🔥 *यज्ञ सम्बन्धी प्रश्नोत्तरी (11 से 20)*🔥
११) *क्या कल्याण का श्रेष्ठ मार्ग यज्ञ है ?*
👉🏼 उत्तर - यदि समस्त सृष्टि का कल्याण एक साथ किसी एक कर्म से हो सकता है तो वो यज्ञ है। यदि सामूहिक इलाज किसी एक विधि से हो सकता है तो वो यग्योपैथी है। यज्ञ एक ओपन हॉस्पिटल है। यज्ञ एक ओपन गुरुकुल है। यज्ञ एक ओपन सूक्ष्म शोधन की फैक्ट्री है। प्रकृति के कण कण को पोषण और प्राण पर्जन्य की वर्षा किसी एक माध्यम से हो सकती है तो वो यज्ञ है। यज्ञ ही सृष्टि कल्याण का सर्वश्रेष्ठ मार्ग है।
१२) *क्या यज्ञ से भौतिक एवं आध्यत्मिक लाभ दोनों एक साथ हो सकते है ?*
👉🏼 उत्तर - हांजी, यज्ञ एक ऐसा माध्यम है, जिससे भौतिक और सांसारिक दोनों कामनाओं की पूर्ति हो सकती है। जैसे डिप्लोमा कोर्स के छह महीने में पूरा होता है और ग्रेजुएशन डिग्री 3 वर्ष में। इसी तरह उद्देश्य की लघुता या वृहदता के अनुसार भावयुक्त मन्त्रों, सामग्रियों और विधिविधान को निश्चित दिनों और निश्चित कुंडों में करना होता है।
१३) *अमुक रिश्तेदार की यह ...........बीमारी है। डॉक्टर ने 5-6 लाख रुपये कहे थे। घर में सिर्फ पापा ही कमाते है,बाकी हम सब छोटे भाई-बहन पढ़ाई करते है। ऐसा कोई सस्ता इलाज है,जिसे हमे हमारी पुनः स्वास्थ्य को प्राप्त कर सके ?*
👉🏼 उत्तर - यग्योपैथी चिकित्सा एक प्रकार से आयुर्वेद की चिकित्सा की तरह है। रोग के अनुसार मंन्त्र, औषधि और समिधा का चयन किया जाता है। रोग की गम्भीरता को देखते हुए उसे कितने दिनों तक करना है यह तय किया जाता है। एलोपैथी चिकित्सा से यग्योपैथी सस्ती और उत्तम है। बिना यग्योपैथी आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श के अनुमानित लागत कहना मुश्किल है। क्योंकि प्रत्येक रोग की औषधि समान नहीं होती।
१४) *यज्ञ करते समय आप सब देवी-देवता के बारे में संक्षेप में बताते है,परंतु गायत्री माता पे इतना जोर क्यो ?*
👉🏼 उत्तर - घर में जब कोई शुभ कार्य होता है, या ऑफिस का कोई प्रोजेक्ट होता है। तो कार्य तो बहुत लोग करते है, सम्मिलित बहुत लोग होते हैं, लेकिन मुखिया या प्रोजेक्ट मैनेजर कोई एक ही होता है। जो शुरू से अंत तक सबसे कार्य करवा के लक्ष्य पूर्ति करता है। इसी तरह यज्ञ में देवी देवता बहुत आमंत्रित होते हैं, लेकिन कोई एक देवता यज्ञ का प्रधान नियुक्त होता है। आपने गायत्री परिजन द्वारा यज्ञ के वक्त एक मंन्त्र लाइन देवताओं के नमस्कार के अंत मे सुनी होगी
*एतद कर्म प्रधान श्री गायत्री देव्यै नमः*
इस लाइन में गायत्री को यज्ञ का प्रधान बोला है, अतः गायत्री की ही विस्तृत चर्चा, आह्वाहन, मंन्त्र बोला जाएगा। आप प्रधान देवता बदलकर उस देवता के साथ भी यज्ञ कर सकते हैं।
१५) *ज्ञान और विज्ञान के शक्तिस्त्रोत गायत्री और यज्ञ क्यो ?*
