Tuesday 7 May 2019

यज्ञ सम्बन्धी प्रश्नोत्तरी (21 से 28)

[5/8, 2:14 AM] 😊: 🔥 *यज्ञ सम्बन्धी प्रश्नोत्तरी (21)* 🔥

प्रश्न 21 - *यज्ञ और अग्निहोत्र में क्या अंतर है ? उनका दैनिक जीवन मे कैसे उपयोग करें ?*

👉🏼 उत्तर - जिस प्रकार टूथपेस्ट से ब्रश किया क्या की जगह कोलगेट किया क्या ने जगह ले ली। अब कोई यह पूँछे कि कोलगेट और टूथपेस्ट में क्या अंतर है। तो आप कहेंगे भाई कोलगेट कम्पनी ने टूथपेस्ट  बनाया है। कोलगेट के कई प्रकार के टूथपेस्ट हैं।

*अग्निहोत्र* का शाब्दिक अर्थ - *अग्नि में हवन करना।*

*यज्ञ* का शाब्दिक अर्थ है - अर्पण करना। लेकीन यज्ञ तीन शब्दो का संयोजन भी हैं- १- देवपूजा (श्रेष्ठता का वरण), २-दान(लोककल्याण), ३-संगतिकरण(संगठन में शक्ति/मिलकर कार्य करना) । इंग्लिश में कहें तो यज्ञ एक प्रोजेक्ट है। अग्निहोत्र भी यज्ञ का हिस्सा है।

कुछ ऋषिआत्माओ ने यज्ञ ऊर्जा पर रिसर्च कर पाया कि गृहस्थों को सरल विधि से ठीक स्थानीय सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय, गाय के घी की कुछ बूंदों से सने दो चुटकी कच्चे चावल (अक्षत) अग्नि में डालकर तांबे के एक अर्ध पिरामिड आकार के पात्र में अग्नि प्रज्वलित अग्नि में दो बार आहुति डालने से कॉस्मिक ऊर्जा जरूरी मिल जा रही, दो सरल वेद मंत्रों का उच्चारण जिसे गृहस्थ आसानी से कर सकें बना दिया। इस विधि की लोकप्रियता ने इसे *अग्निहोत्र* नाम से प्रख्यात कर दिया। अब कोलगेट की तरह इसे भी एक ब्रांड बना दिया। वस्तुतः ऐसा अग्नि में हवन ही अग्निहोत्र है। चाहे जब करो। लेकिन सूर्योदय और सूर्यास्त के समय संध्या के वक्त अग्निहोत्र अधिक लाभकारी है।

महिलाएं जो गोबर के कंडो को प्रज्वलित कर दैनिक गुड़-घी से हवन करती हैं वो भी अग्निहोत्र है।

यज्ञ के कई प्रकार है, कई प्रकार की सामग्री, कई प्रकार के मंन्त्र, कई प्रकार के उद्देश्य के लिए विभिन्न विधिविधान से यज्ञ किया जाता है। यज्ञ पूरी यूनिवर्सिटी है, अग्निहोत्र उसका एक विभाग है।
[5/8, 2:26 AM] 😊: 🔥 *यज्ञ सम्बन्धी प्रश्नोत्तरी( प्रश्न 22)

 प्रश्न 22, *आजकल अग्निहोत्र के नाम पर घर घर , खेत व अन्य स्थानों पे 1 यज्ञ किया जा रहा है जिसमे चावल व घृत की आहुति दे कर 2 मंत्र बोले जाते है सुबह शाम । सूर्योदय व सूर्यास्त का समय पर जोर दिया जाता है । वैदिक मंत्रो में भी थोड़ा  बदलाव है । माधवाश्रम भोपाल वालो ने इनका खूब प्रचार किया है । कुछ लोगो ने इसे ही वैदिक पद्धति मानकर अन्य हवन के तरीके को नकारते है । कृप्या इस विषय में कोई अपना अनुभव या विचार रखें । धन्यवाद*

उत्तर - किसान अधिक पढ़ा लिखा नही होता कि कठिन वैदिक मंत्रों का उच्चारण कर सके, अमीर नहीं होता कि यज्ञ के बड़े आयोजन कर सके।

अतः यज्ञ ऊर्जा के लाभ से जोड़ने के लिए होमा थेरेपी वालो ने अग्निहोत्र को खेती से जोड़ने के लिए यह सुगम यज्ञ विधान दिया। चावल, गाय का घी और गाय के गोबर के उपले प्रत्येक किसान के घर उपलब्ध है।

*उन्हें बताया कि ठीक स्थानीय सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय, गाय के घी की कुछ बूंदों से सने दो चुटकी कच्चे चावल (अक्षत) अग्नि में डाले जाते हैं । तांबे के एक अर्ध पिरामिड आकार के पात्र में अग्नि प्रज्वलित की जाती है । अग्नि में दो बार आहुति डालते समय, दो सरल वेद मंत्रों का उच्चारण किया जाता है ।*

२. *सरल अग्निहोत्र के मंत्र*
अग्निहोत्र की सामग्री को अग्नि में आगे दिए गए मंत्रोंच्चारण के साथ आहुति दी जाती है ।

