाना होगा,
प्रकृति के संरक्षण में सबका योगदान लेना होगा।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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