👉🏼 उत्तर - प्राचीन ऋषि हों या आधुनिक चिकित्सक रिसर्चर सभी एक स्वर में यह मानते है और रिसर्च द्वारा साबित करते हैं कि गायत्रीमंत्र सभी मन्त्रों का राजा है, वेदों का सार है, मानसिक बुद्धिकुशलता को बढाने वाला है। इसके प्रभाव को आधुनिक मशीनों में भी चेक किया जा सकता है। यज्ञ इसी ज्ञान विज्ञान का वृहद रूप है। यज्ञ शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक तीनो तरह के लाभ देता है। यज्ञ के औषधीय उपचार, कॉस्मिक एनर्जी और पर्यावरण प्रदूषण दूर करने के प्रभाव को आधुनिक मशीनों से स्वयं चेक किया जा सकता है। आध्यात्मिक लाभ मनुष्य अपने अनुभवों से चेक कर सकता है। इनकी महिमा वेद एवं पुराण में वर्णित है। इसलिए इन्हें ज्ञान का स्रोत कहा गया है।
१६) *यज्ञ में गायत्रीमंत्र की २४ अक्षर की तुलना गीता से क्यो करी गयी है ?*
👉🏼 उत्तर - गीता को वेदों का सार कहा गया है। गायत्री मंत्र वेदों का अर्क है। स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने गीता में छंदों में मैं गायत्री छंद हूँ कहा है। गायत्री मंत्र के 24 अक्षर की यदि विस्तार से व्याख्या की जाय और उसके गूढ़तम रहस्य को समझा जाए तो आपको वही ज्ञान मिलेगा जो भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है। जिस प्रकार बरगद के पेड़ का बीज बरगद के वृक्ष को स्वयं में समाए है। वैसे ही गायत्री मंत्र में श्रीमद्भागवत गीता और वेद समाये है। मनोभूमि में निरन्तर गायत्री मंत्र की उपासना-साधना द्वारा गीता और वेदों का साक्षात्कार व ज्ञान पाया जा सकता है।
१७) *योगयज्ञ क्या है ?*
👉🏼 उत्तर - योग अर्थात जुड़ना। जब यज्ञ का उद्देश्य किसी विशेष शक्ति से योग करने हेतु किया जाता है, उस शक्ति को यज्ञकर्ता स्वयं में धारण करने के उद्देश्य से करता है। तब वह यज्ञ योग यज्ञ कहलाता है। अब यह यज्ञ कर्मकांड के साथ स्थूल प्रयोग से भी हो सकता है और मानसिक यज्ञ द्वारा भी इच्छित शक्ति से कनेक्शन/योग बनाया जा सकता है।
१८) *बड़े यज्ञ कार्यक्रम में हम सेवाके कार्य मे जुटे रहते है,जिस से हम यज्ञ में आहुति नही डाल पाते, तो क्या हमें यज्ञ से लाभ मिलेगा ? और कैसे ?*
👉🏼 उत्तर - फुटबॉल खेल में गोल करने में सहयोगी को भी मेडल मिलता है, भले ही उसने एक भी गोल स्वयं न किया हो। ठीक इसीतरह बड़े यज्ञ कार्यक्रम में सहयोगी कार्यकर्ता यज्ञ का उतना ही पुण्यफल पाते है जितना यज्ञ करने वाले। अपितु उससे ज्यादा ही।
एक बार अग्निचक्र मे एक सन्त तप कर रहे थे, एक शिष्य अग्नि न बुझे इसलिए निरन्तर अग्नि को जलाए रखता। तप पूर्ण होने पर अग्निदेवता पहले शिष्य के पास आये और उसे अग्निचक्र सिद्धि दी फिंर गुरु जी को दिया। शिष्य बोला हमने तो तप किया नहीं गुरु जी ने किया। अग्निदेव बोले बिना तुम्हारे सहयोग के गुरुजी यह तप नहीं कर पाते अतः गुरुजी के साथ साथ तुम भी अग्निचक्र सिद्धि के अधिकारी हो।
१९) *क्या मानसिक रूप से किये जाना वाला यज्ञ का लाभ भौतिक रूप से किये जाना वाला उतना ही होता है ?*
👉🏼 उत्तर - मानसिक यज्ञ भावनात्मक श्रद्धा और दृढ़ विश्वास पर फलीभूत होती है। यदि ऐसा न हुआ तो निष्फल है।