२.१ *सूर्योदयके समय*

१. सूर्याय स्वाहा सूर्याय इदम् न मम

२. प्रजापतये स्वाहा प्रजापतये इदम् न मम

२.२ *सूर्यास्तके समय*
१.      अग्नये स्वाहा अग्नये इदम् न मम

२.      प्रजापतये स्वाहा प्रजापतये इदम् न मम’

*मंत्र के उच्चारण से व्यक्ति के मन में शरणागत भाव की निर्मिति तथा जागृति में सहायता होती है । मंत्र का उच्चारण इस प्रकार करें कि वह पूरे घर में गुंजायमान हो । उच्चारण स्पष्ट तथा लय में होना चाहिए । मंत्र में आए शब्द सूर्य, अग्नि तथा प्रजापति सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पर्यायवाची हैं । शरणागत भाव की जागृति इन मंत्रों के उच्चारण से होती है ।*

३. *अग्नि प्रज्वलित करना*
३.१ *अग्निहोत्र के लिए आवश्यक सामग्री*
👉🏼२ चुटकी अखंड अक्षत
👉🏼 गाय का घी
👉🏼निश्चित माप का अर्ध पिरामिड के आकार का ताम्रपात्र
👉🏼गाय के गोबर के उपले
👉🏼अग्नि का स्रोत (दियासलाई)

सस्ता सुंदर टिकाऊ भावयुक्त यज्ञ से जन मानस को जोड़ दिया।

 दिया छोटा हो या बड़ा अंधेरा सामर्थ्य भर अंधेरा दूर करेगा ही। इसी तरह यज्ञ छोटा हो या बड़ा सामर्थ्यभर लाभ देगा ही।

🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
[5/8, 2:39 AM] 😊: 🔥 *यज्ञ सम्बन्धी प्रश्नोत्तरी (प्रश्न 23)* 🔥

प्रश्न 23- *बलिवैश्व भी क्या वही प्रभाव देता है जो यज्ञ और अग्निहोत्र से मिलता है?*

उत्तर - बलिवैश्व एवं प्रचलित अग्निहोत्र दैनिक यज्ञ के एक प्रकार है। यज्ञ रूपी यूनिवर्सिटी के एक छोटे छोटे विभाग।

बलिवैश्व में और अग्निहोत्र में दोनों में ताम्रपात्र उपयोग लिया जाता है।

बलिवैश्व गैस में गर्म करके पके हुए भोजन में गुड़ घी मिलाकर पंच गायत्री मन्त्रों से आहुति दिया जाता है। यहाँ उद्देश्य - भोजन को प्रसाद भाव मे लेना, भावना एवं विचारणा शुद्धि, परिवार निर्माण, सुख-शांति और कॉस्मिक ऊर्जा प्राप्ति के लिए किया जाता है।

अग्निहोत्र कॉस्मिक ऊर्जा उतपन्न करने के मामले में बलिवैश्व से ज्यादा प्रभावी है। क्योंकि इसमें सूर्योदय-सूर्यास्त, गोबर के उपले और घी उपयोग में लिया जाता है। गैस की अग्नि और गोबर से उतपन्न अग्नि में फर्क होगा ही।

बाकी अन्य भावनात्मक और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रभाव लगभग एक जैसा ही है।

यज्ञ एक कॉमन शब्द है, इसके उद्देश्य इसके विधिविधान तय करते हैं। उपचार हुआ तो यग्योपैथी, सन्तान के लिए तो सन्तान यज्ञ, मांत्रिक यज्ञ, तांत्रिक यज्ञ इत्यादि। अतः यह प्रश्न द्वारा यज्ञ के दैनिक प्रकार बलिवैश्व, अग्निहोत्र को कॉमन यज्ञ से किस प्रकार भिन्न है यह पूंछना ही अनुचित है। यज्ञ के उद्देश्य और विधिविधान के अनुसार यज्ञ बहुत बड़ा भी हो सकता है और यज्ञ छोटा भी हो सकता है। अब इनमें से किससे तुलना करेंगे यह तय नहीं कर सकते।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
[5/8, 2:56 AM] 😊: 🔥 *यग्योपैथी विषयक प्रश्नोत्तरी  ( 24 से 27)* 🔥

प्रश्न 24- *यग्योपैथी में क्या मरीज का स्नान करना आवश्यक है। अगर मरीज इतना कमजोर हो कि यज्ञ में न बैठ सके तो क्या विकल्प है?*

उत्तर - इसका निर्णय धर्म और युगधर्म के अनुसार लें। यहां उद्देश्य चिकित्सा है। असमर्थ मरीज़ पर पवित्रीकरण मंन्त्र पढ़कर उसके ऊपर छिड़क दें। उससे भावनात्मक पवित्रीकरण की भावना करने को कहें।

वो असमर्थ है, तो उसे भावनात्मक यज्ञ करने को कहें। मरीज के बिस्तर के पास घर का कोई सदस्य बीमारी से सम्बंधित औषधि से यज्ञ करे, जिससे मरीज लेटे हुए गहरी श्वांस द्वारा औषधीय यज्ञ धूम्र का सेवन कर सके। औषधीय यज्ञ कर्ता स्वस्थ हो तो भी उस औषधि से हवन करने पर उसे कोई हानि नहीं होती है।

