Wednesday 15 May 2019

प्रश्न - 1 से 20 , बाल सँस्कार शाला - बाल आध्यात्मिक जिज्ञासा समाधान

👶🏻👧🏻 *बाल सँस्कार शाला - बाल आध्यात्मिक जिज्ञासा समाधान* 👶🏻👧🏻

👉🏼 प्रश्न 1 से 20 तक

प्रश्न 1- *दुनियाँ को किसने बनाया और क्यों?*

उत्तर - ईश्वर ने इस दुनियाँ को बनाया है, जब भगवान को एक से अनेक होने की इच्छा हुई तो भगवान ने यह दुनियाँ और हम लोगों को बनाया। (एको$हम बहुष्यामि)

प्रश्न 2 - *क्या ईश्वर होता है? ईश्वर कहाँ रहता है?*

उत्तर -  हाँ ईश्वर होते है, ईश्वर कण कण में रहता है।  अदृश्य हवा की तरह भगवान भी यत्र तत्र सर्वत्र है, हमारे बाहर भी और हमारे भीतर भी। उदाहरण - मछली जल के अंदर रहती है, जल भी मछली के अंदर होता है। हम परब्रह्म/ईश्वर के अंदर है, और वह परब्रह्म/ईश्वर भी हमारे अंदर है।✅

प्रश्न - 3 - *ईश्वर कितने सारे होते हैं? हमारे घर में बहुत सारे भगवान की फोटो है।*

उत्तर - 'परब्रह्म, परमपिता, ईश्वर,चाहें उसे उल्लाह कहो,  वाहे गुरु कहो गाड कहों *एक ही है,!* लेकिन उसकी *अभिव्यक्ति अनेक रूपो मे है* वो वस्तुतः निराकार हैं लेकिन विभिन्न रूपों में समय समय पर *भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होकर उनके कल्याण के लिए जन्म लेते हैं।* जब जब "धर्म की हानि" होती है, "राक्षसों का उपद्रव बढ़ता है" भगवान साकार रूप धारण करके धरती पर जन्म लेते हैं।

प्रश्न -4 - *क्या ईश्वर को मैं देख और सुन सकता हूँ?*

उत्तर- तुम अपने स्थूल नेत्र से उन्हें देख और सुन नहीं सकते। लेकिन तप द्वारा यदि तुम अपने सूक्ष्म शरीर
{विचारों का केंद्र, यानी मस्तिष्क} के नेत्र खोल लो और कान को खोल लो, तो भगवान को देख और सुन सकते हो। जैसे सूक्ष्मदर्शी की मदद से तुम वो देख सकते हो जो स्थूल नेत्र की मदद से नही देख सकते। तुम्हारी आत्मा, परमात्मा की तरह सूक्ष्म है, जब *तुम आत्मशक्तियों को तपसाधना से जागृत करोगे तो आत्मा के सूक्ष्म आंख कान से भगवान के दिव्य रूप को देख सकते हो।*

प्रश्न -5-  *क्या ईश्वर को सूक्ष्मदर्शी की मदद से देख सकते हैं?*

उत्तर -

मनुष्य ने अभी ऐसा कोई उपकरण नहीं बनाया जिससे परा चेतना की सूक्ष्मता को देखा परखा जा सके। पदार्थ से बनी मशीन पदार्थ को ही देख सकती है, जो पदार्थ से पर ऊर्जा रूप में है उसे ऊर्जा शरीर से देखा और सुना जा सकता है।
*क्या आपको विद्युत शक्ति  दिखाई देतीैहै?*
नहीं
*क्या  आप को वायु दिखाई  देता है?*
नहीं
*क्या आप को गुरुत्वाकर्षण दिखाई देता है?* नहीं
इन शक्तियों का असर, प्रभाव दिखाई पडता है ।

उसी प्रकार 'चैतन्य शक्ति ' दिखाई  नहीं  देती, उसके गुणों के माध्यम से वह महसूस किया जा सकता है