एक बार एक सन्त जो कि अत्यंत गरीब थे पत्थर तोड़ने मजदूरी करते थे। उनके गुरुजी ने उन्हें नित्य मानसिक यज्ञ करने को कहा था। वो एक अन्य मजदूर के पीछे साइकिल में बैठते पूरे रास्ते पूजन एवं यज्ञ करते। साथी सन्त को बड़े आराम से ले जाता। एक दिन साथी न आया, अतः दूसरे बन्दे की साइकिल में बैठकर घर आ रहे थे, यज्ञ उस वक्त चल रहा था, दूसरे बन्दे ने गलती से गड्ढे में साइकिल डाली बैलेंस बिगड़ा। अतः ध्यान में हाथ हिलने से चम्मच के साथ साथ उनका हाथ भी यज्ञाग्नि में चला गया। सन्त के हाथ मे जलने का निशान और फफोले उभर आये।
२०) *क्या यज्ञ चिकित्सा प्राकृतिक चिकित्सा के अन्तर्गत आने वाली चिकित्सा है ? कैसे ?*
👉🏼 उत्तर - प्राकृतिक चिकित्सा (नेचुरोपैथी / naturopathy) एक चिकित्सा-दर्शन है। इसके अन्तर्गत रोगों का उपचार व स्वास्थ्य-लाभ का आधार है - 'रोगाणुओं से लड़ने की शरीर की स्वाभाविक शक्ति'। प्राकृतिक चिकित्सा के अन्तर्गत अनेक पद्धतियां हैं जैसे - जल चिकित्सा, अग्नि चिकित्सा, सूर्य चिकित्सा, एक्यूपंक्चर, एक्यूप्रेशर, मृदा चिकित्सा आदि। प्राकृतिक चिकित्सा के प्रचलन में विश्व की कई चिकित्सा पद्धतियों का योगदान है; जैसे भारत का आयुर्वेद तथा यूरोप का 'नेचर क्योर'।
प्राकृतिक चिकित्सा का एक अंग अग्नि चिकित्सा है। क्षिति जल पावक गगन समीरा, पंच रचित यह अधम शरीरा। अतः इन पांचों में से किसी भी माध्यम से प्राकृतिक चीज़ों के उपयोग से चिकित्सा की जा सकती है।
यज्ञ चिकित्सा में - अग्नि, वायु, मिट्टी के कुंड, प्राकृतिक औषधियों का ही उपयोग किया जाता है। अतः यज्ञ चिकित्सा प्राकृतिक चिकित्सा ही है।
🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
११) *क्या कल्याण का श्रेष्ठ मार्ग यज्ञ है ?*
👉🏼 उत्तर - यदि समस्त सृष्टि का कल्याण एक साथ किसी एक कर्म से हो सकता है तो वो यज्ञ है। यदि सामूहिक इलाज किसी एक विधि से हो सकता है तो वो यग्योपैथी है। यज्ञ एक ओपन हॉस्पिटल है। यज्ञ एक ओपन गुरुकुल है। यज्ञ एक ओपन सूक्ष्म शोधन की फैक्ट्री है। प्रकृति के कण कण को पोषण और प्राण पर्जन्य की वर्षा किसी एक माध्यम से हो सकती है तो वो यज्ञ है। यज्ञ ही सृष्टि कल्याण का सर्वश्रेष्ठ मार्ग है।
१२) *क्या यज्ञ से भौतिक एवं आध्यत्मिक लाभ दोनों एक साथ हो सकते है ?*
👉🏼 उत्तर - हांजी, यज्ञ एक ऐसा माध्यम है, जिससे भौतिक और सांसारिक दोनों कामनाओं की पूर्ति हो सकती है। जैसे डिप्लोमा कोर्स के छह महीने में पूरा होता है और ग्रेजुएशन डिग्री 3 वर्ष में। इसी तरह उद्देश्य की लघुता या वृहदता के अनुसार भावयुक्त मन्त्रों, सामग्रियों और विधिविधान को निश्चित दिनों और निश्चित कुंडों में करना होता है।
१३) *अमुक रिश्तेदार की यह ...........बीमारी है। डॉक्टर ने 5-6 लाख रुपये कहे थे। घर में सिर्फ पापा ही कमाते है,बाकी हम सब छोटे भाई-बहन पढ़ाई करते है। ऐसा कोई सस्ता इलाज है,जिसे हमे हमारी पुनः स्वास्थ्य को प्राप्त कर सके ?*
👉🏼 उत्तर - यग्योपैथी चिकित्सा एक प्रकार से आयुर्वेद की चिकित्सा की तरह है। रोग के अनुसार मंन्त्र, औषधि और समिधा का चयन किया जाता है। रोग की गम्भीरता को देखते हुए उसे कितने दिनों तक करना है यह तय किया जाता है। एलोपैथी चिकित्सा से यग्योपैथी सस्ती और उत्तम है। बिना यग्योपैथी आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श के अनुमानित लागत कहना मुश्किल है। क्योंकि प्रत्येक रोग की औषधि समान नहीं होती।