प्रश्न 25-- *यज्ञपैथी के साथ साथ एलोपैथिक medicines ली जा सकती है या नहीं।*

👉🏼 उत्तर - हाँजी, एलोपैथी की जो दवाइयां चल रही है उसे यग्योपैथी शुरू करने के एक महीने तक साथ साथ लेते रहा जा सकता है।यग्योपैथी चिकित्सक के परामर्श अनुसार और रोगी के स्वास्थ्य परिणाम के अनुसार बाद में एलोपैथी बन्द करके यग्योपैथी जारी रखा जा सकता है।

याद रखिए जैसे एलोपैथी और होमियोपैथी दोनों साथ साथ उपचार ले सकते हैं, वैसे ही यग्योपैथी और एलोपैथी उपचार साथ साथ चल सकता है।

प्रश्न 26 - *यग्योपैथी के लिए क्या competent authority से अनापत्ति ले ली गयी है या प्रक्रियागत है या आवश्यक नही है।*

👉🏼 उत्तर- जिस प्रकार प्राकृतिक चिकित्सा के अन्य विधियों मृदा चिकित्सा इत्यादि के लिए किसी अथॉरिटी की आवश्यकता नहीं वैसे ही यग्योपैथी के लिए भी आवश्यक नहीं है।

लेक़िन यदि कोई प्रोफेशनल तरीक़े से व्यवसाय के रूप में वैकल्पिक चिकित्सा के तौर पर शुरू करना चाहता है, तो वो यदि आयुर्वेद चिकित्सक या प्राकृतिक चिकित्सा का सर्टिफिकेट रखता है। तो इसे बिना किसी असुविधा के यग्योपैथी चिकित्सा परामर्श दे सकता है।

प्रश्न - *क्या जिसने जनेऊ या यग्योपवीत धारण न किया हो या शिखा न धरण की हो वो यग्योपैथी कर सकता है?*

👉🏼 उत्तर - रोगोपचार के लिए यग्योपैथी में इसकी आवश्यकता नहीं है।लेकिन यज्ञ से यदि आध्यात्मिक शक्तियो को धारण करना और उसे संग्रहित करना हो तो शिखा और जनेऊ की आवश्यकता पड़ेगी।

आजकल की आधुनिक भाषा में शिखा अर्थात आध्यात्मिक नेटवर्क एंटीना, जनेऊ अर्थात आध्यात्मिक पावर बैंक। आध्यात्मिक भाषा में शिखा अर्थात धर्म ध्वज और जनेऊ अर्थात गायत्री की प्रतिमा ।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
[5/8, 3:18 AM] 😊: 🔥 *यज्ञ सम्बन्धी प्रश्नोत्तरी( प्रश्न 28)* 🔥

प्रश्न - *क्या गौ धृत ही प्रयोग करना है। बाजार में उपलब्ध घी के प्रयोग में क्या दिक्कत है।घी ही क्यों आवश्यक है। घी का क्या कोई विकल्प है।*

👉🏼 उत्तर -  देशी गाय *A 2* ग्रेड का उच्च गुणवत्ता का दूध देती है। केवल इसके दूध से बने  घी को आयुर्वेद में विभिन्न रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है। देशी घी में विटामिन "ए', विटामिन "डी' और विटामिन "ई' रहते हैं। विटामिनों की मात्रा सब ऋतुओं में एक सी नहीं रहती। जब पशुओं को हरी घास अधिक मिलती है तब, अर्थात्‌ बरसात और जाड़े के घी, में, विटामिन की मात्रा बढ़ जाती है।

घी के विशेष प्रकार की गंध होती है। यह गंध किण्वन और आक्सीकरण के करण 'डाइऐसीटिल' नामक कार्बानिक यौगिक बनने के कारण उत्पन्न होती है। इसके जलने पर लाभदाय प्राणवायु गैस का निर्माण होता है। तथा औषधि के अर्क को घी के साथ श्वांस में प्रवेश लाभदायी है।

बाज़ार में उपलब्ध गाय के घी में मिलावट होती है। अतः वो औषधीय लाभ नहीं मिल पाता।

भैंस का घी गाय के घी से कम उपयोगी है,लेकिन गाय का घी न मिलने पर भैंस के घी से यज्ञ किया जा सकता है।

वनस्पति तेल से यज्ञ नहीं होता, अतः तेल का प्रयोग यज्ञ में न करे।

*नोट :-* 150 रुपये का पूजा का घी नकली घी होता है। जो मृत पशु की चर्बी को गर्म करके प्रोसेस करके बनाया जाता है। इसके जलने पर हानिकारक गैस का निर्माण होता है।

जितने भी घी 550 से 800 रुपये के मूल्य के मिलते हैं वो जर्सी गाय के बटर मिल्क से बनते है। न बहुत उपयोगी हैं न हानिकारक है।

🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

1 comment:

  1. Is it mandatory to sit at the same place daily to perform agnihotra?

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