प्रश्न - 6- *तो फिर ईश्वर है इस बात पर कोई कैसे विश्वास करे?*

उत्त--इस कांच की ग्लास में चीनी घुली हुई है। चीनी जल में विलीन हो चुकी है।
"जिस तरह चीनी तुम्हें दिख नहीं रही लेकिन तुम उसे चखकर अनुभव कर सकते हो, उसी तरह ब्रह्माण्ड में घुला ईश्वर तप द्वारा अनुभव किया जा सकता है।"  ✅
*प्यार की भावना दिखाई नही देती लेकिन महसूस होती है* वैसे ही ईश्वर को भी महसूस किया जा सकता है।

प्रश्न -7- *भगवान कैसे ब्रह्माण्ड में घुला हुआ है? फिर वो अवतार कैसे लेता है?*

उत्तर - अभी बताते हैं, जैसे *इस ग्लास के जल को हवा में घुलने पर यह ग़ायब हो जाएगा। जादू दिखाऊँ!!*

"गैस में जल को उबालने पर यह जल वाष्प बनकर वायुभूत हो जाता है।"

हवा में व्याप्त जल वाष्प को पुनः प्राप्त करने के लिए एक ग्लास में बर्फ डालो, उस ग्लास के बाहर की हवा में मौजूद वाष्प ठंडी होकर जल की बूंदों के रूप में आसपास ग्लास में चिपक जाएगी।
[This is condensation
Procces]
*इसी तरह भगवान अपनी इच्छा से वायुभूत* *हो जाते हैं,!*
"भक्तों की तप एवं प्रार्थना से उन्हें अनुभूति देते हैं।" इस बर्फ के टुकड़े की तरह !" 

'कोई रूप लेकर अपने सुपात्र भक्त को दर्शन भी दे देते हैं।'

प्रश्न -8- *प्रार्थना और मंन्त्र भगवान तक पहुंचता कैसे है?*

उत्तर - भगवान अपने घर में लगे इस Wi-Fi की तरह अदृश्य है लेकिन सर्वत्र मौजूद है। सही पासवर्ड(आर्त प्रार्थना) डालने पर तुम इससे कनेक्ट होकर, इंटरनेट उपयोग कर सकते हो, इसी तरह सही प्रार्थना और मंन्त्र से तुम भगवान से दिमाग़ में जुड़ सकते हो *और ब्रह्मांड का इंटरनेट और नेटवर्क उपयोग कर सकते हो।*

प्रश्न -9-  *क्या सचमुच हम भी ब्रह्माण्ड का नेटवर्क उपयोग कर सकते हैं? उस परमशक्ति से जुड़ सकते है?*

उत्तर - हाँजी बिल्कुल, आज के नासा {NASA} और इसरो(ISRO) की तरह मशीनें और सेटेलाइट ऋषियों के पास नहीं थे, पर फिर भी वो *आज से कहीं ज़्यादा ज्ञानी और उन्नत थे* गैलीलियो ने तो बहुत वर्षों बाद बताया कि पृथ्वी गोल है और अपनी धुरीपर  घूमती है। *हमारे देश के ऋषि तो भू-गोल(पृथ्वी गोल) और जगत(यह चलायमान) बता दिया था।* *पुष्पक विमान और समुद्रसेतु इंजीनियरिंग का अनुपम उदाहरण है।*  "✅  *रामायण महाभारत में वर्णित अस्त्र शस्त्र "आज के अस्त्र शस्त्रों से ज्यादा प्रभावी थे"

 *चरक सुश्रुत जैसे ऋषियों की शल्य चिकित्सा* और चिकित्सा विज्ञान *आज से कहीं ज्यादा उन्नत था।* युधिष्ठिर के ज़माने से *वाराणसी में बैठे पण्डित ग्रह नक्षत्र की चाल की गणना,नासा से बेहतर करते थे* "सूर्य ग्रहण -चन्द्र ग्रहण की सटीक वक़्त और दिन बताते थे।" ऐसे अनेकों उदाहरण मौजूद है।