१४) *यज्ञ करते समय आप सब देवी-देवता के बारे में संक्षेप में बताते है,परंतु गायत्री माता पे इतना जोर क्यो ?*
👉🏼 उत्तर - घर में जब कोई शुभ कार्य होता है, या ऑफिस का कोई प्रोजेक्ट होता है। तो कार्य तो बहुत लोग करते है, सम्मिलित बहुत लोग होते हैं, लेकिन मुखिया या प्रोजेक्ट मैनेजर कोई एक ही होता है। जो शुरू से अंत तक सबसे कार्य करवा के लक्ष्य पूर्ति करता है। इसी तरह यज्ञ में देवी देवता बहुत आमंत्रित होते हैं, लेकिन कोई एक देवता यज्ञ का प्रधान नियुक्त होता है। आपने गायत्री परिजन द्वारा यज्ञ के वक्त एक मंन्त्र लाइन देवताओं के नमस्कार के अंत मे सुनी होगी
*एतद कर्म प्रधान श्री गायत्री देव्यै नमः*
इस लाइन में गायत्री को यज्ञ का प्रधान बोला है, अतः गायत्री की ही विस्तृत चर्चा, आह्वाहन, मंन्त्र बोला जाएगा। आप प्रधान देवता बदलकर उस देवता के साथ भी यज्ञ कर सकते हैं।
१५) *ज्ञान और विज्ञान के शक्तिस्त्रोत गायत्री और यज्ञ क्यो ?*
👉🏼 उत्तर - प्राचीन ऋषि हों या आधुनिक चिकित्सक रिसर्चर सभी एक स्वर में यह मानते है और रिसर्च द्वारा साबित करते हैं कि गायत्रीमंत्र सभी मन्त्रों का राजा है, वेदों का सार है, मानसिक बुद्धिकुशलता को बढाने वाला है। इसके प्रभाव को आधुनिक मशीनों में भी चेक किया जा सकता है। यज्ञ इसी ज्ञान विज्ञान का वृहद रूप है। यज्ञ शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक तीनो तरह के लाभ देता है। यज्ञ के औषधीय उपचार, कॉस्मिक एनर्जी और पर्यावरण प्रदूषण दूर करने के प्रभाव को आधुनिक मशीनों से स्वयं चेक किया जा सकता है। आध्यात्मिक लाभ मनुष्य अपने अनुभवों से चेक कर सकता है। इनकी महिमा वेद एवं पुराण में वर्णित है। इसलिए इन्हें ज्ञान का स्रोत कहा गया है।
१६) *यज्ञ में गायत्रीमंत्र की २४ अक्षर की तुलना गीता से क्यो करी गयी है ?*
👉🏼 उत्तर - गीता को वेदों का सार कहा गया है। गायत्री मंत्र वेदों का अर्क है। स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने गीता में छंदों में मैं गायत्री छंद हूँ कहा है। गायत्री मंत्र के 24 अक्षर की यदि विस्तार से व्याख्या की जाय और उसके गूढ़तम रहस्य को समझा जाए तो आपको वही ज्ञान मिलेगा जो भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है। जिस प्रकार बरगद के पेड़ का बीज बरगद के वृक्ष को स्वयं में समाए है। वैसे ही गायत्री मंत्र में श्रीमद्भागवत गीता और वेद समाये है। मनोभूमि में निरन्तर गायत्री मंत्र की उपासना-साधना द्वारा गीता और वेदों का साक्षात्कार व ज्ञान पाया जा सकता है।
१७) *योगयज्ञ क्या है ?*
👉🏼 उत्तर - योग अर्थात जुड़ना। जब यज्ञ का उद्देश्य किसी विशेष शक्ति से योग करने हेतु किया जाता है, उस शक्ति को यज्ञकर्ता स्वयं में धारण करने के उद्देश्य से करता है। तब वह यज्ञ योग यज्ञ कहलाता है। अब यह यज्ञ कर्मकांड के साथ स्थूल प्रयोग से भी हो सकता है और मानसिक यज्ञ द्वारा भी इच्छित शक्ति से कनेक्शन/योग बनाया जा सकता है।