प्रश्न -10 - *गायत्री मंत्र, बच्चों को, क्यों जपना चाहिए?*

उत्तर - प्राचीन गुरुकुल परम्परा में शिक्षा का प्रमुख आधार ही गायत्री मंत्र था। गायत्री मंत्र से बुद्धिकुशलता बढ़ती है, स्मरण शक्ति  के  साथ तेजस,{विद्युतीय उर्जा} ओजस,
वर्चस बढ़ता है। *AIIMS की डॉक्टर रमा जय सुंदर ने गायत्री जप पर रिसर्च कर, उसके प्रत्यक्ष प्रभाव को ब्रेन की MRI इत्यादि से परखा। बढ़ी हुई बौद्धिकक्षमता-कुशलता, दोनों ब्रेन का सामंजस्य और गाबा हार्मोन की बढ़ी सक्रियता देखी जा सकती है,* इतना फायदा समझकर ही दुनियाँ चमत्कृत है। लेकिन बेटे मनुष्य की बनाई मशीन *जो फ़ायदे गायत्री मंत्र जप के बता रही है, यह 0.01% ही है। 99.99% फ़ायदा तो अभी विज्ञान की समझ से परे है।* *ब्रह्माण्डीय शक्तियों का भण्डार है गायत्री मंन्त्र।*✅✅

प्रश्न -11- *जब गायत्री मंन्त्र जपने से सबकुछ संभव है, फ़िर यज्ञ करने की क्या आवश्यकता है?*

उत्तर - बेटे,
*पैर की ज़रूरत है जहाँ चाहो वहाँ पहुंच सकते हो। लेकिन यदि गाड़ी हो तो जल्दी पहुंच सकते हो* *पैर* का भी *महत्त्व* है और *गाड़ी का भी* इसी तरह तुम्हारे वजूद को
"पैर की तरह गायत्री मंत्र थामता है, और यज्ञ इस शक्ति को बढ़ाता है,"
और अनेकों प्रयोजन पूरा करता है। जैसे *प्रकृति का सन्तुलन और पोषण, पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण,* विभिन्न शारीरिक और मानसिक रोगों का यज्ञोपैथी से उपचार इत्यादि।
*दुनियाँ में गायत्री मंत्र और यज्ञ से सब कुछ संभव है।*

प्रश्न - 12 - *गायत्री जप कौन कौन कर सकता है?*

उत्तर - गायत्री जप का अधिकार *प्रत्येक प्राणी मात्र को है, स्त्री, पुरुष, बालक, वृद्ध इत्यादि सभी उम्र और सभी जाति के लोग गायत्री जप सकते हैं।*

प्रश्न - 13- *गायत्री नाम का क्या अर्थ है?*

उत्तर - *गय* अर्थात प्राण और *त्री* अर्थात त्राण - *त्राण का अर्थ होता है रक्षा करना। जो मंन्त्र हमारे प्राणों की रक्षा करें, हमारे अंदर जीवनी शक्ति बढ़ाये, सद्बुद्धि दें, बुद्धिकुशलता बढ़ाये ऐसे मंन्त्र को गायत्री मंत्र कहते हैं।*

प्रश्न - 14- *गायत्री को माता और यज्ञ को पिता क्यों कहते है?*

उत्तर - जो जन्मदाता है, हमारा पालन पोषण करते है, जो हमें कठिनाइयों से बचाते हैं। उन्हें हम माता पिता कहते हैं। जो कार्य एक छोटे से घर मे हमारे माता पिता करते हैं, उसी को बृहद विराट रूप में समस्त सृष्टि के लिए गायत्री माता और यज्ञ पिता करते हैं। पालन, पोषण और सृजन करते हैं, *जो नित्य गायत्री मंत्र जपता है और यज्ञ करता है उसकी रक्षा और आत्म उत्थान गायत्री माता और यज्ञ पिता करते हैं* उसे अनाथों की तरह कठिनाइयां कभी नहीं झेलनी पड़ती।

प्रश्न - 15 - *गायत्री मंन्त्र को वेदों का सार क्यों कहते हैं?*

उत्तर - *वेद ईश्वरीय ज्ञान-विज्ञान की पुस्तके है* जो जीवन ईश्वरीय तरीक़े से जीवन जीने की कला सिखाती है, *जिसके नियमो के पालन से धरती पर ही देवताओं की तरह स्वर्गीय सुख-शांति पाई* जा सकती है। यही सबकुछ गायत्री मंत्र भी कहता है। गायत्री वह मंन्त्र बीज है जिसके *नित्य जप से मनुष्य में देवत्व उभारा जा सकता है* और धरती पर स्वर्गीय सुख-शांति पाई जा सकती है।

प्रश्न - 16- *सुख -शांति की जरूरत क्यों होती है?*

उत्तर - ऐसी परिस्थिति जहाँ भय, परेशानी, चिंता, दुःख इत्यादि न हो उसे सुख-शांति कहते हैं। इस सुख-शांति बाहर के मन में जरूरत होती है। जैसे गर्मियों के दिन में घर में हम पंखे-कूलर-AC लगाकर गर्मी से बचाव करते हैं। *पंखे-कूलर-AC की तरह गायत्री मंत्र जपने से हमारे मन में ठंडक बनी* रहती है,
[ यहाँ हम समझाते हैं  कि वही 'सुख
 किसी  के लिए दुख का कारण  भी बन  सकती है]

 *सुख-शांति की* *ठंडक मिलती है* *दिमाग़ में गर्मी की लू नहीं लगती।*

प्रश्न - 17 - *जो गायत्री नहीं जपता उसका क्या होता है?*

उत्तर - जो गायत्री नहीं जपता *वो हमेशा अशांत उद्विग्न रहता है। थोड़ी सी परेशानी भी झेल नहीं पाता।* स्वयं को सम्हाल नहीं पाता। उसके दिमाग़ में
*हमेशा गर्मी चढ़ी रहती* है, *इस गर्मी को वो नशे से उतारने की भूल करता है*। मिट्टी का तेल दिखने में जल की तरह होता, लेकिन उससे आग ठंडी नहीं होती, बल्कि भड़क जाती है। इसी तरह नशे से गर्मी दिमाग़ की उतरती नहीं अपितु और भड़क जाती है।

प्रश्न - 18 - *हमारे कैरियर और पढ़ाई में गायत्री मंत्र जप किस प्रकार सहायक है?*

उत्तर - जिस प्रकार गाड़ी के पहिये यदि ढंग से सन्तुलित हों तो स्पीड से सही तरीके से चलती है। ब्रेन की गाड़ी के पहियों का सन्तुलन गायत्री मंन्त्र से मिलता है। यदि *गायत्री मंत्र जप के साथ उगते सूर्य का ध्यान करेंगे तो मंन्त्र और ध्यान के मिलन से प्राण ऊर्जा बढेगी*
जो आपके ब्रेन को *सुपर ईंधन* देगी
पढ़े हुए देर तक याद रखने, चीज़ों को समझने और ब्रेन का लॉजिकल पॉवर बढ़ाएगा। *बुद्धि की कुशलता बढ़ाने का सर्वोत्तम माध्यम है गायत्री जप और ध्यान।*

प्रश्न - 19 - *हमारे कैरियर और पढ़ाई में यज्ञ किस प्रकार सहायक है?*

उत्तर - मष्तिष्क के कोषों
(cells)तक ऊर्जा पहुंचाने और उन्हें रिलैक्स करकर उनकी (power)को कई गुना यज्ञ बढ़ाता है। उन्हें स्वास्थ्य प्रदान करता है। अच्छे हार्मोन का रिसाव करता है, बुरे हार्मोन के रिसाव को रोकता है।

(आपके  भीतर ही "सत्प्रवृति संवर्धन; दुषाप्रवृति उन्मूलन" की किरया आरंभ हो  जाएगी)

प्रश्न -20-  *हमारे कैरियर और पढ़ाई में केवल ध्यान किस प्रकार सहायक है?*

उत्तर - ध्यान में शुरुआती धारणा(किसी भाव या चीज़ पर विचारों को एकाग्र करना), जरूरी है। जिस पर आप एकाग्रचित्त होंगे, अब वो चाहे *उगता हुआ सूर्य हो या कोई देवी-देवता का ध्यान हो या आती-जाती श्वांस पर ध्यान हो* इससे आपके दिमाग की कुशलता बढ़ेगी, मन पर नियंत्रण आएगा। फिंर आप जो भी कार्य करेंगे उसमें आपको सफलता मिलेगी।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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