१८) *बड़े यज्ञ कार्यक्रम में हम सेवाके कार्य मे जुटे रहते है,जिस से हम यज्ञ में आहुति नही डाल पाते, तो क्या हमें यज्ञ से लाभ मिलेगा ? और कैसे ?*
👉🏼 उत्तर - फुटबॉल खेल में गोल करने में सहयोगी को भी मेडल मिलता है, भले ही उसने एक भी गोल स्वयं न किया हो। ठीक इसीतरह बड़े यज्ञ कार्यक्रम में सहयोगी कार्यकर्ता यज्ञ का उतना ही पुण्यफल पाते है जितना यज्ञ करने वाले। अपितु उससे ज्यादा ही।
एक बार अग्निचक्र मे एक सन्त तप कर रहे थे, एक शिष्य अग्नि न बुझे इसलिए निरन्तर अग्नि को जलाए रखता। तप पूर्ण होने पर अग्निदेवता पहले शिष्य के पास आये और उसे अग्निचक्र सिद्धि दी फिंर गुरु जी को दिया। शिष्य बोला हमने तो तप किया नहीं गुरु जी ने किया। अग्निदेव बोले बिना तुम्हारे सहयोग के गुरुजी यह तप नहीं कर पाते अतः गुरुजी के साथ साथ तुम भी अग्निचक्र सिद्धि के अधिकारी हो।
१९) *क्या मानसिक रूप से किये जाना वाला यज्ञ का लाभ भौतिक रूप से किये जाना वाला उतना ही होता है ?*
👉🏼 उत्तर - मानसिक यज्ञ भावनात्मक श्रद्धा और दृढ़ विश्वास पर फलीभूत होती है। यदि ऐसा न हुआ तो निष्फल है।
एक बार एक सन्त जो कि अत्यंत गरीब थे पत्थर तोड़ने मजदूरी करते थे। उनके गुरुजी ने उन्हें नित्य मानसिक यज्ञ करने को कहा था। वो एक अन्य मजदूर के पीछे साइकिल में बैठते पूरे रास्ते पूजन एवं यज्ञ करते। साथी सन्त को बड़े आराम से ले जाता। एक दिन साथी न आया, अतः दूसरे बन्दे की साइकिल में बैठकर घर आ रहे थे, यज्ञ उस वक्त चल रहा था, दूसरे बन्दे ने गलती से गड्ढे में साइकिल डाली बैलेंस बिगड़ा। अतः ध्यान में हाथ हिलने से चम्मच के साथ साथ उनका हाथ भी यज्ञाग्नि में चला गया। सन्त के हाथ मे जलने का निशान और फफोले उभर आये।
२०) *क्या यज्ञ चिकित्सा प्राकृतिक चिकित्सा के अन्तर्गत आने वाली चिकित्सा है ? कैसे ?*
👉🏼 उत्तर - प्राकृतिक चिकित्सा (नेचुरोपैथी / naturopathy) एक चिकित्सा-दर्शन है। इसके अन्तर्गत रोगों का उपचार व स्वास्थ्य-लाभ का आधार है - 'रोगाणुओं से लड़ने की शरीर की स्वाभाविक शक्ति'। प्राकृतिक चिकित्सा के अन्तर्गत अनेक पद्धतियां हैं जैसे - जल चिकित्सा, अग्नि चिकित्सा, सूर्य चिकित्सा, एक्यूपंक्चर, एक्यूप्रेशर, मृदा चिकित्सा आदि। प्राकृतिक चिकित्सा के प्रचलन में विश्व की कई चिकित्सा पद्धतियों का योगदान है; जैसे भारत का आयुर्वेद तथा यूरोप का 'नेचर क्योर'।
प्राकृतिक चिकित्सा का एक अंग अग्नि चिकित्सा है। क्षिति जल पावक गगन समीरा, पंच रचित यह अधम शरीरा। अतः इन पांचों में से किसी भी माध्यम से प्राकृतिक चीज़ों के उपयोग से चिकित्सा की जा सकती है।
यज्ञ चिकित्सा में - अग्नि, वायु, मिट्टी के कुंड, प्राकृतिक औषधियों का ही उपयोग किया जाता है। अतः यज्ञ चिकित्सा प्राकृतिक चिकित्सा ही है।
🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
No comments:
Post a Comment